बाबा आमटे समाज सेवी सम्मान पत्र

नाम : ताहिर चौधरी
पद : सरकारी कर्मचारी
मो : सामाजिक सेवा
निवास : जाफराबाद
नगर : सीलमपुर
ज़िला : उत्तर पूर्वी दिल्ली
राज्य : दिल्ली
सम्मान पत्र :

श्रीमान ताहिर चौधरी जी ने समिति द्वारा संचालित स्कूली छात्र पासपोर्ट साइज़ फोटो योजना में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 100 छात्रों को अपने स्तर से डोनेशन देकर योजना का लाभ दिलाया है श्री चौधरी साहब द्वारा दिया गया डोनेशन से १०० छात्रों को प्रति छात्र 40 फोटो अल्बम उपलकब्ध कराई जाएगी, सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देने के उपरान्त संस्थगा द्वारा बाबा आम्टे समाज सेवी सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं संस्था वेबसाइट परभारतीय डिजिटल रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर सम्मान स्वरूप पत्रिका भी उपलब्ध कराई गयी, छात्रों को सहयोग करने क लिए संस्था आपकी आभारी है (मेहनाज़ अंसारी )

 

विवरण :
introduction :
Name: Tahir Chowdhury
Designation: Social Service (Government employee)
Residence: Jafarabad
City Name: Seelampur
District: North East Delhi
State: Delhi
Language: Hindi
Current Time 12:07 AM
Date: Tuseday, March 12,2019 (IST)
Mobail No. : 9818802292
Lok Sabha constituency: North East Delhi parliamentary constituency
Parliament MP: Manoj Tiwari (BJP) Contact Number: 9892632287,
Pin Code: 110053
Full Address: House No 1281, Gali no. 4 Near Kouanwali Masjid , Jafrabad, Seelampur Delhi-110053
निवास स्थान के बारे में 
जाफराबाद भारत के राज्य दिल्ली में उत्तर पूर्व जिले में एक क्षेत्र है।
जनसांख्यिकी
2001 की भारत की जनगणना के अनुसार, [1] जाफराबाद की जनसंख्या 57,460 थी। पुरुषों की आबादी 53% और महिलाओं की 47% है। जाफराबाद की औसत साक्षरता दर 62% है, जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से अधिक है: पुरुष साक्षरता 67% है, और महिला साक्षरता 56% है। जाफराबाद में, 16% आबादी 6 साल से कम उम्र की है।
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा के बारे में
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा भारत के दिल्ली राज्य के उत्तर पूर्व दिल्ली शहर में एक लोकैलिटी है।
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा पिन कोड 110053 है और डाक प्रधान कार्यालय यमुना विहार है।
ब्लॉक एन, जाफराबाद, न्यू सीलमपुर , ब्लॉक I, चरण 4, ब्लॉक सी 1 सीलमपुर  जाफराबाद शाहदरा के पास के इलाके हैं।
लोनी, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद उत्तर पूर्व दिल्ली के पास के शहर हैं।
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा में राजनीति
आप, बीजेपी, कांग्रेस इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
दिल्ली शाहदरा रेलवे स्टेशन, विवेक विहार रेलवे स्टेशन  सीलमपुर , जाफराबाद, शाहदरा के पास रेलवे स्टेशन हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन 7 किलोमीटर है 
 
सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र से  चुनावों में विजेताओं और उपविजेता की सूची नीचे दी गई है।
2015 सीलमपुर 65   मोहम्मद इशराक आप 57302 संजय जैन बीजेपी 29415
2013 सीलमपुर 65 चौधरी मातेन अहमद  कांग्रेस  46452 कौशल कुमार मिश्रा बीजेपी 24724
2008 सीलमपुर 65 चौधरी मातेन अहमद  कांग्रेस 47820 सीता राम गुप्ता बीजेपी 21546
2003 सीलमपुर 49  चौधरी मातेन अहमद  कांग्रेस 34085 संजय कुमार जैन  बीजेपी 12373
1998 सीलमपुर 49  चौधरी मातेन अहमद  निर्दलीय  27376 दाता राम बीजेपी 11001
1993 सीलमपुर 49  चौधरी मातेन अहमद  जनता दल  16518 जय किशन दासगुप्त बीजेपी 15080
 
शहरों के नजदीक
लोनी 8 किमी 
दिल्ली 9 किमी
नोएडा 14 किलोमीटर 
गाजियाबाद 16 किमी 
 
तालुक के पास
उत्तर पूर्व दिल्ली 1 किमी 
पूर्वी दिल्ली 4 किलोमीटर 
उत्तर दिल्ली 7 किमी 
केंद्रीय दिल्ली 8 किलोमीटर
 
एयर पोर्ट्स के पास
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 24 किलोमीटर
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 103 किलोमीटर 
खेरिया एयरपोर्ट 204 किलोमीटर 
देहरादून हवाई अड्डा 21 9 किलोमीटर 
 
पर्यटक स्थलों के पास
दिल्ली 7 किमी 
नोएडा 14 किलोमीटर
सूरजकुंड 24 किमी 
फरीदाबाद 32 किमी 
गुड़गांव 37 किमी 
 
जिलों के पास
उत्तर पूर्व दिल्ली 5 किमी
केंद्रीय दिल्ली 6 किलोमीटर
दिल्ली 6 किलोमीटर 
उत्तर दिल्ली 10 किलोमीटर
 
रेलवे स्टेशन के पास
दिल्ली शाहदरा रेलवे स्टेशन 2.7 किलोमीटर 
विवेक विहार रेल वे स्टेशन 5.6 किलोमीटर 
दिल्ली रेलवे स्टेशन 5.6 किलोमीटर 
समाजसेवी बाबा आमटे की जीवनी
बाबा आमटे – Baba Amte का जन्म 26 दिसम्बर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगनघाट शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम देविदास आमटे और उनकी माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था। उनका परिवार धनि था। उनके पिता ब्रिटिश गवर्नमेंट ऑफिसर थे, उन्हें डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और रेवेन्यु कलेक्शन की जिम्मेदारियाँ दे रखी थी। बचपन में ही मुरलीधर को अपना उपनाम बाबा दिया गया था।
उन्हें बाबा इसलिए नही कहा जाता था की वे कोई संत या महात्मा थे, बल्कि उन्हें इसलिए बाबा कहा जाता था क्योकि उनके माता-पिता ही उन्हें इस नाम से पुकारते थे।
एक धनि परिवार के बड़े बेटे होते हुए मुरलीधर का बचपन काफी रमणीय था। समय के साथ-साथ वे भी चौदह साल के हुए और उन्होंने अपनी खुद की गन (बंदूक) ले ली और उससे वे सूअर और हिरन का शिकार किया करते थे। जब वे गाड़ी चलाने जितने बड़े हुए तब उन्हें एक स्पोर्ट कार दी गयी थी जिसे चीते की चमड़ी से ढका गया था। उन्हें कभी निचली जाती के बच्चो के साथ खेलने से नही रोका गया था। बचपन से ही उन्हें जातिभेद में भरोसा नही था, वे सभी को एक समान मानते थे और हमेशा से कहते थे की उनका परिवार इस सामाजिक भेदभावो को नही मानता।
समर्पित कार्य –
कानून विषय पर उन्होंने वर्धा में खास अभ्यास कर रखा था, जल्द ही वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हो गए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाने में लग गए और भारतीय स्वतंत्रता नेताओ के लिए वे बचावपक्ष वकील का काम करते थे,
1942 के भारत छोडो आन्दोलन में जिन भारतीय नेताओ को ब्रिटिश सरकार ने कारावास में डाला था उन सभी नेताओ का बचाव बाबा आमटे ने किया था। इसके बाद थोडा समय उन्होंने महात्मा गाँधी के सेवाग्राम आश्रम में बिताया और गांधीवाद के अनुयायी बने रहे। इसके बाद जीवन भर वे गांधी विचारो पर चलते रहे, जिसमे चरखे से उन की कटाई करना और खादी कपडे पहनना भी शामिल है। जब गांधीजी को पता चला की आमटे ने ब्रिटिश सैनिको से एक लड़की की जान बचायी है तो गांधीजी ने आमटे को “अभय साधक” का नाम दिया।
उस दिनों कुष्ट रूप समाज में तेज़ी से फ़ैल रहा था और बहोत से लोग इस बीमारी से जूझ रहे थे। लोगो में ऐसी ग़लतफ़हमी भी फ़ैल गयी थी की यह बीमारी जानलेवा है। लकिन आमटे ने लोगो की इस ग़लतफ़हमी को दूर किया और कुष्ट रोग से प्रभावित मरीज के इलाज की उन्होंने काफी कोशिशे भी की। बल्कि ये भी कहा जाता था की कुष्ट रोग से ग्रसित मरीज के संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति में भी यह बीमारी फ़ैल सकती है लेकिन फिर भी इन सभी बातो पर ध्यान न देते हुए उन्होंने हमेशा कुष्ट रोग से पीड़ित मरीजो की सेवा की और उन का इलाज भी करवाया।
आमटे ने गरीबो की सेवा और उनके सशक्तिकरण और उनके इलाज के लिए भारत के महाराष्ट्र में तीन आश्रम की स्थापना की। 15 अगस्त 1949 को उन्होंने आनंदवन में एक पेड़ के निचे अस्पताल की शुरुवात भी की। 1973 में आमटे ने गडचिरोली जिले के मदिया गोंड समुदाय के लोगो की सहायता के लिए लोक बिरादरी प्रकल्प की स्थापना भी की थी।
Baba Amte ने अपने जीवन को बहुत से सामाजिक कार्यो में न्योछावर किया, इनमे मुख्य रूप से लोगो में सामाजिक एकता की भावना को जागृत करना, जानवरों का शिकार करने से लोगो को रोकना और नर्मदा बचाओ आन्दोलन शामिल है। उनके कार्यो को देखते हुए 1971 में उन्हें पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
परिवार के सदस्यों का समर्पित कार्य –
आमटे का विवाह इंदु घुले (साधना आमटे) से हुआ था। उनकी पत्नी भी उनके साथ सामाजिक कार्यो में भाग लेती थी और कदम से कदम मिलाकर जनसेवा करती थी। उनके दो बेटे डॉ. विकास आमटे और डॉ. प्रकाश आमटे और दो बहु डॉ. मंदाकिनी और डॉ. भारती है, सभी डॉक्टर है। इन चारो ने हमेशा सामाजिक कार्यो में अपना योगदान दिया और हमेशा वे अपने पिता के नक्शेकदम पर ही चलते रहे।
उनका बेटा डॉ. प्रकाश आमटे और उनकी पत्नी डॉ. मंदाकिनी आमटे महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले के हेमलकसा ग्राम में मदिया गोंड समुदाय के लोगो के लिए एक स्कूल और एक अस्पताल चलाते थे। प्रकाश आमटे से विवाह करने के बाद मंदाकिनी आमटे ने गवर्नमेंट मेडिकल जॉब छोड़ दिया और अस्पताल और स्कूल चलाने के लिए हेमलकसा चली गयी थी और साथ ही जंगलो में घायल हुए जानवरों का इलाज भी करती थी।
उनके दो बेटे है, पहला बेटा दिगंत, डॉक्टर है और दूसरा बेटा अनिकेत एक इंजिनियर है। इन दोनों ने भी कई सामाजिक कार्य किये है। 2008 में प्रकाश और मंदानिकी के सामाजिक कार्यो को देखते हुए उन्हें मेगसेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
Baba Amte का बड़ा बेटा विकास आमटे और उनकी पत्नी भारती आमटे आनंदवन में एक अस्पताल चलाते है और कई ऑपरेशन भी करते है।
वर्तमान में आनंदवन और हेमलकसा ग्राम में एक-एक ही अस्पताल है। आनंदवन में एक यूनिवर्सिटी, एक अनाथाश्रय और अंधो और गरीबो के लिए एक स्कूल भी है। आज स्व-संचालित आनंदवन आश्रम में तक़रीबन 5000 लोग रहते है। महाराष्ट्र के आनंदवन का सामाजिक विकास प्रोजेक्ट आज पुरे विश्व तक पहुच चूका है। आनंदवन के बाद आमटे ने कुष्ट रोग से पीड़ित मरीजो के इलाज के लिए सोमनाथ और अशोकवन आश्रम की भी स्थापना की थी।
मेधा पाटकर के साथ मिलकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन –
1990 में मेधा पाटकर के साथ मिलकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन करने के लिए उन्होंने आनंदवन छोड़ दिया था। जिसमे नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने के लिए वे संघर्ष कर रहे थे और स्थानिक लोगो द्वारा नर्मदा नदी के तट पर की जा रही गन्दगी की रोकने की कोशिश भी कर रहे थे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान समाज सुधारक बाबा आमटे के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी