डा. भीमराव आंबेडकर अधिवक्ता सम्मान पत्र

नाम : एडवोकेट अमिता सावंत
कैटगॉरी : परिवार, आपराधिक, तलाक, संपत्ति
न्यायालय : पुणे, पिंपरी, जिला न्यायालय
मो : 9011112398
ज़िला : पुणे
राज्य : महाराष्ट्र
सम्मान पत्र : next month
विवरण :
introduction
Name :  Advocate Amita Sawant
Education : Advocate (B.A., LL.B)
Specialization : Civil, Family, Criminal, Divorce, Property
 (Legal affairs, property Consultation, Legal advise)
Experience : 4 years
Practice Courts : Pune, Pimpri, District Court
Adress : Flat no.12 malati apartment, yashwant nagar , Talegaon Dabhade pune-410507
E-Mail : adv.amitasawant@gmail.com
Phon no. : 9011112398
Area : Yashwant Nagar 
City Name : Talegaon Dabhade
District : Pune 
State : Maharashtra 
Region : Desh or Paschim Maharashtra 
Division : Pune 
Language : Marathi and Hindi, Kannada, Marwari 
Current Time 08:19 PM 
Date: Tuesday , Aug 13,2019 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 0212 
Vehicle Registration Number:MH-12,MH-14,MH-42 
RTO Office : Baramati,Pune (City),Pune (Outskirts) 
Ward : 
Assembly constituency : Maval assembly constituency 
Assembly MLA : bhegade sanjay (bala) vishwanath 
Lok Sabha constituency : Maval parliamentary constituency 
Parliament MP : SHRIRANG APPA CHANDU BARNE
Pin Code : 410507 
Post Office Name : Talegaon G H
 
जन्म स्थान यशवंत नगर के बारे में
यशवंत नगर महाराष्ट्र राज्य, भारत में तालेगांव दाभाडे शहर में एक इलाका है। यह देश या पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र से संबंधित है। यह पुणे डिवीजन का है।
यशवंत नगर पिन कोड 410507 है और डाक प्रधान कार्यालय तालेगांव जी एच है।
 
भंडारा दर्शन कॉलोनी, तालेगांव दाभाडे, वतन नगर, राजगुरव कॉलोनी, हरनेशवर सोसायटी यशवंत नगर के पास के इलाके हैं।
 
तालेगांव दाभाडे, पिंपरी-चिंचवाड़, लोनावला, पुणे पास के शहर तालेगांव दाभाडे हैं।
मराठी यहां की स्थानीय भाषा है।
कैसे यशवंत नगर पहुंचें
रेल द्वारा
तलेगाँव रेल मार्ग स्टेशन, घोड़ावाड़ी रेल मार्ग स्टेशन, यशवंत नगर के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
शहरों के पास
तालेगांव दाभाडे 2 KM 
पिंपरी-चिंचवाड़ 21 KM 
लोनावला 31 KM 
पुणे 34 KM 
तालुकों के पास
तालेगांव दाभाडे 2 KM 
मावल 15 KM 
पिंपरी-चिंचवाड़ 19 KM 
खेड़ 25 KM 
एयर पोर्ट्स के पास
लोहगाँव हवाई अड्डा 35 KM
छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 103 KM 
गांधीनगर एयरपोर्ट 153 किलोमीटर 
चिकलथाना एयरपोर्ट 246 KM 
पर्यटक स्थलों के पास
कामशेत 14 KM 
पिंपरी-चिंचवाड़ 21 KM 
राजमची 34 केएम 
खंडाला 34 KM 
पुणे 35 किलोमीटर 
जिले के पास
पुणे 34 KM 
रायगढ़ 94 KM 
मुंबई 104 KM 
ठाणे 109 KM 
रेल्वे स्टेशन के पास
घोड़ावाड़ी रेल मार्ग स्टेशन 4.1 KM 
वडगाँव रेल मार्ग स्टेशन 4.1 KM 
चिंचवाड़ रेल मार्ग स्टेशन 18 KM 
खड़की रेल मार्ग स्टेशन 29 KM 
यशवंत नगर में राजनीति
PWPI, BJP, NCP, शिवसेना, SHS इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
यशवंत नगर के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) सेंट जूड प्राइमरी स्कूल वेस्ट साइड बिल्डिंग साउथ साइड रूम नंबर 2 देहुरोड
2) सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल कमरा नंबर 3 तपोधम कॉलोनी यशवंत नगर तालेगांव दाभाडे
3) ऑल सेंट चुरच जूनियर के पास। कक्षा 2 बारा बंगलो लोनावाला
4) गावत काटा प्राइमरी स्कूल नंबर 3 कमरा नंबर 4 तालेगांव दाभे
5) डॉ। बीएनपुरंदारे बाहुविद्या हाई स्कूल लोनावाला कमरा नंबर 1
मावल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।
मावल पुणे तलेगांव दाभाड़े पिंपरी-चिंचवाड़
मावल विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2014 जनरल भगेडे संजय (बाला) विश्वनाथ बीजेपी 95319 = 28001 ज्ञानोबा अलिया मौली दाभाडे एनसीपी  67318
2009 जनरल  ​​संजय विश्वनाथ भेडे बीजेपी 83158 = 14318 बापू जयवंतराव भीगेदे राकांपा 68840
2004 जनरल भेड्डे दिगंबर बलोबा भाजपा 49612 = 3312 बाफना मदनलाल हरकचंद राकांपा राकांपा 46300
1999 जनरल भेड्डे दिगंबर बलोबा भाजपा 46970 = 16245 भगेडे कृष्णाराव धोंडिबा एनसीपी 30725
1995 जनरल धोरे रुपलेखा खंडेराव बीजेपी 71452 = 20552 बाफना मदन हरकचंद कांग्रेस  9900
1990 जनरल बाफना मदनलाल हरचंद कांग्रेस 45469 5465 बघेड़े विश्वनाथ रामभाऊ और भाजपा बीजेपी बीजेपी
1985 जनरल बाफना मदन हरचंद आईएनसी 37028 = 6957 भग्गड़े विश्वनाथ रामभाऊ भाजपा 4071
1980 जनरल गडे पाटिल बी.एस. कांग्रेस 23032 = 1532 कृष्णराव भीगड़े आईएनसी (यू) आईएनसी (यू) आईएनसी (यू) 21500
1978 जनरल भगेडे कृष्णराव ढोंडीबाबा आईएन 38514 9333 भेडे नाथुभाऊ बाबूराव जेएनपी 29181
1972 जनरल कृष्णराव डी। भेडे बीजेएस 27730 = 3636 सतकर रघुनाथ शंकर  कांग्रेस 24094
1967 जनरल आर। एस। सत्तार कांग्रेस 19525 = 459 के। डी। भीगड़े BJS 19066
1962 जनरल नामदेव सदाशिव मोहोल कांग्रेस 26247 12385 नाथू बाबूराव भीगे जेएस 13862
 
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार और आज़ाद भारत के पहले न्याय मंत्री थे। सामाजिक भेदभाव के विरोध में कार्य करने वाले सबसे प्रभावशाली लोगो में से एक Dr. Br Ambedkar थे। विशेषतः बाबासाहेब आंबेडकर – भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक के नाम से जाने जाते है।
महिला, मजदूर और दलितों पर हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाने और लढकर उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को सदा आदर से स्मरण किया जाते है। भीमराव रामजी आंबेडकर जो विश्व विख्यात है। जिन्होंने अपना पूरा जीवन बहुजनो को उनका अधिकार दिलाने में व्यतीत किया। उनके जीवन को देखते हुए निच्छित ही यह लाइन उनपर सम्पूर्ण रूप से सही साबित होगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी – पूरा नाम – भीमराव रामजी अम्बेडकर जन्म – 14 अप्रेल 1891 जन्मस्थान – महू. (जि. इदूर मध्यप्रदेश) पिता – रामजी माता – भीमाबाई शिक्षा – 1915 में एम. ए. (अर्थशास्त्र)। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में से PHD। 1921 में मास्टर ऑफ सायन्स। 1923 में डॉक्टर ऑफ सायन्स। विवाह – दो बार, पहला रमाबाई के साथ (1908 में) दूसरा डॉ. सविता कबीर के साथ (1948 में) भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म ब्रिटिशो द्वारा केन्द्रीय प्रान्त (अब मध्यप्रदेश) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी मऊ में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल जो आर्मी कार्यालय के सूबेदार थे और भीमाबाई की 14 वी व अंतिम संतान थे। उनका परिवार मराठी था और वे अम्बावाड़े नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से सम्बंधित था। वे हिंदु महार (दलित) जाती से संपर्क रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। आंबेडकर के पूर्वज लम्बे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे ओ यहाँ काम करते हुए वो सूबेदार के पद तक पहुचे थे। उन्होने अपने बच्चो को स्कूल में पढने और कड़ी महेनत करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। स्कूली पढाई में सक्षम होने के बावजूद आम्बेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चो को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था और अध्यापको द्वारा न तो ध्यान दिया जाता था, न ही उनकी कोई सहायता की। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने पर कोई उची जाती का व्यक्ति उचाई से पानी उनके हातो पर डालता था, क्यू की उनकी पानी और पानी के पात्र को भी स्पर्श करने की अनुमति नहीं थी। लोगो के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। बाद में उन्होंने अपनी इस परिस्थिती को “ना चपरासी, ना पानी” से लिखते हुए प्रकाशित किया। 1894 में रामजी सकपाल सेवानिर्वुत्त हो जाने के बाद वे सहपरिवार सातारा चले गये और इसके दो साल बाद, आंबेडकर की माँ की मृत्यु हो गयी। बच्चो की देखभाल उनकी चची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुए की। रामजी सकपाल के केवल तिन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियों मंजुला और तुलासा। अपने भाइयो और बहनों में केवल आंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए ओर इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए। अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, उनके कहने पर अम्बावडेकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गाव के नाम “अम्बावाड़े” पर आधारित था। भीमराव आंबेडकर को आम तौर पर बाबासाहेब के नाम से जाने जाता हे, जिन्होंने आधुनिक बुद्धिस्ट आन्दोलनों को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध दलितों के साथ अभियान चलाया, स्त्रियों और मजदूरो के हक्को के लिए लड़े। वे स्वतंत्र भारत के पहले विधि शासकीय अधिकारी थे और साथ ही भारत के संविधाननिर्माता भी थे। आंबेडकर एक बहोत होशियार और कुशल विद्यार्थी थे, उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकनोमिक से बहोत सारी क़ानूनी डिग्री प्राप्त कर रखी थी और अलग-अलग क्षेत्रो में डॉक्टरेट कर रखा था, उनकी कानून, अर्थशास्त्र और राजनितिक शास्त्र पर अनुसन्धान के कारण उन्हें विद्वान की पदवी दी गयी. उनके प्रारंभिक करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। बाद में उनका जीवन पूरी तरह से राजनितिक कामो से भर गया, वे भारतीय स्वतंत्रता के कई अभियानों में शामिल हुए, साथ ही उस समय उन्होंमे अपने राजनितिक हक्को और दलितों की सामाजिक आज़ादी, और भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने कई लेख प्रकाशित भी किये, जो बहोत प्रभावशाली साबित हुए। 1956 में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर के बुद्ध स्वीकारा, और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसकी दीक्षा भी देने लगे। 1990 में, मरणोपरांत आंबेडकर को सम्मान देते हुए, भारत का सबसे बड़ा नागरिकी पुरस्कार, “भारत रत्न” जारी किया। आंबेडकर की महानता के बहोत सारे किस्से और उनके भारतीय समाज के चित्रण को हम इतिहास में जाकर देख सकते है। एक नजर में बाबासाहेब अम्बेडकर की जानकारी – 1920 में ‘मूक नायक’ ये अखबार उन्होंने शुरु करके अस्पृश्यों के सामाजिक और राजकीय लढाई को शुरुवात की। 1920 में कोल्हापुर संस्थान में के माणगाव इस गाव को हुये अस्पृश्यता निवारण परिषद में उन्होंने हिस्सा लिया। 1924 में उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारनी सभा’ की स्थापना की, दलित समाज में जागृत करना यह इस संघटना का उद्देश था। 1927 में ‘बहिष्कृत भारत’ नामका पाक्षिक शुरु किया। 1927 में महाड यहापर स्वादिष्ट पानी का सत्याग्रह करके यहाँ की झील अस्प्रुश्योको पिने के पानी के लिए खुली कर दी। 1927 में जातिव्यवस्था को मान्यता देने वाले ‘मनुस्मृती’ का उन्होंने दहन किया। 1928 में गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज में उन्होंने प्राध्यापक का काम किया। 1930 में नाशिक यहा के ‘कालाराम मंदिर’ में अस्पृश्योको प्रवेश देने का उन्होंने सत्याग्रह किया। 1930 से 1932 इस समय इ इंग्लड यहा हुये गोलमेज परिषद् में वो अस्पृश्यों के प्रतिनिधि बनकर उपस्थिति रहे। उस जगह उन्होंने अस्पृश्यों के लिये स्वतंत्र मतदार संघ की मांग की। 1932 में इग्लंड के पंतप्रधान रॅम्स मॅक्ड़ोनाल्ड इन्होंने ‘जातीय निर्णय’ जाहिर करके अम्बेडकर की उपरवाली मांग मान ली। जातीय निर्णय के लिये Mahatma Gandhi का विरोध था। स्वतंत्र मतदार संघ की निर्मिती के कारण अस्पृश्य समाज बाकी के हिंदु समाज से दुर जायेगा ऐसा उन्हें लगता था। उस कारण जातीय निवडा के तरतुद के विरोध में गांधीजी ने येरवड़ा (पुणे) जेल में प्रनांतिक उपोषण आरंभ किया। उसके अनुसार महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर बिच में 25 डिसंबर 1932 को एक करार हुवा। ये करार ‘पुणे करार’ इस नाम से जाना है। इस करारान्वये डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र मतदार संघ की जिद् छोडी। और अस्पृश्यों के लिये कंपनी लॉ में आरक्षित सीटे होनी चाहिये, ऐसा आम पक्षियों माना गया। 1935 में डॉ.अम्बेडकर को मुंबई के गव्हर्नमेंट लॉ कॉलेज के अध्यापक के रूप में चुना गया। 1936 में सामाजिक सुधरना के लिये राजकीय आधार होना चाहिये इसलिये उन्होंने ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ स्थापन कि। 1942 में ‘शेड्युल्ट कास्ट फेडरेशन’ इस नाम के पक्ष की स्थापना की। 1942 से 1946 इस वक्त में उन्होंने गव्हर्नर जनरल की कार्यकारी मंडल ‘श्रम मंत्री’ बनकर कार्य किया। 1946 में ‘पीपल्स एज्युकेशन सोसायटी’ इस संस्थाकी स्थापना की। डॉ. अम्बेडकर ने घटना मसौदा समिति के अध्यक्ष बनकर काम किया। उन्होंने बहोत मेहनत पूर्वक भारतीय राज्य घटने का मसौदा तयार किया। और इसके कारण भारतीय राज्य घटना बनाने में बड़ा योगदान दिया। इसलिये ‘भारतीय राज्य घटना के शिल्पकार’ इस शब्द में उनका सही गौरव किया जाता है। स्वातंत्र के बाद के पहले मंत्री मंडल में उन्होंने कानून मंत्री बनकर काम किया। 1956 में नागपूर के एतिहासिक कार्यक्रम में अपने 2 लाख अनुयायियों के साथ उन्होंने बौध्द धर्म की दीक्षा ली। बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में ऐसे तथ्य, जिन्हें शायद ही आप जानते हो – बाबासाहेब आंबेडकर अपने माता-पिता की 14 वी संतान थे। अपने भाइयों-बहनों मे अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए। डॉ. आंबेडकर के पूर्वज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। डॉ. आंबेडकर का वास्तविक नाम अम्बावाडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक महादेव आंबेडकर को उनसे काफी लगाव था, इसीलिए उन्हें बाबासाहेब का उपनाम ‘अम्बावाडेकर’ से बदलकर ‘आंबेडकर’ रखा। मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में वे 2 साल तक प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत भी रह चुके है। डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान की धारा 370 के खिलाफ थे, जिसके तहत भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष राज्य की पदवी दी गयी थी। विदेश में जाकर अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाले आंबेडकर पहले भारतीय थे। 14 अक्टूबर 1956 को विजयादशमी के दिन डॉ. आंबेडकर ने नागपुर, महाराष्ट्र में अपने 5 लाख से भी ज्यादा साथियों के साथ बौद्धधर्म की दीक्षा ली। डॉ. आंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। बौद्ध-संसार के इतिहास में इसे सुवर्णाक्षरों में लिखा गया। डॉ. आंबेडकर को डायबिटीज की बीमारी से लम्बे समय तक जूझना पड़ा था। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है। Br Ambedkar Awards – पुरस्कार: 1990 में ‘बाबा साहेब’ को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। Br Ambedkar Death – मृत्यु: 6 दिसंबर 1956 को लगभग 63 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया। जिस समय सामाजिक स्तर पर बहुजनो को अछूत मानकर उनका अपमान किया जाता था, उस समय आंबेडकर ने उन्हें वो हर हक्क दिलाया जो एक समुदाय को मिलना चाहिये। हमें भी अपने आसपास के लोगो में भेदभाव ना करते हुए सभी को एक समान मानना चाहिये। हर एक इंसान का जीवन स्वतंत्र है, हमें समाज का विकास करने से पहले खुद का विकास करना चाहिये। क्योकि अगर देश का हर एक व्यक्ति एक स्वयं का विकास करने लगे तो, हमारा समाज अपने आप ही प्रगतिशील हो जायेंगा। हमें जीवन में किसी एक धर्म को अपनाने की बजाये, किसी ऐसे धर्म को अपनाना चाहिये जो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारा सिखाये।