मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान पार्षद सूची

नाम :
मा. शाहरोज परवीन
पद :
निगम पार्षद
वार्ड :
वार्ड: 63 - पसौंडा
निगम :
गाज़ियाबाद
राज्य :
उत्तर प्रदेश
समर्थित :
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चुनाव वर्ष :
2017
सम्मान :

माननीय निगम पार्षद जी ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने राष्ट्रीय ध्वज की जानकारी जन जन तक पहुंचाने में संस्था को सहयोग राशि 1500 रुपये प्रदान करने एवं क्षेत्र में विकास कार्यों की जानकारी मतदाताओं को डिजिटल मोबाईल ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराने के उपरांत संस्था द्वारा  मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है
निगम /पार्षद के बारे में :

Introduction
Name: Shahroz Parveen
Designation: Municipal Corporator
Ward no: 63 - Pasaunda
Eligibility: High School
Email:
Mobail No: 9911345050
Residence:
Support: Indian National Congress
Language : Hindi and Urdu
Current Time 10:31 AM
Date: Friday , Jan 01,2021 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05440
Municipal Corporation : Ghaziabad
State : Uttar Pradesh
Vehicle Registration Number: UP-14,UP-37
RTO Office: Ghaziabad,Hapur
Ghaziabad Municipal Corporation Mayor = Asha Sharma (BJP) Contact Number: 9810746565
Assembly constituency : Ghaziabad assembly constituency
Assembly MLA : ATUL GARG  (BJP) Contact Number : 9811037560
Lok Sabha constituency : Ghaziabad parliamentary constituency
Parliament MP : Vijay Kumar Singh (BJP) Contact Number: 8826611111
Pin Code :   201001

नगर निगम वार्ड नंबर 63 - पसौंडा के बारे में
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के तहत, पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद का पद मुख्य रूप से स्थानीय निकायों के  तहत आता है। यह जनता द्वारा चुना जाता है। इसके तहत नगर निगम का आयोजन किया गया है। पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है। एक पार्षद का मुख्य कार्य परिषद में चर्चा  के लिए जनता की समस्याओं को प्रस्तुत करना है। गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संक्षेप में, संगठन को जीएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की पार्क का प्रबंधन करता है। नगर निगम वार्ड नंबर 63 - पसौंडा में कुल 12191 मतदाता हैं, जिनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थित माननीय शहरोज परवीन जी को निगम चुनाव  2017 में निगम पार्षद पद के लिए कुल 5507 वोटों में से 1786 वोट मिले।
2 =परवीन= ने बहुजन समाज पार्टी (1152) को 634  मतों से हराकर चुनाव जीता।
3 =नसीम = आम आदमी पार्टी (663) ने तीसरा स्थान हासिल किया 





गाजियाबाद नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की पार्क का प्रबंधन करता है। नगर निगम गाजियाबाद  में कुल 1359145 मतदाता हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी समर्थित माननीय आशा शर्मा जी को निगम चुनाव  2017 में निगम महापौर पद के लिए कुल 567146 वोटों में से 282793 वोट मिले
2 - डोली शर्मा (119118) 21 को 163675 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- मुन्नी चौधरी = बहुजन समाज पार्टी (77033) 13.58 मत प्राप्त किये 

नगर निगम गाजियाबाद के बारे में
गाजियाबाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गाजियाबाद जिले का एक शहर है। यह मेरठ मंडल का है।
गाजियाबाद पिन कोड 201001 है और डाक प्रधान कार्यालय गाजियाबाद है।
पटेल नगर, भटियाना मीर पुर, नया जीवन कुष्ठ कॉलोनी, सैदपुर हुसैनपुर दीलाना, मोहम्मदपुर। सुजानपुर अखाड़ा गाजियाबाद के कुछ इलाके हैं। गाजियाबाद उत्तर की ओर लोनी ब्लॉक, पश्चिम की ओर पूर्वी दिल्ली ब्लॉक, दक्षिण की ओर बिसरख ब्लॉक, पश्चिम की ओर उत्तर पूर्वी दिल्ली ब्लॉक से घिरा हुआ है।
गाजियाबाद, बल्लभगढ़, मुरादनगर, नोएडा नोएडा के आसपास के शहर हैं।
उत्तरप्रदेश का गेटवे’ माने जाने वाले ग़ाज़ियाबाद शहर को एक समय पर ‘जिले’ में बदल दिया गया. साथ ही, इस शहर की लोकेशन इसकी सबसे बड़ी खूबी रही है.

झांकते हैं इतिहास के झरोखों से गाजीउद्दीन नगर  से गाज़ियाबाद जिला बनने तक की कहानी-
ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है और दिल्ली के पूर्व और मेरठ के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। ग़ाज़ियाबाद में ग़ाज़ियाबाद जिले का मुख्यालय स्थित है। स्वतंत्रता से पहले ग़ाज़ियाबाद जिला, मेरठ जिले का भाग था पर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् राजनैतिक कारणों से इसे एक पृथक जिला बनाया गया। ग़ाज़ियाबाद का नाम इसके संस्थापक ग़ाज़ीउद्दीन के नाम पर पड़ा है, जिसने इसका नाम अपने नाम पर ग़ाज़ीउद्दी नगर रखा था, लेकिन बाद में, इसका नाम छोटा करके ग़ाज़ियाबाद कर दिया गया।

शहर का इतिहास
गुप्ता राजवंश से लेकर मुगलों ने किया राज
गाजियाबाद का इतिहास 2500 ईसा पूर्व पुराना है. इस बात का आधार हिंडन नदी के तट पर आधारित केसर के मैदान पर हुआ शोध है. यहाँ हुए शोध कार्य और खुदाई से मिले अवशेषों से इसकी उम्र का पैमाना तय किया गया.
गाजियाबाद जिले की पूर्वी सीमा पर एक कोट नामक गाँव स्थित था. इस गाँव को प्रसिद्ध सम्राट समुद्रगुप्त का सहयोग प्राप्त था. दरअसल, समुद्रगुप्त ने कोट कुलजम और किले पर विजय प्राप्त करने के बाद इसी गाँव में अश्वमेध का यज्ञ किया था. कोट में सात से भी ज्यादा युद्ध लड़े गए थे.
चौथी सदी में लोनी में समुद्रगुप्त और कोट कुलजम के बीच मशहूर युद्ध हुआ. इसी युद्ध से गाजियाबाद शहर की नींव पड़ गई थी. इस युद्ध में जीत के बाद मुगलों के आगमन तक यह हिंदू राजाओं के ही आधीन रहा.
गाजीउद्दीन नगर से बना जिला गाजियाबाद
सन 1740 में, वजीर गाजी-उद-दीन ने गाजियाबाद की स्थापना की. उसने इस शहर का नाम अपने नाम पर ही गाजीउद्दीन नगर रखा. वह मुग़ल शासक अहमदशाह और अलमगीर द्वितीय के दरबार का मंत्री था.
आज के इस मॉडर्न शहर पर कई शासकों ने अपनी हुकूमत चलाई. जिसमें हिंदू राजाओं से लेकर मुग़ल शासक शामिल हैं. इसमें समुद्रगुप्त, मुहम्मद-बिन-तुग़लक, तैमुर, मुगल और मराठा शामिल हैं. इसी शहर में मुगल सम्राट द्वारा बनाई गई सेराई बहुत मशहूर है. इसमें 120 कमरे बने हुए हैं. इस ढांचे का आकार एक आर्क के रूप में बना हुआ है.
मुगलों ने इस शहर को चार आलीशान दरवाजों के भीतर बसाया था. इन चार दरवाजों में डासना गेट, दिल्ली गेट, सिहनी गेट और शाही गेट शामिल हैं. इस दरवाजों के अलावा, इस शहर में लगभग 14 फीट लम्बे स्तंभ आज भी मौजूद हैं.
गाजीउद्दीन नगर का नाम तब बदला गया जब यहाँ रेलवे स्टेशन की लाइन भी खुली. जिसके बाद इसका नाम छोटा करके गाजियाबाद कर दिया गया. समय के साथ, चौथा दरवाजा यानि शाही गेट का नाम बदल गया. अब इस का नाम बदलकर बाज़ार गेट हो गया है.
आजादी के बाद एक बार फिर इसी गेट का नामकरण हुआ. इस बार इसका नाम बदलकर जवाहर गेट रख दिया गया, जो आज तक प्रचलन में है. जबकि बाकी तीनों दरवाज़ों के नाम अभी तक वही हैं जैसे पहले हुआ करते थे.
इस धरती से एक और युद्ध जुड़ा हुआ है. वह युद्ध जो मराठों और मुगलों के बीच हुआ था. इस युद्ध में मराठों ने मुगलों को हराकर जीत हासिल कर ली. इसके साथ ही उन्होंने यहाँ अपना राज कायम कर लिया. इस शहर ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठाने में अहम भूमिका निभायी थी. यहीं 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों और अंग्रेजों के बीच झड़प भी हुई थी.
बताते चलें कि साल 1763 में, राजा सूरजमल की रोहिल्लाओं ने इसी शहर के पास हत्या कर दी गई थी. उस समय भी यह शहर चर्चा में आया था.
  
गाजियाबाद एक इंडस्ट्रियल हब के रूप में
 कभी मुगलों के आधीन रहे इस शहर के इंडस्ट्रियल हब में तब्दील होने की कहानी दिलचस्प है. साल 1976 तक यह शहर मेरठ शहर की ही एक तहसील था. उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त ने इसे अलग कर दिया. उन्होंने 14 नवम्बर, 1976 में इसे एक अलग जिला गाजियाबाद के रूप में घोषित कर दिया. इसी के साथ गाजियाबाद के नाम का नया जिला अस्तित्व में आया.
गाजियाबाद शहर ही गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट का हेडक्वाटर है. हालांकि, यहाँ साल 1865 से ही रेलवे मौजूद है. फिर भी साल 1940 तक यहाँ आधुनिक औद्योगीकरण की दस्तक नहीं हो पाई थी.
साल 1940 में, यहाँ पहली आधुनिक इंडस्ट्री की स्थापना हुई थी. इसकी स्थापना के साथ और आजादी के बाद भी यह इंडस्ट्री बढती ही चली गई. इसका लगातार विस्तार होता रहा. साल 1947 के बाद 22 फैक्टरियाँ का बड़ी जल्दी ही विस्तार हुआ.
यहाँ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, औद्योगिक और कृषि हर क्षेत्र में लगातार उन्नति ही हुई है. यहां अपने जिला घोषित होने के साथ ही औद्योगीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होता रहा.
70 के दशक में बड़ी संख्या में स्टील मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगातार बढ़ती चली गई. इसी दौर में इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का भी विस्तार हुआ था. इसी समय ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ और ‘सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ की भी स्थापना की गई.
यहाँ मोहंस (1949), टाटा जैसी कंपनियां भी आना शुरू हो गई. यहाँ धीरे-धीरे पैर पसार रहा उद्योग आज बहुत बड़े स्तर तक पहुँच चुका है. आज गाजियाबाद की एक बड़ी पहचान उसमें मौजूद इंडस्ट्रीज ही हैं.
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
SSP, INC (U), INC (I), JS, JD, BJS, RPI, JNP
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
गाज़ियाबाद,

गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012 जनरल सुरेश बंसल बीएसपी  64485 = 12121 अतुल गर्ग बीजेपी  52364
2007 जनरल सुनील कुमार शर्मा भाजपा  88506 = 25655 सुरेश बंसल बीएसपी  62851
2004 जनरल सुरेंद्र कुमार मुन्नी एसपी  64173 = 11458 सतीश त्यागी कांग्रेस  52715
2002 जनरल सुरेन्द्र प्रकाश गोयल  कांग्रेस  64760 = 4526 बालेश्वर त्यागी भाजपा  60234
1996 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा  110990 = 68015 जितेन्द्र सपा  42975
1993 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा  91199 = 44929 अनूप सिंह  जेडी 46270
1991 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा  54714 = 21827 अनूप सिंह  जेडी 32887
1989 जनरल सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी कांग्रेस  54326 = 16877 बालेश्वर त्यागी भाजपा  37449
1985 जनरल कृष्ण कुमार शर्मा कांग्रेस  30108 = 1185 दिनेश चंद्र गर्ग बीजेपी  28923
1980 जनरल सुरेन्द्र कुमार उर्फ़ मुन्नी कांग्रेस (U) 18556 = 589 सतीश चंद शर्मा कांग्रेस(I) 17967
1977 जनरल राजेंद्र JNP 28647 = 334 प्यारे लाल कांग्रेस  28313
1974 जनरल प्यारे लाल कांग्रेस  23546 = 13205 बलदेव राज शर्मा BJS 10341
1969 जनरल पीरे लाल एसएसपी 19159 = 6335 आफताब अली कांग्रेस  12824
1967 GEN P.Lal आरपीआई 22,341 5281 R.Singh BJS 17060
1962 जनरल तेज सिंह कांग्रेस  17610 = 2001 ईश्वर दयाल  JS 15609
1957 जनरल तेज सिंह कांग्रेस  17505 = 7891 पी। चंद्रा  बीजेएस 9614

कैसे पहुंचें गाजियाबाद

रेल द्वारा
न्यू गाजियाबाद रेल मार्ग स्टेशन, गाजियाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन गाजियाबाद के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।

शहरों के पास
गाजियाबाद 0 KM
बल्लभगढ़ 15 KM
मुरादनगर 15 KM
नोएडा 16 KM

तालुकों के पास
गाजियाबाद 0 KM
बिसरख 13 KM
लोनी 14 KM
पूर्वी दिल्ली 14 KM

एयर पोर्ट्स के पास
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 37 KM
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 98 KM
खेरिया एयरपोर्ट 197 KM
देहरादून हवाई अड्डा 215 KM

पर्यटक स्थलों के पास
नोएडा 16 KM
दिल्ली 21 KM
सूरजकुंड 25 KM
फरीदाबाद 33 KM
गुड़गांव 49 KM

जिले के पास
गाजियाबाद 0 KM
पूर्वी दिल्ली 13 KM
उत्तर पूर्वी दिल्ली 17 KM
मध्य दिल्ली 21 KM

रेल्वे स्टेशन के पास
न्यू गाजियाबाद रेल मार्ग स्टेशन 2.2 KM
गाजियाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 2.4 KM
गुलधर रेल मार्ग स्टेशन 6.0 KM
साहिबाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 6 KM
विकास/सामाजिक कार्य के बारे में :


विकास सूचि उपलबध  नहीं हुई है |
तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। आइए पढ़ते हैं, तिरंगे की कहानी ग़ज़बहिन्दी की जुबानी…
1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।
2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।
3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।
4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।
5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।
6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।
9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।
12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।
13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।
16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।
17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।
19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।
20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।
21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।
22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।
23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ? भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।
24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।
पार्षद पद के बारे में
पार्षद के कार्य व अधिकार
1 - पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
2 - पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
3 - पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
4 - पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
5 - पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
6 - पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
7 - पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद (Councillor OR Ward Councillor) का पद मुख्य रूप से स्थानीय शहरी शासन (Urban Local Bodies) के अंतर्गत आता है | इसका चुनाव जनता द्वारा किया जाता है | इसके अंतर्गत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत की व्यवस्था का आयोजन किया गया है | पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) द्वारा करती है | एक पार्षद (Parshad) का मुख्य कार्य जनता की समस्याओं को परिषद् में विचार- विमर्श के लिए प्रस्तुत करना है | पार्षद क्या है, पार्षद का चुनाव, वेतन और योग्यता की पूरी जानकारी आपको इस पेज पर दे रहे है|
2- पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
प्रत्येक शहर को छोटे- छोटे नगर (मोहल्ले) में विभाजित किया गया है, और नगर (मोहल्ले) को वार्ड में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि को ही पार्षद कहते है | पार्षद (parshad in hindi) का चयन सीधे उस वार्ड की जनता द्वारा किया जाता है | पार्षद का मुख्य कार्य उस वार्ड से सम्बंधित समस्याओं को नगर पालिका या नगर परिषद् में पेश करना व इसके बाद परिषद् द्वारा बजट पास करके उस समस्या का हल निकाला जाता है |
3- पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
पार्षद का चुनाव (parshad election) प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में कराया जाता है | प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सहायता से नगर निकाय चुनाव का आयोजन करती है | इस चुनाव में शामिल होने वाले व्यक्ति को जनता के द्वारा चुना जाता है | उस नगर की सारी जनता एकजुट होकर अपने इलाके के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करती है |
4- पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
सभी राज्यों में पार्षदों का वेतन अलग – अलग होता है | सभी पार्षदों को प्रत्येक माह लगभग 10 हजार रुपये मानदेय और एक हजार रुपये प्रति बैठक भत्ता दिया जाता है |
5- पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
1- पार्षद बनने के लिए अगल-अलग राज्यों में अलग नियम भी हो सकते हैं। राज्य के अनुसार नियम होते हैं।
2- उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए ऊपर चाहे कितनी भी हो
3- 10 वीं पास होना चाहिए फ़िलहाल सरकार ने कोई भी ऐसी योग्यता नहीं निर्धारित की हैं बस आप पढे-लिखे होने चाहिए ताकि आपको सभी तरह की जानकारी हो
4- वर्ष 1995 के बाद दो या दो से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए (केवल शादीशुदा लोगो के लिए)
5- किसी भी सरकारी पद पर कार्यरत नहीं होने चाहिए
6- पागल या दिवालिया घोषित नहीं होना चाहिए
7- भारत के किसी भी मतदाता सूचि में नाम होना चाहिए
8- निर्वाचन आयोग में पार्षद के लिए अपील करते हो तो अपनी सभी सम्पति का भी ब्यौरा देना होगा
9- गंभीर अपराधो में सजा युक्त या कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए
6- पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
पार्षद के कार्य
1- पार्षद को अपने-अपने वार्ड में 5-5 लाख रूपये (ये अनुमानित राशी हैं) विकास कार्य कराने का अधिकार प्रदान किया जाता हैं।
2- पार्षद को अपने वार्ड में रोड लाइट लगवानी होती हैं
3- सड़क निर्माण कार्य
4- पानी की समस्या पार्षद के अंतर्गत नहीं आती जब पार्षद को ये कार्य करना होता हैं।
5- पेंशन के फॉर्म पर मुहर लगाना
6- जाति प्रमाण-पत्र और मूल निवास प्रमाण-पत्र पर मुहर लगाना
7- सरकारी योजनाओ में बहुत से ऐसे फॉर्म होते हैं जिन्हें पार्षद को अपने हस्ताक्षर करके मुहर लगनी होती हैं।
8- अपने वार्ड में राजनैतिक कार्य भी करने होते हैं।
7- पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- विवाह पंजीयन/मैरिज सर्टिफिकेट (शादीशुदा होने पर)
2- मूल निवास प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
3- जाति प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
4- वोटर आई डी
5- चार पासपोर्ट साइज़ फोटो
6- आधार कार्ड
6- पार्षद का Resume
7- स्वघोषणा प्रमाण पत्र