सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
गौरीशंकर दास
पद :
ब्लॉक सर्वेयर इंचार्ज
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
हटगम्हरिया
निवास :
कुशमुंडा
नगर/ब्लॉक :
हटगम्हरिया
जनपद :
पश्चिम सिंहभूम
राज्य :
झारखंड
सम्मान :

उक्त ब्लॉक सर्वेयर इंचार्ज को मुँसब अंसारी प्रदेश अध्यक्ष झारखण्ड की संस्तुति पर नियुक्त किया गया है, संस्था द्धारा संचालित अटल स्वरोजगार योजना के तहत गृह क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रानी लक्ष्मीबाई कपडा वितरण योजना, मेरा स्कूल-मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना में ग्रामीण क्षेत्र में डोर टू डोर एवं स्कूल में कैंप लगाने का कार्य करेंगे, संस्था के नाम पर नगद डोनेशन के लिए अधिकृत नहीं है जो नागरिक सामाजिक कार्य हेतु संस्था को दान करना चाहते हैं , संस्था के बैंक अकाउंट में जमा कर सकते हैं, अथवा संस्था के नाम चेक दे सकते हैं,  ये केवल संस्था में कार्य करने के लिए वैध  है, सर्वेयर द्धारा गैर कानूनी कार्य करने पर संस्था की जिम्मेदारी नहीं है, इसकी सुचना जिला प्रोजेक्ट इंचार्ज को दें., शिकायत मिलने के उपरान्त तुरंत प्रभाव से हटा दिया जायेगा, शाकिर हुसैन डिजिटल प्रोजेक्ट निदेशक, नई दिल्ली

विवरण :
iintroduction
Name : Mr . Gorishankar Das 
Designation : Block Surveyor Incharge
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti
Block : Hatgamharia
ID No.: NJSS0003
Mobail No : 8809984818 
Residence 
panchayt Name : Kushmunda 
Block Name : Hatgamharia
District : West Singhbhum 
State : Jharkhand 
Language : Hindi and Santali 
Current Time 05:00 PM 
Date: Friday , Mar 29,2019 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 06582 
Assembly constituency : Chaibasa assembly constituency 
Assembly MLA : Deepak Birua 
Lok Sabha constituency : Singhbhum parliamentary constituency 
Parliament MP : Laxman Giluwa 
 
निवास स्थान कुशमुंडा के बारे में
कुशमुंडा भारत के झारखंड राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले में हथगामरिया ब्लॉक का एक गाँव है। यह जिला मुख्यालय चाईबासा से दक्षिण की ओर 9 KM की दूरी पर स्थित है। राज्य की राजधानी रांची से 128 कि.मी.
कुशमुंडा उत्तर की ओर चाईबासा ब्लॉक, उत्तर की ओर पश्चिमी सिंहभूम ब्लॉक, पश्चिम की ओर झिंकपानी ब्लॉक, दक्षिण की ओर तांतनगर ब्लॉक से घिरा हुआ है।
चाईबासा, चक्रधरपुर, रायरंगपुर, जमशेदपुर कुशमुंडा शहरों के पास हैं।
यह स्थान पश्चिम सिंहभूम जिले और सरायकेला खरसावां जिले की सीमा में है। सरायकेला खरसावां जिला राजनगर इस जगह की ओर पूर्व की ओर है।
कुष्मांडा की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है।
कुष्मांडा में राजनीति
JBSP, BJP, JMM, INC इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
कुशमुंडा कैसे जाएं
रेल द्वारा
सिंहपोखरिया रेल मार्ग स्टेशन कुशमुंडा के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
कुशमुंडा के पास पिनकोड
833202 (टाटा कॉलेज चाईबासा), 833215 (झिंकपानी), 833201 (चाईबासा)
शहरों के पास
चाईबासा 8 KM 
चक्रधरपुर 34 KM 
रायरंगपुर 46 KM 
जमशेदपुर 52 KM 
तालुकों के पास
हथगामरिया 0 KM 
चाईबासा 5 KM 
पश्चिम सिंहभूम 8 KM 
झिंकपानी 11 किलोमीटर 
एयर पोर्ट्स के पास
रांची एयरपोर्ट 119 KM 
भुवनेश्वर हवाई अड्डा 279 KM
नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट 297 KM 
गया हवाई अड्डा 298 KM 
पर्यटक स्थलों के पास
सेराकेला 26 KM 
जमशेदपुर 54 KM 
दशम जलप्रपात 95 KM 
पुरुलिया 95 KM 
बरहीपानी और जोरांडा बरीपानी और जोरांडा फॉल्स 108 KM 
जिले के पास
पश्चिम सिंहभूम 8 KM
सरायकेला खरसावां 26 KM 
पूर्वी सिंहभूम 52 KM
खूंटी 97 KM 
रेल्वे स्टेशन के पास
सिंहपोखरिया रेल मार्ग स्टेशन 7.6 KM
राजखरसाँ जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 29 KM
चक्रधरपुर रेल मार्ग स्टेशन 34 KM
डुमरिया में राजनीति
JBSP, BJP, JMM, INC इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
चाईबासा विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
चाईबासा चक्रधरपुर हथगामरिया झिनकपानी खुंटपानी तंतो पश्चिम सिंहभूम
चाईबासा विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2014 = दीपक बिरुआ जेएमएम 68801 = 34715 ज्योति भामर तुबिद भाजपा  34086
2009 = दीपक बिरुआ जेएमएम 30274 = 7548 बागुन सुम्ब्रुई कांग्रेस  22726
2005 = पुत्कर हम्ब्रोम भाजपा 23448 = 5065 दीपक बिरुआ निर्दलीय 18383
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी