मंगल पांडेय लोकसभा सांसद परिचय सूची

नाम : मा. प्रिंयका सिंह रावत
पद : लोकसभा संसद
संसदीय क्षेत्र : बाराबंकी
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : NA
राज्य : उत्तर प्रदेश
सम्मान पत्र :

123

विवरण :

Priyanka Singh Rawat

Member of the India Parliament 

for Barabanki

Incumbent

Assumed office 

1 September 2014

ConstituencyBarabanki

Personal details

Born7 August 1985 (age 32)

Bareilly, Uttar Pradesh, India

Political partyBharatiya Janata Party

ResidenceMadhaipur, Gonda, Uttar Pradesh, India

Websitehttp://priyankasinghrawat.co.in

As of 17th December, 2016

बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र के बारे में 

उत्तर प्रदेश के 80 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक, बाराबंकी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन 1957 से पहले किया गया था, एससी श्रेणी के लिए आरक्षित था और इसमें पांच विधान सभाएं हैं। बाराबंकी संसदीय क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र 53) में कुल 1,422,218 मतदाता हैं, जिनमें से 653, 9 22 महिलाएं हैं और 768,296 पुरुष हैं, जो भारत के 2009 के चुनाव आयोग के अनुसार  हैं। बाराबंकी शहर बाराबंकी जिले में लखनऊ से 29 किमी की दूरी पर 125 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बाराबंकी जिला 3890 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैल गया।

2011 की जनगणना के अनुसार, शहर की जनसंख्या 146,831 है, जिसमें पुरुष और महिला आबादी क्रमश: 77,776 और 69,065 है। 14% आबादी छह वर्ष से कम है और लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुष 888 महिलाएं हैं। 84.53% की पुरुष साक्षरता दर और 77.34% की महिला साक्षरता दर के साथ शहर की औसत साक्षरता दर 81.85% है। 50% आबादी मुस्लिम है और 49% हिंदू है। शिक्षा के राज्य और केंद्रीय बोर्ड दोनों से संबद्ध सार्वजनिक और निजी दोनों स्कूल हैं। विभिन्न क्षेत्रों में पाठ्यक्रम पेश करने वाले कई कॉलेज यहां स्थित हैं। आर्थिक रूप से, अधिकांश लोग कृषि, पशुपालन और व्यापार में शामिल हैं। हस्तशिल्प और हैंडलूम उद्योग भी यहां विकसित किए गए हैं। राज्य का पहला सौर ऊर्जा संयंत्र यहां बनाया गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच -24 ए, एनएच -28, एनएच -28 सी और एनएच -56 ए यहां से गुजरते हैं।लोकसभा चुनाव- २०१४ में बीजेपी समर्थित माननीय प्रियंका सिंह रावत ने  (454214) वोट प्राप्त कर कांग्रेस समर्थित पी.एल पुनिया को कुल वोट संख्या (242336) वोट प्राप्त हुए  माननीय प्रियंका सिंह रावत जी ने २ लाख से अधिक वोटों से जीतकर सांसद निर्वाचित हुईं , 

बाराबंकी जिले के बारे में

बाराबंकी जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 71 जिलों में से एक है। बाराबंकी जिला प्रशासनिक प्रमुख तिमाही बाराबंकी है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की तरफ 30 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। बाराबंकी जिला आबादी 3257983 है। यह जनसंख्या द्वारा राज्य में 28 वां सबसे बड़ा जिला है।

भूगोल और जलवायु बाराबंकी जिला

अक्षांश -26.9, रेखांश-81.1 पर स्थित है। बाराबंकी जिला पूर्व में फैजाबाद जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है, दक्षिण में फतेहपुर जिला, पश्चिम में लखनऊ जिला, उत्तर में रायबरेली जिला, उत्तर में सीतापुर जिला। बाराबंकी जिले में लगभग 38 9 4.5 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। । इसकी 125 मीटर से 113 मीटर ऊंचाई सीमा है। यह जिला हिंदी पट्टी से संबंधित है।

बाराबंकी जिले का जलवायु

गर्मियों में गर्म है। बरबंकी जिला गर्मियों में सबसे ज्यादा दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 43 डिग्री सेल्सियस के बीच है।

जनवरी का औसत तापमान 13 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 18 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 2 9 डिग्री सेल्सियस है, मई 33 डिग्री सेल्सियस है।

बाराबंकी जिले के डेमो ग्राफिक्स

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। इसके अलावा लोग उर्दू, अवधी बोलते हैं। बाराबंकी जिला 16 खंड, पंचायत, 4183 गांवों में बांटा गया है।

बाराबंकी जिले की जनगणना 2011

बाराबंकी जिला जनगणना 2011 के मुताबिक कुल आबादी 3257983 है। मेले 1707538 हैं और महिलाएं 1550445 हैं। कुल मिलाकर लोग कुल 2155482 हैं। इसका कुल क्षेत्र 38 9 4.5 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या द्वारा राज्य का 28 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य द्वारा राज्य में 27 वां सबसे बड़ा जिला। जनसंख्या द्वारा देश में 107 वां सबसे बड़ा जिला। साक्षरता दर से राज्य में 54 वां उच्चतम जिला। देश में 508 वें जिला साक्षरता दर से साक्षरता दर 63.76 है

बाराबंकी जिले में राजनीति

बीजेपी, एसपी, बीएसपी बाराबंकी जिले में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

बाराबंकी लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सांसद जितनी का इतिहास 

1951: मोहन लाल सक्सेना, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957: स्वामी रमनंद शास्त्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957: चौधरी राम सेवा यादव, स्वतंत्र 

1962: चौधरी राम सेवा यादव, सोशलिस्ट पार्टी

1967: चौधरी राम सेवा यादव, साम्युक समाजवादी पार्टी

1971: रुद्र प्रताप सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977: राम किकर रावत, भारतीय लोक दल

1980: राम किकर रावत, जनता पार्टी (सेक्युलर)

1984: कमला प्रसाद रावत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989: राम सागर रावत, समाजवादी पार्टी

1991: राम सागर रावत, समाजवादी पार्टी

1996: राम सागर रावत, समाजवादी पार्टी

1998: बैज नाथ रावत, भारतीय जनता पार्टी

1999: राम सागर रावत, समाजवादी पार्टी

2004: कमला प्रसाद रावत, बहुजन समाज पार्टी

2009: पन्ना लाल पुणिया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2014: प्रियंका सिंह रावत, भारतीय जनता पार्टी

सड़क परिवहन

जिला मुख्यालय बाराबंकी सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बाराबंकी लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) तक सड़क से लगभग 30 किमी दूर है

रेल वाहक

जिले के कुछ रेलवे स्टेशन बाराबंकी जेएन, बुरवाल, दाराबाद, सफाबाद, सफदरगंज, हैदरगढ़, तहसील फतेहपुर, पेंटपुर ... जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।

बस परिवहन

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (यूपीएसआरटीसी) इस जिले के प्रमुख शहरों से शहरों और गांवों तक बसे चलाता है।

 लखनऊ जिले से घिरा, रायबरेली जिला, गोंडा जिला,।

  बाराबंकी जिले में पिन कोड

225120 (उस्मानपुर), 225414 (सादखख), 225127 (सिरौली गॉस पूर), 225416 (असंद्रा), 225002 (बाराबंकी शुगर मिल), 227301 (हैदरगढ़), 225404 (दारियाबाद आरएस), 225302 (कुर्सी), 225301 (सेवा शरीफ), 225204 (मसूली), 225412 (सफदरगंज), 225303 (मोहम्मद पूर खलेई), 225203 (जहांगीराबाद राज), 225306 (शाहपुर भगौली), 22511 9 (कोठी (बाराबंकी)), 225415 (टिकता नगर), 225401 (अलीबाद), 227131 (त्रिवेदीगंज), 225001 (बाराबंकी),

 

शहरों के पास 

जैदपुर 1 9 किलोमीटर के करीब

लखनऊ 28 किमी निकट

रूडोली 67 किलोमीटर दूर है

पुरावा 74 किमी निकट

 

एयर पोर्ट्स के पास

अमौसी हवाई अड्डे के पास 39 किलोमीटर दूर है

कानपुर हवाई अड्डा 108 किलोमीटर निकट है

बमराउली एयरपोर्ट 1 9 5 किलोमीटर दूर है

गोरखपुर हवाई अड्डे के पास 251 किलोमीटर दूर है

 

जिलों के पास

बाराबंकी 0 किमी निकट

लखनऊ के पास 30 किमी

रायबरेली 87 किलोमीटर दूर है

गोंडा 89 किलोमीटर निकट है

 

रेलवे स्टेशन के पास

बाराबंकी जेएन रेल वे स्टेशन 1.4 किलोमीटर दूर है

रसूल रेल वे स्टेशन 7.3 किलोमीटर निकट है

बादशाहनगर  रेल वे स्टेशन 26 किमी निकट

विकास कार्य :

विकास कार्य सूची २०१९

मंगल पांडेय की जीवनी
जन्म: 30 जनवरी 1831, नगवा गांव, बलिया जिला
निधन: 8 अप्रैल 1857, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल
कार्य: सन् 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत
मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज़ शासन बुरी तरह हिल गया। हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका। मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही थे। सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फ़ैल गया। यह भले ही भारत के स्वाधीनता का प्रथम संग्राम न रहा हो पर यह क्रांति निरंतर आगे बढ़ती गयी। अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पांडे प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं।
प्रारंभिक जीवन
मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण युवावस्था में उन्हें रोजी-रोटी की मजबूरी में अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया। वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे।
ईस्ट इंडिया कंपनी की रियासत व राज हड़प और फिर इशाई मिस्नरियों द्वारा धर्मान्तर आदि की नीति ने लोगों के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी और जब कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो मामला और बिगड़ गया। इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था और भारतीय सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है। उनके मन में ये बात घर कर गयी कि अंग्रेज हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने पर अमादा हैं क्योंकि ये हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए नापाक था।
भारतीय सैनिकों के साथ होने वाले भेदभाव से पहले से ही भारतीय सैनिकों में असंतोष था और नई कारतूसों से सम्बंधित अफवाह ने आग में घी का कार्य किया। 9 फरवरी 1857 को जब ‘नया कारतूस’ देशी पैदल सेना को बांटा गया तब मंगल पाण्डेय ने उसे लेने से इनकार कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप उनके हथियार छीन लिये जाने व वर्दी उतार लेने का हुक्म हुआ। मंगल पाण्डेय ने उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के लिये आगे बढे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण कर दिया। इस प्रकार संदिग्ध कारतूस का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के लिए घातक सिद्ध हुआ और मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया।
आक्रमण करने से पहले मंगल ने अपने अन्य साथियों से समर्थन का आह्वान भी किया था पर डर के कारण जब किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया जो उनकी वर्दी उतारने और रायफल छीनने को आगे आया था। इसके बाद पांडे ने एक और अँगरेज़ अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को मौत के घात उतार दिया जिसके बाद मंगल पाण्डेय को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड लिया। उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गयी। फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फाँसी दी जानी थी, पर ब्रिटिश सरकार ने मंगल पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को फाँसी पर लटका दिया।
मंगल पांडे और भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम
जैसा की पहले बताया जा चुका है कि भारत के लोगों में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति विभिन्न कारणों से घृणा बढ़ती जा रही थी और मंगल पांडे के विद्रोह ने एक चिन्गारी का कार्य किया। मंगल द्वारा विद्रोह के ठीक एक महीने बाद ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत हो गयी और यह विद्रोह देखते-देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया।
इस बगावत और मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष भड़क उठा। यद्यपि अंग्रेज इस विद्रोह को दबाने में सफल हो गए, लेकिन मंगल द्वारा 1857 में बोया गया क्रांति का बीज 90 साल बाद आजादी के वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया।
इस विद्रोह (जिसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है) में सैनिकों समेत अपदस्थ राजा-रजवाड़े, किसान और मजदूर भी शामिल हुए और अंग्रेजी हुकुमत को करारा झटका दिया। इस विद्रोह ने अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे।
आधुनिक युग में मंगल पांडे
मंगल पांडे के जीवन के पर फिल्म और नाटक प्रदर्शित हुए हैं और पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। सन 2005 में प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान द्वारा अभिनित ‘मंगल पांडे: द राइजिंग’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म का निर्देशन केतन मेहता ने किया था। सन 2005 में ही ‘द रोटी रिबेलियन’ नामक नाटक का भी मंचन किया गया। इस नाटक का लेखन और निर्देशन सुप्रिया करुणाकरण ने किया था। जेडी स्मिथ के प्रथम उपन्यास ‘वाइट टीथ’ में भी मंगल पांडे का जिक्र है। सन 1857 के विद्रोह के पश्चात अंग्रेजों के बीच ‘पैंडी’ शब्द बहुत प्रचलित हुआ, जिसका अभिप्राय था गद्दार या विद्रोही। भारत सरकार ने 5 अक्टूबर 1984 में मंगल पांडे के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी मंगल पांडेय के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी