बिधान चंद्र राय डॉक्टर परिचय सूची

नाम : श्री हरि निवास यादव
पद : चिकित्सा अधिकारी
योग्यता : बी.ए.एम.एस. (B.A.M.S.)
स्पेशियलिटी : जनरल फिजिशियन
हॉस्पिटल : सा. स्वा. केन्द
एरिया : दहगवां
नगर /ब्लॉक : दहगवां
ज़िला : बदायूं
राज्य : उत्तर प्रदेश
सम्मान :

डॉक्टर हरिनिवास यादव ने खसरा, रूबेला टीकाकरण अभियान में समाज को जागरूक कर अपना पूर्ण योगदान दिया एवं सामाजिक कार्यों में संस्था को सहयोग करने के उपरान्त देश के क्रांतिकारिओं, महापुरुषों की जीवनी जन जन तक पहुंचाने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने समाज सेवा के क्षेत्र में किये गए  कार्यों हेतु नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति सामाजिक संस्था नई दिल्ली द्वारा संस्था वेबसाइट  www.njssamiti.com  में पूर्ण विवरण दर्ज कर श्रीमान जी को  डॉ. विधानचन्द्र राय डॉक्टर सम्मान पत्र  देकर सम्मानित किया गया , मैहनाज अंसारी 

विवरण :
introduction
Name: Dr. Harinivas Yadav
Designation: Medical Officer
Qualification: B.A.M.S.
Specialty: General Physician
Hospital: Community Health Center Dahgawan
Organizacion: Department of Health Uttar Pradesh
Locality Name : Dahgawan
Block Name : Dahgavan
District : Budaun 
State : Uttar Pradesh 
Mobail No : 94578-94578
Division : Bareilly 
Language : Hindi and Urdu 
Current Time 06:31 PM 
Date: Friday , Dec 14,2018 (IST)  
Telephone Code / Std Code: 05833 
Assembly constituency : Sahaswan assembly constituency 
Assembly MLA : Omkar Singh (SP) 9458500750
Lok Sabha constituency : Badaun parliamentary constituency 
Parliament MP : Dharmendra Yadav (SP) 09720170999 (M)
डॉ हरिनिवास यादव का जीवन परिचय
डॉ हरिनिवास यादव चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दहगवां एक साधारण गरीब किसान परिवार में 2 दिसम्बर 1986 को पैदा हुए पिता श्री रामप्रसाद सिंह यादव किसान हैं ये सबसे छोटी सन्तान हैं सन 2000 में सूरजभान सरस्वती विद्या मन्दिर शिकारपुर ( बुलन्दशहर) से हाइस्कूल तथा सन 2002 में इसी विद्यालय से इण्टरमीडिएट प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की उसके वाद अलीगढ. मुस्लिम विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन में प्रवेश लिया सन 2005 में फिजियोथेरेपी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने के बाद सन 2010 में B. A. M. S. की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू की सन 2014 में इंग्लिश मीडियम स्कूल राधा देवी मॉर्डन पब्लिक की स्थापना की सन 2016 से लगातार सरकारी नौकरी के साथ साथ समाजसेवा कर रहे हैं 18 नवम्बर 2011 को डॉ गरिमा यादव के साथ शादी के बन्धन में बंध गये डॉक्टर साहब के 2 पुत्र हैं यशराज यादव, नैतिक राज यादव
नियुक्ति स्थल दहगवां के बारे में 
दहगवां उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के बदायूं जिले के दहगवां ब्लॉक में एक कस्वा है। यह बरेली डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय बदायूं से पश्चिम की तरफ 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक ब्लॉक हेड क्वार्टर है।
धरमपुर तप्पा बाईस (3 किमी), जातिकी (3 किमी), दंद्र (3 किमी), घोंसली रामसाहई (4 किमी), घोंसली बहन (4 किलोमीटर) दागवान के पास के गांव हैं। दहगवां  पश्चिम की तरफ जुनावाई ब्लॉक से घिरा हुआ है, उत्तर की ओर गुन्नौर ब्लॉक, पूर्व की ओर सहसवान ब्लॉक, पश्चिम की तरफ बिजौली ब्लॉक।
सहसवान, नारौरा, सोरोन, चंदौसी दहगवां के नजदीकी शहर हैं।
दहगवां  2011 जनगणना विवरण
दहगवां  स्थानीय भाषा हिंदी है। 
दहगवां  शहर कुल जनसंख्या 10328 है और घरों की संख्या 1751 है।
महिला जनसंख्या 46.6% है। शहर साक्षरता दर 37.0% है और महिला साक्षरता दर 12.9% है।
आबादी
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा
कुल जनसंख्या 10328
सदनों की कुल संख्या 1751
महिला जनसंख्या% 46.6% (4811)
कुल साक्षरता दर% 37.0% (3820)
महिला साक्षरता दर 12.9% (1331)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या% 0.0% (0)
अनुसूचित जाति जनसंख्या% 7.1% (731)
कामकाजी जनसंख्या% 29.1%
2011 1904 तक बाल (0 -6) जनसंख्या
गर्ल चाइल्ड (0 -6) 2011 तक जनसंख्या% 45.2% (861)
दहगवां  की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।
दहगवां  कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
10 किमी से कम में दहगवां के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
दहगवां के पास पिनकोड
243638 (सहसवान), 202522 (गुन्नौर), 202523 (इस्लामगर)
शहरों के नजदीक
सहसवान 16 किमी 
नारौरा 27 किमी 
सोरोन 33 किमी 
चंदौसी 41 किमी 
तालुक के पास
जुनावाई 7 किमी 
गुन्नौर के पास 20 किलोमीटर 
सहसवान 23 किमी 
एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर हवाई अड्डे 145 किमी 
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे 174 किमी 
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 1 9 1 किलोमीटर
पर्यटक स्थलों के पास
अलीगढ़ 67 किलोमीटर 
मुरादाबाद  87 किमी 
बुलंदशहर 90 किमी 
वृंदावन 123 किमी 
मथुरा 131 किमी 
जिलों के पास
काशीराम नगर 42 किलोमीटर
बदायूं  56 किमी
अलीगढ़ 67 किलोमीटर 
एटा 72 किलोमीटर के
रेलवे स्टेशन के पास
कासगंज जंक्शन रेल वे स्टेशन 42 किलोमीटर
चंदौसी जंक्शन रेल वे स्टेशन 43 किलोमीटर 
दहगवां  में राजनीति
जेडी (यू), आरपीडी, एसपी, बीएसपी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
सहसवान विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।
अम्बियापुर, बिसौली, दहगँवा, जनाबाई,सहसवान वजीरगंज
सहसवान विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012  ओमकर सिंह एसपी 72946 = 7027 मीर हादी अली बीएसपी 65 919
2007  डीपी यादव आरपीडी 33883 = 109 ओमकर सिंह एसपी  33774
2002 ओमकर सिंह यादव एसपी 57050 = 13330 शामा अली जेडी (यू) 43720
1997 ओमकर सिंह एसपी 63802 = 25537 मीर। यूसुफ अली बीएसपी 38265
1996 मुलायम सिंह यादव एसपी 81370 5415 9 महेश चंद बीजेपी 27211
1993 मीर मजहर अली एसपी 46078 = 13212 ओमकर सिंह जेडी 32866
1991 ओमकर सिंह जेडी 42416 = 22109 मीर मजहर अली  जेपी 20307
1990 मजहर अली निर्दलीय  36705 = 14170 नरेश प्रताप सिंह कांग्रेस  22535
1985 नरेश पाल सिंह यादव एलकेडी 4030 9 = 5187 अफजल अली कांग्रेस  35122
1980  मीर मिजहर अली कांग्रेस 24559 = 6942 नरेश पाल सिंह यादव जेएनपी 18017
1977नरेश पाल सिंह यादव जेएनपी 16622 = 4813 पाटी राम यादव कांग्रेस 11809
1974 शांति देवी बीकेडी 21086 = 6692 अशरफी लाल बीजेएस 14394
1969  शांति देवी बीकेडी 18260 = 4593 महेश चंद कांग्रेस 13667
1967  ए लाल बीजेएस 26445 10523 एम एम अली कांग्रेस 15922
1962 उलफाट सिंह जेएस 11588 = 1376 मुश्ताक अली खान कांग्रेस10212
1957  उलफाट सिंह निर्दलीय  9885 = 581 मुश्ताक अली कांग्रेस 9304
सामाजिक कार्य : NA
बिधान चंद्र रॉय जीवनी
जन्म: 1 जुलाई 1882, पटना. बिहार मृत्यु: 1 जुलाई 1962, कोलकाता, पश्चिम बंगाल कार्य क्षेत्र: चिकित्सक, राजनेता, स्वाधीनता सेनानी डॉ॰ बिधान चंद्र रॉय एक प्रसिद्ध चिकित्सक, शिक्षाशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। देश की आजादी के बाद सन 1948 से लेकर सन 1962 तक वे पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री रहे। पश्चिम बंगाल के विकास के लिए किये गए कार्यों के आधार पर उन्हें ‘बंगाल का निर्माता’ माना जाता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में पांच नए शहरों की स्थापना की – दुर्गापुर, कल्याणी, बिधाननगर, अशोकनगर और हाब्रा। उनका नाम उन चंद लोगों में शुमार है जिन्होंने एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. साथ-साथ और दो साल और 3 महीने में पूरा किया। उनके जन्मदिन 1 जुलाई भारत मे चिकित्सक दिवस के रुप मे मनाया जाता है। देश और समाज के लिए की गई उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित किया। प्रारंभिक जीवन बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रकाश चन्द्र रॉय और माता का नाम अघोरकामिनी देवी था। बिधान ने मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पटना के कोलीजिएट स्कूल से सन 1897 में पास की। उन्होंने अपना इंटरमीडिएट कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से किया और फिर पटना कॉलेज से गणित विषय में ऑनर्स के साथ बी.ए. किया। इसके पश्चात उन्होंने बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए अर्जी दी। उनका चयन दोनों ही संस्थानों में हो गया पर उन्होंने मेडिकल कॉलेज में जाने का निर्णय लिया और सन 1901 में कलकत्ता चले गए। मेडिकल कॉलेज में बिधान ने बहुत कठिन समय गुजरा। जब वे प्रथम वर्ष में थे तभी उनके पिता डिप्टी कलेक्टर के पद से सेवा-निवृत्त हो गए और बिधान को पैसे भेजने में असमर्थ हो गए। ऐसे कठिन वक़्त में बिधान ने छात्रवृत्ति और मितव्यता से अपना गुजारा किया। चूँकि उनके पास किताबें खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे इसलिए वे दूसरों से नोट्स और कॉलेज के पुस्ताकालय से किताबें लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करते थे। जब विधान कॉलेज में थे उसी समय अंग्रेजी हुकुमत ने बंगाल के विभाजन का फैसला लिया था। बंगाल विभाजन के फैसले का पुरजोर विरोध हो रहा था और लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, प्रजित सेनगुप्ता और बिपिन चन्द्र पाल जैसे राष्ट्रवादी नेता इसके संचालन कर रहे थे। बिधान भी इस आन्दोलन में शामिल होना चाहते थे पर उन्होंने अपने मन को समझाया और पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित किया जिससे वे अपने पेशे में अव्वल बनकर देश की बेहतर ढंग से सेवा कर सकें। करियर मेडिकल की पढ़ाई के बाद बिधान राज्य स्वास्थ्य सेवा में नियुक्त हो गए। यहाँ उन्होंने समर्पण और मेहनत से कार्य किया। अपने पेशे से सम्बंधित किसी भी कार्य को वो छोटा नहीं समझते थे। जरुरत पड़ने पर उन्होंने नर्स की भी भूमिका निभाई। बचे हुए खाली वक़्त में वे निजी डॉक्टरी करते थे। सन 1909 में मात्र 1200 रुपये के साथ सेंट बर्थोलोमिउ हॉस्पिटल में एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. करने के लिए बिधान इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए। कॉलेज का डीन किसी एशियाई छात्र को दाखिला देने के पक्ष में नहीं था इसलिए उसने उनकी अर्जी ख़ारिज कर दी पर बिधान भी धुन के पक्के थे अतः उन्होंने अर्जी पे अर्जी की और अंततः 30 अर्जियों के बाद उन्हें दाखिला मिल गया। उन्होंने 2 साल और तीन महीने में एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. पूरा कर लिया और सन 1911 में देश वापस लौट आये। वापस आने के बाद उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, कैम्पबेल मेडिकल स्कूल और कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में शिक्षण कार्य किया। डॉ रॉय के अनुसार देश में असली स्वराज तभी आ सकता है जब देशवासी तन और मन दोनों से स्वस्थ हों। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा से सम्बंधित कई संस्थानों में अपना अंशदान दिया। उन्होंने जादवपुर टी.बी. अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन, कमला नेहरु अस्पताल, विक्टोरिया संस्थान और चित्तरंजन कैंसर अस्पताल की स्थापना की। सन 1926 में उन्होंने चित्तरंजन सेवा सदन की स्थापना भी की। प्रारंभ में महिलाएं यहाँ आने में हिचकिचाती थीं पर डॉ बिधान और उनके दल के कठिन परिश्रम से सभी समुदायों की महिलाओं यहाँ आने लगीं। उन्होंने नर्सिंग और समाज सेवा के लिए महिला प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया। सन् 1942 में डॉ बिधान चन्द्र रॉय कलकत्ता विश्विद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी कोलकाता में शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था बनाये रखने में सफल रहे। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ़ सांइस’ की उपाधि दी गयी। डॉ रॉय का मानना था कि युवा ही देश का भविष्य तय करते हैं इसलिए उन्हें हड़ताल और उपवास छोड़कर कठिन परिश्रम से अपना और देश का विकास करना चाहिए। राजनैतिक जीवन उन्होंने सन 1923 में राजनीति में कदम रखा और बैरकपुर निर्वाचन-क्षेत्र से एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में धुरंधर नेता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी को चुनाव में हरा दिया। सन 1925 में उन्होंने विधान सभा में हुगली नदी में बढ़ते प्रदूषण और उसके रोक-थाम के उपाय सम्बन्धी एक प्रस्ताव भी रखा। सन 1928 में डॉ रॉय को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सदस्य चुना गया। उन्होंने अपने आप को प्रतिद्वंदिता और संघर्ष की राजनीति से दूर रखा और सबके प्रिय बने रहे। सन 1929 में उन्होंने बंगाल में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कुशलता से संचालन किया और कांग्रेस कार्य समिति के लिए चुने गए। सरकार ने कांग्रेस कार्य समिति को गैर-कानूनी घोषित कर डॉ रॉय समेत सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। सन 1931 में दांडी मार्च के दौरान कोलकाता नगर निगम के कई सदस्य जेल में थे इसलिए कांग्रेस पार्टी ने डॉ रॉय को जेल से बाहर रहकर निगम के कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कहा। वे सन 1933 में निगम के मेयर चुने गए। उनके नेतृत्व में निगम ने मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर सडकें, बेहतर रौशनी और बेहतर पानी वितरण आदि के क्षेत्र में बहुत प्रगति की। स्वतंत्रता के बाद आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने बंगाल के मुख्य मंत्री के पद के लिए डॉ रॉय का नाम सुझाया पर वे अपने चिकित्सा के पेशे में ध्यान लगाना चाहते थे। गांधीजी के समझाने पर उन्होंने पद स्वीकार कर लिया और 23 जनवरी 1948 को बंगाल के मुख्यमंत्री बन गए। जब डॉ रॉय बंगाल के मुख्यमंत्री बने तक राज्य की स्थिति बिलकुल नाजुक थी। राज्य सांप्रदायिक हिंसा के चपेट में था। इसके साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कमी, बेरोज़गारी और पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थियों का भारी संख्या में आगमन आदि भी चिंता के कारण थे। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से लगभग तीन साल में राज्य में क़ानून और व्यवस्था कायम किया और दूसरी परेशानियों को भी बहुत हद तक काबू में किया। भारत सरकार ने उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से 4 फरवरी 1961 को सम्मानित किया। निधन 1 जुलाई 1962 को 80वें जन्म-दिन पर उनका निधन कोलकाता में हो गया। उन्होंने अपना घर एक ‘नर्सिंग होम’ चलाने के लिए दान दे दिया। इस नर्सिंग होम का नाम उनकी माता ‘अघोरकामिनी देवी’ के नाम पर रखा गया। टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम) 1882: 1 जुलाई को बिधान चंद्र राय का जन्म हुआ 1896: उनकी माता का स्वर्गवास हुआ 1901: पटना छोड़कर कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में अध्ययन के लिए कलकत्ता गए 1909: सेंट बर्थोलोमेओव कॉलेज में अध्ययन के लिए इंग्लैंड गए 1911: एम.आर.सी.पी. और एफ.आर.सी.एस. पूरा करने के बाद भारत वापस लौट आये 1925: सक्रीय राजनीति में प्रवेश 1925: हुगली के प्रदुषण से सम्बंधित प्रस्ताव विधान सभा में रखा 1928: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में चयन हुआ 1929: बंगाल में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का संचालन किया 1930: कांग्रेस कार्य समिति के लिए चुने गए 1930: गिरफ्तार कर अलीपोर जेल भेजे गए 1942: भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी का इलाज किया 1942: कोलकाता विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के तौर पर उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शिक्षा और चिकित्सा व्यस्था बनाये रखा 1944: डॉक्टर ऑफ़ साइंस की उपाधि से सम्मानित किये गए 1948: 23 जनवरी को बंगाल के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला 1956: लखनऊ विश्वविद्यालय में भाषण दिया 1961: 4 फ़रवरी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया 1962: 1 जुलाई को स्वर्ग सिधार गए 1976: डॉ बी.सी. रॉय राष्ट्रिय पुरस्कार की स्थापना हुई