मदन मोहन मालवीय स्कूल/कॉलेज परिचय सूची

स्कूल नाम :
लॉर्ड कृष्णा मेमोरियल पब्लिक स्कूल ,चैतन्य विहार
प्रबंधक :
रजनी कांत शर्मा (चेयरमैन)
विशेषता :
इंग्लिश मीडियम
क्षेत्र :
वृन्दावन वार्ड न. 67
नगर ब्लॉक :
नगर निगम मथुरा-वृंदावन
जनपद :
मथुरा
राज्य :
उत्तर प्रदेश
वेबसाइट :
NA
सम्मान : NA
विवरण :
introduction
Name : Rajni Kant Sharma
Designation : Chairman
School Name : Lord Krishna Memorial Public School
Medium: Hindi/English
Established: NA
Total students: Na
Eligibility : NA
Email: NA
Adress :- Chaitanya Vihar Phase-2 Vrindavan, Mathura Uttar Pradesh 7088490043
Nagar Nigam : Mathura-Vrindavan
District : Mathura
State : Uttar Pradesh
Division : Agra
Language : Hindi and Urdu
Current Time 09:47 AM
Date: Saturday , Sep 07,2019 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0565
Vehicle Registration Number:UP-85
RTO Office : Mathura
Ward Councilor Name : Ritesh Pathak INC Mob. 7906604910
Assembly constituency : Goverdhan assembly constituency
Assembly MLA : rajkumar rawat
Lok Sabha constituency : Mathura parliamentary constituency
Parliament MP : HEMA MALINI
Pin Code : 281121
Post Office Name : Vrindaban

निवास स्थान वृन्दावन वार्ड न. 67 चौबिया पांडा के बारे में
 नगर निगम वार्ड न.67 - चौबिया पांडा में कुल 10809 मतदाता हैं,  निकाय चुनाव 2017 में कांग्रेस समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय रितेश पाठक जी ने कुल पड़े मत संख्या 3264 में से (1296)  मत प्राप्त कर
2 = दीपेन्द्र = भारतीय जनता पार्टी (1152) को 144  मतों से हराकर चुनाव जीता
3- अनुराग = निर्दलीय (134) मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे
इतिहास
वृन्दावन मथुरा क्षेत्र में एक गांव है जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके विहारी जी का मंदिर व राधावल्लभ लाल जी का मंदिर प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहाँ श्री राधारमण, श्री राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, श्री कृष्ण बलराम मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, निधि वन आदिदर्शनीय स्थान है।
यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन निवास के लिए आये थे। विष्णु पुराण में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में अन्यत्र वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी है।
वृन्दावन में यमुना के घाट
कुसुम सरोवर घाट
वृन्दावन में श्रीयमुना के तट पर अनेक घाट हैं। उनमें से प्रसिद्ध-प्रसिद्ध घाटों का उल्लेख किया जा रहा है-
श्रीवराहघाट- वृन्दावन के दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्राचीन यमुनाजी के तट पर श्रीवराहघाट अवस्थित है। तट के ऊपर भी श्रीवराहदेव विराजमान हैं। पास ही श्रीगौतम मुनि का आश्रम है।
कालीयदमनघाट- इसका नामान्तर कालीयदह है। यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तर में प्राचीन यमुना के तट पर अवस्थित है। यहाँ के प्रसंग के सम्बन्ध में पहले उल्लेख किया जा चुका है। कालीय को दमन कर तट भूमि में पहुँच ने पर श्रीकृष्ण को ब्रजराज नन्द और ब्रजेश्वरी श्री यशोदा ने अपने आसुँओं से तर-बतरकर दिया तथा उनके सारे अंगो में इस प्रकार देखने लगे कि मेरे लाला को कहीं कोई चोट तो नहीं पहुँची है,\\\\\\\' महाराज नन्द ने कृष्ण की मंगल कामना से ब्राह्मणों को अनेकानेक गायों का यहीं पर दान किया था।
सूर्यघाट- इसका नामान्तर आदित्यघाट भी है। गोपालघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित है। घाट के ऊपर वाले टीले को आदित्य टीला कहते हैं। इसी टीले के ऊपर श्रीसनातन गोस्वामी के प्राणदेवता श्री मदन मोहन जी का मन्दिर है। उसके सम्बन्ध में हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। यहीं पर प्रस्कन्दन तीर्थ भी है।
युगलघाट- सूर्य घाट के उत्तर में युगलघाट अवस्थित है। इस घाट के ऊपर श्री युगलबिहारी का प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है। केशी घाट के निकट एक और भी जुगल किशोर का मन्दिर है। वह भी इसी प्रकार शिखरविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है।
श्रीबिहारघाट- युगलघाट के उत्तर में श्रीबिहारघाट अवस्थित है। इस घाट पर श्रीराधाकृष्ण युगल स्नान, जल विहार आदि क्रीड़ाएँ करते थे।
श्रीआंधेरघाट- युगलघाट के उत्तर में यह घाट अवस्थित हैं। इस घाट के उपवन में कृष्ण और गोपियाँ आँखमुदौवल की लीला करते थे। अर्थात् गोपियों के अपने करपल्लवों से अपने नेत्रों को ढक लेने पर श्रीकृष्ण आस-पास कहीं छिप जाते और गोपियाँ उन्हें ढूँढ़ती थीं। कभी श्रीकिशोरी जी इसी प्रकार छिप जातीं और सभी उनको ढूँढ़ते थे।
इमलीतला घाट- आंधेरघाट के उत्तर में इमलीघाट अवस्थित है। यहीं पर श्रीकृष्ण के समसामयिक इमली वृक्ष के नीचे महाप्रभु श्रीचैतन्य देव अपने वृन्दावन वास काल में प्रेमाविष्ट होकर हरिनाम करते थे। इसलिए इसको गौरांगघाट भी कहते हैं।
श्रृंगारघाट- इमलीतला घाट से कुछ पूर्व दिशा में यमुना तट पर श्रृंगारघाट अवस्थित है। यहीं बैठकर श्रीकृष्ण ने मानिनी श्रीराधिका का श्रृंगार किया था। वृन्दावन भ्रमण के समय श्रीनित्यानन्द प्रभुने इस घाट में स्नान किया था तथा कुछ दिनों तक इसी घाट के ऊपर श्रृंगारवट पर निवास किया था।
श्रीगोविन्दघाट- श्रृंगारघाट के पास ही उत्तर में यह घाट अवस्थित है। श्रीरासमण्डल से अन्तर्धान होने पर श्रीकृष्ण पुन: यहीं पर गोपियों के सामने आविर्भूत हुये थे।
चीर घाट- कौतु की श्रीकृष्ण स्नान करती हुईं गोपिकुमारियों के वस्त्रों को लेकर यहीं क़दम्ब वृक्ष के ऊपर चढ़ गये थे। चीर का तात्पर्य वस्त्र से है। पास ही कृष्ण ने केशी दैत्य का वध करने के पश्चात यहीं पर बैठकर विश्राम किया था। इसलिए इस घाटका दूसरा नाम चैन या चयनघाट भी है। इसके निकट ही झाडूमण्डल दर्शनीय है।
श्रीभ्रमरघाट- चीरघाट के उत्तर में यह घाट स्थित है। जब किशोर-किशोरी यहाँ क्रीड़ा विलास करते थे, उस समय दोनों के अंग सौरभ से भँवरे उन्मत्त होकर गुंजार करने लगते थे। भ्रमरों के कारण इस घाट का नाम भ्रमरघाट है।
श्रीकेशीघाट- श्रीवृन्दावन के उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा भ्रमरघाट के उत्तर में यह प्रसिद्ध घाट विराजमान है। इसका हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं।
धीरसमीरघाट- श्रीचीर घाट वृन्दावन की उत्तर-दिशा में केशीघाट से पूर्व दिशा में पास ही धीरसमीरघाट है। श्रीराधाकृष्ण युगल का विहार देखकर उनकी सेवा के लिए समीर भी सुशीतल होकर धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगा था।
श्रीराधाबागघाट- वृन्दावन के पूर्व में यह घाट अवस्थित है। इसका भी वर्णन पहले किया जा चुका है।
श्रीपानीघाट-इसी घाट से गोपियों ने यमुना को पैदल पारकर महर्षि दुर्वासा को सुस्वादु अन्न भोजन कराया था।
आदिबद्रीघाट- पानीघाट से कुछ दक्षिण में यह घाट अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों को आदिबद्री नारायण का दर्शन कराया था।
श्रीराजघाट- आदि-बद्रीघाट के दक्षिण में तथा वृन्दावन की दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राचीन यमुना के तट पर राजघाट है। यहाँ कृष्ण नाविक बनकर सखियों के साथ श्री राधिका को यमुना पार करात थे। यमुना के बीच में कौतुकी कृष्ण नाना प्रकार के बहाने बनाकर जब विलम्ब करने लगते, उस समय गोपियाँ महाराजा कंस का भय दिखलाकर उन्हें शीघ्र यमुना पार करने के लिए कहती थीं। इसलिए इसका नाम राजघाट प्रसिद्ध है।
न घाटों के अतिरिक्त  वृन्दावन-कथा नामक पुस्तक में और भी 14 घाटों का उल्लेख है-

(1) महानतजी घाट (2) नामाओवाला घाट (3) प्रस्कन्दन घाट (4) कडिया घाट (5) धूसर घाट (6) नया घाट (7) श्रीजी घाट (8) विहारी जी घाट (9) धरोयार घाट (10) नागरी घाट (11) भीम घाट (12) हिम्मत बहादुर घाट (13) चीर या चैन घाट (14) हनुमान घाट।

वृंदावन कैसे पहुंचें
रेल द्वारा
मसानी रेल मार्ग स्टेशन, वृंदावन रेल मार्ग स्टेशन वृंदावन के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।  
शहरों के पास
वृंदावन 4 KM
मथुरा 9 KM
हाथरस 43 KM
सादाबाद 44 KM
तालुकों के पास
वृंदावन 4 KM
मथुरा 10 KM
मैट 14 KM
चौमुहा 16 KM
एयर पोर्ट्स के पास
खेरिया एयरपोर्ट 61 KM
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 137 KM
ग्वालियर एयरपोर्ट 171 KM
सांगानेर एयरपोर्ट 226 KM
पर्यटक स्थलों के पास
वृंदावन 4 KM
मथुरा 9 KM
गोवर्धन 23 KM
भरतपुर 47 KM
डबचिक 52 KM
जिले के पास
मथुरा 9 KM
महामाया नगर 44 KM
भरतपुर 47 KM
अलीगढ़ 60 KM
वृंदावन में राजनीति
भाजपा, रालोद, बसपा इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
वृंदावन के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) P.v। गन्थौली K.n.1
2) P.v। Tasiya
3) P.v.tarsi K.n.2
4) जे.एच. दयात के.एन. 3
5) P.v। धनिया
गोवर्धन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।
फराह गोवर्धन मैट मथुरा वृंदावन
विधायक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले विधायक का इतिहास।
2012 जनरल राजकुमार रावत बीएसपी 63725 = 21495 मेघ श्याम सिंह रालोद  42230
2007 (SC) पूरन प्रकाश आरएलडी 43963 = 5863 अजय कुमार पोइया बीएसपी  38100
2002 (SC) श्याम भाजपा 34873 = 6447 भारत सिंह बसपा 28426
1996 (SC) अजय कुमार पोइया भाजपा 42284 = 8739 प्रताप सिंह 3357 बसपा
1993 (SC) अजय कुमार बीजेपी 45740 = 11301 प्रेम सिंह जेडी 34439
1991 (SC) पूरन प्रकाश जेडी 31358 = 1831 अजय कुमार बीजेपी 29527
1989 (SC) ज्ञानेंद्र स्वरूप JD 54348 = 18961 कन्हैया लाल कांग्रेस 35387
1985 (SC) बलजीत कांग्रेस 26829 = 623 ज्ञानेंद्र स्वरूप LKD 26206
1980 (SC) कन्हैया लाल JNP (SC) 28822 = 2575 प्रेम सिंह कांग्रेस 26247
1977 (SC) ज्ञानेंद्र स्वरूप जेएनपी 27702 = 18435 पूरन सिंहकांग्रेस 9267
1974 (SC) जिनेन्द्र स्वरूप BKD 39021 = 11100 कन्हैया लाल कांग्रेस 27921
1969 (SC) कन्हैया लाल कांग्रेस 26999 = 1505 K एस आजाद BKD 25,494
1967 (अनुसूचित जाति) खेम आईएनडी 35,591 = 16,177 K.Lal कांग्रेस 19,414
1962 जनरल आचार्य जुगल किशोर कांग्रेस 17621 = 5648 वज़ीर चंद JS 11973
1957 जनरल जुगल किशोर INC। 21218 = 8503 किशुन लाल PSP 12715
मदन मोहन मालवीय की जीवनी:
मदन मोहन मालवीय एक भारतीय शिक्षा विशारद और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता अभियान में मुख्य भूमिका अदा की थी और साथ ही वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके थे. आदर और सम्मान के साथ उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय और महामना के नाम से भी बुलाया जाता था, मालवीय को ज्यादातर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये याद किया जाता है जिसकी स्थापना उन्होंने 1916 में वाराणसी में की थी, इस विश्वविद्यालय की स्थापना B.H.U. एक्ट 1915 के तहत की गयी थी.उस समय यह एशिया की सबसे बड़ी रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी में से एक और साथ की दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटीयो से एक थी जिसमे आर्ट, साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल, एग्रीकल्चरल, परफार्मिंग आर्ट्स, लॉ एंड टेक्नोलॉजी के तक़रीबन 35000 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे थे.
1919 से 1938 तक मालवीय बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर भी रह चुके थे और साथ ही 1905 में हरिद्वार में हुई गंगा महासभा के वे संस्थापक भी थे. दो पर्व पर मालवीय भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर रह चुके थे. लेकिन फिर 1934 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. बाद में वे हिन्दू महासभा के सदस्य बने. 1922 में गया और 1923 में कशी में हुई हिन्दू महासभा के वे मुख्य अध्यक्ष थे. उन्होंने कई अंग्रेजी अखबारो की स्थापना भी की, जिसे वे 1909 में इलाहबाद से प्रकाशित करते थे. 1924 से 1946 तक वे हिंदुस्तान टाइम्स के चेयरमैन भी रह चुके थे. उनके इन्ही संघर्षो की बदौलत उन्होंने अपने हिंदी एडिशन की स्थापना 1936 में हिंदुस्तान दैनिक के नाम से की.
मालवीय को उनकी 153 वी जन्म तिथि के एक दिन पहले 24 दिसंबर 2014 को भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को उत्तरी-दक्षिण भूभाग में इलाहबाद में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित ब्रिजनाथ तथा माता का नाम मूना देवी था. उनके पूर्वज मालवा के संस्कृत भाषा के विद्वान थे. और तभी से उनके परीवार को मालवीय भी कहा जाता है. उनका वास्तविक उपनाम चतुर्वेदी था. उनके पिता ने संस्कृत साहित्यों का अभ्यास कर रखा था और साथ ही संस्कृत भाषा का उन्हें बहोत ज्ञान था.
पारंपरिक रूप से मालवीय ने 2 संस्कृत पाठशाला से शिक्षा ग्रहण की और बादमे इंग्लिश स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने लगे. मालवीय ने अपनी स्कूली शिक्षा हरदेव धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला से शुरू की और फिर विधा वर्धिनी सभा से शिक्षा अर्जित की. बाद में वे इलाहबाद ज़िला स्कूल में दाखिल हो गये जहा उन्होंने कविताये लिखना भी शुरू किया, उस समय वे मकरंद के नाम से कविताये लिखते थे और उनकी ये कविताये अखबारो और जर्नल्स में भी प्रकाशित किये जाते थे.
1879 में मुइर सेंट्रल कॉलेज से उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा पास की, जो आज इलाहबाद यूनिवर्सिटी के नाम से जानी जाती है. हैरिसन कॉलेज के प्रिंसिपल मालवीय को मासिक शिष्यवृत्ति भी देते थे, क्योकि उस समय मालवीय की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. और शिष्यवृत्ति की बदौलत ही वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी से B.A की परीक्षा में पास हुए. इसके बाद वे संस्कृत में M.A भी करना चाहते थे लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण वे M.A नही कर पाये. इसीके चलते 1884 में मदन मोहन मालवीय ने इलाहबाद की सरकारी हाई स्कूल से असिस्टेंट मास्टर के पद पर रहते हुए अपने करियर की शुरुवात की.
अ-सरकारी संस्थान की स्थापना, जिसे हसानंद गौचर भूमि का नाम दिया गया, गौमाता की सेवा करने हेतु इस संस्थान की स्थापना की गयी थी और आज इस संस्थान को सुनील कुमार शर्मा मैनेज कर रहे है.
पंडित मदन मोहन मालवीय के भाषण और लेखन, प्रकाशक- जी.ए. नेटसं 1919
महात्मा गांधी ने उन्हें अपना बड़ा भाई कहा और ‘‘भारत निर्माता‘‘ की संज्ञा दी. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें एक ऐसी महान आत्मा कहा, जिन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रीयता की नींव रखी.
वह व्यक्ति और कोई नहीं मदन मोहन मालवीय हैं, जिन्हें महात्मना (एक सम्मान) के नाम से भी जाना जाता है. वह एक महान राजनेता और शिक्षाविद थे, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जो भारत के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक है, की स्थापना की. वह एक ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए हर संभव कोशिश की और आज वह युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी मदन मोहन मालवीय के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी