वीर अब्दुल हमीद भारतीय ड्राइवर परिचय सूची

नाम :
मुमताज़ एम. काज़ी
पद :
ट्रेन ड्राइवर
कार्य क्षेत्र :
ठाणे खंड
निवास :
सायन रेलवे कॉलोनी
नगर/ब्लॉक :
मुंबई
जिला :
मुंबई
राज्य :
महाराष्ट्र
सम्मान :

next year

विवरण :
Name :  Mumtaz M. Kazi
Post   : Train Draivar
Department: Indian Railways
Aria Name : Sion Railway Colony,
City Name : Mumbai
District : Mumbai 
State : Maharashtra 
Region : Konkan 
Division : Konkan 
Language : Marathi and Marwari,English, Hindi, Persian And Urdu 
Assembly constituency : Sion Koliwada assembly constituency 
Assembly MLA : Captain R. Tamil Selvan 
Lok Sabha constituency : Mumbai-South-Central parliamentary constituency 
Parliament MP : Rahul Ramesh Shewale 
 
मुमताज एम. काजी के बारे में 
मुंबई की मोटरवुमेन मुमताज एम. काजी, जिन्हें तीन साल पहले एशिया का पहली महिला डीजल इंजन चालक होने का गौरव प्राप्त हुआ था,
एशिया की पहली महिला मोटर वुमेन मुमताज काजी सम्मानित   
 मुंबई की मोटरवुमेन मुमताज एम. काजी, जिन्हें २०१४ में एशिया का पहली महिला डीजल इंजन चालक होने का गौरव प्राप्त हुआ था, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें \\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\'नारी शक्ति पुरस्कार\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\' से सम्मानित किया। इस साल विभिन्न क्षेत्रों से सात शीर्ष महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मुमताज (45) को कई तरह की रेलगाड़ियों के परिचालन में महारत हासिल है। वर्तमान में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस-ठाणे खंड पर मध्य रेलवे की उपनगरीय लोकल ट्रेन को चलाती है, जो कि महिला चालक द्वारा चलाए जानेवाला अब तक का भारत का पहला और सबसे भीड़भाड़ वाला रेलवे मार्ग है।
केंद्रीय रेलवे के अधिकारी ने बताया कि एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से आनेवाली काजी करीब 25 साल से ट्रेन इंजन की चालक रही हैं और देश की लाखों महिलाएं उनसे प्रेरणा हासिल कर रही हैं
हालांकि यह सब उस लड़की के लिए बिल्कुल आसान नहीं था, जिसने 1989 में सांताक्रूज उपरनगर के सेठ आनंदीलाल पोद्दार हाईस्कूल से पढ़ाई की थी और रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन किया था।
उनका विरोध करने वाला पहला व्यक्ति उनके पिता अल्लारखू इस्माइल काथवाला थे, जो एक वरिष्ठ रेलवे कर्मचारी थे। लेकिन कुछ पारिवारिक मित्रों और रेल अधिकारियों ने उन्हें मुमताज को सपना पूरा करने देने के लिए मना लिया।
अब पूरा परिवार मुमताज पर गर्व करता है। वह सायन में रहती हैं। उन्होंने नंदुरबार के एक बिजली इंजीनियर मकसूद काजी से शादी की है, जिससे उनके 14 वर्षीय बेटा तौसीफ और 11 वर्षीय फतेन हैं।
निबवास सायन रेलवे कॉलोनी के बारे में
सायन रेलवे कॉलोनी,  महाराष्ट्र राज्य, मुंबई में मुंबई शहर में एक लोकैलिटी है। यह कोंकण क्षेत्र से संबंधित है। यह कोंकण डिवीजन से संबंधित है।
सायन रेलवे कॉलोनी, पिन कोड 400022 है और डाक प्रमुख कार्यालय ट्रांजिट शिविर है।
एच ब्लॉक बीकेसी, सिंधी कॉलोनी, वृंदावन, जय भरतमाता नगर, महिम नेचर पार्क सायन रेलवे कॉलोनी के पास के इलाके हैं।
मुंबई, नवी मुंबई, उरण, पनवेल मुंबई के नजदीकी शहर हैं।
यह अरबी समुद्र के नजदीक है। मौसम में आर्द्रता का मौका है।
सायन रेलवे कॉलोनी,की जनसांख्यिकी
मराठी यहां स्थानीय भाषा है।
सायन रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन में राजनीति
बीजेपी, एसएचएस, आईएनसी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
सियान रेलवे कॉलोनी, के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) पेंडोल - विद्यालयकर के मुख्य द्वार के पास ओपन स्पेस पर डी दीनपेपेठ संचालिट विद्यालंकर Engg.insti
2) पेंडोल बी 1 केन्द्रीय विद्यालय बिल्डिंग ग्राउंड एसएम रोड एनटॉप हिल मुंबई -37।
3) पेंडोल बी कंट्रोलर के कंपाउंड जनरल प्लेटफॉर्म डिज़ाइन और ट्रेड मार्क बाउदिक संपदा भा
4) C.g.s.employee स्कूल Gr.floor कक्ष संख्या 5 एसएम रोड एनटॉप हिल मुंबई -37
5) धर्मप्रकाश श्रीनिवास हाईस्कूल ग्रेड फ्लोर कक्ष संख्या 1 योजना संख्या 6 रोड नं .24 शेर (डब्ल्यू) मुंबई 22
सायन रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन को कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
बॉम्बे सायन रेलवे स्टेशन, चुन्नाभट्टी रेलवे स्टेशन सायन रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन के पास के पास के रेलवे स्टेशन हैं। साइंस रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन के पास मुंबई सेंट्रल रेल वे स्टेशन प्रमुख रेलवे स्टेशन 10 किमी दूर है
स्थानीय बस
सेंट्रल लेबर इंस्टीट्यूट बस स्टेशन, राजमार्ग अपार्टमेंट बस स्टेशन, रानी लक्ष्मीबाई चौक / सायन बस स्टेशन, नेचर पार्क / पीएमजीपी कॉलोनी / धारवी बस स्टेशन, कलाकीला बस स्टेशन स्थानीय बस स्टॉप से सायन रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन में पास है। साइयन रेलवे कॉलोनी, चुनाबत्ती, सायन से अलग-अलग स्थानों पर बस्से की संख्या चलाता है।
सायन रेलवे कॉलोनी, के पास बस स्टॉप
सेंट्रल लेबर इंस्टिट्यूट राजमार्ग अपार्टमेंट रानी लक्ष्मीबाई चौक / सायन नेचर पार्क / पीएमजीपी कॉलोनी / धारावी कलाकिल्ला
लोयन बस मार्ग सायन रेलवे कॉलोनी, से यात्रा
10 लिमिटेड (हुतात्मा चौक - घाटकोपर डिपो / केसुरिना)
11 लिमिटेड (नेवी नगर कोलाबा - बांद्रा कॉलोनी बस स्टेशन)
25 लिमिटेड (बैकबे डिपो - विहार झील)
26 लिमिटेड (मुंबई सेंट्रल डिपो - टाटा पावर स्टेशन)
30 लिमिटेड (मुंबई सेंट्रल डिपो - विक्रोली डिपो)
शहरों के नजदीक
मुंबई 10 किलोमीटर 
नवी मुंबई 16 किमी 
यूरेन 24 किमी 
पनवेल 2 9 किलोमीटर
तालुक के पास
मुंबई 5 किमी 
नवी मुंबई 1 9 किलोमीटर 
ठाणे 22 किमी
यूरेन 24 किमी
एयर पोर्ट्स के पास
छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 5 किलोमीटर 
लोहेगांव हवाई अड्डे 136 किमी 
गांधीनगर हवाई अड्डे के पास 158 किलोमीट
दीव हवाई अड्डे के पास 308 किमी
पर्यटक स्थलों के पास
मुंबई 4 किमी निकट
माध द्वीप 14 किमी
नवी मुंबई 16 किमी 
माध-मार्वे 17 किमी 
ठाणे 18 किमी
जिलों के पास
मुंबई 11 किमी 
ठाणे 25 किमी 
रायगढ़ 49 किमी 
पुणे 133 किलोमीटर 
रेलवे स्टेशन के पास
चुन्नाबत्ती रेलवे स्टेशन 0.2 किलोमीटर 
बॉम्बे सायन रेल वे स्टेशन 0.8 किलोमीट
 
सामाजिक कार्य :

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वीर अब्दुल हमीद जीवनी : अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में स्थित धरमपुर नाम के छोटे से गांव में एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था. और उनके पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था. उनके यहाँ परिवार की आजीविका को चलाने के लिए कपड़ों की सिलाई का काम होता था. लेकिन अब्दुल हमीद का दिल इस सिलाई के काम में बिलकुल नहीं लगता था, उनका मन तो बस कुश्ती दंगल और दांव पेंचों में लगता था. क्युकी पहलवानी उनके खून में थी जो विरासत के रूप में मिली उनके पिता और नाना दोनों ही पहलवान थे. वीर हमीद शुरू से ही लाठी चलाना कुश्ती करना और बाढ़ में नदी को तैर कर पार करना, और सोते समय फौज और जंग के सपने देखना तथा अपनी गुलेल से पक्का निशाना लगाना उनकी खूबियों में था. और वो इन सभी चीजों में सबसे आगे रहते थे.
उनका एक गुण सबसे अच्छा था जोकि दूसरो की हर समय मदद करना. जरूरतमंद लोगो की सहायता करना. और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना और उसे बर्दास्त ना करना. एसी ही घटना एक बार उनके गाँव में हुयी जब एक गरीब किसान की फसल को जबरजस्ती वहा के ज़मींदार के लगभग 50 गुंडे काट कर ले जाने के लिए आये तब हमीद को यह बात का पता चला और उन्हें यह बात बर्दास्त नहीं हुयी और उन 50 गुंडों से अकेले ही भीड़ गए. जिसके कारण उन सभी गुंडों को भागना पड़ा. और उस गरीब किसान की फसल बच गयी.
एक बार तो अपने प्राणों की बाजी लगा कर गाँव में आई भीषण बाढ़ में डूबती दो युवतियों की जान बचायी. और अपने साहस का परिचय दिया.
अब्दुल हमीद का बचपन -
अब्दुल हमीद की बचपन से ही इच्छा वीर सिपाही बनने की थी। वह अपनी दादी से कहा करते थे कि- "मैं फौज में भर्ती होऊंगा" दादी जब कहती-- "पिता की सिलाई की मशीन चलाओ" तब वह कहते थे-"हम जाएब फौज में ! तोहरे रोकले ना रुकब हम , समझलू"
दादी को उनकी जिद के आगे झुकना पड़ता और कहना पड़ता-- "अच्छा-अच्छा झाइयां फौज में"। हमीद खुश हो जाते इस तरह अपने पिता मोहम्मद उस्ताद से भी फौज में भर्ती होने की जिद करते थे, और कपड़ा सीने की धंधे से इंकार कर देते।
१९६५ का युद्ध
८- सितम्बर-१९६५ की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए। वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटन टैंकों" के के साथ, "खेम करन" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया।
भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल" और एल.एम्.जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी।
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था।
देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पाकिस्तानी पैटन टैंकों" की कब्रगाह बन गया। लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन ९ सितम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आधिकारिक घोषणा १० सितम्बर को की गई थी।
सेना में भर्ती
21 वर्ष के अब्दुल हमीद जीवन यापन के लिए रेलवे में भर्ती होने के लिए गये परन्तु उनके संस्कार उन्हें प्रेरित कर रहे थे, सेना मेंभर्ती होकर देश सेवा के लिए। अतः उन्होंने एक सैनिक के रूप में 1954 में अपना कार्य प्रारम्भ किया। हमीद 27 दिसंबर, 1954 को ग्रेनेडियर्सइन्फैन्ट्री रेजिमेंट में शामिल किये गये थे। जम्मू काश्मीर में तैनात अब्दुल हमीद पाकिस्तान से आने वाले घुसपैठियों की खबर तो लेते हुएमजा चखाते रहते थे, ऐसे ही एक आतंकवादी डाकू इनायत अली को जब उन्होंने पकड़वाया तो प्रोत्साहन स्वरूप उनको प्रोन्नति देकर सेना मेंलांस नायक बना दिया गया। 1962 में जब चीन ने भारत की पीठ में छुरा भोंका तो अब्दुल हमीद उस समय नेफा में तैनात थे, उनको अपनेअरमान पूरे करने का विशेष अवसर नहीं मिला। उनका अरमान था कोई विशेष पराक्रम दिखाते हुए शत्रु को मार गिराना।
सम्मान और पुरस्कार
28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग द्वारा वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये काएक सचित्र डाक टिकट जारी किया गया। इस डाक टिकट पर रिकाईललेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हामिद कारेखा चित्र उदाहरण की तरह बना हुआ है। चौथी ग्रेनेडियर्स ने अब्दुल हमीद की स्मृति में उनकी क़ब्र पर एक समाधि का निर्माण किया है। हरसाल उनकी शहादत के दिन यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। उत्तर निवासी उनके नाम से गांव में एक डिस्पेंसरी, पुस्तकालय औरस्कूल चलाते हैं। सैन्य डाक सेवा ने 10 सितंबर, 1979 को उनके सम्मान में एक विशेष आवरण जारी किया है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी वीर अब्दुल हमीद के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी