सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
अनीता घुरतलहरे
पद :
जिला प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
जांजगीर चापा
निवास :
वार्ड नं 12
नगर/ब्लॉक :
बरतुंगा
जनपद :
जांजगीर चांपा
राज्य :
छत्तीसगढ़
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना, मेरा गाँव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान फोटो परियोजना , डिजिटल विजिटिंग कार्ड प्रोजेक् के  कार्य हेतु अनीता घुरतलहरे जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक जांजगीर चापा के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, निदेशक अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर 4 ,4  वोलिन्टर १५ दिन में नियुक्त करने का अधिकार देते हैं, संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  
मेहनाज़ अंसारी  
विवरण :
introduction
Name: Anita Ghritlahare
Designation : District Project Incharge 
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Nominated : Janjgir_Champa
adress : h.n. 217, ambedkar mohalla ward no. 12 bartunga, deorghata janjgir-champa , chhattisgarh 495688
Mobail No : 6263274263
Locality Name : Bartunga 
Tehsil Name : Dabhara
District : Janjgir-champa 
State : Chattisgarh 
Language : Chhattisgarhi and Hindi 
Current Time 11:56 PM 
Date: Wednesday , Aug 07,2019 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 07758 
Vehicle Registration Number:CG-11 
RTO Office : Janjgir-Champa 
Assembly constituency : Chandrapur assembly constituency 
Assembly MLA : yudhvir singh judev 
Lok Sabha constituency : Janjgir-Champa parliamentary constituency 
Parliament MP : GUHARAM AJGALLEY 
Serpanch Name : Vineetasidar 
Pin Code : 495688 
Post Office Name : Dabhra
निवास स्थान बार्टुंगा के बारे में
बार्टुंगा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चम्पा जिले में डभरा तहसील का एक गाँव है। यह जिला मुख्यालय, जांजगीर से पूर्व की ओर 34 KM दूर स्थित है। धभरा से 14 कि.मी. राज्य की राजधानी रायपुर से 194 कि.मी.
बारटुंगा पिन कोड 495688 है और डाक प्रधान कार्यालय डभरा है।
बदमुदपर (2 KM), सुखदा (3 KM), परसा (3 KM), बोडसागर (4 KM), किरारी (4 KM) पास के गांव हैं, जो बार्टुंगा में हैं। बरतुंगा उत्तर की ओर खरसिया तहसील, दक्षिण की ओर डभरा तहसील, पश्चिम की ओर जयजयपुर तहसील, उत्तर की ओर सक्ती तहसील से घिरा हुआ है।
सक्ती, रायगढ़, चंपा, नैला जांजगीर शहर के पास बारुंगा से हैं।
बार्टुंगा 2011 की जनगणना विवरण
बार्टुंगा स्थानीय भाषा छत्तीसगढ़ी है। बार्टुंगा ग्राम कुल जनसंख्या 2149 है और घरों की संख्या 538 है। महिला जनसंख्या 50.1% है। ग्राम साक्षरता दर 63.6% और महिला साक्षरता दर 27.9% है।
आबादी
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा 2011
कुल जनसंख्या 2149
मकान संख्या 538 की कुल संख्या
महिला जनसंख्या% 50.1% (1076)
कुल साक्षरता दर 63.6% (1366)
महिला साक्षरता दर 27.9% (599)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 3.8% (81)
अनुसूचित जाति की जनसंख्या% 52.7% (1132)
कार्य जनसंख्या% 44.6%
बाल (0 -6) जनसंख्या 2011 266 तक
बालिका (0 -6) जनसंख्या% 2011 तक 44.0% (117)
बार्टुंगा में राजनीति
भाजपा, राकांपा इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
बार्टुंगा के पास मतदान केंद्र / बूथ
१) बारापिप्र ०
2) बारातुंगा 02 ~ के
3) दर्री 91
4) Sarasdol
5) Satgarh
चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
डभरा मलखरौदा
चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2013 जनरल युधवीर सिंह जूदेव बीजेपी 51295 = 6217 राम कुमार यादव  45078
2008 जनरल श्री युधवीर सिंह जूदेव भाजपा 48843 = 17290 उपन्यास कुमार वर्मा राकांपा 31553
2003 जनरल श्री उपन्यास कुमार एनसीपी 31929 = 12431 कृष्णकांत चंद्रा बीजेपी  19498
बार्टुंगा कैसे पहुंचें
रेल द्वारा
10 किमी से कम दूरी पर बार्टुंगा के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
शहरों के पास
सक्ती 20 KM 
रायगढ़ 32 KM 
चंपा 51 KM 
नैला जांजगीर 61 KM 
तालुकों के पास
मलखरौदा 9 KM 
खरसिया 13 KM 
डभरा 13 KM 
जयजयपुर 24 KM 
एयर पोर्ट्स के पास
रायपुर एयरपोर्ट 178 KM 
रांची एयरपोर्ट 312 KM 
जबलपुर एयरपोर्ट 375 KM
भुवनेश्वर हवाई अड्डा 378 
पर्यटक स्थलों के पास
रायगढ़ 36 KM के पास
जांजगीर 59 KM के पास
कोरबा 72 KM 
जांजगीर-चांपा 75 KM
हीराकुद 104 KM 
जिले के पास
जांजगीर-चांपा 32 KM 
रायगढ़ 36 KM
कोरबा 70 KM
बरगढ़ 94 KM 
रेल्वे स्टेशन के पास
खरसिया रेल मार्ग स्टेशन 11 KM
शक्ति रेल मार्ग स्टेशन 19 KM
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी