सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
आर. सी. कुशवाहा
पद :
जिला प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
देवरिया
निवास :
भेरीया/चेरो
नगर/ब्लॉक :
सलेमपुर
जनपद :
देवरिया
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
 प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना, मेरा गाँव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान फोटो परियोजना , डिजिटल विजिटिंग कार्ड प्रोजेक्ट मानोदय शिक्षण ट्रस्ट पंजीकृत कार्यालय भेड़िया चेरों, ब्लॉक सलेमपुर जिला देवरिया उत्तर प्रदेश को देवरिया जिले के कार्य हेतु अनुबंधित कर आर सी कुशवाहा जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक देवरिया के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, 
कार्यदायी संस्था अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर 4,4  ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज नियुक्त कर स्कूल, पंचायत स्तर पर कार्य कराकर छात्र, ग्रामीण नागरिकों को आर्थिक विकास में अपना पूर्ण योगदान देंगी ऐसी आशा एवं कामना करते है, सामाजिक कार्यों हेतु संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  
मेहनाज़ अंसारी  
जनरल सेक्रेटरी 
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 
विवरण :
introduction
Name : RC Kushwaha 
Designation : District Project Incharge
Nominated : Deoria
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Mobail No : 73981 02896
Adress :- Bheria
Panchayt Name : Chero
Block Name : Salempur
District : Deoria 
State : Uttar Pradesh 
Division : Gorakhpur 
Language : Hindi and Urdu, Bhojpuri 
Current Time 09:12 PM 
Date: Thursday , Aug 29,2019 (IST) 
Vehicle Registration Number:UP-52 
RTO Office : Deoria 
Telephone Code / Std Code: 05566 
Assembly constituency : Salempur assembly constituency 
Assembly MLA : Kali Prshad BJP
Lok Sabha constituency : Salempur parliamentary constituency 
Parliament MP : RAVINDER Kushwaha
prdhan Name : Sushila 7388692878
Pin Code : 274509 
Post Office Name : Salaempur
 
देवरिया जिले के बारे में
देवरिया जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 75 जिलों में से एक है। देवरिया जिला प्रशासनिक हेड क्वार्टर देवरिया है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर 331 KM पश्चिम में स्थित है। देवरिया जिले की जनसंख्या 3098637 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 32 वां सबसे बड़ा जिला है।
 
भूगोल और जलवायु देवरिया जिला
यह अक्षांश -26.5, देशांतर -83.7 पर स्थित है। देवरिया जिला गोपालगंज जिले के साथ पूर्व में, सीवान जिले के पूर्व में, गोरखपुर जिले के पश्चिम में, उत्तर में कुशीनगर जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। यह बिहार राज्य के साथ पूर्व की ओर सीमा साझा कर रहा है। देवरिया जिले का क्षेत्रफल लगभग 2535 वर्ग किलोमीटर है। । इसकी 82 मीटर से 68 मीटर की ऊंचाई सीमा में है। यह जिला हिंदी बेल्ट इंडिया से संबंधित है।
 
देवरिया जिले का डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू, भोजपुरी बोलते हैं। देवरिया जिले को 16 ब्लॉक, पंचायत, 3480 गांवों में बांटा गया है।
 
देवरिया जिले की जनगणना 2011
देवरिया जिले की कुल जनसँख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 3098637 है। पैमाने 1539313 हैं और महिलाओं की संख्या 1559324 है। कुल मिलाकर लोग 2050058 हैं। कुल क्षेत्रफल 2535 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 32 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य के 45 सबसे बड़े जिले बाय एरिया। देश में जनसंख्या के हिसाब से 113 सबसे बड़ा जिला। राज्य में साक्षरता दर से 22 सबसे अधिक जिला है। देश में 301 सेंट उच्चतम जिला साक्षरता दर से है। साक्षरता दर 73.53 
 
देवरिया में ब्लाकों की सूची
1-बैतालपुर 
2-बंकाटा 
3-बरहज 
4-भागलपुर 
5-भलुअनी 
6-भटनी 
7-भाटपार रानी 
8-देवरिया 
9-देसाई देवरिया 
10-गौरी बाजार 
11-लर 
12-पथार देवा 
13-रामपुर करखना 
14-रुद्रपुर 
15-सलेमपुर 
16-तरकलुआ
 
देवरिया जिले में राजनीति
भाजपा, SBSP, सपा, BSP, INC, देवरिया जिले के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
देवरिया जिले में विधानसभा क्षेत्र
देवरिया जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र।
रुद्रपुर जय प्रकाश  भाजपा
देवरिया जनमेजय सिंह भाजपा
पथरदेवा सूर्य प्रताप बीजेपी
रामपुर करखाना कमलेश शुक्ला भाजपा
भाटपार रानी आशुतोष एस.पी.
सलेमपुर कालीचरण प्रसाद उर्फ़ काली प्रसाद भाजपा
बरहज सुरेश तिवारी BJP
 
देवरिया जिले में संसद क्षेत्र
देवरिया जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
देवरिया RAMAPATI RAM TRIPATHI भारतीय जनता पार्टी
सलेमपुर रविन्दर भारतीय जनता पार्टी
बांसगांव कमलेश पासवान भारतीय जनता पार्टी
 
देवरिया परिवहन
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय देवरिया सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस जिले में लार, देवरिया, रुद्रपुर प्रमुख कस्बों और दूरदराज के गांवों से सड़क संपर्क हैं। देवरिया लखनऊ से लगभग 331 KM दूर उत्तर प्रदेश की राजधानी है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन देवरिया सदर, भटनी जंक्शन, सलेमपुर जंक्शन, बेल्थारा रोड, भाटपार रानी, ​​लार रोड, गौरी बाजार, नुनखर .... हैं जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से लेकर शहरों और गांवों तक बसें चलाती है।
 
शहरों के पास
देवरिया 1 KM 
रुद्रपुर 20 KM 
लार 43 KM 
पडरौना 54 KM 
 
एयर पोर्ट्स के पास
गोरखपुर एयरपोर्ट 47 KM 
वाराणसी एयरपोर्ट 167 KM 
पटना एयरपोर्ट 185 KM 
गया एयरपोर्ट 255 KM 
 
जिले के पास
देवरिया 0 KM 
कुशीनगर 32 KM 
गोरखपुर 55 KM 
 
रेल्वे स्टेशन के पास
देवरिया सदर रेल मार्ग स्टेशन 0.4 KM 
अहिल्यापुर रेल मार्ग स्टेशन 7.5 KM 
गौरी बाजार रेल मार्ग स्टेशन 16 KM 
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी