सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
संजय मोहन
पद :
ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
चम्बा
निवास :
बदशाही थौल
नगर/ब्लॉक :
नगर परिषद: टिहरी गढ़वाल
जनपद :
टिहरी गढ़वाल
राज्य :
उतराखण्ड
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना पर कार्य करने हेतु श्री संजय मोहन को ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज चम्बा (टिहरी गढ़वाल) उत्तराखंड के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, 
जिला निदेशकअपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक पर 4,4  ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज नियुक्त कर समिति द्वारा कार्यानुसार उपलब्ध कराई गयी धनराशि से ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज को मानदेय नियमानुसार वितरण करें, महिला पुरुषों से पंचायत स्तर पर कार्य कराकर छात्र, ग्रामीण नागरिकों को आर्थिक विकास में अपना पूर्ण योगदान करेंगे एवं डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को जागरूक कर राष्ट्र निर्माण में अपना पूर्ण योगदान देंगे ऐसी आशा एवं कामना करते है, 
समाज द्वारा सामाजिक कार्यों हेतु संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  
मेहनाज़ अंसारी  
(जनरल सेक्रेटरी )
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 
विवरण :
introduction
Name: Sanjay Mohan
Designation: Block Project Incharge
Nominated: Chamba (Tehri Garhwal)
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera School Meri Pahchan Photo Pariyojna
Mobail No: +91 9411174115
E-Mail Id: @ gmail.com
Adress: Near Junior High School Badshahi Thaul
Municipal Council: Tehri Garhwal
District : Tehri Garhwal
State : Uttarakhand
Language : Hindi and Urdu
Current Time 11:26 AM
Date: Tuesday , Sep 17,2019 (IST)
Telephone Code / Std Code: 01379
Vehicle Registration Number: UK-09
RTO Office: Tehri
Assembly constituency : Tehri assembly constituency
Assembly MLA : dhan singh negi
Lok Sabha constituency : Tehri Garhwal parliamentary constituency
Parliament MP : MALA RAJYA LAXMI SHAH
Serpanch Name : Serpanch Name 
चंबा ब्लॉक के बारे में
चम्बा उत्तराखंड राज्य, भारत के टिहरी गढ़वाल जिले में एक ब्लॉक है। चंबा ब्लॉक हेड क्वार्टर चंबा शहर है। यह जिला मुख्यालय टिहरी से दक्षिण की ओर 8 KM दूर स्थित है। राज्य की राजधानी देहरादून से पश्चिम की ओर 43 कि.मी.
 
चंबा ब्लॉक उत्तर की ओर नई टिहरी ब्लॉक, पूर्व की ओर जाखनिधर ब्लॉक, दक्षिण की ओर नरेंद्र नगर ब्लॉक, दक्षिण की ओर जाखोली ब्लॉक से घिरा हुआ है। चंबा शहर, टिहरी शहर, ऋषिकेश शहर, मसूरी शहर चंबा के नजदीकी शहर हैं।
यह 372 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।
चंबा, धनोल्टी (धोलाती), गढ़वाल, देवप्रयाग, ऋषिकेश (ऋषिकेश) महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के पास हैं।
चंबा ब्लॉक की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू बोलते हैं।
चंबा ब्लॉक में राजनीति
भाजपा, BJP, INC इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
चंबा ब्लॉक में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र हैं।
नरेंद्रनगर सुबोध उनियाल (कैबिनेट मंत्री) भाजपा
टिहरी धान सिंह नेगी IND
धनोल्टी प्रीतम सिंह पंवार बीजेपी
चंबा ब्लॉक कई संसद क्षेत्रों के अंतर्गत आता है। 
चंबा ब्लॉक में कुल 2 संसद क्षेत्र हैं।
गढ़वाल तीरथ सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी
टिहरी गढ़वाल माला राजसी लक्ष्मी शाह भारतीय जनता पार्टी
कैसे चंबा ब्लॉक पहुंचें
रेल द्वारा
10 किमी से कम दूरी में चंबा ब्लॉक के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
 
चंबा ब्लॉक के पिन कोड
249146 (गजजा), 249001 (टिहरी), 249175 (नरेंद्र नगर (टिहरी गढ़वाल)), 249199 (रानीचौरी), 249145 (चम्मा), 249141 (कीर्तिनगर), 249130 (V.K.Puram), 249122 (हिंडोलाखाल)
आस पास के शहर
चम्बा 0 KM 
टिहरी 8 KM 
ऋषिकेश 37 किलोमीटर
मसूरी 39 KM
 
तालुकों के पास 
चम्बा 0 KM 
नई टिहरी 5 KM 
जखनीधर 14 KM 
नरेंद्र नगर 15 किलोमीटर 
 
एयर पोर्ट्स 
देहरादून हवाई अड्डा 41 KM 
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 139 KM 
सिमला एयरपोर्ट 166 KM 
चंडीगढ़ एयरपोर्ट 179 KM 
 
जिले के पास
टिहरी गढ़वाल 8 KM 
देहरादून 42 KM 
पौड़ी गढ़वाल 45 KM 
उत्तर काशी 48 किमी
 
रेल्वे स्टेशन 
डोईवाला रेल मार्ग स्टेशन 37 KM 
देहरादून रेल मार्ग स्टेशन 41 KM 
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी