डा. भीमराव आंबेडकर अधिवक्ता सम्मान पत्र

नाम : नरेश प्रधान
कैटगॉरी : अधिवक्ता
न्यायालय : जिला न्यायलय मेरठ
मो : 9634343424
ज़िला : मेरठ
राज्य : उत्तर प्रदेश
सम्मान पत्र :

next year

विवरण :
Name :  Naresh Prdhan
Post : Advocate
Locality Name : Meerut Disstric court
Block Name : Meerut
District : Meerut 
State : Uttar Pradesh 
Division : Meerut 
MOB. : 9634343424
Language : Hindi and Urdu 
Assembly constituency : Meerut Cantt. assembly constituency 
Assembly MLA : Rafiq Ansari 
Lok Sabha constituency : Meerut parliamentary constituency 
Parliament MP : Rajendra Agarwal 
अधिवक्ता

अधिवक्ताअभिभाषक या वकील (ऐडवोकेट advocate) के अनेक अर्थ हैं, परंतु हिंदी में ऐसे व्यक्ति से है जिसको न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से उसके हेतु या वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। अधिवक्ता किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर (या उसके तरफ से) दलील प्रस्तुत करता है। इसका प्रयोग मुख्यत: कानून के सन्दर्भ में होता है। प्राय: अधिकांश लोगों के पास अपनी बात को प्रभावी ढ़ंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति नहीं होती। अधिवक्ता की जरूरत इसी बात को रेखांकित करती है। अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता का कानूनविद (lawyer) होना चाहिये। कानूनविद् उसको कहते हैं जो कानून का विशेषज्ञ हो या जिसने कानून का व्यावसायिक अध्ययन किया हो। वकील की भूमिका कानूनी न्यायालय में काफी भिन्न होती है।

भारतीय न्यायप्रणाली में ऐसे व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं : (१) ऐडवोकेट तथा (२) वकील। ऐडवोकेट के नामांकन के लिए भारतीय \\\\\\\"बार काउंसिल\\\\\\\' अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक प्रादेशिक उच्च न्यायालय के अपने-अपने नियम हैं। उच्चतम न्यायालय में नामांकित ऐडवोकेट देश के किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन कर सकता है। वकील, उच्चतम या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता। ऐडवोकेट जनरल अर्थात्‌ महाधिवक्ता शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करने के लिए प्रमुखतम अधिकारी है। अभी महाराष्ट्र के महाधीवक्ता रोहित देव है।

{राजकुमार मौर्य समाज सेवी द्वारा कुछ महत्वपूर्ण तर्क }●

  1-मुवाक़िल (या पीड़ित पक्ष)अगर सक्ष्म है तो

अपनी मुकद्दमे की पैरवी स्वम कर सकते है इसके लिए कुछ कुछ महत्वपूर्ण बातो को धयान में रखने की जरूरत है क्यो की वकील के पास अनेको मुकद्दमे देखने की जिम्मेदारी होती है इस कारण से जितनी बातें पीड़ित की रखनी होती है नही रख पाते इस कारण मुकद्दमा हल्का हो जाता है मुवक्किल अपना पछ रखने के लिए स्वतंत्र है वह अपनी बात अच्छे से प्रस्तुत कर सकता है क्यो की उसे न किसी वकालत नामे की जरूरत नही होती है न वकालत के डिग्री की

 मेरठ सिटी के बारे में

मेरठ उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के मेरठ जिले में एक नगर निगम है। यह मेरठ डिवीजन से संबंधित है। राज्य की राजधानी लखनऊ से पूर्व की तरफ 463 किमी।
मेरठ सिटी पूर्व में राजपुरा ब्लॉक, उत्तर की ओर दौराला ब्लॉक, दक्षिण की ओर खारखोदा ब्लॉक, पश्चिम की तरफ रोहत ब्लॉक से घिरा हुआ है। मेरठ सिटी, सरधना शहर, मोदीनगर सिटी, हापुर शहर मेरठ के नजदीकी शहर हैं।
यह 22 9 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।
मेरठ, हस्तीनापुर, नोएडा, दिल्ली (दिल्ली), बुलंदशहर देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के नजदीक हैं।
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। लोग भी उर्दू बोलते हैं।
मेरठ सिटी में राजनीति
बीजेपी, एसपी, बीएसपी, यूपीयूडीएफ इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
मेरठ सिटी कई विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आता है। मेरठ सिटी मेरठ कैंट में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र हैं। असेंबली निर्वाचन क्षेत्र, मेरठ विधानसभा क्षेत्र, मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र, मेरठ शहर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल(भाजपा पार्टी ) Contact Number: 9412515005
मेरठ विधानसभा क्षेत्र विधायक  रफीक अंसारी (समाजवादी पार्टी)  Contact Number: 9412705757
मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र  विधायक  डॉ सोमेंद्र तोमर (बीजेपी पार्टी) Contact Number: 0121-2602163
मेरठ सिटी मेरठ संसद निर्वाचन क्षेत्र के सांसद राजेंद्र अग्रवाल (भाजपा पार्टी) 09412202623
मेरठ सिटी का मौसम और जलवायु
गर्मियों में गर्म है। मेरठ गर्मी का उच्चतम तापमान तापमान 23 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है।
जनवरी का औसत तापमान 14 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 17 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 23 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 30 डिग्री सेल्सियस है, मई 34 डिग्री सेल्सियस है।
मेरठ सिटी कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
मेरठ सिटी जंक्शन रेलवे स्टेशन, मेरठ कैंट। रेलवे स्टेशन मेरठ सिटी के पास के रेलवे स्टेशन हैं।
मेरठ सिटी के पिन कोड
250004 (मेरठ विश्वविद्यालय), 250103 (आई ई। पार्टापुर), 250001 (मेरठ कैंट), 250205 (मोहियुद्दीनपुर), 250341 (दबाथवा), 245206 (खारखुदा), 250002 (मेरठ सिटी), 250003 (साकेत (मेरठ))
इतिहास
सन् १९५० में यहाँ से २३ मील उत्तर-पूर्व में स्थित एक स्थल विदुर का टीला की पुरातात्विक खुदाई से ज्ञात हुआ, कि यह शहर प्राचीन नगर हस्तिनापुर का अवशेष है, जो महाभारत काल मे कौरव राज्य की राजधानी थी।[2], यह बहुत पहले गंगा नदी की बाढ़ में बह गयी थी।[3] एक अन्य किवंदती के अनुसार रावण के श्वसुर मय दानव के नाम पर यहाँ का नाम मयराष्ट्र पड़ा, जैसा की रामायण में वर्णित है।[4
छठी शताब्दी के बालुपत्थर से बने अशोक स्तंभ का एक अंश जिस पर अशोक ने ब्राह्मी लिपि मे राज्यादेश खुदवाये थे, मूलतः मेरठ मे मिला था और अब ब्रिटिश संग्राहलय मे रखा है।
मेरठ मौर्य सम्राट अशोक के काल में (273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म का केन्द्र रहा, जिसके निर्माणों के अवशेष जामा मस्जि़द के निकट वर्तमान में मिले हैं। [5] दिल्ली के बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल, दिल्ली विश्वविद्यालय के निकट अशोक स्तंभ, फिरोज़ शाह तुगलक (1351 – 1388) द्वारा दिल्ली लाया गया था।  बाद में यह 1713 में, एक बम धमाके में ध्वंस हो गया, एवं 1867 में जीर्णोद्धार किया गया।
बाद में मुगल सम्राट अकबर के काल में, (1556-1605), यहाँ तांबे के सिक्कों की टकसाल थी।[5].
ग्यारहवीं शताब्दी में, जिले का दक्षिण-पश्चिमी भाग, बुलंदशहर के दोर –राजा हर दत्त द्वारा शासित था, जिसने एक क़िला बनवाया, जिसका आइन-ए-अकबरी में उल्लेख भी है, तथा वह अपनी शक्ति हेतू प्रसिद्ध रहा।[9] बाद में वह महमूद गज़नवी द्वारा 1018 में पराजित हुआ। हालाँकि शहर पर पहला बड़ा आक्रमण मोहम्मद ग़ौरी द्वारा 1192 में हुआ,[3] किन्तु इस शहर का इससे बुरा भाग्य अभी आगे खड़ा था, जब तैमूर लंग ने 1398 में आक्रमण किया, उसे राजपूतों ने कड़ी टक्कर दी। यह लोनी के किले पर हुआ, जहाँ उन्होंने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक़ से भी युद्ध किया। परंतु अन्ततः वे सब हार गये, यह तैमूर लंग के अपने उल्लेख तुज़ुक-ए-तैमूरी में मिलता है।  उसके बाद, वह दिल्ली पर आक्रमण करने आगे बढ़ गया, व वापस मेरठ पर हमला बोला, जहाँ तब एक अफ़गान मुख्य का शासन था। उसने नगर पर दो दिनों में कब्ज़ा किया, जिसमें विस्तृत विनाश सम्मिलित था और फिर वह आगे उत्तर की ओर बढ़ गया।[11] प्रसिद्ध नारा दिल्ली चलो पहली बार यहीं से दिया गया था। मेरठ छावनी ही वह स्थान है, जहां हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों को बन्दूकें दी गयीं, जिनमें जानवरों की खाल से बनी गोलियां डालनी पड़तीं थीं, जिन्हें मुंह से खोलना पड़ता था। इससे हिन्दुओं व मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई, क्योंकि वह जानवर की चर्बी गाय व सूअर की थी। गाय हिन्दुओं के लिये पवित्र है और सूअर मुसलमानों के लिये अछूत है
मेरठ को अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि 1857 के विद्रोह से प्राप्त हुई। २४ अप्रैल,१८५७ को  तृतीय अश्वारोही सेना की 90 में से 85 टुकड़ियों ने गोलियों को छूने तक से मना कर दिया। कोर्ट-मार्शल के बाद उन्हें दस वर्ष का कारावस मिला। इसके विद्रोह में ही, ब्रिटिश राज से मुक्ति पाने की पहली चिंगारी भड़क उठी, जिसे शहरी जनता का पूरा समर्थन मिला।
मेरठ में ही मेरठ षड्यंत्र मामला, मार्च १९२९ में हुआ। इसमें कई व्यापार संघों को तीन अंग्रेज़ों समेत गिरफ्तार किया गया, जो भारतीय रेलवे की हड़ताल कराने वाले थे। इस पर इंग्लैंड का सीधा ध्यान गया, जिसे वहां के मैन्चेस्ट्र स्ट्रीट थियेट्स्र ग्रुप ने अपने रड मैगाफोन नाम के नाटक में दिखाया, जिसमें कोलोनाइज़ेशन व औद्योगिकरण के हानिकारक प्रभाव दिखाये गये थे
आस पास के शहर
मेरठ 1 किमी निकट
सरदार 22 किमी निकट
मोदीनगर  24 किलोमीटर निकट है
ब्लॉक के नजदीक
हापुर 33 किमी
मेरठ 0 किलोमीटर
राजपुरा 10 किलोमीटर
दौराला 15 किलोमीटर
खारखोदा 1 9 किलोमीटर
एयर पोर्ट्स के नजदीक 
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 56 किलोमीटर
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे 84 किमी 
देहरादून हवाई अड्डा 170 किलोमीटर 
पंतनगर हवाई अड्डे के पास 192 किमी
जिलों के पास
मेरठ 1 किमी निकट
गाजियाबाद 49 किमी निकट
बागपत 52 किमी निकटतम
उत्तर पूर्व दिल्ली 57 किमी
रेलवे स्टेशन के नजदीक 
मेरठ सिटी जंक्शन रेल वे स्टेशन 3.9 किमी
मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन 5.4 किलोमीटर
नूरनगर रेल वे स्टेशन 9.3 किलोमीटर
मेरठ सदर विधानसभा विधायक के जितने का इतिहास 
2012  डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई एम बीजेपी 68154 रफीक अंसारी एसपी 61876
2007  हाजी याकूब यूपीयूडीएफ 48502 डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी  बीजेपी 47413
2002 डॉ लक्ष्मी कांत वाजपेयी बीजेपी 48739 दिलशाद अहमद एसपी 25326
1996  लक्ष्मीकांत वाजपेयी  बीजेपी 84775 हाजी अकलाक एसपी 72266
1993 अकलाख  जेडी 80339 लक्ष्मी कांत वाजपेयी  बीजेपी 74842
1989 लक्ष्मी कांत वाजपेयी बीजेपी 46317 मोहम्मद। अयूब अंसारी  जेडी 31698
1985 जय नारायण शर्मा कांग्रेस 48517 मंज़ूर अहमद एलकेडी 40919
1980  मंजूर अहमद  कांग्रेस 32407 मोहन लाल कपूर बीजेपी 29023
1977 मंजूर अहमद  कांग्रेस 42004 मोहन लाल कपूर  जेएनपी 34933
1974 मोहन लाल कपूर  बीजेएस 31508 हुसैन बेगम कांग्रेस 22069
1969  मोहन लाल कपूर  बीजेएस 25735 बशीर अहमद खान  2325 9
1967  म.ल.कप्पोर   BJS 26,905 ा.मजीद  एसएसपी 17,553
1962  जगदीश सरन रास्तोगी कांग्रेस 18026 मोहन लाल कपूर एम जेएस 14683
1957  कैलाश प्रकाश कांग्रेस 27059 ऐजाज हुसैन  18604
1951  मेरठ नगर पालिका  कैलाश प्रकाश कांग्रेस 26542 राम सरप शर्मा  6943
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है।
महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है। भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी – पूरा नाम – भीमराव रामजी अम्बेडकर जन्म – 14 अप्रेल 1891 जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश) पिता – रामजी माता – भीमाबाई शिक्षा – 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD। 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स। 1923 में डॉक्टर ऑफ सायन्स। विवाह – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में) भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म ब्रिटिशो द्वारा केन्द्रीय प्रान्त (अब मध्यप्रदेश) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी मऊ में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल जो आर्मी कार्यालय के सूबेदार थे और भीमाबाई की 14 वी व अंतिम संतान थे। उनका परिवार मराठी था और वे अम्बावाड़े नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से सम्बंधित था। वे हिंदु महार (दलित) जाती से संपर्क रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। आंबेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे ओ यहाँ काम करते हुए वो सूबेदार के पद तक पहुचे थे। उन्होने अपने बच्चो को स्कूल में पढने और कड़ी महेनत करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। स्कूली पढाई में सक्षम होने के बावजूद आम्बेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चो को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था और अध्यापको द्वारा न तो ध्यान दिया जाता था, न ही उनकी कोई सहायता की। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने पर कोई उची जाती का व्यक्ति उचाई से पानी उनके हातो पर डालता था, क्यू की उनकी पानी और पानी के पात्र को भी स्पर्श करने की अनुमति नहीं थी। लोगो के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। बाद में उन्होंने अपनी इस परिस्थिती को “ना चपरासी, ना पानी” से लिखते हुए प्रकाशित किया। 1894 में रामजी सकपाल सेवानिर्वुत्त हो जाने के बाद वे सहपरिवार सातारा चले गये और इसके दो साल बाद, आंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गयी। बच्चो की देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए की। रामजी सकपाल के केवल तिन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियों मंजुला और तुलासा। अपने भाइयो और बहनों में केवल आंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए ओर इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए। अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, उनके कहने पर अम्बावडेकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गाव के नाम “अम्बावाड़े” पर आधारित था। भीमराव आंबेडकर को आम तौर पर बाबासाहेब के नाम से जाने जाता हे, जिन्होंने आधुनिक बुद्धिस्ट आन्दोलनों को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध दलितों के साथ अभियान चलाया, स्त्रियों और मजदूरो के हक्को के लिए लड़े। वे स्वतंत्र भारत के पहले विधि शासकीय अधिकारी थे और साथ ही भारत के संविधाननिर्माता भी थे। आंबेडकर एक बहोत होशियार और कुशल विद्यार्थी थे, उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक से बहोत सारी क़ानूनी डिग्री प्राप्त कर रखी थी और अलग-अलग क्षेत्रो में डॉक्टरेट कर रखा था, उनकी कानून, अर्थशास्त्र और राजनितिक शास्त्र पर अनुसन्धान के कारण उन्हें विद्वान की पदवी दी गयी. उनके प्रारंभिक करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। बाद में उनका जीवन पूरी तरह से राजनितिक कामो से भर गया, वे भारतीय स्वतंत्रता के कई अभियानों में शामिल हुए, साथ ही उस समय उन्होंमे अपने राजनितिक हक्को और दलितों की सामाजिक आज़ादी, और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने कई लेख प्रकाशित भी किये, जो बहोत प्रभावशाली साबित हुए। 1956 में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर के बुद्ध स्वीकारा, और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसकी दीक्षा भी देने लगे। 1990 में, मरणोपरांत आंबेडकर को सम्मान देते हुए, भारत का सबसे बड़ा नागरिकी पुरस्कार, “भारत रत्न” जारी किया। आंबेडकर की महानता के बहोत सारे किस्से और उनके भारतीय समाज के चित्रण को हम इतिहास में जाकर देख सकते है। एक नजर में बाबासाहेब अम्बेडकर की जानकारी – 1920 में ‘मूक नायक’ ये अखबार उन्होंने शुरु करके अस्पृश्यों के सामाजिक और राजकीय लढाई को शुरुवात की। 1920 में कोल्हापुर संस्थान में के माणगाव इस गाव को हुये अस्पृश्यता निवारण परिषद में उन्होंने हिस्सा लिया। 1924 में उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारनी सभा’ की स्थापना की, दलित समाज में जागृत करना यह इस संघटना का उद्देश था। 1927 में ‘बहिष्कृत भारत’ नामका पाक्षिक शुरु किया। 1927 में महाड यहापर स्वादिष्ट पानी का सत्याग्रह करके यहाँ की झील अस्प्रुश्योको पिने के पानी के लिए खुली कर दी। 1927 में जातिव्यवस्था को मान्यता देने वाले ‘मनुस्मृती’ का उन्होंने दहन किया। 1928 में गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने प्राध्यापक का काम किया। 1930 में नाशिक यहा के ‘कालाराम मंदिर’ में अस्पृश्योको प्रवेश देने का उन्होंने सत्याग्रह किया। 1930 से 1932 इस समय इ इंग्लड यहा हुये गोलमेज परिषद् में वो अस्पृश्यों के प्रतिनिधि बनकर उपस्थिति रहे। उस जगह उन्होंने अस्पृश्यों के लिये स्वतंत्र मतदार संघ की मांग की। 1932 में इग्लंड के पंतप्रधान रॅम्स मॅक्ड़ोनाल्ड इन्होंने ‘जातीय निर्णय’ जाहिर करके अम्बेडकर की उपरवाली मांग मान ली। जातीय निर्णय के लिये Mahatma Gandhi का विरोध था। स्वतंत्र मतदार संघ की निर्मिती के कारण अस्पृश्य समाज बाकी के हिंदु समाज से दुर जायेगा ऐसा उन्हें लगता था। उस कारण जातीय निवडा के तरतुद के विरोध में गांधीजी ने येरवड़ा (पुणे) जेल में प्रनांतिक उपोषण आरंभ किया। उसके अनुसार महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर बिच में 25 डिसंबर 1932 को एक करार हुवा। ये करार ‘पुणे करार’ इस नाम से जाना है। इस करारान्वये डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र मतदार संघ की जिद् छोडी। और अस्पृश्यों के लिये कंपनी लॉ में आरक्षित सीटे होनी चाहिये, ऐसा आम पक्षियों माना गया। 1935 में डॉ.अम्बेडकर को मुंबई के गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज के अध्यापक के रूप में चुना गया। 1936 में सामाजिक सुधरना के लिये राजकीय आधार होना चाहिये इसलिये उन्होंने ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ स्थापन कि। 1942 में ‘शेड्युल्ट कास्ट फेडरेशन’ इस नाम के पक्ष की स्थापना की। 1942 से 1946 इस वक्त में उन्होंने गव्हर्नर जनरल की कार्यकारी मंडल ‘श्रम मंत्री’ बनकर कार्य किया। 1946 में ‘पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी’ इस संस्थाकी स्थापना की। डॉ. अम्बेडकर ने घटना मसौदा समिति के अध्यक्ष बनकर काम किया। उन्होंने बहोत मेहनत पूर्वक भारतीय राज्य घटने का मसौदा तयार किया। और इसके कारण भारतीय राज्य घटना बनाने में बड़ा योगदान दिया। इसलिये ‘भारतीय राज्य घटना के शिल्पकार’ इस शब्द में उनका सही गौरव किया जाता है। स्वातंत्र के बाद के पहले मंत्री मंडल में उन्होंने कानून मंत्री बनकर काम किया। 1956 में नागपूर के एतिहासिक कार्यक्रम में अपने 2 लाख अनुयायियों के साथ उन्होंने बौध्द धर्म की दीक्षा ली। बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में ऐसे तथ्य, जिन्हें शायद ही आप जानते हो – बाबासाहेब आंबेडकर अपने माता-पिता की 14 वी संतान थे। अपने भाइयों-बहनों मे अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए। डॉ. आंबेडकर के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। डॉ. आंबेडकर का वास्तविक नाम अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक महादेव आंबेडकर को उनसे काफी लगाव था, इसीलिए उन्हें बाबासाहेब का उपनाम ‘अम्बावाडेकर’ से बदलकर ‘आंबेडकर’ रखा। मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में वे 2 साल तक प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत भी रह चुके है। डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान की धारा 370 के खिलाफ थे, जिसके तहत भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष राज्य की पदवी दी गयी थी। विदेश में जाकर अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाले आंबेडकर पहले भारतीय थे। 14 अक्टूबर 1956 को विजयादशमी के दिन डॉ. आंबेडकर ने नागपुर, महाराष्ट्र में अपने 5 लाख से भी ज्यादा साथियों के साथ बौद्धधर्म की दीक्षा ली। डॉ. आंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। बौद्ध-संसार के इतिहास में इसे सुवर्णाक्षरों में लिखा गया। डॉ. आंबेडकर को डायबिटीज की बीमारी से लम्बे समय तक जूझना पड़ा था। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है। Br Ambedkar Awards – पुरस्कार: 1990 में ‘बाबा साहेब’ को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। Br Ambedkar Death – मृत्यु: 6 दिसंबर 1956 को लगभग 63 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया। जिस समय सामाजिक स्तर पर बहुजनो को अछूत मानकर उनका अपमान किया जाता था, उस समय आंबेडकर ने उन्हें वो हर हक्क दिलाया जो एक समुदाय को मिलना चाहिये। हमें भी अपने आसपास के लोगो में भेदभाव ना करते हुए सभी को एक समान मानना चाहिये। हर एक इंसान का जीवन स्वतंत्र है, हमें समाज का विकास करने से पहले खुद का विकास करना चाहिये। क्योकि अगर देश का हर एक व्यक्ति एक स्वयं का विकास करने लगे तो, हमारा समाज अपने आप ही प्रगतिशील हो जायेंगा। हमें जीवन में किसी एक धर्म को अपनाने की बजाये, किसी ऐसे धर्म को अपनाना चाहिये जो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारा सिखाये।