सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
सिकंदर सिंह
पद :
जिला प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
बाँदा
निवास :
टोला काजी
नगर/ब्लॉक :
बबेरू
जनपद :
बाँदा
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना, मेरा गाँव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान फोटो परियोजना , डिजिटल विजिटिंग कार्ड प्रोजेक्ट कार्य हेतु सिकंदर सिंह जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक बाँदा उत्तर प्रदेश के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, निदेशक अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर 4 ,4  वोलिन्टर 15 दिन में नियुक्त करने का अधिकार देते हैं,सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा, 
 मेहनाज़ अंसारी  
विवरण : Name: Sikandar Singh
Designation : District Project Incharge
Nominated : Banda
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Mobail No : 8840141743
Adress :-
Panchayt Name : Tola Kajee 
Block Name : Baberu
District : Banda 
State : Uttar Pradesh 
Division : Chitrakoot 
Language : Hindi and Urdu, Bundeli 
Current Time 07:17 PM  
Date: Tuesday , Aug 13,2019 (IST)  
Telephone Code / Std Code: 05190 
Vehicle Registration Number:UP-90 
RTO Office : Banda 
Assembly constituency : Baberu assembly constituency 
Assembly MLA : vishambhar singh 
Lok Sabha constituency : Banda parliamentary constituency 
Parliament MP : R.K. SINGH PATEL 
gram prdhan Name : Shanti Mobail No. 9559098365
Pin Code : 210121 
Post Office Name : Baberu

जन्म स्थान टोला काजी के बारे में
भारत और पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, टोला काजी गाँव का प्रशासन ग्राम प्रधान  द्वारा किया जाता है, जो गाँव का प्रतिनिधि होता है।
ग्राम पंचायत टोला काजी चुनाव 2015 में कुल मतदाता संख्या 2550 थी और कुल मत मत संख्या 2002 में से ग्राम प्रधान माननीय शांति जी को कुल मत 402 (20.4) मत प्राप्त  हुआ।
2 - उमा = 277 (14.05) मत प्राप्त करें दूसरे स्थान को 175 मतों से हराकर ग्राम प्रधान पद पर चुनाव जीता
3 - आशा देवी = 262  (13.29) मत पाकर तीसरे स्थान पर जमानत जब्त रहे 
टोला काजी उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के बांदा जिले में बबेरू ब्लॉक का एक गाँव है। यह चित्रकूट डिवीजन का है। यह जिला मुख्यालय बांदा से पूर्व की ओर 51 KM की दूरी पर स्थित है। बबेरू देहात से 10 कि.मी. राज्य की राजधानी लखनऊ से 156 कि.मी.

टोला काजी पिन कोड 210121 है और डाक प्रधान कार्यालय बबेरू है।

समसुद्दीनपुर (3 KM), निबहौरा (3 KM), जलालपुर (4 KM), पिंडरान (5 KM), मिया बरौली (5 KM) टोला काजी के निकटवर्ती गाँव हैं। टोला काजी उत्तर की ओर असोथर ब्लॉक, उत्तर की ओर बहुआ ब्लॉक, पश्चिम की ओर टिंडवारी ब्लॉक, पूर्व की ओर कमासिन ब्लॉक से घिरा हुआ है।

फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर शहरों के निकट टोला काजी हैं।

टोला काजी 2011 की जनगणना विवरण
टोला काजी स्थानीय भाषा हिंदी है। टोला काजी ग्राम कुल जनसंख्या 2996 है और घरों की संख्या 537 है। महिला जनसंख्या 46.9% है। ग्राम साक्षरता दर 52.3% और महिला साक्षरता दर 18.6% है।
आबादी
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा
कुल जनसंख्या 2996
मकान संख्या 537 की कुल संख्या
महिला जनसंख्या 46.9% (1405)
कुल साक्षरता दर 52.3% (1567)
महिला साक्षरता दर 18.6% (558)
अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या% 0.0% (0)
अनुसूचित जाति की जनसंख्या 9.3% (280)
कार्य जनसंख्या% 35.8%
2011 543 तक बाल (0 -6) जनसंख्या
बालिका (0 -6) जनसंख्या% 2011 तक 46.0% (250)

टोला काजी में राजनीति
भाजपा, सपा, बसपा इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
टोला काजी के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) Pr.vi। निबहुर कमरा नंबर -1
२) कन्या प्र। Vi। पारसौली -ii कमरा नंबर -2
३) कन्या प्र। Vi। पिंडरन कमरा नंबर -1
4) पीआर। Vi। समगरा कमरा नंबर -2
5) पीआर। Vi.daftara
बबेरू विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
बबेरू बिसंडा कमसिन
बबेरू विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012  विशम्भर सिंह सपा 41642 = 1148 बृजमोहन सिंह बसपा 40494
2007  विशम्भर सिंह यादव सपा 32568 = 174 गया चरण दिनकर बसपा  32394
2002  गया चरण दिनकर बीएसपी 43530 = 9820 राम ऑटार एस / ओ गौरी शंकर एसपी 33710
1996  शिव शंकर भाजपा 37406 = 1177 गया चरण दिनकर बसपा 36229
1993  गया चरण दिनकर बीएसपी 35409 = 2328 कृष्ण कुमार भाजपा 33081
1991  गया चरण दिनकर बीएसपी 22295 = 9378 अयोध्या सिंह बीजेपी  12917
1989  देवकुमार यादव कांग्रेस 24829 = 8152 गया चरण दिनकर बीएसपी  16677
1985  देव कुमार यादव  19478 = 578 देशराज सिंह कांग्रेस 18900
1980  रामेश्वर प्रसाद कांग्रेस 42095 = 22671 देव कुमार यादव CPI 19424
1977  डीओ कुमार सीपीआई 35905 =  6610 अयोध्या प्रसाद सिंह जेएनपी 29295
1974 जनरल देव कुमार CPI 33336 =14350 जब्बार सिंह BJS 18986
1969 जनरल दुर्जन CPI 22977 = 6511 अर्जुन सिंह कांग्रेस 16466
1967  D.Singh कांग्रेस 19012 = 180 Durjan भाकपा 18832
1962  देशराज आईएनडी 11,049 = 3800 भागवत भाकपा 7249
1957  राम सनेही  कांग्रेस 13166 = 7313 जागेश्वर पीएसपी 5853
1951  राम सनेही कांग्रेस 7995 = 59 जागेश्वर 7936
कैसे पहुचें टोला काजी
रेल द्वारा
10 किमी से कम में टोला काजी के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
शहरों के पास
फतेहपुर 34 KM
बांदा 49 किलोमीटर 
चित्रकूट 62 KM 
हमीरपुर 74 KM
तालुकों के पास
बबेरू 10 KM 
आसोथर 12 KM 
बहुआ 21 KM 
टिंडवारी 24 KM 
एयर पोर्ट्स के पास
कानपुर एयरपोर्ट 98 KM 
बमरौली एयरपोर्ट 117 KM 
खजुराहो हवाई अड्डा 138 KM 
अमौसी एयरपोर्ट 138 KM 
पर्यटक स्थलों के पास
कौशाम्बी 85 KM 
कालिंजर 86 KM 
रायबरेली 91 किलोमीटर 
अजैगढ़ 107 KM 
कानपुर 107 KM 
जिले के पास
फतेहपुर 36 KM 
बांदा 49 किलोमीटर 
चित्रकूट 71 KM 
हमीरपुर जिला 74 KM 
रेल्वे स्टेशन के पास
फतेहपुर रेल मार्ग स्टेशन 33 KM 
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी