डा. भीमराव आंबेडकर अधिवक्ता सम्मान पत्र

नाम : अश्विनी जलकोटे
कैटगॉरी : एडवोकेट (तलाक के मामले)
न्यायालय : शिवाजीनगर कोर्ट
मो : 9152436817
ज़िला : पुणे
राज्य : महाराष्ट्र
सम्मान पत्र :

next year 

विवरण :
Name :  Ashwini Jalkote
Post   : Advocate (Lawyers For Divorce Case)
Adrres :  Shivaji Nagar, Pune - 411005, Shivaji Nagar Court Near Coporation
MoB. 9152436817
Aria Name : Tamiz Apartment, Near Universal Xerox Center, Opp. to Vanai Bhavan, Near Sai Baba Mandir, Shivaji Nagar, Pune - 411005
Landmark: NEAR  Amit Court Road
City Name : Shivajinagar Court ( शिवाजीनगर) 
District : Pune 
State : Maharashtra 
Region : Desh or Paschim Maharashtra 
Division : Pune 
Assembly constituency : Kasba Peth assembly constituency 
Assembly MLA : Bapat Girish Bhalchandra 
Lok Sabha constituency : Pune parliamentary constituency 
Parliament MP : Anil Shirole 
Pin Code : 411005 
Post Office Name : Shivajinagar
 
शिवाजीनगर कोर्ट  के बारे में,   
अधिवक्ता, अभिभाषक या वकील (ऐडवोकेट advocate) के अनेक अर्थ हैं, परंतु हिंदी में ऐसे व्यक्ति से है जिसको न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से उसके हेतु या वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। अधिवक्ता किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर (या उसके तरफ से) दलील प्रस्तुत करता है। इसका प्रयोग मुख्यत: कानून के सन्दर्भ में होता है। प्राय: अधिकांश लोगों के पास अपनी बात को प्रभावी ढ़ंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति नहीं होती। अधिवक्ता की जरूरत इसी बात को रेखांकित करती है। अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता का कानूनविद (lawyer) होना चाहिये। कानूनविद् उसको कहते हैं जो कानून का विशेषज्ञ हो या जिसने कानून का व्यावसायिक अध्ययन किया हो। वकील की भूमिका कानूनी न्यायालय में काफी भिन्न होती है।
भारतीय न्यायप्रणाली में ऐसे व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं : (१) ऐडवोकेट तथा (२) वकील। ऐडवोकेट के नामांकन के लिए भारतीय बार काउंसिलअधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक प्रादेशिक उच्च न्यायालय के अपने-अपने नियम हैं। उच्चतम न्यायालय में नामांकित ऐडवोकेट देश के किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन कर सकता है। वकील, उच्चतम या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता। ऐडवोकेट जनरल अर्थात्‌ महाधिवक्ता शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करने के लिए प्रमुखतम अधिकारी है।
इतिहास
शिवाजीनगर को पहले भाम्बवडे के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे भाम्बर्दे के नाम से जाना जाने लगा। [१] पेशवा काल के दौरान, भाम्बर्दे से संचालित हाथ से बना कागज बनाने का कारखाना। [२]
गाँव के पाटिल (मुखिया) शिरोले (पाटिल) परिवार थे जो मराठा सेना में भी शिल्डार (योद्धा) थे। [३] परिवार आज एक प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार है।
आजादी के बाद, नाम बदलकर शिवाजीनगर कर दिया गया।
भाम्बर्दे गाँव की सीमाएँ मुख्य भाम्बर्दे गॉथन (अब शिवाजीनगर गॉथन), पुलाची वादी (अब दक्कन), वदरवाड़ी (अब एस.बी. रोड क्षेत्र) और वकदादी बस्तियों से मिलकर बनी हैं।
शिवाजीनगर बस स्टैंड
मुंबई - पुणे पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग शिवाजीनगर से शुरू होता है जो पुणे को मुंबई से जोड़ता है।
MSRTC एक बस स्टेशन का संचालन करती है जो पुणे को महाराष्ट्र के लगभग सभी शहरों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में जोड़ता है। शिवाजीनगर स्थानीय PMPML बसों द्वारा शहर के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
शिवाजीनगर में शिवाजीनगर रेलवे स्टेशन है। पुणे से लोनावला उपनगरीय ट्रेनें और कुछ लंबी दूरी की ट्रेनें यहाँ रुकती हैं।
संस्थान
यह क्षेत्र कई केंद्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ शैक्षिक प्रतिष्ठान 
इनमें जिला अदालत (पुणे), पुणे नगर निगम, मराठवाड़ा मित्र मंडल कॉलेज ऑफ कॉमर्स, फर्ग्यूसन कॉलेज, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे, कृषि कॉलेज, पुणे, [4] और शिवाजी प्रारंभिक सैन्य स्कूल शामिल हैं।
शिवाजीनगर कोर्ट   महाराष्ट्र राज्य, पुणे शहर में एक लोकैलिटी है। यह पासिम महाराष्ट्र क्षेत्र में पुणे डिवीजन से संबंधित है।
शिवाजीनगर पिन कोड 411005 है और डाक प्रधान कार्यालय शिवाजीनगर है।
कस्बा पेठ, कस्बा पेठ, आदर्श इंदिरा नगर, पुणे, जुना बाजार कामगार पुताला वसाहाट शिवाजीनगर के पास के इलाके हैं।
पुणे, पिंपरी-चिंचवड, तलेगांव दाभाडे, ससवड़ पुणे के पास के शहर हैं।
शिवाजीनगर की जनसांख्यिकी
मराठी यहां स्थानीय भाषा है।
कामगर पुताला वसाहत, शिवाजीनगर में राजनीति
मनसे, बीजेपी, आईएनसी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
कामगर पुताला वसाहत, शिवाजीनगर के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) राजा धनराज गिरजी हाईस्कूल ग्राउंड फ्लोर रूम नं। 588 रास्ता पेठ पुणे -11।
2) राजमाता जिजाबाई प्राथमिक शालग्रा पीएमसी स्कूल नं .6 कक्ष संख्या 5 कस्बा पेठ पुणे -11।
3) राजमाता जिजाबाई प्राथमिक शालग्रा पीएमसी स्कूल नं .6 कक्ष संख्या 2 कस्बा पेठ पुणे -11।
4) राजमाता जिजाबाई प्राथमिक शालग्रा पीएमसी स्कूल नं .6 कक्ष संख्या 3 कस्बा पेठ पुणे -11।
5) राजमाता जिजाबाई प्राथमिक शालग्रा पीएमसी स्कूल नं .6 कमरा संख्या 1 कस्बा पेठ पुणे -11।
कामगर पुताला वसाहत, शिवाजीनगर कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
शिवाजीनगर रेल वे स्टेशन, पुणे जेएन रेल वे स्टेशन कामगर पुताला वसाहाट, शिवाजीनगर के पास के पास के रेलवे स्टेशन हैं।
स्थानीय बस
कुंभर वाडा बस स्टेशन, जुना बाजार बस स्टेशन, आरटीओ वेलेस्ले रोड बस स्टेशन, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे बस स्टेशन, पाटिल एस्टेट बस स्टेशन स्थानीय बस स्टॉप द्वारा कामगार पुताला वसाहाट, शिवाजीनगर में पास है। कामगर पुताला वसाहाट, शिवाजीनगर से विभिन्न स्थानों पर बसों की संख्या चलाता है।
कामगर पुताला वसाहाट, शिवाजीनगर के पास बस स्टॉप
कुंभर वाडा जुना बाजार आरटी वेलेस्ले रोड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे पाटिल एस्टेट
शिवाजीनगर से लोकाल बस मार्ग यात्रा
6 एस (पुणे स्टेशन डिपो - डांगे चौक)
7 एस (पुणे स्टेशन डिपो - इंफोसिस चरण 3 गवारवाडी)
8 एस (पीएमसी मंगला - पाबल फाटा)
11 (पिंपल गुरुव - मार्कटार्ड)
11 के (कटराज बस स्टैंड - पिंपल गुरुव
कामगार पुतला  वसाहत उप इलाके, शिवाजीनगर
शहरों के नजदीक
पुणे 0 किलोमीटर निकट है
पिंपरी-चिंचवाड़ 12 किलोमीटर दूर है
तलेगांव दाभाडे 31 किलोमीटर दूर
सासवाद 31 किमी निकट
तालुक के पास
पुणे 2 किलोमीटर निकट है
हवेली 9 किलोमीटर दूर है
पिंपरी-चिंचवाड़ 15 किलोमीटर दूर
तलेगांव दाभाडे 31 किलोमीटर दूर
एयर पोर्ट्स के पास
लोहेगांव हवाई अड्डे के पास 9 किलोमीटर दूर है
छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे 135 किलोमीटर दूर है
गांधीनगर हवाई अड्डे के पास 17 9 किलोमीटर दूर है
कोल्हापुर हवाई अड्डे के पास 238 किमी
पर्यटक स्थलों के पास
पुणे 1 किमी निकट
पिंपरी-चिंचवाड़ 12 किलोमीटर दूर है
वधु तुलापुर 27 किमी निकट
लवासा 44 किमी निकट
कामशेट  46 किमी निकट
जिलों के पास
पुणे 0 किलोमीटर निकट है
सतारा 106 किमी निकट
रायगढ़ 117 किलोमीटर निकट है
अहमदनगर 126 किमी निकट
रेलवे स्टेशन के पास
शिवाजीनगर रेलवे 
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है।
महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है। भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी – पूरा नाम – भीमराव रामजी अम्बेडकर जन्म – 14 अप्रेल 1891 जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश) पिता – रामजी माता – भीमाबाई शिक्षा – 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD। 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स। 1923 में डॉक्टर ऑफ सायन्स। विवाह – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में) भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म ब्रिटिशो द्वारा केन्द्रीय प्रान्त (अब मध्यप्रदेश) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी मऊ में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल जो आर्मी कार्यालय के सूबेदार थे और भीमाबाई की 14 वी व अंतिम संतान थे। उनका परिवार मराठी था और वे अम्बावाड़े नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से सम्बंधित था। वे हिंदु महार (दलित) जाती से संपर्क रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। आंबेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे ओ यहाँ काम करते हुए वो सूबेदार के पद तक पहुचे थे। उन्होने अपने बच्चो को स्कूल में पढने और कड़ी महेनत करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। स्कूली पढाई में सक्षम होने के बावजूद आम्बेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चो को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था और अध्यापको द्वारा न तो ध्यान दिया जाता था, न ही उनकी कोई सहायता की। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने पर कोई उची जाती का व्यक्ति उचाई से पानी उनके हातो पर डालता था, क्यू की उनकी पानी और पानी के पात्र को भी स्पर्श करने की अनुमति नहीं थी। लोगो के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। बाद में उन्होंने अपनी इस परिस्थिती को “ना चपरासी, ना पानी” से लिखते हुए प्रकाशित किया। 1894 में रामजी सकपाल सेवानिर्वुत्त हो जाने के बाद वे सहपरिवार सातारा चले गये और इसके दो साल बाद, आंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गयी। बच्चो की देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए की। रामजी सकपाल के केवल तिन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियों मंजुला और तुलासा। अपने भाइयो और बहनों में केवल आंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए ओर इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए। अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, उनके कहने पर अम्बावडेकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गाव के नाम “अम्बावाड़े” पर आधारित था। भीमराव आंबेडकर को आम तौर पर बाबासाहेब के नाम से जाने जाता हे, जिन्होंने आधुनिक बुद्धिस्ट आन्दोलनों को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध दलितों के साथ अभियान चलाया, स्त्रियों और मजदूरो के हक्को के लिए लड़े। वे स्वतंत्र भारत के पहले विधि शासकीय अधिकारी थे और साथ ही भारत के संविधाननिर्माता भी थे। आंबेडकर एक बहोत होशियार और कुशल विद्यार्थी थे, उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक से बहोत सारी क़ानूनी डिग्री प्राप्त कर रखी थी और अलग-अलग क्षेत्रो में डॉक्टरेट कर रखा था, उनकी कानून, अर्थशास्त्र और राजनितिक शास्त्र पर अनुसन्धान के कारण उन्हें विद्वान की पदवी दी गयी. उनके प्रारंभिक करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। बाद में उनका जीवन पूरी तरह से राजनितिक कामो से भर गया, वे भारतीय स्वतंत्रता के कई अभियानों में शामिल हुए, साथ ही उस समय उन्होंमे अपने राजनितिक हक्को और दलितों की सामाजिक आज़ादी, और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने कई लेख प्रकाशित भी किये, जो बहोत प्रभावशाली साबित हुए। 1956 में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर के बुद्ध स्वीकारा, और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसकी दीक्षा भी देने लगे। 1990 में, मरणोपरांत आंबेडकर को सम्मान देते हुए, भारत का सबसे बड़ा नागरिकी पुरस्कार, “भारत रत्न” जारी किया। आंबेडकर की महानता के बहोत सारे किस्से और उनके भारतीय समाज के चित्रण को हम इतिहास में जाकर देख सकते है। एक नजर में बाबासाहेब अम्बेडकर की जानकारी – 1920 में ‘मूक नायक’ ये अखबार उन्होंने शुरु करके अस्पृश्यों के सामाजिक और राजकीय लढाई को शुरुवात की। 1920 में कोल्हापुर संस्थान में के माणगाव इस गाव को हुये अस्पृश्यता निवारण परिषद में उन्होंने हिस्सा लिया। 1924 में उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारनी सभा’ की स्थापना की, दलित समाज में जागृत करना यह इस संघटना का उद्देश था। 1927 में ‘बहिष्कृत भारत’ नामका पाक्षिक शुरु किया। 1927 में महाड यहापर स्वादिष्ट पानी का सत्याग्रह करके यहाँ की झील अस्प्रुश्योको पिने के पानी के लिए खुली कर दी। 1927 में जातिव्यवस्था को मान्यता देने वाले ‘मनुस्मृती’ का उन्होंने दहन किया। 1928 में गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने प्राध्यापक का काम किया। 1930 में नाशिक यहा के ‘कालाराम मंदिर’ में अस्पृश्योको प्रवेश देने का उन्होंने सत्याग्रह किया। 1930 से 1932 इस समय इ इंग्लड यहा हुये गोलमेज परिषद् में वो अस्पृश्यों के प्रतिनिधि बनकर उपस्थिति रहे। उस जगह उन्होंने अस्पृश्यों के लिये स्वतंत्र मतदार संघ की मांग की। 1932 में इग्लंड के पंतप्रधान रॅम्स मॅक्ड़ोनाल्ड इन्होंने ‘जातीय निर्णय’ जाहिर करके अम्बेडकर की उपरवाली मांग मान ली। जातीय निर्णय के लिये Mahatma Gandhi का विरोध था। स्वतंत्र मतदार संघ की निर्मिती के कारण अस्पृश्य समाज बाकी के हिंदु समाज से दुर जायेगा ऐसा उन्हें लगता था। उस कारण जातीय निवडा के तरतुद के विरोध में गांधीजी ने येरवड़ा (पुणे) जेल में प्रनांतिक उपोषण आरंभ किया। उसके अनुसार महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर बिच में 25 डिसंबर 1932 को एक करार हुवा। ये करार ‘पुणे करार’ इस नाम से जाना है। इस करारान्वये डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र मतदार संघ की जिद् छोडी। और अस्पृश्यों के लिये कंपनी लॉ में आरक्षित सीटे होनी चाहिये, ऐसा आम पक्षियों माना गया। 1935 में डॉ.अम्बेडकर को मुंबई के गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज के अध्यापक के रूप में चुना गया। 1936 में सामाजिक सुधरना के लिये राजकीय आधार होना चाहिये इसलिये उन्होंने ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ स्थापन कि। 1942 में ‘शेड्युल्ट कास्ट फेडरेशन’ इस नाम के पक्ष की स्थापना की। 1942 से 1946 इस वक्त में उन्होंने गव्हर्नर जनरल की कार्यकारी मंडल ‘श्रम मंत्री’ बनकर कार्य किया। 1946 में ‘पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी’ इस संस्थाकी स्थापना की। डॉ. अम्बेडकर ने घटना मसौदा समिति के अध्यक्ष बनकर काम किया। उन्होंने बहोत मेहनत पूर्वक भारतीय राज्य घटने का मसौदा तयार किया। और इसके कारण भारतीय राज्य घटना बनाने में बड़ा योगदान दिया। इसलिये ‘भारतीय राज्य घटना के शिल्पकार’ इस शब्द में उनका सही गौरव किया जाता है। स्वातंत्र के बाद के पहले मंत्री मंडल में उन्होंने कानून मंत्री बनकर काम किया। 1956 में नागपूर के एतिहासिक कार्यक्रम में अपने 2 लाख अनुयायियों के साथ उन्होंने बौध्द धर्म की दीक्षा ली। बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में ऐसे तथ्य, जिन्हें शायद ही आप जानते हो – बाबासाहेब आंबेडकर अपने माता-पिता की 14 वी संतान थे। अपने भाइयों-बहनों मे अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए। डॉ. आंबेडकर के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। डॉ. आंबेडकर का वास्तविक नाम अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक महादेव आंबेडकर को उनसे काफी लगाव था, इसीलिए उन्हें बाबासाहेब का उपनाम ‘अम्बावाडेकर’ से बदलकर ‘आंबेडकर’ रखा। मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में वे 2 साल तक प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत भी रह चुके है। डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान की धारा 370 के खिलाफ थे, जिसके तहत भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष राज्य की पदवी दी गयी थी। विदेश में जाकर अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाले आंबेडकर पहले भारतीय थे। 14 अक्टूबर 1956 को विजयादशमी के दिन डॉ. आंबेडकर ने नागपुर, महाराष्ट्र में अपने 5 लाख से भी ज्यादा साथियों के साथ बौद्धधर्म की दीक्षा ली। डॉ. आंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। बौद्ध-संसार के इतिहास में इसे सुवर्णाक्षरों में लिखा गया। डॉ. आंबेडकर को डायबिटीज की बीमारी से लम्बे समय तक जूझना पड़ा था। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है। Br Ambedkar Awards – पुरस्कार: 1990 में ‘बाबा साहेब’ को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। Br Ambedkar Death – मृत्यु: 6 दिसंबर 1956 को लगभग 63 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया। जिस समय सामाजिक स्तर पर बहुजनो को अछूत मानकर उनका अपमान किया जाता था, उस समय आंबेडकर ने उन्हें वो हर हक्क दिलाया जो एक समुदाय को मिलना चाहिये। हमें भी अपने आसपास के लोगो में भेदभाव ना करते हुए सभी को एक समान मानना चाहिये। हर एक इंसान का जीवन स्वतंत्र है, हमें समाज का विकास करने से पहले खुद का विकास करना चाहिये। क्योकि अगर देश का हर एक व्यक्ति एक स्वयं का विकास करने लगे तो, हमारा समाज अपने आप ही प्रगतिशील हो जायेंगा। हमें जीवन में किसी एक धर्म को अपनाने की बजाये, किसी ऐसे धर्म को अपनाना चाहिये जो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारा सिखाये।