शहीद भगत सिंह व्यापारी सम्मान पत्र

नाम : नवनीत गुप्ता (शोंटू)
व्यापार : प्रदेश संगठन मंत्री
प्रतिष्ठान : उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
क्षेत्र : गोपी चौक
नगर : नगर पालिका बदायूँ
ज़िला : बदायूँ
राज्य : उत्तर प्रदेश
सम्मान पत्र :

   सम्मान पत्र उपलब्ध कराना बाकी है

विवरण :
Name :  Navneet Gupta (Shantu)
Position : General secretary
P.S.U.P. U.V.P.M. 
 
बदायूं जिला के बारे मे
बदायूं जिले उत्तर प्रदेश राज्य के 71 जिलों में से एक है, बदायूं जिला प्रशासनिक मुख्यालय बदायूं है
यह राज्य की राजधानी लखनऊ की तरफ 261 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बदायूं जनसंख्या जनसंख्या 3712738 है।
यह जनसंख्या के अनुसार राज्य में 16 वें सबसे बड़ा जिला है।
भूगोल और जलवायु बदायूं जिला
यह अक्षांश -28.0, रेखांश -79.1 पर स्थित है। बदायूं जिला उत्तर में बरेली जिले के साथ सीमा पर, पश्चिम में बुलंदशहर जिला, पश्चिम में काशीराम नगर जिला, उत्तर में मोरादाबाद जिला, उत्तर में रामपुर जिला, पूर्व में शाहजहांपुर जिला, के साथ सीमा साझा कर रहा है। बदायूं जिला लगभग 5168 वर्ग किलोमीटर के एक क्षेत्र में रह रहे हैं। । इसकी 193 मीटर से 161 मीटर ऊँचाई सीमा होती है। यह जिला हिंदी बेल्ट का है।
बदायूं जिला का मौसम
गर्मियों में गर्म है बदायूं जिला गर्मी में उच्चतम दिन का तापमान 26 डिग्री से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच है
जनवरी के औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, फरवरी 17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस, अप्रैल 31 डिग्री सेल्सियस, मई 36 डिग्री सेल्सियस रहा है
बदायूं जिले के डेमो ग्राफिक्स
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है इसके अलावा लोग उर्दू बोलते हैं बदायूं जिला को १६ ब्लॉक पंचायत, 2461 गांवों में विभाजित किया गया है।
बदायूं जिले के 2011 की जनगणना
बदायूं जिला कुल जनसंख्या 3712738 जनगणना 2011 के अनुसार है। महिलाएं हैं 1997169 और महिलाएं 1715569 हैं। कुल मिलाकर लोगों के बीच 2456347 हैं। इसके कुल क्षेत्रफल 5168 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के अनुसार राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन क्षेत्र में राज्य के 7 वें सबसे बड़ा जिला देश की 71 वीं सबसे बड़ी जनसंख्या जनसंख्या से। साक्षरता दर से राज्य में 66 वें सबसे ज्यादा जिला। साक्षरता दर से देश में 601 सबसे ज्यादा जिला। साक्षरता दर 52.91 है
सड़क परिवह
जिला मुख्यालय बदायूं सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नरौरा, बदायूं, चंदौसी, सहसवान इस शहर के प्रमुख शहरों और दूरदराज के गांवों तक सड़क संपर्क के मुताबिक हैं। बदायूं लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क पर 261 किलोमीटर है 
 
रेल वाहक
 
जिले में रेलवे स्टेशनों में से कुछ, चांदौसी जीएन, बाबरा, बदायूं, उझानी  , असफपुर, करंगी, दबतोरी , संभाल ए. जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (यूपीएसआरटीसी) इस जिले के बड़े शहरों से शहर और गांवों तक बसें  चलाता है।
बदायूं 1 के.एम
उज़नी 41 के.एम. 
सहवार 41 के.एम. 
सहसवान 41 के.एम. 
हवाई बंदरगाहों के पास
पंतनगर हवाई अड्डा 130 किमी
खेरिया हवाई अड्डा 167 के.एम
गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 230 कि.मी.
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 236 के.एम.  
जिले से पास
बदायूं 0 के.एम. 
बरेली 53 किलोमीटर 
काशीराम नगर 59 किलोमीटर 
एटा 77 किमी
रेलवे स्टेशन से करीब
बदायूं रेलवे स्टेशन 1.9 किलोमीटर
शेखूपुर रेल वे स्टेशन 3.6 किलोमीटर 
 बदायूं जिले में राजनीति
बदायूं जिले में प्रमुख राजनीतिक दलों
कांग्रेस, बीएसपी, भाजपा, सपा, बदायूं जिले में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
बदायूं जिले में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
बदायूं जिले में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र
बिसौली सहवासन बिल्सी बदायूं शेखपुर दतागंज 
वर्तमान  विधायक बदायूं जिला
निर्वाचन क्षेत्र का नाम -  विधायक - पार्टी - मोबाईल न. 
1-बिसौली कुशाग्र सागर बीजेपी  7060104567
2-सहसवान ओमकार सिंह एसपी  9458500750
3-बिल्सी पंडित आर. के. शर्मा  बीजेपी  8006160000
4-बदायू महेश चंद्र गुप्ता  बीजेपी  9415607320
5-शेखपुर धर्मेंद्र कुमार सिंह शाक्य बीजेपी  9719684515
6- राजीव सिंह  बीजेपी  9412295100
बदायूं जिले में संसद के निर्वाचन क्षेत्र
बदायूं जिले में कुल 3 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
संभल बदायूं आंवला 
बदायूं जिले में मौजूदा  सांसद
निर्वाचन क्षेत्र का नाम 
1-संभाल सत्यपाल सिंह भाजपा
2-बदायूं धर्मेंद्र यादव एसपी
3-आंवला  धर्मेंद्र कुमार भाजपा
बदायूं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
बसपा, भाजपा, सपा, बदायूं विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
कांग्रेस, बीजेएस, कांग्रेस (आई), जेएनपी, जद, आरपीआई पिछले सालों में लोकप्रिय राजनीतिक पार्टियां हैं।
बदायूं लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा सांसद 
माननीय धर्मेंद्र यादव समाजवादी पार्टी 
बदायूं विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा  विधायक 
मानंनीय महेश चंद्र गुप्ता बीजेपी 
बदायूं विधानसभा क्षेत्र में मंडल
जगत सालारपुर वजीरगंज बदायूं
बदायूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012 - अबीद रजा खान सपा 62786 -15413 महेश चंद्र गुप्त भाजपा ४७३७३
2007 - महेश चन्द्र भाजपा 36403 - 7198 विमल कृष्ण अग्रवाल पप्पी सपा एससी 29205
2002 - विमल कृष्ण अग्रवाल  पप्पी बसपा 36148 - 3314 जुगेंद्र सिंह अनीजा सपा 32834
1996 - प्रेम स्वरूप पाठक बीजेपी 61726 15471 जोदेंद सिंह एसपी सपा 46255
1993 - जुगेंदर सिंह एसपी 40825 - 728 कृष्ण स्वरूप भाजपा  40097
1991 - कृष्ण स्वरूप भाजपा 41123 - 8850 खालिद पारवेज  जद 32273
1989 - स्वरुप भाजपा 31950 - 7200 खलिद परवेज  24750
1985 - प्रेमिला भादर मेहरा कांग्रेस 31133 - 9645 कृष्ण स्वरूप भाजपा 21488
1980 - श्रीकृष्ण गोयल कांग्रेस (आई) 30289 -16244 कृष्ण स्वरूप भाजपा 14045
1977 - कृष्ण स्वरूप जेएनपी 30338 - 3108 पुरुषोत्तम लाल बधवार (राजाजी) कांग्रेस 27230
1974 - पुरुषोत्तम लाल राजा जी इंक 35017 - 14407 कृष्ण स्वरुप बीजेएस  20610
1969 - कृष्ण स्वरुप बीजेएस 34730 - 1036 9 फख्रे आलम कांग्रेस  24361
1967 - एम। ए अहमद आरपीआई 15879 - 2708 एच। बी गोयल 13171
1962 - रुखम सिंह कांग्रेस 160 9 - 1608 असरार  अहमद  14490
1957 - टिका राम इंड 22286 1453 असरार  अहमद कांग्रेस  20854
शहीद भगत सिंह जीवनी
नाम : भगत सिंह
जन्म: 27 सितम्बर, 1907
निधन: 23 मार्च, 1931

उपलब्धियां: भारत के क्रन्तिकारी आंदोलन को एक नई दिशा दी, पंजाब में क्रांति के सन्देश को फ़ैलाने के लिए नौजवान भारत सभा का गठन किया, भारत में गणतंत्र की स्थापना के लिए चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ का गठन किया, लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए पुलिस अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या की, बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर केन्द्रीय विधान सभा में बम फेका
शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे। मात्र 24 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाला यह वीर सदा के लिए अमर हो गया। उनके लिए क्रांति का अर्थ था – अन्याय से पैदा हुए हालात को बदलना। भगत सिंह ने यूरोपियन क्रांतिकारी आंदोलन के बारे में पढ़ा और समाजवाद की ओर अत्यधिक आकर्षित हुए। उनके अनुसार, ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेकने और भारतीय समाज के पुनर्निमाण के लिए राजनीतिक सत्ता हासिल करना जरुरी था।
हालाँकि अंग्रेज सरकार ने उन्हें आतंकवादी घोषित किया था पर सरदार भगत सिंह व्यक्तिगत तौर पर आतंकवाद के आलोचक थे। भगत सिंह ने भारत में क्रांतिकारी आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनका तत्कालीन लक्ष्य ब्रिटिश साम्राज्य का विनाश करना था। अपनी दूरदर्शिता और दृढ़ इरादे जैसी विशेषता के कारण भगत सिंह को राष्ट्रीय आंदोलन के दूसरे नेताओं से हटकर थे। ऐसे समय पर जब गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही देश की आजादी के लिए एक मात्र विकल्प थे, भगत सिंह एक नयी सोच के साथ एक दूसरे विकल्प के रूप में उभर कर सामने आये।
प्रारंभिक जीवन
भगत सिंह का जन्म पंजाब के नवांशहर जिले के खटकर कलां गावं के एक सिख परिवार में 27 सितम्बर 1907 को हुआ था। उनकी याद में अब इस जिले का नाम बदल कर शहीद भगत सिंह नगर रख दिया गया है। वह सरदार किशन सिंह और विद्यावती की तीसरी संतान थे। भगत सिंह का परिवार स्वतंत्रता संग्राम से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजित सिंह ग़दर पार्टी के सदस्य थे। ग़दर पार्टी की स्थापना ब्रिटिश शासन को भारत से निकालने के लिए अमेरिका में हुई थी। परिवार के माहौल का युवा भगत सिंह के मष्तिष्क पर बड़ा असर हुआ और बचपन से ही उनकी नसों में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भर गयी।
1916 में लाहौर के डी ऐ वी विद्यालय में पढ़ते समय युवा भगत सिंह जाने-पहचाने राजनेता जैसे लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस के संपर्क में आये। उस समय पंजाब राजनैतिक रूप से काफी उत्तेजित था। जब जलिआंवाला बाग़ हत्याकांड हुआ तब भगत सिंह सिर्फ १२ वर्ष के थे। इस हत्याकांड ने उन्हें बहुत व्याकुल कर दिया। हत्याकांड के अगले ही दिन भगत सिंह जलिआंवाला बाग़ गए और उस जगह से मिट्टी इकठ्ठा कर इसे पूरी जिंदगी एक निशानी के रूप में रखा। इस हत्याकांड ने उनके अंग्रेजो को भारत से निकाल फेंकने के संकल्प को और सुदृढ़ कर दिया।
क्रन्तिकारी जीवन
1921 में जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन का आह्वान किया तब भगत सिंह ने अपनी पढाई छोड़ आंदोलन में सक्रिय हो गए। वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुई हिंसा के बाद असहयोग आंदोलन बंद कर दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। अहिंसा में उनका विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र उपयोगी रास्ता है। अपनी पढाई जारी रखने के लिए भगत सिंह ने लाहौर में लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय विद्यालय में प्रवेश लिया। यह विधालय क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र था और यहाँ पर वह भगवती चरण वर्मा, सुखदेव और दूसरे क्रांतिकारियों के संपर्क में आये।
विवाह से बचने के लिए भगत सिंह घर से भाग कर कानपुर चले गए। यहाँ वह गणेश शंकर विद्यार्थी नामक क्रांतिकारी के संपर्क में आये और क्रांति का प्रथम पाठ सीखा। जब उन्हें अपनी दादी माँ की बीमारी की खबर मिली तो भगत सिंह घर लौट आये। उन्होंने अपने गावं से ही अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा। वह लाहौर गए और ‘नौजवान भारत सभा’ नाम से एक क्रांतिकारी संगठन बनाया। उन्होंने पंजाब में क्रांति का सन्देश फैलाना शुरू किया। वर्ष 1928 में उन्होंने दिल्ली में क्रांतिकारियों की एक बैठक में हिस्सा लिया और चंद्रशेखर आज़ाद के संपर्क में आये। दोनों ने मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ का गठन किया। इसका प्रमुख उद्देश्य था सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत में गणतंत्र की स्थापना करना।
फरवरी 1928 में इंग्लैंड से साइमन कमीशन नामक एक आयोग भारत दौरे पर आया। उसके भारत दौरे का मुख्य उद्देश्य था – भारत के लोगों की स्वयत्तता और राजतंत्र में भागेदारी। पर इस आयोग में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था जिसके कारण साइमन कमीशन के विरोध का फैसला किया। लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ नारेबाजी करते समय लाला लाजपत राय पर क्रूरता पूर्वक लाठी चार्ज किया गया जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया। भगत सिंह ने लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी स्कॉट, जो उनकी मौत का जिम्मेदार था, को मारने का संकल्प लिया। उन्होंने गलती से सहायक अधीक्षक सॉन्डर्स को स्कॉट समझकर मार गिराया। मौत की सजा से बचने के लिए भगत सिंह को लाहौर छोड़ना पड़ा।
ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को अधिकार और आजादी देने और असंतोष के मूल कारण को खोजने के बजाय अधिक दमनकारी नीतियों का प्रयोग किया। ‘डिफेन्स ऑफ़ इंडिया ऐक्ट’ के द्वारा अंग्रेजी सरकार ने पुलिस को और दमनकारी अधिकार दे दिया। इसके तहत पुलिस संदिग्ध गतिविधियों से सम्बंधित जुलूस को रोक और लोगों को गिरफ्तार कर सकती थी। केन्द्रीय विधान सभा में लाया गया यह अधिनियम एक मत से हार गया। फिर भी अँगरेज़ सरकार ने इसे ‘जनता के हित’ में कहकर एक अध्यादेश के रूप में पारित किये जाने का फैसला किया। भगत सिंह ने स्वेच्छा से केन्द्रीय विधान सभा, जहाँ अध्यादेश पारित करने के लिए बैठक का आयोजन किया जा रहा था, में बम फेंकने की योजना बनाई। यह एक सावधानी पूर्वक रची गयी साजिश थी जिसका उद्देश्य किसी को मारना या चोट पहुँचाना नहीं था बल्कि सरकार का ध्यान आकर्षित करना था और उनको यह दिखाना था कि उनके दमन के तरीकों को और अधिक सहन नहीं किया जायेगा।
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय विधान सभा सत्र के दौरान विधान सभा भवन में बम फेंका। बम से किसी को भी नुकसान नहीं पहुचा। उन्होंने घटनास्थल से भागने के वजाए जानबूझ कर गिरफ़्तारी दे दी। अपनी सुनवाई के दौरान भगत सिंह ने किसी भी बचाव पक्ष के वकील को नियुक्त करने से मना कर दिया। जेल में उन्होंने जेल अधिकारियों द्वारा साथी राजनैतिक कैदियों पर हो रहे अमानवीय व्यवहार के विरोध में भूख हड़ताल की। 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह, सुख देव और राज गुरु को विशेष न्यायलय द्वारा मौत की सजा सुनाई गयी। भारत के तमाम राजनैतिक नेताओं द्वारा अत्यधिक दबाव और कई अपीलों के बावजूद भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च 1931 को प्रातःकाल फांसी दे दी गयी।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी शहीद भगत सिंह के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी