सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
श्री गोरख बाळु तक्ते
पद :
स्टेट प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
महाराष्ट्र
निवास :
सविता नगर
नगर/ब्लॉक :
नगर परिषद चांदबड़
जनपद :
नासिक
राज्य :
महाराष्ट्र
सम्मान : प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना, मेरा गाँव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान फोटो परियोजना , डिजिटल विजिटिंग कार्ड प्रोजेक्ट पर नासिक जिला स्तर पर कार्य करने हेतु श्री  गोरख बाळु तक्ते जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक नासिक के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, नियुक्त निदेशक  अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर 4 ,4  वोलिन्टर नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है जिनको जीवन यापन हेतु जिला प्रोजेक्ट निदेशक नियमानुसार मानदेय उपलब्ध कराएँगे समस्त ब्लॉक में पत्र मिलने के उपरान्त ३० दिन में अपनी टीम तैयार कर सुचना केन्द्रीय कार्यालय को सूचित कराएँगे अगर दिया गए समय में कार्य पूर्ण नहीं किया गया तब नियमानुसार हटाने का अंधकार संस्था को रहेगा , सामाजिक कार्यकर्ताओं , जनप्रतिनिधिओं द्वारा संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  मेहनाज़ अंसारी  
विवरण : introduction
Name: Mr. Gorkh Balu Takte
Designation : State project In-charge
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti 
residence : Tisganv road savita nagar, chandwad nasik maharshtra 423101
Mobail No :9764697891
WA :  8855949479
Nagar Parishad  Name : Chandwad  

District : Nashik 
State : Maharashtra 
Region : Khandesh and Northern Maharashtra 
Division : Nashik 
Language : Marathi and Hindi, Ahirani And Bhili 
Current Time 11:34 AM  
Date: Friday , Jul 26,2019 (IST)  
Vehicle Registration Number:MH-15,MH-41,MH-51 
RTO Office : Malegaon,Nashik,Nashik City,Nashik Rural 
Telephone Code / Std Code: 02556 
Assembly constituency : Chandwad assembly constituency 
Assembly MLA : dr. aher rahul daultrao 
Lok Sabha constituency : Dindori parliamentary constituency 
Parliament MP : Dr. Bharati Pravin Pawar 
CHirman Name : Bhushan Kasliwal 
Pin Code : 423101 
Post Office Name : Chandwad
निवास स्थान चंदवाड़ के बारे में
चांदवड हे भारताच्या महाराष्ट्र राज्यातील नाशिक जिल्ह्यातील चांदवड तालुक्यातले छोटे शहर आहे. चांदवड तालुक्याचे प्रशासकीय केंद्र असलेल्या या गावाची लोकसंख्या सुमारे २०,००० आहे[ संदर्भ हवा ]. सह्याद्रीच्या पायथ्याशी वसलेले हे गाव राष्ट्रीय महामार्ग क्रमांक ३वर पिंपळगाव (बसवंत) व मालेगाव या गावांमधोमध पडते. येथून पूर्वेस मनमाड व नांदगाव शहरे व दक्षिणेस निफाड शहर असून पश्चिमेस व उत्तरेस अनुक्रमे दिंडोरी व देवळा आहे. हा तालुका जिल्ह्याच्या मध्यवर्ती भागात आहे.
महत्त्वाची स्थळे
रेणुका देवीचे मंदिर : नवरात्रात आणि चैत्र पौर्णिमेला या ठिकाणी यात्रा भरते.
चंद्रेश्वर (महादेव मंदिर
रंगमहाल(होळक‍र वाडा)
गणेश मंदीर (वडबारे)
शनि मंदिर
इंद्रायणी किल्ला
चांदवड म्हणजे वडाची व्याप्ती चंद्रापर्यंत गेली आहे ते चांदवड. मात्र आता वडांची संख्या खूप कमी दिसते. चांदवड नगर इ.स. ८ व्या शतकाच्या सुमारास वसले असल्याचा उल्लेख शनि माहात्म्याच्या पोथीत आला आहे. त्यात चांदवडला ताम्रलिंदापूर असे म्हटले आहे तर जैन साहित्यात चंद्रदिव्यपुरी म्हटले आहे. यादव घराण्यातील दृढप्रहार राजाच्या काळात चांदवडला आर्थिक सुबत्ता मिळाली. या काळात चांदवडला चंद्रपूरही म्हटले गेले. तर एका आख्यायिकेनुसार अगस्ती ऋषी चांदवडमध्ये वास्तव्यास असताना त्यांना चांदवडकरांनी तूप दिले नाही म्हणून त्यांनी शाप देत ही नगरी चांडाळनगरी किंवा चांडाळपूर असल्याचे म्हटल्याने पुढे ती चांदवड म्हणून ओळखली जाऊ लागली. काष्टशिल्पांमुळे सजलेल्या चांदवडला चांदोर असेही म्हटले जायचे तर मोगलांच्या काळात चांदवडचा उल्लेख जाफराबाद असा केला गेला आहे.
चंदवाड़ के बारे में
चंदवाड़ भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में चंदवाड़ तालुका में एक शहर है। यह खानदेश और उत्तरी महाराष्ट्र क्षेत्र से संबंधित है। यह नासिक डिवीजन का है। यह जिला मुख्यालय, नाशिक से पूर्व की ओर 71 KM दूर स्थित है। यह तालुका हेड क्वार्टर है।
चंदवाड पिन कोड 423101 है और डाक प्रधान कार्यालय चंदवाड़ है।
कालामदरे (4 KM), गनूर (5 KM), मंगरूल (5 KM), पथशर्म्बे (5 KM), निम्गावन (6 KM) चंदवाड़ के नजदीकी गांव हैं। चंदवाड़ उत्तर की ओर देओला तालुका से घिरा है, दक्षिण की ओर निफ़ाद तालुका, दक्षिण की ओर येओला तालुका, पश्चिम में कलवन तालुका।
मनमाड, सतना, मालेगाँव, येवला चंदवाड़ के नजदीकी शहर हैं।
चंदवाड़ की जनसांख्यिकी
मराठी यहां की स्थानीय भाषा है।
चंदवाड़ में राजनीति
चंदवाड़ के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) हज़रत जुम्मन शाह बुखारी उर्दू हाई स्कूल चंदवाड़ साउथ नॉर्थ बिल्डिंग रूम नंबर 1 बाय नॉर्थ
२) हज़रत जुम्मन शाह बुखारी उर्दू हाई स्कूल चंदवाड़ साउथ नॉर्थ बिल्डिंग रूम नंबर २ बाय साउथ
3) ग्राम पंचायत कार्यालय बोरले (बैठक हॉल)
4) हज़रत जुम्मन शाह बुखारी उर्दू हाई स्कूल चंदवाड़ पूर्व पश्चिम भवन आंगनवाड़ी कक्ष संख्या 1
५) जनता विद्यालय पूर्व पश्चिम भवन कक्ष संख्या ५
चंदवाड़ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
बीजेपी, एनसीपी, आईएनसी, एसएचएस, चंदवाड़ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
चंदवाड़ विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
चंदवाड़ देओला
चंदवाड़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2014 जनरल डॉ। एहीर राहुल दुलतराव बीजेपी 54946 = 11161 कोतवाल शिरीषकुमार वसंतराव कांग्रेस .3785
2009 जनरल कोतवाल शिरीष कुमार वसंतराव कांग्रेस  57655 = 18310 भालेराव उत्तम (बाबा) गणपत एनसीपी 39345
2004 जनरल उत्तम (बाबा) गणपत भलेगाँव एनसीपी 50953 19431 पवार रत्नाकर ज्ञानदेव एसएचएस  31522
1999 जनरल कोतवाल शिरीष कुमार वसंतराव एनसीपी 61333 21864 कासलीवाल जयचंद दीपचंद बीजेपी 46469
1995 जनरल कासलीवाल जयचंद दीपचंद भाजपा 45488 1805 कोतवाल शिरीषकुमार वसंतराव कांग्रेस  43683
1990 जनरल कासलीवाल जयचंद दीपचंद भाजपा 39514 10250 कोतवाल शिरीकुमार वसंतराव कांग्रेस  29264
1985 जनरल कासलीवाल जयचंद दीपचंद भाजपा 29659 6038 गायकवाड़ नारायण काशीराम कांग्रेस  23621
1980 जनरल गायकवाड़ नारायण काशीराम कांग्रेस  22027 3337 ठाकरे नरहर करबहर आईएनसी (यू) 18690
1978 जनरल दवखर किसनराव दामोदर JNP 23168 2332 देवर गयंदो तुकाराम आरपीआई  20836
कैसे पहुंचें चंदवाड़
रेल द्वारा
10 किमी से कम दूरी में चंदवाड़ के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। मनमाड जंक्शन रेल वे स्टेशन (मनमाड के पास), पनवाड़ी रेल वे स्टेशन (मनमाड के पास), नासिक रोड रेल वे स्टेशन (नासिक के निकट) रेल मार्ग स्टेशन हैं जो कस्बों के निकट से आने योग्य हैं।
रास्ते से
मनमाड, सतना, नासिक, चंदवाड़ के निकट सड़क संपर्क वाले चंदवाड़ के पास हैं
शहरों के पास
मनमाड 24 KM 
सतना 31 KM 
मालेगांव 44 KM 
येवला 45 KM 
तालुकों के पास
चंदवाड़ 8 KM 
देओला 15 KM 
पास में निफद 35 के.एम.
येओला 41 KM 
एयर पोर्ट्स के पास
गांधीनगर एयरपोर्ट 68 KM 
चिक्कलथाना हवाई अड्डा 146 KM 
लोहेगांव हवाई अड्डा 221 KM 
छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 222 KM 
पर्यटक स्थलों के पास
नासिक 67 KM 
शिरडी 72 KM
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी