मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान पार्षद सूची

नाम :
मा. कुलदीप सिंह
पद :
निगम पार्षद
वार्ड :
वार्ड: 15 - मुल्तान नगर
निगम :
मेरठ
राज्य :
उत्तर प्रदेश
समर्थित :
बहुजन समाज पार्टी
चुनाव वर्ष :
2017
सम्मान :
माननीय निगम पार्षद जी ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने राष्ट्रीय ध्वज की जानकारी जन जन तक पहुंचाने में संस्था को सहयोग राशि 1500 रुपये प्रदान करने एवं क्षेत्र में विकास कार्यों की जानकारी मतदाताओं को डिजिटल मोबाईल ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराने के उपरांत संस्था द्वारा  मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है|
 
निगम /पार्षद के बारे में :
Introduction
Name: Kuldeep Singh
Designation: Municipal Corporator
Ward no: 15 - Multan Nagar
Eligibility: Junior High School
Mobile No: 9634667668
Support - Bahujan Samaj Party
Language : Hindi and Urdu
Current Time 04:02 PM
Date: Sunday , Dec 16,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0121
Municipal Corporation : Meerut
State : Uttar Pradesh
Vehicle Registration Number: UP-15
RTO Office: Meerut
Meerut Municipal Corporation
Mayor : Mrs. Sunita  Verma Contact Number : 9997175343
Assembly constituency : Meerut assembly constituency
Assembly MLA : Rafiq Ansari (SP) Contact Number: 9412705757
Lok Sabha constituency : Meerut parliamentary constituency
Parliament MP : Rajendra Agarwal (BJP) Contact Number: 09412202623
Pin Code : 250001
Post office Name : Meerut

नगर निगम वार्ड नंबर 15 - मुल्तान नगर  के बारे में
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के तहत, पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद का पद मुख्य रूप से स्थानीय निकायों के तहत आता है। यह जनता द्वारा चुना जाता है। इसके तहत नगर निगम का आयोजन किया गया है। पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है। एक पार्षद का मुख्य कार्य परिषद में चर्चा के लिए जनता की समस्याओं को प्रस्तुत करना है। मेरठ नगर निगम उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संक्षेप में, संगठन को एमएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य सार्वजनिक सेवाओं जैसे पार्क का प्रबंधन करता है।नगर निगम वार्ड नंबर 15 - मुल्तान नगर में कुल 19016 मतदाता हैं, जिनमें बहुजन समाज पार्टी समर्थित माननीय कुलदीप सिंह जी को निगम चुनाव  2017 में उन्हें निगम पार्षद पद के लिए कुल 8336 वोटों में से 1941 वोट मिले।
2 = सूरज मलिक उर्फ शैलेन्‍द्र मलिक = ने भारतीय जनता पार्टी (1939) को 2  मतों से हराकर चुनाव जीता।
3= सुनील कुमार = निर्दलीय (1075) ने तीसरा स्थान हासिल किया 


नगर निगम मेरठ में कुल 1123024 मतदाता हैंनिगम में कुल 90  वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी समर्थित नगर निगम महापौर पद पर  सुनीता वर्मा जी ने कुल पड़े मत संख्या 538451 में से (234817) 43.61 मत पाकर भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार 
2 - कान्ता कर्दम (205235) 38.12 को 29582  अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- दीपू मनोठिया = समाजवादी पार्टी (47153) 8.76 मत प्राप्त किये 
5 -ममता सूद = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (28794) 5.35 मत प्राप्त कर तीसरे  न. पर रहे 

मेरठ सिटी के बारे में
मेरठ उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के मेरठ जिले में एक नगर निगम है। यह मेरठ डिवीजन से संबंधित है। राज्य की राजधानी लखनऊ से पूर्व की तरफ 463 किमी।
मेरठ सिटी पूर्व में राजपुरा ब्लॉक, उत्तर की ओर दौराला ब्लॉक, दक्षिण की ओर खारखोदा ब्लॉक, पश्चिम की तरफ रोहत ब्लॉक से घिरा हुआ है। मेरठ सिटी, सरधना शहर, मोदीनगर सिटी, हापुर शहर मेरठ के नजदीकी शहर हैं।
यह 22 9 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।
मेरठ, हस्तीनापुर, नोएडा, दिल्ली (दिल्ली), बुलंदशहर देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के नजदीक हैं।
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। लोग भी उर्दू बोलते हैं।

इतिहास
सन् १९५० में यहाँ से २३ मील उत्तर-पूर्व में स्थित एक स्थल विदुर का टीला की पुरातात्विक खुदाई से ज्ञात हुआ, कि यह शहर प्राचीन नगर हस्तिनापुर का अवशेष है, जो महाभारत काल मे कौरव राज्य की राजधानी थी।[2], यह बहुत पहले गंगा नदी की बाढ़ में बह गयी थी।[3] एक अन्य किवंदती के अनुसार रावण के श्वसुर मय दानव के नाम पर यहाँ का नाम मयराष्ट्र पड़ा, जैसा की रामायण में वर्णित है।[4
छठी शताब्दी के बालुपत्थर से बने अशोक स्तंभ का एक अंश जिस पर अशोक ने ब्राह्मी लिपि मे राज्यादेश खुदवाये थे, मूलतः मेरठ मे मिला था और अब ब्रिटिश संग्राहलय मे रखा है।
मेरठ मौर्य सम्राट अशोक के काल में (273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म का केन्द्र रहा, जिसके निर्माणों के अवशेष जामा मस्जि़द के निकट वर्तमान में मिले हैं। [5] दिल्ली के बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल, दिल्ली विश्वविद्यालय के निकट अशोक स्तंभ, फिरोज़ शाह तुगलक (1351 – 1388) द्वारा दिल्ली लाया गया था।  बाद में यह 1713 में, एक बम धमाके में ध्वंस हो गया, एवं 1867 में जीर्णोद्धार किया गया।
बाद में मुगल सम्राट अकबर के काल में, (1556-1605), यहाँ तांबे के सिक्कों की टकसाल थी।[5].
ग्यारहवीं शताब्दी में, जिले का दक्षिण-पश्चिमी भाग, बुलंदशहर के दोर –राजा हर दत्त द्वारा शासित था, जिसने एक क़िला बनवाया, जिसका आइन-ए-अकबरी में उल्लेख भी है, तथा वह अपनी शक्ति हेतू प्रसिद्ध रहा।[9] बाद में वह महमूद गज़नवी द्वारा 1018 में पराजित हुआ। हालाँकि शहर पर पहला बड़ा आक्रमण मोहम्मद ग़ौरी द्वारा 1192 में हुआ,[3] किन्तु इस शहर का इससे बुरा भाग्य अभी आगे खड़ा था, जब तैमूर लंग ने 1398 में आक्रमण किया, उसे राजपूतों ने कड़ी टक्कर दी। यह लोनी के किले पर हुआ, जहाँ उन्होंने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक़ से भी युद्ध किया। परंतु अन्ततः वे सब हार गये, यह तैमूर लंग के अपने उल्लेख तुज़ुक-ए-तैमूरी में मिलता है।  उसके बाद, वह दिल्ली पर आक्रमण करने आगे बढ़ गया, व वापस मेरठ पर हमला बोला, जहाँ तब एक अफ़गान मुख्य का शासन था। उसने नगर पर दो दिनों में कब्ज़ा किया, जिसमें विस्तृत विनाश सम्मिलित था और फिर वह आगे उत्तर की ओर बढ़ गया।[11] प्रसिद्ध नारा दिल्ली चलो पहली बार यहीं से दिया गया था। मेरठ छावनी ही वह स्थान है, जहां हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों को बन्दूकें दी गयीं, जिनमें जानवरों की खाल से बनी गोलियां डालनी पड़तीं थीं, जिन्हें मुंह से खोलना पड़ता था। इससे हिन्दुओं व मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई, क्योंकि वह जानवर की चर्बी गाय व सूअर की थी। गाय हिन्दुओं के लिये पवित्र है और सूअर मुसलमानों के लिये अछूत है
मेरठ को अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि 1857 के विद्रोह से प्राप्त हुई। २४ अप्रैल,१८५७ को  तृतीय अश्वारोही सेना की 90 में से 85 टुकड़ियों ने गोलियों को छूने तक से मना कर दिया। कोर्ट-मार्शल के बाद उन्हें दस वर्ष का कारावस मिला। इसके विद्रोह में ही, ब्रिटिश राज से मुक्ति पाने की पहली चिंगारी भड़क उठी, जिसे शहरी जनता का पूरा समर्थन मिला।
मेरठ में ही मेरठ षड्यंत्र मामला, मार्च १९२९ में हुआ। इसमें कई व्यापार संघों को तीन अंग्रेज़ों समेत गिरफ्तार किया गया, जो भारतीय रेलवे की हड़ताल कराने वाले थे। इस पर इंग्लैंड का सीधा ध्यान गया, जिसे वहां के मैन्चेस्ट्र स्ट्रीट थियेट्स्र ग्रुप ने अपने रड मैगाफोन नाम के नाटक में दिखाया, जिसमें कोलोनाइज़ेशन व औद्योगिकरण के हानिकारक प्रभाव दिखाये गये थे

मेरठ सिटी में राजनीति
बीजेपी, एसपी, बीएसपी, यूपीयूडीएफ इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
मेरठ सिटी कई विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आता है। मेरठ सिटी मेरठ कैंट में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र हैं। असेंबली निर्वाचन क्षेत्र, मेरठ विधानसभा क्षेत्र, मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र, मेरठ शहर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल(भाजपा पार्टी ) Contact Number: 9412515005
मेरठ विधानसभा क्षेत्र विधायक  रफीक अंसारी (समाजवादी पार्टी)  Contact Number: 9412705757
मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र  विधायक  डॉ सोमेंद्र तोमर (बीजेपी पार्टी) Contact Number: 0121-2602163
मेरठ सिटी मेरठ संसद निर्वाचन क्षेत्र के सांसद राजेंद्र अग्रवाल (भाजपा पार्टी) 09412202623

मेरठ सदर विधानसभा विधायक के जितने का इतिहास 
2012  डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेई एम बीजेपी 68154 रफीक अंसारी एसपी 61876
2007  हाजी याकूब यूपीयूडीएफ 48502 डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी  बीजेपी 47413
2002 डॉ लक्ष्मी कांत वाजपेयी बीजेपी 48739 दिलशाद अहमद एसपी 25326
1996  लक्ष्मीकांत वाजपेयी  बीजेपी 84775 हाजी अकलाक एसपी 72266
1993 अकलाख  जेडी 80339 लक्ष्मी कांत वाजपेयी  बीजेपी 74842
1989 लक्ष्मी कांत वाजपेयी बीजेपी 46317 मोहम्मद। अयूब अंसारी  जेडी 31698
1985 जय नारायण शर्मा कांग्रेस 48517 मंज़ूर अहमद एलकेडी 40919
1980  मंजूर अहमद  कांग्रेस 32407 मोहन लाल कपूर बीजेपी 29023
1977 मंजूर अहमद  कांग्रेस 42004 मोहन लाल कपूर  जेएनपी 34933
1974 मोहन लाल कपूर  बीजेएस 31508 हुसैन बेगम कांग्रेस 22069
1969  मोहन लाल कपूर  बीजेएस 25735 बशीर अहमद खान  2325 9
1967  म.ल.कप्पोर   BJS 26,905 .मजीद  एसएसपी 17,553
1962  जगदीश सरन रास्तोगी कांग्रेस 18026 मोहन लाल कपूर एम जेएस 14683
1957  कैलाश प्रकाश कांग्रेस 27059 ऐजाज हुसैन  18604
1951  मेरठ नगर पालिका  कैलाश प्रकाश कांग्रेस 26542 राम सरप शर्मा  6943

 मेरठ सिटी कैसे पहुंचे

रेल द्वारा
मेरठ सिटी जंक्शन रेलवे स्टेशन, मेरठ कैंट। रेलवे स्टेशन मेरठ सिटी के पास के रेलवे स्टेशन हैं।
 
आस पास के शहर
मेरठ 1 किमी निकट
सरदार 22 किमी निकट
मोदीनगर  24 किलोमीटर 
 
ब्लॉक के नजदीक
हापुर 33 किमी
मेरठ 0 किलोमीटर
राजपुरा 10 किलोमीटर
दौराला 15 किलोमीटर
खारखोदा 1 9 किलोमीटर
 
एयर पोर्ट्स के नजदीक 
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 56 किलोमीटर
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे 84 किमी 
देहरादून हवाई अड्डा 170 किलोमीटर 
पंतनगर हवाई अड्डे के पास 192 किमी
 
जिलों के पास
मेरठ 1 किमी निकट
गाजियाबाद 49 किमी निकट
बागपत 52 किमी निकटतम
उत्तर पूर्व दिल्ली 57 किमी
 
रेलवे स्टेशन के नजदीक 
मेरठ सिटी जंक्शन रेल वे स्टेशन 3.9 किमी
मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन 5.4 किलोमीटर
नूरनगर रेल वे स्टेशन 9.3 किलोमीटर 




विकास/सामाजिक कार्य के बारे में :

विकास कार्य सूचि अभी उपलबध नहीं है। 
 
तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। आइए पढ़ते हैं, तिरंगे की कहानी ग़ज़बहिन्दी की जुबानी…
1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।
2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।
3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।
4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।
5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।
6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।
9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।
12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।
13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।
16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।
17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।
19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।
20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।
21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।
22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।
23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ? भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।
24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।
पार्षद पद के बारे में
पार्षद के कार्य व अधिकार
1 - पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
2 - पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
3 - पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
4 - पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
5 - पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
6 - पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
7 - पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद (Councillor OR Ward Councillor) का पद मुख्य रूप से स्थानीय शहरी शासन (Urban Local Bodies) के अंतर्गत आता है | इसका चुनाव जनता द्वारा किया जाता है | इसके अंतर्गत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत की व्यवस्था का आयोजन किया गया है | पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) द्वारा करती है | एक पार्षद (Parshad) का मुख्य कार्य जनता की समस्याओं को परिषद् में विचार- विमर्श के लिए प्रस्तुत करना है | पार्षद क्या है, पार्षद का चुनाव, वेतन और योग्यता की पूरी जानकारी आपको इस पेज पर दे रहे है|
2- पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
प्रत्येक शहर को छोटे- छोटे नगर (मोहल्ले) में विभाजित किया गया है, और नगर (मोहल्ले) को वार्ड में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि को ही पार्षद कहते है | पार्षद (parshad in hindi) का चयन सीधे उस वार्ड की जनता द्वारा किया जाता है | पार्षद का मुख्य कार्य उस वार्ड से सम्बंधित समस्याओं को नगर पालिका या नगर परिषद् में पेश करना व इसके बाद परिषद् द्वारा बजट पास करके उस समस्या का हल निकाला जाता है |
3- पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
पार्षद का चुनाव (parshad election) प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में कराया जाता है | प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सहायता से नगर निकाय चुनाव का आयोजन करती है | इस चुनाव में शामिल होने वाले व्यक्ति को जनता के द्वारा चुना जाता है | उस नगर की सारी जनता एकजुट होकर अपने इलाके के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करती है |
4- पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
सभी राज्यों में पार्षदों का वेतन अलग – अलग होता है | सभी पार्षदों को प्रत्येक माह लगभग 10 हजार रुपये मानदेय और एक हजार रुपये प्रति बैठक भत्ता दिया जाता है |
5- पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
1- पार्षद बनने के लिए अगल-अलग राज्यों में अलग नियम भी हो सकते हैं। राज्य के अनुसार नियम होते हैं।
2- उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए ऊपर चाहे कितनी भी हो
3- 10 वीं पास होना चाहिए फ़िलहाल सरकार ने कोई भी ऐसी योग्यता नहीं निर्धारित की हैं बस आप पढे-लिखे होने चाहिए ताकि आपको सभी तरह की जानकारी हो
4- वर्ष 1995 के बाद दो या दो से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए (केवल शादीशुदा लोगो के लिए)
5- किसी भी सरकारी पद पर कार्यरत नहीं होने चाहिए
6- पागल या दिवालिया घोषित नहीं होना चाहिए
7- भारत के किसी भी मतदाता सूचि में नाम होना चाहिए
8- निर्वाचन आयोग में पार्षद के लिए अपील करते हो तो अपनी सभी सम्पति का भी ब्यौरा देना होगा
9- गंभीर अपराधो में सजा युक्त या कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए
6- पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
पार्षद के कार्य
1- पार्षद को अपने-अपने वार्ड में 5-5 लाख रूपये (ये अनुमानित राशी हैं) विकास कार्य कराने का अधिकार प्रदान किया जाता हैं।
2- पार्षद को अपने वार्ड में रोड लाइट लगवानी होती हैं
3- सड़क निर्माण कार्य
4- पानी की समस्या पार्षद के अंतर्गत नहीं आती जब पार्षद को ये कार्य करना होता हैं।
5- पेंशन के फॉर्म पर मुहर लगाना
6- जाति प्रमाण-पत्र और मूल निवास प्रमाण-पत्र पर मुहर लगाना
7- सरकारी योजनाओ में बहुत से ऐसे फॉर्म होते हैं जिन्हें पार्षद को अपने हस्ताक्षर करके मुहर लगनी होती हैं।
8- अपने वार्ड में राजनैतिक कार्य भी करने होते हैं।
7- पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- विवाह पंजीयन/मैरिज सर्टिफिकेट (शादीशुदा होने पर)
2- मूल निवास प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
3- जाति प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
4- वोटर आई डी
5- चार पासपोर्ट साइज़ फोटो
6- आधार कार्ड
6- पार्षद का Resume
7- स्वघोषणा प्रमाण पत्र