वासुदेव बलवंत फडके ब्लॉक अध्यक्ष/ बी.डी.सी. सदस्य परिचय सूची

नाम : रजनी सिंह BDC
पद : क्ष्रेत्र पंचायत सदस्य
वॉर्ड : 19 - इमरतपुर
ब्लॉक डींगरपुर (कुन्दरकी)
ज़िला : मुरादाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : बहुजन समाज पार्टी
चुनाव : 2015 1116/340 वोट
सम्मान :
माननीय जी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं स्वच्छ भारत अभियान में पंचायत के युवाओं को संस्था के माध्यम से जागरूक करने में अपना पूर्ण योगदान दिया है, संस्था को सामाजिक कार्यों में सहयोग देने के उपरान्त संस्था द्वारा BDC Membar जी का पूर्ण विवरण विकास कार्य सहित भारतीय डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज कर वासुदेव बलवंत फड़के बी डी सी मेंबर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है = मेहनाज़ अंसारी (संस्थापक)

विवरण :

introduction

Honorable Rajni Singh

Post :   BDC Membar

Ward No. : 19 IMRATPUR UDHO

Block - Kundarki

District -Moradabad

State - Uttar Pradesh

Supporters -BSP

Eligibility - 12th

Mobile no. - 9758509225

इमरतपुर ऊधौ के बारे में

इमरतपुर ऊधौ उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के मुरादाबाद जिले में कुंदरकी ब्लॉक  के एक गांव है। यह मुरादाबाद डिवीजन के अंतर्गत आता है। 

यह जिला मुख्यालय मुरादाबाद से दक्षिण की ओर 12 किमी दूर स्थित है। कुंदरकी  से 3 किमी। 351 राज्य की राजधानी लखनऊ से दूर है 

सीकरी (1 किमी), शरीफपुर (2 किमी), बसेरा खास (2 किमी), मधपुरी  (2 किमी), कमालपुर फतेहाबाद (3 किमी) इमरतपुर ऊधौ जाने  के लिए आसपास के गांव हैं।

 इमरतपुर ऊधौ उत्तर की ओर मुरादाबाद ब्लॉक, पूर्व की ओर मुंडा पांडे ब्लॉक, पश्चिम की ओर असमौली ब्लॉक, दक्षिण की ओर बिलारी तहसील से घिरा हुआ है।

मुरादाबाद, सिरसी, सम्भल, रामपुर इमरतपुर ऊधौ जाने  के लिए पास के शहर हैं।

इमरतपुर ऊधौ की जनसांख्यिकी 3500, कुल वोटर संख्या = 2100 , सफाई कर्मचारी संख्या = ०१ 

08 = घंटे गांव में बिजली उपलब्ध है 

1200 =  परिवार आवासहीन हैं 

500 =  परिवारों को शुलभ शौचालय की आवश्कता है 

हिंदी स्थानीय भाषा में यहाँ है।

इमरतपुर ऊधौ में राजनीति

सपा, भाजपा, बसपा इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

मतदान केंद्रों / इमरतपुर ऊधौ के पास बूथ

1) प्राइमरी स्कूल डींगरपुर  कक्ष -3

2) प्राइमरी स्कूल नगर पंचायत कुंदरकी कक्ष -2

3) प्राइमरी स्कूल हुसैनपुर हमीर कक्ष -2

4) प्राइमरी स्कूल रामपुर मेगन कक्ष -1

5) प्राइमरी स्कूल नगर पंचायत कुंदरकी कक्ष -१

ग्राम पंचायत इमरतपुर ऊधौ के मौजूदा ग्राम प्रधान 

माननीय सरमोद कुमार 

विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक 

माननीय मोहम्मद (रिज़वान) एसपी Contact Number: 9759672095

कुंदरकी संभल संसद निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा सांसद 

माननीय सत्यपाल सिंह (बीजेपी) Mob : 0956863983 हैं

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में मंडल

भगतपुर टांडा, कुंदरकी , मोरादाबाद, मुंडा पांडे

कुंदरकी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012 मोहम्मद रिजवान एसपी 81302 17201 रामवीर सिंह भाजपा 64101

2007 अकबर हुसैन बीएसपी 50626 9270 हसी मोहम्मद रिजवान एसपी सपा 41356

2002 मोहम्मद। रिजवान एसपी 53348 17882 रिशीपाल सिंह भाजपा भाजपा भाजपा 35466

1996 अकबर हुसैन बीएसपी 51888 200 मोहम्मद रिजवान सपा 51,688

1993 चंद्र विजय सिंह उरफ बेबी राजा भाजपा 73083 23288 अकबर हुसैन जेडी 49795

1991 अकबर हुसैन जेडी 4139 6431 रीना कुमारी कांग्रेस 34959

1989 चंद्र विजय सिंह जेडी 39333 9063 रीना कुमारी कांग्रेस 30270

1985 रीना कुमारी कांग्रेस 36347 11327 अकबर हुसैन एलकेडी 25020

1980 अकबर हुसैन जेएनपी (एसआर) 21247 4007 राम कुंवर सिंह कांग्रेस (आई)17240 

1977 अकबर हुसैन जेएनपी 19655 =10192 हर ज्ञान सिंह निर्दलीय 9463

1974 इन्द्र मोहिनी कांग्रेस 27573 =5985 गुलाम मोहम्मद खान निर्दलीय 21588

1969 माही लाल बीकेडी 23398 = 2713 देवी सिंह कांग्रेस 20685

1967 एम लाल लाल 16060 =9496 एच एच। राम कांग्रेस 11092

रेल द्वारा

मछरिया रेल मार्ग स्टेशन, फॉरहेड  रेल मार्ग स्टेशन इमरतपुर ऊधौ जाने  के लिए बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। मुरादाबाद रेल मार्ग स्टेशन प्रमुख रेलवे स्टेशन 11 किलोमीटर इमरतपुर ऊधौ के निकट है

इमरतपुर ऊधौ के पास पिन कोड

202413 (कुंदरकी ), 244103 (मझोला  (मुरादाबाद)), 202415 (राजा का सहसपुर)

पास के शहर

मुरादाबाद के पास 15 KM

सिरसी 18 KM पास

सम्भल 28 KM पास

रामपुर के पास 30 कम

पास से ब्लॉक 

कुंदरकी  4 KM पास

मुरादाबाद के पास 12 KM

मुंडा पांडे के पास 16 KM

असमौली 21 KM पास

पास से एयर पोर्ट्स

पंतनगर हवाई अड्डे  85 किमी

मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे  147 km

इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे 182 km

देहरादून हवाई अड्डे के पास 211 km

पास के पर्यटक स्थल 

मुरादाबाद के पास 11 KM

काशीपुर 63 किमी 

रामनगर के पास 91 किलोमीटर

हस्तिनापुर 98 km 

कॉर्बेट नेशनल पार्क  100 KM

पास से जिलों की दुरी 

मुरादाबाद के पास 11 KM

रामपुर के पास 29 KM

ज्योतिबा फुले नगर 37 किमी 

उधम सिंह नगर  75 किमी

रेलवे स्टेशन के पास

मछरिया  रेल मार्ग स्टेशन 4.4 किमी

फरहदी  रेल मार्ग स्टेशन 6.2 किमी

कुंदरकी  रेल मार्ग स्टेशन 8.0 किमी

मुरादाबाद रेल मार्ग स्टेशन  11 KM

रामपुर रेल मार्ग स्टेशन 29 कम

विकास कार्य :

2019

वासुदेव बलवन्त फड़के जीवनी
पूरा नाम - वासुदेव बलवन्त फड़के
जन्म - 4 नवम्बर, 1845 ई.
जन्म भूमि - शिरढोणे गांव, रायगड ज़िला, महाराष्ट्र
मृत्यु - 17 फ़रवरी, 1883 ई.
कर्म भूमि - भारत
प्रसिद्धि - स्वतंत्रता सेनानी
नागरिकता - भारतीय

वासुदेव बलवन्त फड़के (अंग्रेज़ी:Vasudev Balwant Phadke, जन्म- 4 नवम्बर, 1845 ई. 'महाराष्ट्र' तथा मृत्यु- 17 फ़रवरी, 1883 ई. 'अदन') ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले भारत के प्रथम क्रान्तिकारी थे। वासुदेव बलवन्त फड़के का जन्म महाराष्ट्र के रायगड ज़िले के 'शिरढोणे' नामक गांव में हुआ था। फड़के ने 1857 ई. की प्रथम संगठित महाक्रांति की विफलता के बाद आज़ादी के महासमर की पहली चिंंनगारी जलायी थी। देश के लिए अपनी सेवाएँ देते हुए 1879 ई. में फड़के अंग्रेज़ों द्वारा पकड़ लिये गए और आजन्म कारावास की सज़ा देकर इन्हें अदन भेज दिया गया। यहाँ पर फड़के को कड़ी शारीरिक यातनाएँ दी गईं। इसी के फलस्वरूप 1883 ई. को इनकी मृत्यु हो गई। परिचय
वासुदेव बलवन्त फड़के बड़े तेजस्वी और स्वस्थ शरीर के बालक थे। उन्हें वनों और पर्वतों में घूमने का बड़ा शौक़ था। कल्याण और पूना में उनकी शिक्षा हुई। फड़के के पिता चाहते थे कि वह एक व्यापारी की दुकान पर दस रुपए मासिक वेतन की नौकरी कर लें और पढ़ाई छोड़ दें। लेकिन फड़के ने यह बात नहीं मानी और मुम्बई आ गए। वहाँ पर जी.आर.पी. में बीस रुपए मासिक की नौकरी करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी। 28 वर्ष की आयु में फड़के की पहली पत्नी का निधन हो जाने के कारण इनका दूसरा विवाह किया गया।
व्यावसायिक जीवन
विद्यार्थी जीवन में ही वासुदेव बलवन्त फड़के 1857 ई. की विफल क्रान्ति के समाचारों से परिचित हो चुके थे। शिक्षा पूरी करके फड़के ने 'ग्रेट इंडियन पेनिंसुला रेलवे' और 'मिलिट्री फ़ाइनेंस डिपार्टमेंट', पूना में नौकरी की। उन्होंने जंगल में एक व्यायामशाला बनाई, जहाँ ज्योतिबा फुलेभी उनके साथी थे। यहाँ लोगों को शस्त्र चलाने का भी अभ्यास कराया जाता था। लोकमान्य तिलक ने भी वहाँ शस्त्र चलाना सीखा था।
गोविन्द रानाडे का प्रभाव
1857 की क्रान्ति के दमन के बाद देश में धीरे-धीरे नई जागृति आई और विभिन्न क्षेत्रों में संगठन बनने लगे। इन्हीं में एक संस्था पूना की 'सार्वजनिक सभा' थी। इस सभा के तत्वावधान में हुई एक मीटिंग में 1870 ई. में महादेव गोविन्द रानाडे ने एक भाषण दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अंग्रेज़ किस प्रकार भारत की आर्थिक लूट कर रहे हैं। इसका फड़के पर बड़ा प्रभाव पड़ा। वे नौकरी करते हुए भी छुट्टी के दिनों में गांव-गांव घूमकर लोगों में इस लूट के विरोध में प्रचार करते रहे।
माता की मृत्यु
1871 ई. में एक दिन सायंकाल वासुदेव बलवन्त फड़के कुछ गंभीर विचार में बैठे थे। तभी उनकी माताजी की तीव्र अस्वस्थता का तार उनको मिला। इसमें लिखा था कि 'वासु' (वासुदेव बलवन्त फड़के) तुम शीघ्र ही घर आ जाओ, नहीं तो माँ के दर्शन भी शायद न हो सकेंगे। इस वेदनापूर्ण तार को पढ़कर अतीत की स्मृतियाँ फ़ड़के के मानस पटल पर आ गयीं और तार लेकर वे अंग्रेज़ अधिकारी के पास अवकाश का प्रार्थना-पत्र देने के लिए गए। किन्तु अंग्रेज़ तो भारतीयों को अपमानित करने के लिए सतत प्रयासरत रहते थे। उस अंग्रेज़ अधिकारी ने अवकाश नहीं दिया, लेकिन वासुदेव बलवन्त फड़के दूसरे दिन अपने गांव चले आए। गांव आने पर वासुदेव पर वज्राघात हुआ। जब उन्होंने देखा कि उनका मुंह देखे बिना ही तड़पते हुए उनकी ममतामयी माँ चल बसी हैं। उन्होंने पांव छूकर रोते हुए माता से क्षमा मांगी, किन्तु अंग्रेज़ी शासन के दुव्यर्वहार से उनका हृदय द्रवित हो उठा।
सेना का संगठन
इस घटना के वासुदेव फ़ड़के ने नौकरी छोड़ दी और विदेशियों के विरुद्ध क्रान्ति की तैयारी करने लगे। उन्हें देशी नरेशों से कोई सहायता नहीं मिली तो फड़के ने शिवाजी का मार्ग अपनाकर आदिवासियों की सेना संगठित करने की कोशिश प्रारम्भ कर दी। उन्होंने फ़रवरी 1879 में अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। धन-संग्रह के लिए धनिकों के यहाँ डाके भी डाले। उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में घूम-घूमकर नवयुवकों से विचार-विमर्श किया, और उन्हें संगठित करने का प्रयास किया। किन्तु उन्हें नवयुवकों के व्यवहार से आशा की कोई किरण नहीं दिखायी पड़ी। कुछ दिनों बाद 'गोविन्द राव दावरे' तथा कुछ अन्य युवक उनके साथ खड़े हो गए। फिर भी कोई शक्तिशाली संगठन खड़ा होता नहीं दिखायी दिया। तब उन्होंने वनवासी जातियों की ओर नजर उठायी और सोचा आखिर भगवान श्रीराम ने भी तो वानरों और वनवासी समूहों को संगठित करके लंका पर विजय पायी थी। महाराणा प्रताप ने भी इन्हीं वनवासियों को ही संगठित करके अकबर को नाकों चने चबवा दिए थे। शिवाजी ने भी इन्हीं वनवासियों को स्वाभिमान की प्रेरणा देकर औरंगज़ेब को हिला दिया था।
ईनाम की घोषणा
महाराष्ट्र के सात ज़िलों में वासुदेव फड़के की सेना का ज़बर्दस्त प्रभाव फैल चुका था। अंग्रेज़ अफ़सर डर गए थे। इस कारण एक दिन मंत्रणा करने के लिए विश्राम बाग़ में इकट्ठा थे। वहाँ पर एक सरकारी भवन में बैठक चल रही थी। 13 मई, 1879 को रात 12 बजे वासुदेव बलवन्त फड़के अपने साथियों सहित वहाँ आ गए। अंग्रेज़ अफ़सरों को मारा तथा भवन को आग लगा दी। उसके बाद अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ने पर पचास हज़ार रुपए का इनाम घोषित किया। किन्तु दूसरे ही दिन मुम्बई नगर में वासुदेव के हस्ताक्षर से इश्तहार लगा दिए गए कि जो अंग्रेज़ अफ़सर 'रिचर्ड' का सिर काटकर लाएगा, उसे 75 हज़ार रुपए का इनाम दिया जाएगा। अंग्रेज़ अफ़सर इससे और भी बौखला गए।
गिरफ़्तारी
1857 ई. में अंग्रेज़ों की सहायता करके जागीर पाने वाले बड़ौदा के गायकवाड़ के दीवान के पुत्र के घर पर हो रहे विवाह के उत्सव पर फड़के के साथी दौलतराम नाइक ने पचास हज़ार रुपयों का सामान लूट लिया। इस पर अंग्रेज़ सरकार फड़के के पीछे पड़ गई। वे बीमारी की हालत में एक मन्दिर में विश्राम कर रहे थे, तभी 20 जुलाई, 1879 को गिरफ़्तार कर लिये गए। राजद्रोह का मुकदमा चला और आजन्म कालापानी की सज़ा देकर फड़के को 'अदन' भेज दिया गया।
निधन
अदन पहुँचने पर फड़के भाग निकले, किन्तु वहाँ के मार्गों से परिचित न होने के कारण पकड़ लिये गए। जेल में उनको अनेक प्रकार की यातनाएँ दी गईं। वहाँ उन्हें क्षय रोग भी हो गया और इस महान् देशभक्त ने 17 फ़रवरी, 1883 ई. को अदन की जेल के अन्दर ही प्राण त्याग दिए।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फडके के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी