सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
सुमित कुमार
पद :
वॉलिंटियर
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
ब्लॉक मरौरी
निवास :
121 मोहल्ला फैज़ुल्ला खां पीलीभीत पीलीभीत
नगर/ब्लॉक :
पीलीभीत
जनपद :
पीलीभीत
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :

मनोनीत पत्र 
सुमित कुमार  
121 मोहल्ला फैज़ुल्ला खां पीलीभीत पीलीभीत उत्तर प्रदेश 262001 
 
आप को सहर्ष  सूचित किया जाता है कि नव निर्माण जनकल्याण सहायता समिति (सामाजिक संस्था ) द्वारा संचालित प्रोजेक्ट  मेरा गांव मेरी पहचान तरंगा मेरी शान व मेरा स्कूल मेरी पहचान  छात्र फोटो परियोजना का कार्य समस्त पीलीभीत में किया जाएगा ! उक्त प्रोजेक्ट का कार्य करने हेतु सुमित कुमार  को वॉलिंटियर ब्लॉक - ब्लॉक मरौरी  के पद पर मनोनीत किया गया है यह नियुक्ति तत्काल से प्रभावी है !
आप अपना कार्यभार ग्राहण करने की स्वीकृति उपरांत अपने समस्त ब्लॉक स्तर पर स्कूल , कॉलेज , पंचायत में फोटो परियोजना के कैम्प लगाकर नियमानुसार पंजीकरण शुल्क 40 /- रूपये के उपरांत 5 वर्ष तक पासपोर्ट साईज फोटो नि:शुल्क उपलब्ध कराकर जमीनी स्तर पर छात्रों, नागरिको का पंजीकरण कर लाभ पहुँचाय !
अतः आप के द्वारा किये गए नियमानुसार कार्य के आधार पर जीवन यापन हेतु मानदेय उपलब्ध कराया जाएगा ! मनोनीत पत्र मिलने के उपरांत 10 दिन में संस्था के केंद्रीय कार्यालय को उचित माध्यम से शीघ्र प्रेषित करने का कष्ट करे !  
 
विवरण :

Introduction
Name: Mr. Sumit Kumar
Designation:  volunteer 
Nominated:  Block Marouri 
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera Ganv Meri Pahchan Tiranga Meri Shan Photo Pariyojna
Mobail No: 6396212159
Adress: 121 Mohalla Faizulla Khan Pilibhit Pilibhit Uttar Pradesh 262001 
Locality Name : Pilibhit ( पीलीभीत )
Block Name : Pilibhit
District : Pilibhit
State : Uttar Pradesh
Division : Bareilly
Language : Hindi and Urdu, English, Punjabi
Current Time 03:21 PM
Date: Sunday , Sep 19,2021 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Telephone Code / Std Code: 05882
Vehicle Registration Number: UP-26
RTO Office: Pilibhit
Assembly constituency : Barkhera assembly constituency
Assembly MLA : KISHAN LAL RAJPOOT (BJP)
Lok Sabha constituency : Pilibhit parliamentary constituency
Parliament MP : Feroze Varun Gandhi
Pin Code : 262001
Post Office Name : Pilibhit
 
पीलीभीत के बारे में
 
पीलीभीत भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पीलीभीत जिले का एक शहर है। यह बरेली मंडल के अंतर्गत आता है।
 
पीलीभीत का पिन कोड 262001 है और डाक प्रधान कार्यालय पीलीभीत है।
 
देश नगर, आवास विकास कॉलोनी, श्याम विहार कॉलोनी, मीरापुर मुस्तकिल, जिला वन कार्यालय परिसर पीलीभीत के कुछ इलाके हैं। पीलीभीत पश्चिम की ओर लालौरीखेड़ा ब्लॉक, पूर्व की ओर मरोरी ब्लॉक, उत्तर की ओर अमरिया ब्लॉक, दक्षिण की ओर बरखेड़ा ब्लॉक से घिरा हुआ है।
 
पीलीभीत, नवाबगंज, सितारगंज, पूरनपुर पीलीभीत के नजदीकी शहर हैं।
 
पीलीभीत की जनसांख्यिकी
 
हिन्दी यहाँ की स्थानीय भाषा है।
 
पीलीभीत में राजनीति
आरटीकेपी, बीजेपी, एसजेपी (आर), एसपी इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
 
पीलीभीत के पास मतदान केंद्र / बूथ
१)खेड़ा
२) भूदासरायंदा
3) शाहपुरा
4)मुसेपुर जयसिंह
5)मैदान
 
कैसे पहुंचें पीलीभीत
 
रेल द्वारा
लालौरी खेरा रेल मार्ग स्टेशन, पीलीभीत जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन पीलीभीत के बहुत नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
 
शहरों के पास
पीलीभीत 0 किमी
नवाबगंज 22 किमी
सितारगंज 36 किमी
पूरनपुर 40 किमी
 
तालुकसो के पास
पीलीभीत 2 किमी
मारोरी 7 किमी
लालौरीखेड़ा 7 किमी
अमरिया 15 किमी
 
हवाई बंदरगाहों के पास
पंतनगर हवाई अड्डा 60 किमी
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 252 किमी
अमौसी हवाई अड्डा 262 किमी
खेरिया हवाई अड्डा 273 किमी
 
पर्यटन स्थलों के पास
खटीमा 39 किमी
टनकपुर 64 किमी
काठगोदाम ८३ किमी
भीमताल 91 किमी
चंपावत 92 किमी
 
निकटवर्ती जिले
पीलीभीत 0 किमी
बरेली 53 किमी
उदम सिंह नगर 60 किमी
रामपुर 87 किमी
 
रेलवे स्टेशन के पास
लालौरी खेरा रेल मार्ग स्टेशन 3.1 किमी
पीलीभीत जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 3.6 किमी
दियुरी रेल वे स्टेशन 7.9 किमी
बहेरी रेल मार्ग स्टेशन 36 किमी
किच्छा रेल वे स्टेशन 45 किमी
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी