सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
अब्दुल कादिर
पद :
जिला प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
बहराइच
निवास :
वार्ड नं 26
नगर/ब्लॉक :
नगर पालिका परिषद बहराइच
जनपद :
बहराइच
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना प्रोजेक्ट पर कार्य हेतु श्री अब्दुल कादिर जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक बहराइच उत्तर प्रदेश के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, निदेशक अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर 4 ,4  वॉलिंटर 15 दिन में नियुक्त कर नियमानुसार ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज को जीवनयापन हेतु  कार्य के आधार पर मानदेय उपलब्ध कराएंगे,
 समिति के सामाजिक कार्यों हेतु समाज द्वारा संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा, 
मेहनाज़ अंसारी  
जनरल सेक्रेटरी 
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 
विवरण : introduction
Name: Mr. Abdul Qadir
Designation: District Project Incharge
Nominated : Bahraich
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera School Meri Pahchan Photo Pariyojna
Mobail No: 97210 50233
Adress : 38, chitrshala takies, shakhaiyyapura
Nagar Palika Parishd : Bahraich
District : Bahraich
State : Uttar Pradesh
Division : Devipatan
Language : Hindi and Urdu, Awadhi
Current Time 09:41 PM
Date: Friday , Sep 13,2019 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05252
Vehicle Registration Number: UP-40
RTO Office: Bahraich
Assembly constituency : Bahraich assembly constituency
Assembly MLA :
Lok Sabha constituency : Bahraich parliamentary constituency
Parliament MP : AKSHAIBAR LAL
Ward no. 26 Membar Name: Sadhana 9839923415
Pin Code : 271801
Post Office Name : Bahraich

बहराइच जिले के बारे में
बहराइच जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 73 जिलों में से एक है।बहराइच जिला प्रशासनिक प्रमुख चौथाई बहराइच है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर से 121 KM दक्षिण में स्थित है। बहराइच जिले की जनसंख्या 3478257 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 23 वां सबसे बड़ा जिला है।
भूगोल और मौसम बहराइच जिला
यह अक्षांश -27.5, देशांतर -81.5 पर स्थित है। बहराइच जिला दक्षिण में गोंडा जिले, पश्चिम में खीरी जिला, पूर्व में श्रावस्ती जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। बहराइच जिला लगभग 4696.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है। । 145 मीटर से 112 मीटर की ऊंचाई वाली रेंज में इसका स्थान है। यह जिला हिंदी पट्टी भारत से संबंधित है।
बहराइच जिले के डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहाँ की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू, अवधी बोलते हैं। बहराइच जिला 15 ब्लॉक, पंचायत, 6706 गांवों में विभाजित है।
बहराइच जिले की तहसीलें
बहराइच, कैसरगंज, (तहसील), बहराइच, नानपारा, (तहसील), बहराइच, महसी (तहसील), बहराइच, पयागपुर (तहसील) बहराइच
बहराइच जिले के ब्लाकक
हुजूरपुर, शिवपुर, महसी, फखरपुर, जरवल कस्बा, पयागपुर, कैसरगंज, तजवापुर, नवाबगंज, चित्तौरा, मिस्टरपुरवा, विशेश्वरगंज, रिसाय, बलहा।
इतिहास
बहराइच को भगवान ब्रह्मा की धरती भी कहा जाती है। बहुरिच का पुराना नाम भरुराच था ।जो भर / राजभर राजाओ का साम्राज्य हुवा करता था। बहराइच के चकदा डीहारा सुहेलदेव राजभर जी का किला था।
व्यापार
बहराइच नेपाल के साथ होने वाले व्यापार सहित कृषि उत्पाद और अगती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहां चीनी की मिलें भी हैं।
कृषि
इसके आसपास के कृषि क्षेत्र में धान, मकई, गेहूँ और चना (सफ़ेद चना) उगाया जाता है। यहां गन्ना भी मुख्य रूप से उगाया जाता है।
अलग जगह
सिद्धनाथ मंदिर पांडवल्ले मंदिर है जो बहराइच शहर के बीचोबीच स्थित है।
यहाँ वर्ष में 2 बड़े उत्सव - भाद्रपद में कजरीती और होली से पहले महाशिवरात्रि मनाए जाते हैं। इनमेंं दूर-दूर से भक्त काँवर यात्रा ले कर आती है और जलाभिषेक करते हैं।
दरगाह शरीफ़:
हिन्दू-मुस्लिम यहाँ सैयद सलार मसूद की मज़ार पर आते हैं, जो एक अफ़गानी राजकुमार थे। उसकी मृत्यु यहीं 1033 इस्वी में हुई थी। दरगाह गाजी सैयद सालार मसूद घंटाघर गगनचुम्बी इमारत है।
कतरनिया घाट: सरकार द्वारा घोषित संरक्षित क्षेत्र है।
यहांँ पर गोलवा घाट पुल के पास ही एक मरीमाता मंदिर भी है।
यहां से नेपाल बॉर्डर भी है
बहराइच जिले की जनगणना 2011
जनगणना 2011 के अनुसार निकाइच जिले की कुल जनसंख्या 3478257 है। यहाँ की जनसंख्या 1839374 है और महिलाओं की संख्या 1638883 है। कुल मिलाकर लोग 2301215 हैं। कुल क्षेत्र 4696.8 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 23 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य के 10 सबसे बड़े जिले बाय एरिया। जनसंख्या के हिसाब से देश का 90 वां सबसे बड़ा जिला। राज्य में साक्षरता दर से 68 वाँ सबसे ऊँचा जिला। साक्षरता दर के हिसाब से देश में 606 वें सबसे ऊंचा जिला है। साक्षरता दर्रा 51.1 है

बहराइच जिले में राजनीति
बहराइच जिले में भाजपा, BjP, सपा, BSP, INC प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
बहराइच जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र हैं।
केसरगंज मुकुट बिहारी भाजपा 9415036618
बाला अक्षयवरलाल भाजपा 9415054009
नानपारा माधुरी वर्मा भाजपा 8765954982
मटेरा यासर शाह सपा 9838111786
महासी श्रीशवर सिंह भाजपा 9415036649
बहराइच श्रीमती अनुपमा जायसवाल भाजपा 9839906175
पयागपुर सुभाष त्रिपाठी बीजेपी  9415172828

बहराइच जिले में संसद क्षेत्र
बहराइच जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
बहराइच AKSHAIBAR LAL भारतीय जनता पार्टी
कैसरगंज बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी
श्रावस्ती राम शिरोमणि बहुजन समाज पार्टी

सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय बहराइच सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नानपारा, बहराइच इस जिले के प्रमुख शहर और गांवों के गाँवों से सड़क संपर्क हैं। निकासीाइ लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क मार्ग से लगभग 121 KM दूर है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन जारवाल रोड, नानपारा जंक्शन, मटेरा, बहराइच, रिसिया, बाबागंज, घाघरा घाट, नेपालगंज रोड हैं ... जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को चिह्नित करता है।
परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से शहरों और गांवों तक बसें चली जाती है।
शहरों के पास
निकासी 1 KM
नानपारा 37 के.एम.
बलरामपुर 66 कि.मी.
लहरपुर 78 KM

एयर पोर्ट्स के पास
अमौसी टर्मिनल 128 के.एम.
कानपुर टर्मिनल 197 के.एम.
गोरखपुर टर्मिनल 229 कि.मी.
बमरौली इंजन 266 KM

जिले के पास
निकासी KM के.एम.
श्रावस्ती 48 किमी
बलरामपुर 66 कि.मी.
गोंडा 68 के.एम.

रेल्वे स्टेशन
बहराइच रेल मार्ग स्टेशन 0.9 KM
कर्नलगंज रेल मार्ग स्टेशन 56 कि.मी.
जरवल रोड रेल मार्ग स्टेशन 57 KM
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी