सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
जितेंद्र कुमार
पद :
वॉलिंटियर
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
ब्लॉक बरखेड़ा पीलीभीत
निवास :
आंगन लाल ग्राम करनापुर पोस्ट करोड मरोरी
नगर/ब्लॉक :
मरोरी
जनपद :
पीलीभीत
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान : NA
विवरण :

Introduction
Name: Mr. Jitendra Kumar
Designation: volunteer
Nominated:  Block Barkhera Pilibhit 
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera Ganv Meri Pahchan Tiranga Meri Shan Photo Pariyojna
Mobail No: 9027365787 , 07351314721 
Adress: Angan lal Gram Karnapur  post Karod Marori Pilibhit Uttar Pradesh = 262001 
Locality Name : Karnapur- (करनापुर )
Block Name : Marori
District : Pilibhit
State : Uttar Pradesh
Division : Bareilly
Language : Hindi and Urdu, English, Punjabi
Current Time 03:39 PM
Date: Saturday , Sep 18,2021 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Telephone Code / Std Code: 05882
Vehicle Registration Number:UP-26
RTO Office : Pilibhit
Assembly constituency : Barkhera assembly constituency
Assembly MLA : KISHAN LAL RAJPOOT (BJP)
Lok Sabha constituency : Pilibhit parliamentary constituency
Parliament MP : Feroze Varun Gandhi
Enter Pin Code
Alternate Village Name : Karnapur


करनापुर  के बारे में
 
करनापुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पीलीभीत जिले के मरोरी प्रखंड का एक गाँव है। यह बरेली मंडल के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय पीलीभीत से दक्षिण की ओर 18 KM दूर स्थित है। मरोरी मुस्तकिल से 16 किमी. राज्य की राजधानी लखनऊ से 250 किमी
 
वाहनपुर (2 किमी), जार कलिया (2 किमी), खजुरिया पंचपेरा (2 किमी), पचपेरा तालुका शाहपुरा (2 किमी), मकतुल (2 किमी) करनापुर- के पास के गांव हैं। कर्णपुर- उत्तर की ओर पीलीभीत ब्लॉक, उत्तर की ओर मरोरी ब्लॉक, पश्चिम की ओर लालौरीखेड़ा ब्लॉक, पश्चिम की ओर भादपुरा ब्लॉक से घिरा हुआ है।
 
पीलीभीत, नवाबगंज, पूरनपुर, बरेली करनापुर के निकट के शहर हैं।
 
कर्णपुर 2011 जनगणना विवरण

कर्णपुर गांव का विवरण
कर्णपुर पीलीभीत तहसील, पीलीभीत जिले और उत्तर प्रदेश राज्य में एक गांव है। कर्णपुर सी.डी. ब्लॉक का नाम मारोरी है। कर्णपुर ग्राम का पिन कोड NA है। कर्णपुर गांव की कुल जनसंख्या 2213 है और घरों की संख्या 381 है। महिला जनसंख्या 46.5% है। ग्राम साक्षरता दर 53.3% है और महिला साक्षरता दर 18.5% है।
 
जनसंख्या
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा
कुल जनसंख्या 2213
घरों की कुल संख्या 381
महिला जनसंख्या% 46.5% ( 1028)
कुल साक्षरता दर% 53.3% (1179)
महिला साक्षरता दर 18.5% ( 409)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या % 0.0% ( 0)
अनुसूचित जाति जनसंख्या% 18.3% ( 405)
 
कार्यशील जनसंख्या% 31.8%
बच्चा(0 -6) 2011 तक जनसंख्या 450
बालिका (0 -6) जनसंख्या% 2011 तक 47.1% (212)
 
स्थान और प्रशासन
कर्णपुर ग्राम ग्राम पंचायत का नाम कर्णपुर है। कर्णपुर उप जिला मुख्यालय पीलीभीत से 18 किमी की दूरी पर है और यह जिला मुख्यालय पीलीभीत से 18 किमी की दूरी पर है। निकटतम सांविधिक शहर 18 किमी की दूरी में पीलीभीत है। निकटतम शहर बरखेड़ा कलां 16 किमी की दूरी के साथ है। कर्णपुर कुल क्षेत्रफल 271.59 हेक्टेयर, गैर-कृषि क्षेत्र 34.49 हेक्टेयर और कुल सिंचित क्षेत्र 267.55 हेक्टेयर है
 
शिक्षा
इस गांव में निजी प्री प्राइमरी और सरकारी प्राइमरी स्कूल उपलब्ध हैं। निकटतम सरकारी प्री प्राइमरी स्कूल करोध में है। निकटतम सरकारी माध्यमिक विद्यालय और सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पौटा कलां में हैं। निकटतम सरकारी विकलांग स्कूल, सरकारी कला और विज्ञान डिग्री कॉलेज, गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, गवर्नमेंट एमबीए कॉलेज, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज और गवर्नमेंट आईटीए कॉलेज पीलीभीत में हैं।
 
स्वास्थ्य
इस गांव में उपलब्ध 1 आरएमपी डॉक्टर।
 
कृषि
इस गांव में धान, गन्ना और गेहूं कृषि उत्पाद हैं। इस गांव में गर्मी में 5 घंटे कृषि बिजली आपूर्ति और सर्दियों में 7 घंटे कृषि बिजली आपूर्ति उपलब्ध है। इस गांव में कुल सिंचित क्षेत्र २४८.३५ हेक्टेयर नहरों से २६७.५५ हेक्टेयर है और बोरहोल/नलकूपों से १९.२ हेक्टेयर सिंचाई के स्रोत हैं।
 
पेयजल और स्वच्छता
ट्रीटेड नल के पानी की आपूर्ति साल भर और गर्मियों में भी होती है। अनुपचारित नल के पानी की आपूर्ति साल भर और गर्मियों में उपलब्ध है। बिना ढका कुआं, हैंडपंप और ट्यूबवेल/बोरहोल पीने के पानी के अन्य स्रोत हैं।
बंद ड्रेनेज सिस्टम ओपन ड्रेनेज सिस्टम इस गांव में कोई ड्रेनेज सिस्टम उपलब्ध नहीं है। सड़क पर कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। नाली का पानी सीवर प्लांट में छोड़ा जाता है।
 
संचार
मोबाइल कवरेज उपलब्ध है। 10 किमी से कम में कोई इंटरनेट केंद्र नहीं है। 10 किमी से कम में कोई निजी कूरियर सुविधा नहीं।
 
परिवहन
निकटतम सार्वजनिक बस सेवा 5-10 किमी में उपलब्ध है। निकटतम रेलवे स्टेशन 5 - 10 किमी में है। इस गांव में उपलब्ध ट्रैक्टर। इस गांव में पशु चालित गाड़ियां हैं।
 
10 किमी से कम में कोई निकटतम राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं। निकटतम राज्य राजमार्ग 5 - 10 किमी में है। निकटतम जिला सड़क 5-10 किमी में है।
पक्की सड़क, कच्चा रोड, मकाडम रोड, जल मार्ग और पैदल पथ गांव के भीतर अन्य सड़कें और परिवहन हैं।
 
व्यापार
10 किमी से कम में कोई एटीएम नहीं। 10 किमी से कम में कोई वाणिज्यिक बैंक नहीं। 10 किमी से कम में कोई सहकारी बैंक नहीं। इस गांव में साप्ताहिक हाट/संथा उपलब्ध है।
 
अन्य सुविधाएं
इस गांव में गर्मियों में 5 घंटे बिजली की आपूर्ति और सर्दियों में 7 घंटे बिजली की आपूर्ति है, आंगनवाड़ी केंद्र, आशा, जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालय, दैनिक समाचार पत्र और मतदान केंद्र गांव में अन्य सुविधाएं हैं।

कर्णपुर के पास मतदान केंद्र / बूथ-
१)पचपेरा पुख
२)कुंवरपुर ता. आनंदपुर
3)जमुनियाई
4)जरकालिया
5)मैथी सैदुल्लागंज

कर्णपुर में राजनीति-
आरटीकेपी, बीजेपी, एसजेपी (आर), एसपी इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

कैसे पहुंचें कर्णपुर-
 
रेल द्वारा
भोपतपुर रेल मार्ग स्टेशन, पौटा रेल मार्ग स्टेशन कर्णपुर- के बहुत नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
 
शहरों के पास
पीलीभीत 15 किमी
नवाबगंज 26 किमी
पूरनपुर 29 किमी
बरेली 52 किमी
  
तालुकसो के पास
बरखेड़ा 10 किमी
पीलीभीत 14 किमी
मारोरी 15 किमी
लालौरीखेड़ा 16 किमी
 
हवाई बंदरगाहों के पास
पंतनगर हवाई अड्डा 77 किमी
अमौसी हवाई अड्डा 245 किमी
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 265 किमी
खेरिया हवाई अड्डा 269 किमी
 
पर्यटन स्थलों के पास
खटीमा 50 किमी
टनकपुर 74 किमी
काठगोदाम 100 किमी
चंपावत 104 किमी
भीमताल 107 किमी
 
निकटवर्ती जिले
पीलीभीत 16 किमी
बरेली 53 किमी
उदम सिंह नगर 76 किमी
शाहजहांपुर 80 किमी
 
रेलवे स्टेशन के पास
पौटा रेल वे स्टेशन 6.9 किमी
भोपतपुर रेल मार्ग स्टेशन 7.3 किमी
प्रतापपुर रेल मार्ग स्टेशन 8.6 किमी
बहेरी रेल मार्ग स्टेशन 51 किमी
इज्जतनगर रेल मार्ग स्टेशन 51 किमी
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी