सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
हरि पाल सिंह
पद :
जिला कोऑर्डिनेटर डिजिटल प्रोजेक्ट
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
बदायूँ
निवास :
भीमनगर कालोनी परतापुर
नगर/ब्लॉक :
नगर निगम बरेली
जनपद :
बरेली
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित डिजिटल विजिटिंग कार्ड प्रोजेक्ट जन कल्याण सेवा ट्रस्ट ,ग्राम ामौर ब्लॉक शाही जिला बरेली उत्तर प्रदेश को बदायूं  जिले के कार्य हेतु अनुबंधित कर हरिपाल सिंह जी को जिला कॉर्डिनेटर डिजिटल प्रोजेक्ट बदायूँ के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, 
कार्यदायी संस्था अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक पर 2 ,2   ब्लॉक कॉर्डिनेटर नियुक्त कर समिति द्वारा कार्य के आधार पर उपलब्ध कराई गयी धनराशि से ब्लॉक कॉर्डिनेटर को मानदेय नियमानुसार कार्यदायी संस्था द्धारा वितरण किया जायेगा महिला पुरुषों से पंचायत स्तर पर कार्य कराकर छात्र, ग्रामीण नागरिकों को आर्थिक विकास में अपना पूर्ण योगदान देंगी ऐसी आशा एवं कामना करते है, सामाजिक कार्यों हेतु संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  
मेहनाज़ अंसारी  
जनरल सेक्रेटरी 
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 

विवरण :
introduction
Name : Mr. Haripal Singh 
Designation : District Coordinator Digital Project
Nominated : Budaun
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contact : 7983080206
Contracted Work :  Digital Vigiting Card Project 
associate institution : Jan Kalyan Sewa Trast Bareilly 
Adress : Opp. P.C.O. bheem Nagar Colony
Partapur Choudhry  
Nagar Nigam : Bareilly
District : Bareilly 
State : Uttar Pradesh 
Division : Bareilly 
Language : Hindi and English, Urdu, Punjabi, And Kumaoni 
Current Time 10:48 PM 
Date: Wednesday , Sep 04,2019 (IST) 
Vehicle Registration Number:UP-25 
RTO Office : Bareilly 
Telephone Code / Std Code: 0581 
Ward : Ward 
Assembly constituency : Bareilly assembly constituency 
Assembly MLA : dr. arun kumar 
Lok Sabha constituency : Bareilly parliamentary constituency 
Parliament MP : SANTOSH KUMAR GANGWAR 
Pin Code : 243122 
Post Office Name : Rajendra Nagar (Bareilly)
Main Village Name : Izatnagar 
 
बदायूं जिले के बारे में
बदायूं जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 71 जिलों में से एक है। बदायूं जिला प्रशासनिक प्रमुख चौथाई बदायूं है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर 261 KM पूर्व में स्थित है। बदायूं जिले की आबादी 3712738 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है।
भूगोल और जलवायु बदायूं जिला
यह अक्षांश -28.0, देशांतर -79.1 पर स्थित है। बदायूं जिला उत्तर में बरेली जिले, पश्चिम में बुलंदशहर जिला, पश्चिम में कांशीराम नगर जिला, उत्तर में मुरादाबाद जिला, उत्तर में रामपुर जिला, पूर्व में शाहजहाँपुर जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। बदायूं जिले का क्षेत्रफल लगभग 5168 वर्ग किलोमीटर है। । इसकी 193 मीटर से 161 मीटर की ऊंचाई सीमा है। यह जिला हिंदी बेल्ट इंडिया से संबंधित है।
बदायूं जिले का डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू बोलते हैं। बदायूं जिला 16 ब्लॉक, पंचायत, 2461 गांवों में विभाजित है।
बदायूं जिले की जनगणना 2011
2011 की जनगणना के अनुसार, बदायूं जिले की कुल जनसंख्या 3712738 है। 1997-169 की जनसंख्या है और महिलाओं की संख्या 1515569 है। कुल मिलाकर लोगों की संख्या 2456347 है। कुल क्षेत्रफल 5168 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य में 7 सबसे बड़ा जिला बाय एरिया। देश के 71 सबसे बड़े जिले जनसंख्या के हिसाब से। राज्य में साक्षरता दर से 66 वाँ सबसे ऊँचा जिला। देश में 601 सेंट उच्चतम जिला साक्षरता दर से है। साक्षरता दर 52.91 है
बदायूं में ब्लॉक की सूची
1 अम्बियापुर 
2 आसफ़पुर 
3 बिसौली  राजेश कुमार ब्लॉक कोऑर्डिनेटर
4           जुबैर अंसारी बदायूँ कोऑर्डिनेटर
5 दहगवां 
6 दातागंज  सोनू सागर  ब्लॉक कोऑर्डिनेटर 
7 इस्लामनगर 
8 जगत 
9 म्याऊं 
10 क़दर चौक 
11 राजपुरा 
12 सहसवान 
13 सलारपुर 
14 समरेर  
15 उझानी संजीव कुमार ब्लॉक कोऑर्डिनेटर
16 वज़ीरगंज
बदायूं  जिले में राजनीति
भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, बदायूं जिले के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
बदायूं जिले में विधानसभा क्षेत्र
बदायूं जिले में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र।
1-बिसौली कुशाग्र सागर बीजेपी  7060104567
2-सहसवान ओमकार सिंह एसपी  9458500750
3-बिल्सी पंडित आर. के. शर्मा  बीजेपी  8006160000
4-बदायू महेश चंद्र गुप्ता  बीजेपी  9415607320
5-शेखपुर धर्मेंद्र कुमार सिंह शाक्य बीजेपी  9719684515
6- राजीव सिंह  बीजेपी  9412295100
बदायूं जिले में संसद क्षेत्र
बदायूं जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
संभल डॉ. शफीकुर रहमान BARQ समाजवादी पार्टी
आंवला धर्मेंद्र कश्यप भारतीय जनता पार्टी
बदायूँ  डॉ. संघमित्रा मौर्य भारतीय जनता पार्टी
बदायूँ परिवहन
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय बदायूं सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नरौरा, बदायूं, चंदौसी, सहसवान इस जिले के ऐसे शहर हैं जिनके प्रमुख शहरों और दूरदराज के गांवों से सड़क संपर्क है। लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) से सड़क मार्ग से बदायूं 261 KM दूर है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन चन्दौसी जंक्शन, बडौन, डबतारा, बबराला, उझानी, करेंगई, आसफपुर, संभल हातिम सराय .... हैं, जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से लेकर शहरों और गांवों तक बसें चलाती है।
 
शहरों के पास
बदायूं 1 KM 
उझानी 41 KM 
सहवार 41 KM 
सहसवान 41 KM 
 
एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर एयरपोर्ट 130 KM 
खेरिया एयरपोर्ट 167 KM 
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 230 KM
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 236 KM 
 
जिले के पास
बदायूँ 0 KM के पास
बरेली 53 KM के पास
कांशीराम नगर 59 KM 
एटा 77 किमी 
 
रेल्वे स्टेशन के पास
बदायूं रेल मार्ग स्टेशन 1.9 KM
शेखूपुर रेल मार्ग स्टेशन 3.6 KM 
आंवला रेल मार्ग स्टेशन 33 KM 
बरेली जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 49 KM 
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी