नाम : | मा. वैशाली सक्सेना |
पद : | मंडल मंत्री महिला मौर्चा |
पार्टी : | भारतीय जनता पार्टी |
मनोनीत : | महानगर मंडल1 |
विधान सभा : | लखनऊ पच्छिम |
ज़िला : | लखनऊ |
राज्य : | उत्तर प्रदेश |
सम्मान : NA | |
विवरण : NA | |
सामाजिक कार्य : introduction Honorable Vaishali Saxena
Position: Mandal Mantri Mahila Mourcha
Nominated: Mahanagar Mandal1 Ashrafabad
Bhartiy Janata Party
Address: 295/364 Kunwar Girhari Singh Inter College, Pili Kothi Rani Sahabs Ashrafabad Lucknow Uttar Pradesh
Contact Number: 7860707891
Aria Name : Asharfabad (अशरफाबाद )
City Name : Lucknow
District : Lucknow
State : Uttar Pradesh
Division : Lucknow
Language : Hindi and Urdu, Awadhi
Current Time 04:02 PM
Date: Tuesday , Jan 22,2019 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0522
Ward : Ward 100
Assembly constituency : -Lucknow West assembly constituency
Assembly MLA : SURESH KUMAR SHRIVASTAV (BJP) 9415028736
Lok Sabha constituency : Lucknow parliamentary constituency
Parliament MP : Raj Nath Singh (BJP) Contact Number: 05222235656
Pin Code : 226003
Post Office Name : Lucknow Chowk
जीवन परिचय
माननीय वैशाली सक्सेना
पद: मंडल मंत्री महिला मोर्चा
मनोनीत: महानगर मंडल 1 अशरफाबाद
समर्थन - भारतीय जनता पार्टी
पता: २ ९ ५ / ३६४ कुंवर गिरधारी सिंह इंटर कालेज, पीली कोठी रानी साहब की अशरफाबाद लखनऊ उत्तर प्रदेश
संपर्क नंबर: 7860707891
श्रीमती वैशाली सक्सेना का जन्म उत्तर प्रदेश के लख्नऊ शहर में 8-6-1984 को हुआ, बचपन से परिवार से समाज सेवा का भाव, राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत हुई, समाज के बीच रहते हुए उनक लिए सामाजिक कार्यों में भागीदारी करती रहीं, २०१७ को भारतीय जनता पार्टी की सदस्य ग्रहण कर पार्टी के लिए तन मन धन से प्रचार पार्टय नीतिओं को जान जन तक पहुंचने का कार्य निष्ठावान कार्यकर्त्ता की तर्हां किया श्रीमती सक्सेना जी की सक्रियता देख पार्टी ने मंडल मंत्री महिला मोर्चा भारतीय जनता पार्टी महानगर1 क्षेत्र, लख़नऊ के पद पर मनोनीत किया गया , वर्तमान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर साम को जागरूक कर रही हैं
निवास स्थान अशरफाबाद के बारे में
अशरफाबाद उत्तर प्रदेश राज्य, भारत में लखनऊ शहर का एक इलाका है। यह लखनऊ मंडल का है।
अशरफाबाद पिन कोड 226003 है और डाक प्रधान कार्यालय लखनऊ चौक है।
अशरफाबाद बौद्ध तिवारी रोड, अशरफाबाद तुरिया गंज, अशरफबाद योगेश्वर मठ रोड, अशरफाबाद के नजदीकी इलाके हैं।
अशरफाबाद की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है।
अशरफाबाद कैसे पहुंचें
रेल द्वारा
लखनऊ सिटी रेल वे स्टेशन, लखनऊ जंक्शन नेर रेल वे स्टेशन, अशरफाबाद के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
लोकल बस
हजरतगंज बस स्टेशन, शहीद स्मारक बस स्टेशन, पारा पुलिस चौकी बस स्टेशन, शकुंतला देवी विकलांग पुन्नवास केंद्र स्टेशन, शुभम सिनेमा बस स्टेशन पास ही स्थानीय बस स्टॉप से अशरफाबाद हैं। अशरफाबाद से विभिन्न स्थानों के लिए कई बसों की संख्या।
अशरफाबाद के पास बस स्टॉप
हजरतगंज शहीद स्मारक पारा पुलिस चौकी शकुंतला देवी विकलांग पुंगरवास केंद्र शुभम सिनेमा
अशोकबाद से Loacl Bus Routes यात्रा करते हैं
12 (- स्कूटर इंडिया)
23 (गुडम्बा - रजनी खंड)
24 (इंजीनियरिंग कॉलेज - स्कूटर इंडिया)
31 (आलमबाग -)
33 (इंजीनियरिंग कॉलेज - स्कूटर इंडिया)
लखनऊ नगर निगम लखनऊ नगर निगम उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ के नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संगठन, संक्षेप में, एलएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और पार्कों जैसी अन्य सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। निगम में कुल110 वार्ड और 2327968 मतदाता हैं, निकाय चुनाव 2017 में नगर निगम महापौर पद पर भारतीय जनता पार्टी समर्थित माननीय संयुक्ता भाटिया ने कुल पड़े मत संख्या 899449 में से (377166) 41.94 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार 2 - मीरा वर्धन = समाजवादी पार्टी (245810) 27.34 को 131356 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 3- प्रेमा अवस्थी =भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (109571) 12.19 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे । वर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया हैं जबकि वर्तमान आयुक्त राकेश कुमार सिंह हैं , नगरसेवकों का चयन करने के लिए हर पांच साल में चुनाव होते हैं। विभिन्न राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को नामित करते हैं और संबंधित वार्ड के लोग अपने वार्ड के लिए नगरसेवक का चुनाव करने के लिए चुनाव के दौरान अपना वोट डालते हैं। लखनऊ भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है।[2]कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है।[3] इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है।[4] आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है।[5] यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। लखनऊ का इतिहास लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था।[6][7] अत: इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। यहां से अयोध्या भी मात्र ८० मील दूरी पर स्थित है।[6] एक अन्य कथा के अनुसार इस शहर का नाम, लखन अहीर जो कि लखन किले के मुख्य कलाकार थे, के नाम पर रखा गया था।[कृपया उद्धरण जोड़ें] लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़ुद्दौला ने १७७५ ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। लेकिन बाद के नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के काहिल स्वभाव के परिणामस्वरूप आगे चलकर लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध का बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। १८५० में अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।[6] सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूनाइटेड प्रोविन्स या यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से बदल कर लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की गयी। स्वतन्त्रता के बाद १२ जनवरी सन १९५० में इस क्षेत्र का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। इस तरह यह अपने पूर्व लघुनाम यूपी से जुड़ा रहा। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री बने। अक्टूबर १९६३ में सुचेता कृपलानी उत्तर-प्रदेश एवं भारत की प्रथम महिला मुख्यमन्त्री बनीं। शहर और आस-पास पुराने लखनऊ में चौक का बाजार प्रमुख है। यह चिकन के कारीगरों और बाजारों के लिए प्रसिद्ध है। यह इलाका अपने चिकन के दुकानों व मिठाइयों की दुकाने की वजह से मशहूर है। चौक में नक्खास बाजार भी है। यहां का अमीनाबाद दिल्ली के चाँदनी चौक की तरह का बाज़ार है जो शहर के बीच स्थित है। यहां थोक का सामान, महिलाओं का सजावटी सामान, वस्त्राभूषण आदि का बड़ा एवं पुराना बाज़ार है। दिल्ली के ही कनॉट प्लेस की भांति यहां का हृदय हज़रतगंज है। यहां खूब चहल-पहल रहती है। प्रदेश का विधान सभा भवन भी यहीं स्थित है। इसके अलावा हज़रतगंज में जी पी ओ, कैथेड्रल चर्च, चिड़ियाघर, उत्तर रेलवे का मंडलीय रेलवे कार्यालय (डीआरएम ऑफिस), लाल बाग, पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय (पीएमजी), परिवर्तन चौक, बेगम हज़रत महल पार्क भी काफी प्रमुख़ स्थल हैं। इनके अलावा निशातगंज, डालीगंज, सदर बाजार, बंगला बाजार, नरही, केसरबाग भी यहां के बड़े बाजारों में आते हैं। अमीनाबाद लखनऊ का एक ऐसा स्थान है जो पुस्तकों के लिए मशहूर है। यहां के आवासीय इलाकों में सिस-गोमती क्षेत्र में राजाजीपुरम, कृष्णानगर, आलमबाग, दिलखुशा, आर.डी.एस.ओ.कालोनी, चारबाग, ऐशबाग, हुसैनगंज, लालबाग, राजेंद्रनगर, मालवीय नगर, सरोजिनीनगर, हैदरगंज, [[ठाकुरगंज एवं सआदतगंज आदि क्षेत्र हैं। ट्रांस-गोमती क्षेत्र में गोमतीनगर,इंदिरानगर, महानगर, अलीगंज, डालीगंज, नीलमत्था कैन्ट, विकासनगर, खुर्रमनगर, जानकीपुरम एवं साउथ-सिटी (रायबरेली रोड पर) आवासीय क्षेत्र हैं। पर्यटन स्थल शहर और आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें ऐतिहासिक स्थल, उद्यान, मनोरंजन स्थल एवं शॉपिंग मॉल आदि हैं। यहां कई इमामबाड़े हैं। इनमें बड़ा एवं छोटा प्रमुख है। प्रसिद्ध बड़े इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने १७८४ में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। यहां एक अनोखी भूल भुलैया है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसके अलावा छोटा इमामबाड़ा, जिसका असली नाम हुसैनाबाद इमामबाड़ा है मोहम्मद अली शाह की रचना है जिसका निर्माण १८३७ ई. में किया गया था। इसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है। सआदत अली का मकबरा बेगम हजरत महल पार्क के समीप है। इसके साथ ही खुर्शीद जैदी का मकबरा भी बना हुआ है। यह मकबरा अवध वास्तुकला का शानदार उदाहरण हैं। मकबरे की शानदार छत और गुम्बद इसकी खासियत हैं। ये दोनों मकबरे जुड़वां लगते हैं। बड़े इमामबाड़े के बाहर ही रूमी दरवाजा बना हुआ है। यहां की सड़क इसके बीच से निकलती है। इस द्वार का निर्माण भी अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत किया गया था। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा १७८२ ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। जामी मस्जिद हुसैनाबाद इमामबाड़े के पश्चिम दिशा स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह ने शुरू किया था लेकिन १८४० ई. में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसे पूरा करवाया। मोती महल गोमती नदी की सीमा पर बनी तीन इमारतों में से प्रमुख है। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था। लखनऊ रेज़ीडेंसी के अवशेष ब्रिटिश शासन की स्पष्ट तस्वीर दिखाते हैं। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के समय यह रेजिडेन्सी ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेन्ट का भवन था। यह ऐतिहासिक इमारत हजरतगंज क्षेत्र में राज्यपाल निवास के निकट है। लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। हुसैनाबाद इमामबाड़े के घंटाघर के समीप १९वीं शताब्दी में बनी एक पिक्चर गैलरी है। यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। कुकरैल फारेस्ट एक पिकनिक स्थल है। यहां घड़ियालों और कछुओं का एक अभयारण्य है। यह लखनऊ के इंदिरा नगर के निकट, रिंग मार्ग पर स्थित है। बनारसी बाग वास्तव में एक चिड़ियाघर है, जिसका मूल नाम प्रिंस ऑफ वेल्स वन्य-प्राणी उद्यान है। स्थानीय लोग इस चिड़ियाघर को बनारसी बाग कहते हैं। यहां के हरे भरे वातावरण में जानवरों की कुछ प्रजातियों को छोटे पिंजरों में रखा गया है। यह देश के अच्छे वन्य प्राणी उद्यानों में से एक है। इस उद्यान में एक संग्रहालय भी है। इनके अलावा रूमी दरवाजा, छतर मंजिल, हाथी पार्क, बुद्ध पार्क, नीबू पार्क मैरीन ड्राइव और इंदिरा गाँधी तारामंडल भी दर्शनीय हैं। लखनऊ-हरदोइ राजमार्ग पर ही मलिहाबाद गांव है, जहां के दशहरी आम विश्व प्रसिद्ध हैं। लखनऊ का अमौसी हवाई अड्डा शहर से बीस किलोमीटर दूर अमौसी में स्थित है। शहर से ९० किलोमीटर की दूरी पर ही नैमिषारण्य तीर्थ है। इसका पुराणों में बहुत ऊंचा स्थान बताया गया है। यहीं पर ऋषि सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को पुराणों का आख्यान दिया था। लखनऊ के निकटवर्ती शहरों में कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, फैजाबाद, बाराबंकी, हरदोई हैं। धार्मिक सौहार्द लखनऊ में वैसे तो सभी धर्मों के लोग सौहार्द एवं सद्भाव से रहते हैं, किंतु हिन्दुओं एवं मुस्लिमों का बाहुल्य है। यहां सभी धर्मों के अर्चनास्थल भी इस ही अनुपात में हैं। हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में हनुमान सेतु मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, अलीगंज का हनुमान मंदिर, भूतनाथ मंदिर, इंदिरानगर, चंद्रिका देवी मंदिर, नैमिषारण्य तीर्थ और रामकृष्ण मठ, निरालानगर हैं।[37] यहां कई बड़ी एवं पुरानी मस्जिदें भी हैं। इनमें लक्ष्मण टीला मस्जिद, इमामबाड़ा मस्जिद एवं ईदगाह प्रमुख हैं। प्रमुख गिरिजाघरों में कैथेड्रल चर्च, हज़रतगंज, इंदिरानगर (सी ब्लॉक) चर्च, सुभाष मार्ग पर सेंट पाउल्स चर्च एवं असेंबली ऑफ बिलीवर्स चर्च हैं।[38] यहां हिन्दू त्यौहारों में होली,[39] दीपावली, दुर्गा पूजा एवं दशहरा और ढेरों अन्य त्यौहार जहां हर्षोल्लास से मनाये जाते हैं, वहीं ईद और बारावफात तथा मुहर्रम के ताजिये भी फीके नहीं होते। साम्प्रदायिक सौहार्द यहां की विशेषता है। यहां दशहरे पर रावणके पुतले बनाने वाले अनेकों मुस्लिम एवं ताजिये बनाने वाले अनेकों हिन्दू कारीगर हैं।[ आवागमन वायुमार्ग लखनऊ का अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, जयपुर, पुणे, भुवनेश्वर, गुवाहाटी और अहमदाबाद से प्रतिदिन सीधी फ्लाइट द्वारा जुड़ा हुआ है। रेलमार्ग चारबाग रेलवे जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से लखनऊ मेल और शताब्दी एक्सप्रेस, मुम्बई से पुष्पक एक्सप्रेस, कोलकाता से दून एक्स्प्रेस और हावड़ा एक्स्प्रेस 3050 के माध्यम से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। चारबाग स्टेशन के अलावा लखनऊ जिले में कई अन्य स्टेशन भी हैं:- २ किलोमीटर दूर ऐशबाग रेलवे स्टेशन, ५ किलोमीटर पर लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन, ७ किलोमीटर पर आलमनगर रेलवे स्टेशन, ११ किलोमीटर पर बादशाहनगर रेलवे स्टेशन तथा अमौसी रेलवे स्टेशन हैं। इसके अतिरिक्त मल्हौर में १३ कि.मी, गोमती नगर में १५ कि.मी, काकोरी १५ कि.मी, मोहनलालगंज १९ कि.मी, हरौनी २५ कि.मी, मलिहाबाद २६ कि.मी, सफेदाबाद २६ कि.मी, निगोहाँ ३५ कि.मी, बाराबंकी जंक्शन ३५ कि.मी, अजगैन ४२ कि.मी, बछरावां ४८ कि.मी, संडीला ५३ कि.मी, उन्नाव जंक्शन ५९ कि.मी तथा बीघापुर ६४ कि.मी पर स्थित हैं। इस प्रकार रेल यातायात लखनऊ को अनेक छोटे छोटे गाँवों और कस्बों से जोड़ता है। सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजम |