मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान पार्षद सूची

नाम :
मा. गुलनाज
पद :
निगम पार्षद
वार्ड :
32 - मावूद नगर
निगम :
अलीगढ़
राज्य :
उत्तर प्रदेश
समर्थित :
समाजवादी पार्टी
चुनाव वर्ष :
2017
सम्मान :

माननीय निगम पूर्व प्रत्याशी निगम पार्षद जी ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने राष्ट्रीय ध्वज की जानकारी जन जन तक पहुंचाने में संस्था को सहयोग राशि 1500 रुपये प्रदान करने एवं क्षेत्र में विकास कार्यों की जानकारी मतदाताओं को डिजिटल मोबाईल ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराने के उपरांत संस्था द्वारा मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है
निगम /पार्षद के बारे में :

Introduction
Name: Gulnaz
Designation: Municipal Corporator
Ward no: 32 - Mavood Nagar
Eligibility: Primary
Email:
Mobile No: 9358975803
Residence:
Support: Samajwadi Party
Language : Hindi and Urdu
Current Time 01:40 PM
Date: Sunday , Jan 10,2021 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0571
Municipal Corporation : Aligarh
State : Uttar Pradesh
Vehicle Registration Number: UP-81
RTO Office: Aligarh
Aligarh Municipal Corporation Mayor = Mohammad. Furqan (BSP) Contact Number: 9719302119
Assembly constituency : Aligarh assembly constituency
Assembly MLA : SANJEEV RAJA (BJP) Contact Number : 9412273273
Lok Sabha constituency : Aligarh parliamentary constituency
Parliament MP : Shri Satish Kumar Gautam (BJP) Contact Number: 09013869418
Pin Code : 200201
 
नगर निगम वार्ड नंबर 32 - मावूद नगर के बारे में
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के तहत, पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद का पद मुख्य रूप से स्थानीय निकायों के तहत आता है। यह जनता द्वारा चुना जाता है। इसके तहत नगर निगम का आयोजन किया गया है। पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है। एक पार्षद का मुख्य कार्य परिषद में चर्चा के लिए जनता की समस्याओं को प्रस्तुत करना है। अलीगढ़ नगर निगम उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संक्षेप में, संगठन को एएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य सार्वजनिक सेवाओं जैसे पार्क का प्रबंधन करता है। नगर निगम वार्ड नंबर 32 - मावूद नगर में कुल 8088 मतदाता हैं, जिनमें समाजवादी पार्टी समर्थित माननीय गुलनाज जी को निगम चुनाव 2017 में उन्हें निगम पार्षद पद के लिए कुल 3878 वोटों में से 1413 वोट मिले।
2 = रीनू सैनी = ने भारतीय जनता पार्टी (1034) को 379 मतों से हराकर चुनाव जीता।
3= रेशमा = बहुजन समाज पार्टी (687) ने तीसरा स्थान हासिल किया

नगर निगम अलीगढ में कुल 612237 मतदाता हैं, निगम में कुल 70 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी समर्थित नगर निगम महापौर पद पर माननीय मोहम्मद फुरकान जी ने कुल पड़े मत संख्या 303746 में से (125682) 41.39 मत पाकर भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार 
2 - राजीव कुमार = भारतीय जनता पार्टी (115671) 38.09 को 10011 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- मधूकर शर्मा = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (25837) 8.51 मत प्राप्त किये 
5 -मुजाहिद किदवई =  समाजवादी पार्टी (16510) 5.44 मत प्राप्त कर चौथे स्थान पर रहे 

अलीगढ़ नगर निगम 1996 में नगर पालिका से नगर निगम बना। ये तीन मंजिल बना हुआ है भूतल पर गृहकर ,स्वास्त्य, विभाग है प्रथम तल पर मुख्य कार्यालय एवं लेखाधिकारी कार्यालय बने हुए हैं धोती तल पर निर्माण विभाग का कार्यालय बना हुआ है एवं संपत्ति कार्यालय नजूल कार्यालय वह डिमांड कार्यालय व फोटोस्टेट कराने के लिए फोटो मशीन कार्यालय बना हुआ है एवं न्याय विभाग भी बना हुआ है वह रिस्टोर विभाग में संचालित किया जा रहा है तृतीय तल पर लाइसेंस विभाग कार्यालय ऑडिट कार्यालय जलकल विभाग वह स्वास्थ्य विभाग कार्यालय ही बना हुआ है इन सभी कार्यालयों की देखरेख एवं नगर निगम के मुखिया नगर आयुक्त करते हैं एवं शहर मेयर भी करते हैं 
अलीगढ़ उत्तर प्रदेश राज्य में अलीगढ़ जिले में शहर है। अलीगढ़ नगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण विश्व प्रसिद्ध है और अपने तालों(Locks) के लिये भी. अलीगढ़ जनपद को खैर, अतरौली, गभाना, इगलास और कोलतहसीलों में विभाजित किया हुआ है। अलीगढ़ प्राचीन नाम से कोइल या कोल भी कहलाता है। अलीगढ़ शहर, उत्तरी भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यह दिल्ली के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह शहर नरोरा पावर प्लांट से लगभग 50 किमी की दूरी पर है। अलीगढ़ भारत का 55वाँ सबसे बड़ा शहर[1] है। इसके पास ही अलीगढ़ नाम का एक क़िला है। कोल नाम की तहसील अब भी अलीगढ़ ज़िले में है। अलीगढ़ नाम नजफ़ खाँ का दिया हुआ है। 1717 ई. में साबित खाँ ने इसका नाम साबितगढ़ और 1757 में जाटों ने रामगढ़ रखा था। उत्तर मुग़ल काल में यहाँ सिंधिया का कब्ज़ा था। उसके फ़्रांसीसी सेनापति पेरन का क़िला आज भी खण्डहरों के रूप में नगर से तीन मील दूर है। इसे 1802 ई. में लॉर्ड लेक ने जीता था। यह क़िला पहले रामगढ़ कहलाताथा।अलीगढ का प्राचीन नाम हरीगढ था

इतिहास
एतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो अलीगढ़ (कोल) एक अत्यधिक प्राचीन स्थल है। महाभारत के एक समीक्षाकार के अनुसार अनुमानतः पाँच हजार वर्ष पूर्व कोई कौशिरिव-कौशल नामक चन्द्रवंशी राजा यहाँ राज्य करता था और तब उसकी इस राजधानी का नाम कौशाम्बी था। बाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख पाया जाता है। तदोपरान्त कौशरिव को पराजित कर कोल नामक एक दैत्यराज यहाँ का बादशाह बना और उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। यह वह समय था जब पांडव हस्तिनापुर से अपनी राजधानी उठाकर (बुलन्दशहर) लाये थे। यहाँ काफी दिन कोल का शासन रहा। उसी काल में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी जिन्हें दाऊजी महाराज के नाम से पुकारते हैं द्वापुर युग के अन्त में रामघाट गंगा स्नान के लिए यहाँ होकर गुजरे तो उन्होंने स्थानीय खैर रोड पर अलीगढ़ नगर से करीब 5 किलो मीटर दूर स्थित प्राचीन एतिहासिक स्थल श्री खेरेश्वरधाम पर अपना पड़ाव डाला था और दैत्य सम्राट कोल का बध करके अपना हथियार हल जहाँ जाकर धोया था उस स्थान का नाम हल्दुआ हो गया। उनके सेनापति हरदेव ने उसी गाँव के निकट ही अपने नाम के आधार पर जिस स्थल पर पैठ लगवाई थी उसी का नाम कलान्तर में हरदुआगंज हो गया।भगवान बलराम ने तब कोल का राज्य पांडवों को दे दिया था परन्तु काफी प्रचलित हो जाने के कारण इसका नाम नहीं बदला। मथुरा संग्रालह में जो सिक्के 200 बी॰ सी॰ के सुरक्षित हैं वह भी हरदुआगंज, सासनी और लाखनू के समीप की गई खुदाई में ही प्राप्त हुए थे।
 
व्यापार और उद्योग
आदि बनाने के कारख़ाने हैं। यहाँ पर एक बड़ा डेयरी फ़ार्म भी है, जहाँ पर मक्खन और पनीर बनाया जाता है। घोड़े पालने के लिए भी यह नगर प्रसिद्ध है।
 
दर्शनीय स्थल
1- शहर के बीचोंबीच स्थित प्राचीन क़िला, डोरगढ़ (1524) अब एक खंडहर मात्र रह गया है। इसका एक बड़ा हिस्सा 18वीं शताब्दी की एक मस्जिद द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। अलीगढ़ में अनेक मुसलमान औलिया के मज़ार हैं।
 
2- मंगलायतन मंदिर -
3- नोदेवी मंदिर -
4- शेखा झील -
5- अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सटी -
6- बोना चोर किला ( अलीगढ़ किला)
7- जामा मस्जिद ऊपरकोट
8- बारह ज्योतिर्लिंग शिव मन्दिर,चौधाना,खैर
 
आस पास के शहर
अलीगढ़ 1 KM 
हाथरस 37 KM 
सिकंदरा राव 43 KM 
 शिकारपुर, बुलंदशहर 47 KM
 
तालुका के पास
अलीगढ़ 0 KM
लोढ़ा 7 KM 
धनीपुर 10 KM 
सिकंदरपुर 16 KM
 
एयर पोर्ट्स के पास 
खेरिया एयरपोर्ट 93 KM 
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 135 KM 
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 196 KM
ग्वालियर एयरपोर्ट 200 KM 
 
जिले के पास
अलीगढ़ 1 KM के पास
महामाया नगर 57 KM 
कांशीराम नगर 63 KM 
 बुलंदशहर 67 KM
 
रेल्वे स्टेशन के पास
अलीगढ़ जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 1.5 KM 
महरावल रेल मार्ग स्टेशन 6.6 किमी 
मंज़ूरगढ़ी रेल मार्ग स्टेशन 9.2 किलोमीटर
हाथरस जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 34 KM 
 
अलीगढ़ का राजनितिक इतिहास 
अलीगढ़ विधानसभा चुनावों में विजेताओं और उपविजेता की सूची नीचे दी गई है।
2012  जफर आलम  एसपी 68291 आशुतोष वर्षानी बीजेपी 45205
2007 ज़मीर उल्लाह  एसपी 44541 संजीव राजा  बीजेपी 3668 9
2002  विवेक बंसल  कांग्रेस 47801 दीपक मित्तल बीजेपी 23357
1996  अब्दुल खलीक एसपी 86570 कृष्णा कुमार नौमान बीजेपी 51427
1993  कृष्ण कुमार नवमान बीजेपी 58027 अब्दुल खलिक बीएसपी 56005
1991 कृष्णा कुमार नवमान  बीजेपी 52670 मोहम्मद। Sufiyan जद 47,249
1989  कृष्ण कुमार नवमान बीजेपी 51982 ख्वाजा मोह हलीम जद 42,834
1985 बलदेव सिंह कांग्रेस 26516 ख्वाजा हलीम एम एलकेडी 23515
1980 ख्वाजा हलीम  जेएनपी (एससी) 21468 नीम सिंह चौहान बीजेपी 17735
1977 मोज़िज़ अली बेग जेएनपी 30775 खवाज़ा हलीम  कांग्रेस 28072
1974  इंद्र पाल सिंह बीजेएस 25756 ख्वाहामोद हलीम कांग्रेस 25,137
1969 अहमद एल खान कांग्रेस 25980 श्रीचंद सिंघल एम बीकेडी 17087
1967  I.P.Singh  BJS 22,357 R.Y.R.Khwaja कांग्रेस 15006
1962 अब्दुल बशीर खान आरईपी 21909 अनंत राम वर्मा एम कांग्रेस16164
1957 अनंत राम वर्मा  कांग्रेस 20655 एल एन माथुर निर्दलीय 7270
विकास/सामाजिक कार्य के बारे में :


विकास कार्य सूचि उपलब्ध नहीं हुई है 
तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। आइए पढ़ते हैं, तिरंगे की कहानी ग़ज़बहिन्दी की जुबानी…
1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।
2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।
3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।
4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।
5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।
6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।
9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।
12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।
13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।
16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।
17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।
19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।
20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।
21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।
22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।
23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ? भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।
24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।
पार्षद पद के बारे में
पार्षद के कार्य व अधिकार
1 - पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
2 - पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
3 - पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
4 - पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
5 - पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
6 - पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
7 - पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद (Councillor OR Ward Councillor) का पद मुख्य रूप से स्थानीय शहरी शासन (Urban Local Bodies) के अंतर्गत आता है | इसका चुनाव जनता द्वारा किया जाता है | इसके अंतर्गत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत की व्यवस्था का आयोजन किया गया है | पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) द्वारा करती है | एक पार्षद (Parshad) का मुख्य कार्य जनता की समस्याओं को परिषद् में विचार- विमर्श के लिए प्रस्तुत करना है | पार्षद क्या है, पार्षद का चुनाव, वेतन और योग्यता की पूरी जानकारी आपको इस पेज पर दे रहे है|
2- पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
प्रत्येक शहर को छोटे- छोटे नगर (मोहल्ले) में विभाजित किया गया है, और नगर (मोहल्ले) को वार्ड में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि को ही पार्षद कहते है | पार्षद (parshad in hindi) का चयन सीधे उस वार्ड की जनता द्वारा किया जाता है | पार्षद का मुख्य कार्य उस वार्ड से सम्बंधित समस्याओं को नगर पालिका या नगर परिषद् में पेश करना व इसके बाद परिषद् द्वारा बजट पास करके उस समस्या का हल निकाला जाता है |
3- पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
पार्षद का चुनाव (parshad election) प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में कराया जाता है | प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सहायता से नगर निकाय चुनाव का आयोजन करती है | इस चुनाव में शामिल होने वाले व्यक्ति को जनता के द्वारा चुना जाता है | उस नगर की सारी जनता एकजुट होकर अपने इलाके के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करती है |
4- पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
सभी राज्यों में पार्षदों का वेतन अलग – अलग होता है | सभी पार्षदों को प्रत्येक माह लगभग 10 हजार रुपये मानदेय और एक हजार रुपये प्रति बैठक भत्ता दिया जाता है |
5- पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
1- पार्षद बनने के लिए अगल-अलग राज्यों में अलग नियम भी हो सकते हैं। राज्य के अनुसार नियम होते हैं।
2- उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए ऊपर चाहे कितनी भी हो
3- 10 वीं पास होना चाहिए फ़िलहाल सरकार ने कोई भी ऐसी योग्यता नहीं निर्धारित की हैं बस आप पढे-लिखे होने चाहिए ताकि आपको सभी तरह की जानकारी हो
4- वर्ष 1995 के बाद दो या दो से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए (केवल शादीशुदा लोगो के लिए)
5- किसी भी सरकारी पद पर कार्यरत नहीं होने चाहिए
6- पागल या दिवालिया घोषित नहीं होना चाहिए
7- भारत के किसी भी मतदाता सूचि में नाम होना चाहिए
8- निर्वाचन आयोग में पार्षद के लिए अपील करते हो तो अपनी सभी सम्पति का भी ब्यौरा देना होगा
9- गंभीर अपराधो में सजा युक्त या कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए
6- पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
पार्षद के कार्य
1- पार्षद को अपने-अपने वार्ड में 5-5 लाख रूपये (ये अनुमानित राशी हैं) विकास कार्य कराने का अधिकार प्रदान किया जाता हैं।
2- पार्षद को अपने वार्ड में रोड लाइट लगवानी होती हैं
3- सड़क निर्माण कार्य
4- पानी की समस्या पार्षद के अंतर्गत नहीं आती जब पार्षद को ये कार्य करना होता हैं।
5- पेंशन के फॉर्म पर मुहर लगाना
6- जाति प्रमाण-पत्र और मूल निवास प्रमाण-पत्र पर मुहर लगाना
7- सरकारी योजनाओ में बहुत से ऐसे फॉर्म होते हैं जिन्हें पार्षद को अपने हस्ताक्षर करके मुहर लगनी होती हैं।
8- अपने वार्ड में राजनैतिक कार्य भी करने होते हैं।
7- पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- विवाह पंजीयन/मैरिज सर्टिफिकेट (शादीशुदा होने पर)
2- मूल निवास प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
3- जाति प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
4- वोटर आई डी
5- चार पासपोर्ट साइज़ फोटो
6- आधार कार्ड
6- पार्षद का Resume
7- स्वघोषणा प्रमाण पत्र