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स्वच्छ भारत अभियान

कोतवाल धन सिंह गुर्जर कर्मठ पुलिस प्रशासन सम्मान पत्र

नाम : श्री सद्दाम हुसैन
पद : आरक्षी
नियुक्त : कोतवाली नगर फैज़ाबाद
ज़िला : फैज़ाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
सम्मान : NA
उपलब्धि/सामाजिक कार्य विवरण :
introduction
Mr. Saddam Hussein
Rank: reserve
Appointed: Kotwali Nagar Faizabad
District: Faizabad
State: Uttar Pradesh
Mob : 8899289900
Kotwali Police Station: 953582228100
फैजाबाद नगर के बारे में
फैजाबाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फैजाबाद जिले में एक शहर है। यह फैजाबाद डिवीजन से संबंधित है।
फैजाबाद पिन कोड 224001 है और डाक प्रमुख कार्यालय फैजाबाद है।
सुभाष नगर, रिकाबगंज, लाजपत नगर, मकबरा, राम नगर फैजाबाद में कुछ इलाके हैं। फैजाबाद दक्षिण की ओर मसोधा ब्लॉक से घिरा हुआ है, उत्तर की तरफ नवाबगंज ब्लॉक, पूर्व में पुरा बाज़ार ब्लॉक, पश्चिम की ओर सोहावल ब्लॉक।
फैजाबाद, रूडोली, सुल्तानपुर, तंद फैजाबाद के पास के शहर हैं।
फैजाबाद की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।
फैजाबाद में राजनीति
बीजेपी, एसपी, बीएसपी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
फैजाबाद के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) V.s.r। आर्य कन्या आईसी फैजाबाद उत्तरा
2) जिला सेवा योजना कार्यालय फैजाबाद -1
3) जिला सेवा योजना कार्यालय फैजाबाद दक्षिणी कच्छ
4) जिला सेवा योजना कार्यालय फैजाबाद उत्तरा कच्छ
5) गिक फैजाबाद कला संकाय मध्य दक्ष मध्य
फैज़ाबाद नगर निगम में वर्तमान महापौर 
माननीय ऋषिकेश बीजेपी संपर्क न. 9451207640
विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक 
माननीय वेद प्रकाश गुप्ता बीजेपी संपर्क न. 9415048050
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के वर्तमान सांसद 
माननीय लालू सिंह बीजेपी संपर्क न. 9415905607
फैजाबाद कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
फैजाबाद जेएन रेल वे स्टेशन, ए एन देव नगर रेल वे स्टेशन फैजाबाद के पास के पास के रेलवे स्टेशन हैं।
 
शहरों के नजदीक
फैजाबाद 1 किमी निकट
रूडोली 42 किलोमीटर निकट है
सुल्तानपुर 60 किमी निकट
तंद 62 किलोमीटर के पास
 
तालुक के पास
फैजाबाद 0 किलोमीटर निकट
मसोधा 8 किमी निकट
नवाबगंज 14 किमी निकट
पुरा बाजार 14 किलोमीटर निकट है
 
एयर पोर्ट्स के पास
अमौसी एयरपोर्ट 13 9 किलोमीटर निकट है
गोरखपुर हवाई अड्डे 145 किमी निकटतम
बमराउली एयरपोर्ट 171 किलोमीटर दूर है
वाराणसी हवाई अड्डे के पास 182 किलोमीटर दूर है
 
पर्यटक स्थलों के पास
फैजाबाद 1 किमी निकट
अयोध्या 7 किमी निकट
बस्ती 69 किमी के पास
श्रीवास्ती 96 किमी के पास
प्रतापगढ़ 105 किलोमीटर दूर है
 
जिलों के पास
फैजाबाद 1 किमी निकट
गोंडा 49 किलोमीटर निकट है
अम्बेडकर नगर 61 किलोमीटर दूर है
सुल्तानपुर 64 किमी निकट
 
रेलवे स्टेशन के पास
फैजाबाद  रेलवे स्टेशन 0.5 किलोमीटर दूर है
एक एन देव नगर रेल मार्ग स्टेशन 2.1 किमी निकट
अयोध्या रेलवे स्टेशन 7.5 किलोमीटर दूर है    
कोतवाल धन सिंह गुर्जर जीवनी : कोतवाल धन सिंह गुर्जर भारत के प्रथम स्वतंत्रा संग्राम के प्रथम क्रान्तिकारी थे। जिन्होने 10 मई 1857 को मेरठ से क्रान्ति शूरूआत की।
इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति का प्रारम्भ/आरम्भ ”10 मई 1857“ को ”मेरठ“ में हुआ था और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है उस दिन मेरठ में धनसिंह के नेतृत्व में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे, धनसिंह का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में भारतीय क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस चीफ के पद पर थे। 10 मई 1857 को धन सिंह ने की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया। और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात २ बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था सब नष्ट कर चुकी थी। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, और सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गुर्जर है इसलिए उसने गुर्जरो की भीड को नहीं रोका और उन्हे खुला संरक्षण दिया। इसके बाद घनसिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया 1857 की क्रान्ति की शुरूआत धन सिंह कोतवाल ने की अतः इसलिए 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते है। मेरठ की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः 4 बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपों से हमला किया। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनको कैद कर फांसी की सजा दे दी गई। आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक "स्वाधीनता आन्दोलन" और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। कोतवाल का नारा -मारो या मरो
साधू व कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने छावनी में जाकर सैनिको को अंग्रेजो से बगावत करने को लिये प्रेरित किया व साथ ही जेल में बंद कैदियो को कोतवाल जी ने अपने साथ क्रान्ति के लिये तैयार कर लिया। कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने गांव को साथ साथ आसपास के सभी गांवो में गुप्तखाने यह संदेश भिजवा दिया कि अंग्रेजो के खिलाफ दस मई को शाम पांच बजे निर्णायक लडाई लडी जायेगी ,सब को मेरठ की कोतवाली में आना है। और हुआ भी यहीं किसानो की घुटन ने लू में तपिश बढा दी ,सैनिको के क्रोध ने दस मई की उस शाम को रौद्र रूप धारण कर लिया और जैसे ही मेरठ में पांच बजे गिरजाघर व घंटाघर के घंटे बजे और अंग्रेजो ने चर्च में जाकर प्रार्थना की ,ठीक उसी समय मेरठ की कोतवाली में कोतवाल के नारे मारो या मरो के उदघोष के साथ सदियो से गुलाम भारत की आजादी का बिगुल बज उठा।दस मई की वह सांझ कोई साधारण सांझ नहीं थी बल्कि किसानो व सैनिको की साझी सांझ थी जिसमें वे अपने हको के लिये लड रहे थे, पराधीनता की रातो से लडकर आने वाले कल का सवेरा आजाद व खुशहाल देखना चाहते थे।
यह सांझ हिंदू व मुसलमानो की साझी सांझ थी जब दोनो समुदायो ने कंधे से कंधा मिलाकर इस जनक्रान्ति में बढ चढकर हिस्सा लिया व भाइचारे की मिशाल कायम की। कोतवाली में क्रान्ति का पहला कदम उठा , कोतवाल ने पुलिस के सिपाहियो से क्रान्ति के लिये आह्वान किया जो साथ ना आये उन्हें अंदर जाकर चुप बैठने को कहा व बाकि को साथ लेकर मेरठ के कारागारो में बंद कैदियो को क्रान्ति में शामिल होने की शर्त पर ताला तोडकर 850 कैदियों को रिहा कर दिया व कोतवाली के हथियार बांट दिये। इस प्रकार कोतवाली से कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में चली यह टुकडी मुक्तिवाहिनी बन गयी।
मेरठ कैंट में पहुँचकर वहाँ भारतीय सैनिको ने जबरदस्त विद्रोह कर दिया व मारो फिरंगियो को ,मारो गोरो को नारो के साथ अंग्रेज अधिकारियो को मार दिया मगर बच्चो व औरतो को सुरक्षित गिरजाघर में जाने दिया ।वहीं गांवो से किसानो ने कूच करना शुरू किया व ले लो ,ले लो जैसे जोशीले नारे के साथ आसमान गूंज उठा । ले लो ,ले लो यह नारा गांव देहात में अब भी जोश व ललकार को लिये लगाया जाता है । उसी दिन किसान,पुलिस सिपाही ,बागी व सैनिको का समूह जो कि अब मुक्तिवाहिनी का रूप से चुका था कोतवाल धन सिंह गुर्जर को नेतृत्व में दिल्ली की ओर चल निकला।
मेरठ के इस कोतवाल ने जो अब क्रान्तिकारीयो की अगुवाई कर रहा था मारो या मरो के नारे को साथ जोश भरते हुए उसी दिन दस मई को दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। अगले दिन क्रान्तिनायक कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में मुक्तिवाहिनी ने मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को हिंदुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया व इस गदर की कमान बहादुरशाह जफर को सौंप दी। पहले तो बादशाह बहादुरशाह जफर ने इंकार किया मगर फिर सभी क्रान्तिकारियो के आग्रह पर अंग्रेजो के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिये । उस दौर में मुगल सल्तनत अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी व मुगल बादशाह नाम के बादशाह थे। लेकिन मुगल बादशाह का प्रभाव पूरे हिंदुस्तान में होने को कारण वीर क्रान्तिकारीयो ने मुगल बादशाह को ही कमान सौंप देना उचित समझा ।
मेरठ की क्रान्ति के जनक कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने असाधारण नेतृत्व कौशल का परिचय दिया व अपने जोशीले भाषण व नारो से मुक्तिवाहिनी में ऐसा जोश भरा कि मेरठ से दिल्ली तक हर रास्ते व बाधा को पार करके अंग्रेजीराज की धज्जियाँ उडाते चले गये व गुलामी की बेडियों को फेंकते चले गये। ब्रितानी भारत में औपनिवेशिक अंधेरे को क्रान्ति की मशाल से जलाकर कोतवाल धन सिहँ गुर्जर ने अनुकरणीय वीरता व नायकत्व का अनुपम उदाहरण पेश किया । धन्य है वो संत जिसने गुलामी में वैराग्य की बजाय देश को आजाद कराने की अलख जगायी।बात में अंग्रेजो ने अपने खिलाफ लोगो के ऊपर बहुत ही बर्बरतापूर्ण व अमानवीय कारवाई की । कोतवाल धन सिंह गुर्जर को मेरठ के किसी चौराहे पर 4 जुलाई 1857 को दिनदहाडे फाँसी पर चढा दिया व लोगो को हराने के लिये शव को वहीं पेड पर लटकने दिया ताकि लोगो में खौफ रहे व अंग्रेजो के खिलाफ कोई चूँ तक ना करें
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी