सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
अमित कुमार सक्सेना
पद :
एड मीडिया प्रभारी
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
बरेली
निवास :
जोगी नवादा
नगर/ब्लॉक :
नगर निगम
जनपद :
बरेली
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना प्रोजेक्ट , भारतीय डिजिटल रेकॉर्ड 
 बरेली जिले के कार्य हेतु अनुबंधित कर अभय कांत सक्सेना जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक बरेली के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, 
कार्यदायी संस्था अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक पर  ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज (ब्लॉक एड मीडिया प्रभारी ) नियुक्त कर समिति द्वारा कार्यानुसार ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज को मानदेय नियमानुसार कार्यदायी संस्था के माध्यम से वितरण करें, महिला पुरुषों से पंचायत स्तर पर कार्य कराकर छात्र, ग्रामीण नागरिकों को आर्थिक विकास में सहायता एवं डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को जागरूक कर राष्ट्र निर्माण में अपना पूर्ण योगदान देंगे ऐसी आशा एवं कामना करते है, 
समाज द्वारा सामाजिक कार्यों हेतु संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा, 
 
मेहनाज़ अंसारी  
(जनरल सेक्रेटरी) 
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 
विवरण :
INTRO

Name: Mr.Amit Kumar Saxena
Designation: Ed Media Incharge
Nominated : Bareilly
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera School Meri Pahchan Photo Pariyojna,
Indian Digital Record, Mera Ganve Meri Pehchan Meri Pehchan Triranga Meri Shaan Photo Project
Mobile No: 91 84300 87825
Address : Near Thakurdwara Mandir Jogi Nawada
NAGAR NIGAM : Bareilly
District : Bareilly 
State : Uttar Pradesh 
Division : Bareilly 
Language : Hindi and English, Urdu, Punjabi, And Kumaoni 
Current Time 10:12 PM  
Date: Sunday , Aug 18,2019 (IST)  
Time zone: IST (UTC+5:30) 
Vehicle Registration Number: UP-25 
RTO Office: Bareilly
Ward CONSLLAR : KHATUN (SP) 9412566561
Bareilly Municipal Corporation
Mayor : Umesh Gautam Contact Number: 9412200025
Assembly constituency : Bareilly Cantt assembly constituency 
Assembly MLA : Rajesh Agarwal (BJP) Contact Number: 9412287576
Lok Sabha constituency : Bareilly parliamentary constituency 
Parliament MP : Santosh Kumar Gangwar (BJP) Tels : (011) 23011824, 23010895
Pin Code : 243005 
Post Office Name : Shyam Ganj

निवास स्थान बिधौलिया वार्ड न. ७३ के बारे में 
नगर निगम वार्ड नंबर 54 - भूड में कुल 10491 मतदाता हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी समर्थित माननीय शालिनी जी को निगम चुनाव  2017 में उन्हें निगम पार्षद पद के लिए कुल 3862 वोटों में से 2085 वोट मिले।
2 = मीनाक्षी = ने समाजवादी पार्टी (992) को 1093 मतों से हराकर चुनाव जीता।
3=पूनम महेश्वरी = निर्दलीय (295) ने तीसरा स्थान हासिल किया

बरेली नगर निगम उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संगठन, संक्षेप में, एमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और पार्कों जैसी अन्य सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। निगम में कुल 80 वार्ड
निकाय चुनाव 2017 में कुल पड़े मत संख्या 341611 में से नगर निगम महापौर पद पर भारतीय जनता पार्टी समर्थित माननीय उमेश गौतम ने (139127) 40.73 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार 
2 - इकबाल सिंह तोमर उर्फ़ डॉ० आई० एस० तोमर = समाजवादी पार्टी (126343) 36.99 को 12784  मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- अजय शुक्ला = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (21295) 11.21 मत प्राप्त कर तीसरे  स्थान पर रहे । 
बरेली शहर दक्षिण की दिशा में क्यारा ब्लॉक, पूर्व में बिथिरी चेनपुर ब्लॉक, उत्तर की ओर भोजिपुरा ब्लॉक, पश्चिम की ओर माजगवान ब्लॉक से घिरा हुआ है। बरेली शहर, नवाबगंज शहर, उझानी शहर, शिशगढ़ शहर बरेली के नजदीकी शहर हैं।
खटीमा , मुरादाबाद, काठगोदाम (हल्दवानी-काठगोदाम), टनकपुर, काशीपुर देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के नजदीक हैं।
बरेली शहर की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। इसके अलावा लोग अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी और कुमाओनी बोलते हैं।
बरेली उत्तरी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बरेली जिले में स्थित एक शहर है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा महानगर, और भारत का ५०वां सबसे बड़ा शहर है। रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था।

इतिहास
1537 में स्थापित इस शहर का निर्माण मुख्यत: मुग़ल प्रशासक  ने करवाया था। यहाँ बाद में इसके आसपास के क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर चुके प्रवासी समुदाय के रोहिल्लाओं की राजधानी बना। 1774 में अवध के शासक ने अंग्रेज़ों की मदद से इस क्षेत्र को जीत लिया और 1801 में बरेली को ब्रिटिश क्षेत्रों में शामिल कर लिया गया। मुग़ल सम्राटों के समय में यह फ़ौजी नगर था। अब यहाँ पर एक फ़ौजी छावनी है। यह 1857 में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ हुए भारतीय विद्रोह का एक केंद्र भी था। बरेली में ही अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा का जन्म हुआ था और आज वे विश्व में प्रसिद्ध है। बालीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी इसी शहर से आती है
व्यापार और उद्योग
यह शहर कृषि उत्पादों का व्यापारिक केंद्र है और यहाँ कई उद्योग, चीनी प्रसंस्करण, कपास ओटने और गांठ बनाने आदि भी हैं। लकड़ी का फ़र्नीचर बनाने के लिए यह नगर काफ़ी प्रसिद्ध है। इसके निकट दियासलाई, लकड़ी से तारपीन का तेल निकालने के कारख़ाने हैं। यहाँ पर सूती कपड़े की मिलें तथा गन्धा बिरोजा तैयार करने के कारख़ाने भी है।

शिक्षा
बरेली में एम. जे. पी. रोहेलखंड विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना 1975 में की गयी थी।
माना जाता है कि बरेली के पास स्थित प्राचीन दुर्ग नगर अहिच्छत्र में बुद्ध का आगमन हुआ था। यह जगह बरेली शहर से लगभग 40 किमी है। यहीं पर एक बहुत पुराना किला भी है।

बरेली के मन्दिरों की सूची
1 धोपेश्वर नाथ
यह मन्दिर सदर बाजार में स्थित बहुत खूबसूरत है एवं यह भगवान शिव को समर्पित है
2 तपेश्वरनाथ
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर रेलवे स्टेशन के नजदीक है
3 त्रवटीनाथ
देखने में बहुत खूबसूरत यह मंदिर शहर के बीचोबीच स्थित है
4 मणिनाथ
यह भी 2 किमी पर स्थित है
5 वनखण्डीनाथ
6 अलखनाथ
भगवान शिव को समर्पित यह शहर का सबसे बड़ा मंदिर है इस मंदिर में कई बगीचे एवं मुख्य द्वार पर भगवान हनुमान की विशाल प्रतिमा लगी हुई है
7 पशुपति नाथ
यह है मंदिर छोटा सा परंतु देखने में बहुत खूबसूरत हैइस मंदिर की खास बात यह है कि यह बीच तालाब में बना हुआ है

दरगाह आला हजरत
दरगाह-ए-अला हज़रत अहमद रजा खान (1856-1921) की दरगाह है,जो 19वीं शताब्दी के हनीफी विद्वान, जो भारत में वहाबी विचारधारा के कट्टर विरोध के लिए जाने जाते हैं ।दरगाह का गुंबद हजारात अल्लामा शाह महमूद जान कादरी द्वारा मैचस्टिक्स के उपयोग के साथ तैयार किया गया था 

जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार बरेली नगरनिगम क्षेत्र की जनसंख्या 6,99,839 है; उपनगर की जनसंख्या 27,953 और ज़िले की कुल जनसंख्या 35,98,701 है।
परिवहन
बरेली नगर रेलवे तथा सड़क मार्ग द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण भागों से सम्बद्ध है। ये भारत की राजधानी नई दिल्ली से 265km है और उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से 256km है।

शहरों के पास
बरेली 1 KM 
नवाबगंज 30 KM 
उझानी 44 KM 
शीशगढ़ 45 KM
 
तालुकों के पास
बरेली 0 KM 
बिथिरी चैनपुर 9 KM 
क्यारा 9 KM 
भोजीपुरा 16 KM 

एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर एयरपोर्ट 82 KM 
खेरिया एयरपोर्ट 221 KM 
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 233 KM 
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 256 KM 

पर्यटक स्थलों के पास
खटीमा 90 KM 
मुरादाबाद 91 KM 
काठगोदाम 112 किलोमीटर
टनकपुर 116 KM
काशीपुर 118 किलोमीटर 

जिले के पास
बरेली 1 KM 
पीलीभीत 52 KM 
बदायूँ 53 KM 
रामपुर 69 किलोमीटर 

रेल्वे स्टेशन के पास
इज्जतनगर रेल मार्ग स्टेशन 2.5 KM 
बरेली सिटी रेल मार्ग स्टेशन 3.6 KM 
बरेली जंक्शन नेर रेल मार्ग स्टेशन 4.8 KM 
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी