सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
मा. अमित माथुर
पद :
महामंत्री
संगठन :
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन
मनोनीत :
जयपुर
निवास :
रेलवे कॉलोनी
नगर/ब्लॉक :
जयपुर
जनपद :
जयपुर
राज्य :
राजस्थान
सम्मान :

not info

विवरण :
Name :  Mr. Amit Mathur
Designation  : General Secretary-North Western Railway Employees Union (NWREU)
Working Committee Member-Hind Mazdoor Sabha (HMS)
Assistant General Secretary- All India Railwaymens Federation (AIRF)
State President- HMS- Rajasthan
Member- Departmental Council of Railways (DC-JCM)
Member- Central Advisory Board (CAB)(Minimum Wage)
Member- National Productivity Council (NPC)
Village Name : Railway Colony 
City Name : Jaipur
District : Jaipur 
State : Rajasthan 
Division : Jaipur 
Language : English and Hindi, Rajasthani 
Mob. : +91-9001195692 
Current Time 04:59 PM
Date: Thursday , Oct 04,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0141 
Assembly constituency : Bagru assembly constituency 
Assembly MLA : Kailash Chand (BJP) Contact Number: 9314531451
Lok Sabha constituency : Jaipur parliamentary constituency 
Parliament MP : Ramcharan Bohara (BJP) Contact Number: 9829066531
 
भारतीय रेल हमारा गौरव ...... हमारे देश के लोगों की धड़कन
आल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (AIRF) भारतीय रेल का सबसे बड़ा एवं पुराना कर्मचारी फेडरेशन है। बलिदान, संघर्ष एवं उपलब्धियों का इतिहास रचने वाले गैर राजनीतिक संगठन एआईआरएफ़ ने दी है रेल कामगारों को ढेरों सौगात।
देश के सबसे बड़े सरकारी प्रतिष्ठान भारतीय रेल में कार्य करने का अर्थ, देश के लोगों की सेवा का सुनहरा अवसर। इसमे कार्यरत रेलकर्मियों के 365 दिन, 24 घंटे निर्बाध सेवा के कारण ही भारतीय रेल, सबसे सस्ता, सुलभ, आरामदायक एवं संरक्षित यातायात का साधन है। आइये हम सब संकल्प लें कि अपनी भारतीय रेल के प्रति समर्पण भाव से सेवा करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करके अपनी रेल की विश्वसनीयता को कायम रखें।
देश के सबसे बड़े सरकारी प्रतिष्ठान भारतीय रेल में कार्य करने का अर्थ, देश के लोगों की सेवा का सुनहरा अवसर। इसमे कार्यरत रेलकर्मियों के 365 दिन, 24 घंटे निर्बाध सेवा के कारण ही भारतीय रेल, सबसे सस्ता, सुलभ, आरामदायक एवं संरक्षित यातायात का साधन है। आइये हम सब संकल्प लें कि अपनी भारतीय रेल के प्रति समर्पण भाव से सेवा करते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करके अपनी रेल की विश्वसनीयता को कायम रखें।
इससे संलग्न ज़ोनल यूनियनों मे से एक नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉईज यूनियन (NWREU) ने कुशल नेतृत्व, वाक चातुर्य, समर्पण एवं सेवा भावना से अपने नारे “ हर पल हर कदम आपके साथ” को साकार किया है। रेलकर्मियों की समस्याओं के निवारण के लिए संघर्ष के साथ-साथ उनके परिवार के सर्वांगीण विकास के लिए नए-नए कार्य एवं गतिविधियों का संचालन किया है। इसी दिशा मे GDCE एवं अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं मे रेलकर्मी एवं उनके बच्चों की सहायता के लिए “Competitive Exams Preparation” नाम से एक एप्लीकेशन की शुरुआत, ट्रेड यूनियन आंदोलन की शख्सियत *कॉमरेड उमरावमल पुरोहित* (जिन्होने कॉमरेड जे. पी. चौबे एवं अन्य के सहयोग से रेल कर्मियों के लिए अनेकानेक उपलब्धियां हासिल की है।) के जन्म दिवस 01 मार्च 2018 से की जा रही है, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉईज यूनियन (NWREU) का यह प्रयास जिसमे श्री विनीत मान, राजीव शर्मा, विशाल पारवानी आदि का भी योगदान है, रेलकर्मी, उनके परिवारजन को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए सहायक सिद्ध होगा, इस उम्मीद और विश्वास के साथ यह ‘एप्लीकेशन’ “Competitive Exams Preparation” रेल परिवार को समर्पित है।
मुकेश माथुर
महामंत्री 
 
 
रेलवे कॉलोनी के बारे में
राजस्थान राज्य, भारत में जयपुर शहर में रेलवे कॉलोनी एक क्षेत्र है। यह जयपुर डिवीजन से संबंधित है।
शिव अधिकारी कॉलोनी, तिलवाला, मनोहरपुरा, कुंडनपुरा, जगतपुरा रेलवे कॉलोनी के पास के इलाके हैं।
जयपुर, निवाई, लालसोट, फुलेरा जयपुर के पास के शहर हैं
रेलवे कॉलोनी की जनसांख्यिकी
अंग्रेजी यहां स्थानीय भाषा है।
रेलवे कॉलोनी में राजनीति
बीजेपी, आईएनसी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
रेलवे कॉलोनी के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) चौधरी पब्लिक सीनियर सेकस्कूल रूम नं 3 बागरु
2) कम्युनिटी सेंटर हॉल बाएं साइड आनंद विहार कॉलोनी जगतपुरा
3) राष्ट्रीय जघन सीनियर सेक। स्कूल अशोक विहार जगतपुरा कमरा संख्या 1
4) मानववत पब्लिक स्कूल इंद्र नगर चरण 2 झलाना डुंगरी जयपुर कक्ष संख्या 4
5) श्री शुभम पब्लिक सीनियर सेक। स्कूल भगवान विहार कॉलोनी ओप। गांधी स्कूल खोनागोरियन कक्ष संख्या
बगरु विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक।
बगरु विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक भाजपा के कैलाश चंद हैं
बागरु विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
झोतवाड़ा,सांगानेर, जयपुर
बागरू विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2013 (एससी) कैलाश चंद बीजेपी 100947 = 46356 डॉ प्रहलाद रघु कांग्रेस 54591
2008 (एससी) श्रीमती गंगा देवी कांग्रेस 57036 = 3517 रक्षपाल कुलदीप बीजेपी 53519
रेलवे कॉलोनी कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
गेटर जगतपुरा रेलवे स्टेशन, खतिपुरा रेलवे स्टेशन रेलवे कॉलोनी के पास के रेलवे स्टेशन हैं। जयपुर रेलवे स्टेशन रेलवे कॉलोनी के पास 12 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है
 
स्थानीय बस
मोतुका फाटक बस स्टेशन, जगतपुरा रोब बस स्टेशन, जगतपुरा रेलवे फाटक बस स्टेशन, आरटीओ बस स्टेशन, जगतपुरा बस स्टेशन स्थानीय बस स्टॉप से रेलवे कॉलोनी पास है। 
 
शहरों के नजदीक
जयपुर 10 किलोमीटर 
निवाई 56 किलोमीटर 
लालसोट 62 किमी 
फुलेरा 69 किमी 
 
तालुक के पास
जयपुर 10 किलोमीटर 
संगानेर 14 किमी 
बास्सी 26 किमी
चक्सू 27 किमी
 
एयर पोर्ट्स के पास
संगानेर हवाई अड्डे के पास 5 किलोमीटर
खेरिया एयरपोर्ट 237 किलोमीटर
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 255 किमी
ग्वालियर एयरपोर्ट 273 किलोमीटर
 
पर्यटक स्थलों के पास
जयपुर 10 किलोमीटर 
गल्टा 10 किमी निकट
जंतर मंतर 12 किलोमीटर
जामवा रामगढ़ 2 9 किलोमीटर 
सैमोड 46 किमी
 
जिलों के पास
जयपुर 10 किलोमीटर 
दौसा 53 किमी 
टोंक 81 किलोमीटर 
सवाई माधोपुर 117 किमी 
 
रेलवे स्टेशन के पास
गेटोर जगतपुरा रेलवे स्टेशन 2.2 किलोमीटर
खतिपुरा रेलवे स्टेशन 4.8 किलोमीटर
दुर्गापुर रेलवे स्टेशन 8.1 किलोमीटर
गांधीनगर जेआरपी रेल वे स्टेशन 7 किलोमीटर
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी