सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
राहुल अरुण महादिक
पद :
ब्लॉक परियोजना प्रभारी
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
सुधागढ़
निवास :
पच्छापुर
नगर/ब्लॉक :
सुधागढ़
जनपद :
रायगढ़
राज्य :
महाराष्ट्र
सम्मान : NA
विवरण :

Introduction
Name: Mr. Rahul Arun Mahadik
Designation: Block Project Incharge
Nominated: Sudhagarh
Organization: Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project: Mera Ganv Meri Pahchan Tiranga Meri Shan Photo Pariyojna
Mobail No: 8087550162 
Adress: Pachhapur , Tehsil Sudhagarh Raigarh Maharashtra - 410205
Locality Name : Pacchapur ( पच्छापुर )
Taluka Name : Sudhagarh
District : Raigad
State : Maharashtra
Region : Konkan
Division : Konkan
Language : Marathi and Hindi
Current Time 02:44 PM
Date: Thursday , Sep 16,2021 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Telephone Code / Std Code: 02194
Vehicle Registration Number: MH-43,MH-46
RTO Office: Navi Mumbai,Panvel
Assembly constituency : Pen assembly constituency
Assembly MLA : Ravisheth Patil
Lok Sabha constituency : Raigad parliamentary constituency
Parliament MP : Tatkare Sunil Dattatray
Pin Code : 421302
Post Office Name : Shastrinagar (Thane)
Alternate Village Name : Pachchapur

पच्छापुर  के बारे में
 
पच्छापुर  भारत के महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के सुधागढ़ तालुका में एक गाँव है। यह कोंकण क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह कोंकण डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय अलीबाग से पूर्व की ओर 49 KM दूर स्थित है। राज्य की राजधानी मुंबई से 75 किमी
 
पच्छापुर  पिन कोड 421302 है और डाक प्रधान कार्यालय शास्त्रीनगर (ठाणे) है।
 
पच्छापुर  दक्षिण की ओर रोहा तालुका, पश्चिम की ओर पेन तालुका, उत्तर की ओर खालापुर तालुका, पूर्व की ओर मुलशी तालुका से घिरा हुआ है।
 
लोनावला, पेन, नंदगाँव, उरण पच्छापुर  के पास के शहर हैं।

पच्छापुर  के पास मतदान केंद्र / बूथ
१)चिंचावली टी. दिवाली
२)महालमिर्य डोंगर ३
3)विट्ठलवादी
4) वाधव ३
५) भावशेत
 
पच्छापुर  की जनसांख्यिकी
 
मराठी यहाँ की स्थानीय भाषा है।
 
पच्छापुर  में राजनीति
PWPI, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भाजपा, NCP, SHS, INC इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

पेन विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
पेन विधानसभा क्षेत्र में PWPI, BJP, INC ,INC(I), PWP, 
 
पेन विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान मौजूदा विधायक।
पेन विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक दल भाजपा पार्टी के रविशेत पाटिल हैं
 
पेन विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
खालापुर पेन रोहा सुधागड़
 
पेन विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
 
2014 जनरल धैर्यशील मोहन पाटिल PWPI 64616 = 4120 रविशेठ पाटिल INC  60496
2009 जनरल धैर्यशील मोहन पाटिल PWPI 60757 = 7616 पाटिल रविशेठ दगडु  INC 53141
2004 जनरल रविशेठ पाटिल INC 56841 = 14936 भाई मोहन महादेव पाटिल PWPI 41905
1999 जनरल मोहन महादेव पाटिल PWPI 38768 = 2613 रविशेट पाटिल INC 36155
1995 जनरल मोहन महादेव पाटिल पीडब्लूपी 43027 = 993 रवींद्रनाथ दगडू पाटिल आईएनसी 42034
1990 जनरल पाटिल मोहन महादेव PWP 51184 = 10280 महात्रे बालाजी दामाजी  INC 40904
1985 जनरल मोहन पाटिल PWP 40347 = 9834 नामदेव येसो खैरे INC 30513
1980  जनरल पाटिल मोहन माधव पीडब्लूपी 36996 = 15345 गावंद विट्ठलराव कांग्रेस (आई) 21651
1978 जनरल ए.टी. पाटिल INC 28478 = 2937 मोहन महादेव पाटिल PWP  25541
1972 जनरल ए. टी. पाटिल IND 41892 = 20599 मोहन महादेव पाटिल INC 21293
1967 जनरल ए. पी. शेट्टी पीडब्ल्यूपी 23794 = 773 ए. टी. पाटिल कांग्रेस
1962 जनरल लक्ष्मण शंकर म्हात्रे INC 19673 = 4347 तुकाराम हरि वाजेकर PWP 15326
 
 
पच्छापुर  कैसे पहुंचें
 
रेल द्वारा
10 किमी से कम में पच्छापुर  के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। रोहा रेल मार्ग स्टेशन (रोहा अष्टमी के निकट), खोपोली रेल मार्ग स्टेशन (खोपोली के निकट), रोहा रेल मार्ग स्टेशन (रोहा अष्टमी के निकट), लोजी रेल मार्ग स्टेशन (खोपोली के निकट) रेल मार्ग स्टेशन हैं, जहां से नजदीक से पहुंचा जा सकता है। नगर
 
सड़क द्वारा
रोहा अष्टमी, खोपोली पच्छापुर के पास के शहर हैं, जहां पच्चापुर से सड़क संपर्क है।
 
शहरों के पास
लोनावला 27 किमी
पेन 28 किमी
नंदगांव 47 किमी
उरण 51 किमी
 
तालुकसो के पास
सुधागढ़ 0 किमी
रोहा 24 किमी
पेन २७ किमी
खालापुर 32 किमी
 
हवाई बंदरगाहों के पास
लोहेगांव हवाई अड्डा 77 किमी
छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 78 किमी
गांधीनगर हवाई अड्डा 184 किमी
कोल्हापुर हवाई अड्डा 270 किमी
 
पर्यटन स्थलों के पास
रायगढ़ 12 किमी
नागोथाने 15 किमी
कोलाड 22 किमी
खंडाला 25 किमी
दूरशेत 32 किमी
 
निकटवर्ती जिले
रायगढ़ 46 किमी
मुंबई 71 किमी
पुणे 71 किमी
ठाणे 92 किमी
 
रेलवे स्टेशन के पास
रोहा रेल वे स्टेशन 23 किमी
खंडाला रेल वे स्टेशन 25 किमी
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी