शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : शमा परवीन
पद : नगर पंचायत अध्यक्षा
वॉर्ड : 00 नगर
नगर पंचायत वजीरगंज
ज़िला :
राज्य :
पार्टी : निर्दलीय
चुनाव : 2017 - 11297 - 3852 वोट
सम्मान :
माननीय नगर पालिका अध्यक्षा जी को निकाय चुनाव २०१७ में विजेता चुने जाने के उपरान्त संस्था द्वारा जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव के समस्त क्षेत्र का विकास करेंगी एवं संस्था को सामाजिक कार्य में डोनेशन देकर सहयोग करने के लिए धन्यबाद -

विवरण :

Introduction
Honorable Shama Parvin President
Nagar Panchayat Wazirganj
District- Boudayen
State - Uttar Pradesh
Mob 9758756636
Independence

नगर पंचायत वजीरगंज के बारे में
वजीरगंज उत्तर प्रदेश राज्य के बदायूँ जिले में, वजीरगंज एक नगर पंचायत है। इसमें १५ वार्ड हैं निकाय चुनाव २०१७ में यहाँ की नगर पंचायत अध्यक्षा के पद पर निर्दलीय प्रत्याशी शमा परवीन चुनाव जीती जिनको कुल पड़े मत (11297) में से 3852 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिदंद्दी शकुन्तला देवी भारतीय जनता पार्टी (2849) मत प्र्राप्त हुए जिनको १००० से अधिक वोटों से हराया
३- संगीता निर्दलीय (2698) मत प्राप्त ४- हूरवानो बहुजन समाज पार्टी (738) मत प्राप्त हुए शमा परवीन जी पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष मौ. उमर कुरैशी की धर्म पत्नी हैं वजीरगंज बरेली डिवीजन में है है। यह जिला मुख्यालय बदायूँ से 24 किमी उत्तर की ओर स्थित है यह एक ब्लॉक मुख्यालय है
वजीरगंज पिन कोड 243726 है और पोस्टल हेड ऑफिस है।
नंदवड़ी (2 किलोमीटर), बाओली (2 किलोमीटर), पसगवां (2 किलोमीटर), कररगांव (3 किलोमीटर), कोतरा रसूल (3 किलोमीटर), पास के गांव हैं, वजीरगंज। वजीरगंज अंबिआपुर ब्लॉक से पश्चिम की ओर, पूरब की ओर सलारपुर ब्लॉक , पश्चिम से बिसाउली तहसील, उत्तर दिशा में रामनगर ब्लॉक से घिरा है।
उझानी , बदाऊं, सहवासन, चंदौसी वजीरगंज में निकटतम शहर हैं।
यह स्थान बदायूँ जिले और बरेली जिले की सीमा में है। बरेली जिले रामनगर इस जगह की ओर उत्तर है।
वजीरगंज नगर पंचायत में कुल मतदाता संख्या = 17165 हिंदी यहां स्थानीय भाषा है
वजीरगंज में राजनीति एसपी, भाजपा, बसपा इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
वजीरगंज पहुंचने के लिए कैसे
रेल द्वारा 10 किमी से कम में वजीरगंज के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है बरेली रेलवे स्टेशन वजीरगंज के करीब 41 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है
शहरों के पास
उझानी 17 किलोमीटर
बुडाउन के पास 22 किलोमीटर
सहसवान 38 के.एम.
चंदौसी 42 किलोमीटर

ब्लॉक से करीब
वजीरगंज 0 के.एम.
अंबापुर के करीब 15 किलोमीटर
सलारपुर के पास 16 किमी
बिसाउली के पास 18 किलोमीटर

हवाई बंदरगाहों के निकट
पंतनगर हवाई अड्डा 111 के.एम.
खेरिया हवाई अड्डा 178 के.एम.
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 215 के.एम.
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 218 के.एम.

पर्यटन स्थल के पास
मोरादाबाद 83 के.एम.
अलीगढ़ 115 के.एम.
काशीपुर 126 किलोमीटर दूर
खटीमा 133 के.एम.
बुलंदशहर 134 के.एम.

जिले से पास
बुडाउन 22 किलोमीटर दूर
बरेली 43 के.एम.
काशीराम नगर 68 किलोमीटर
रामपुर 73 कि.मी.
रेलवे स्टेशन से करीब
आंवला रेल वे स्टेशन करीब 15 किलोमीटर
बरेली रेलवे स्टेशन 41 किलोमीटर
बदायूँ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा विधायक माननीय महेश चंद्र गुप्ता (बीजेपी)
वजीरगंज ब्लॉक बदायूँ संसद के तहत आता है, मौजूदा सांसद माननीय धर्मेंद्र यादव समाजवादी पार्टी Tel : (05688) 276017, 276551 Mob : 09720170999

बदायूँ विधानसभा क्षेत्र में मंडल
जगत, सालारपुर, वजीरगंज, बदायूँ बदायूँ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012 अबीद रजा खान सपा ६२७८६ = 15413 महेश चंद्र गुप्त भाजपा = 47373

2007 =महेश चन्द्र भाजपा 36403 =7198 विमल कृष्ण अग्रवाल उरफ पप्पी = सपा एसपी 29205

2002 विमल कृष्ण अग्रवाल उरफ पप्पी बसपा 36148 = 3314 जुगेंद्र सिंह अनज सपा 32834

1996 प्रेम स्वरूप पाठक बीजेपी 61726 =15471 जोेन्द्र सिंह एसपी सपा 46255

1993 जुगेंदर सिंह एसपी 40825 =728 कृष्ण स्वरूप भाजपा 40097

१९९१ कृष्ण स्वरूप , भाजपा, 41123, =8850, खालिद पारवेज, जेडी 32273

1989 कृष्णा स्वरुप भाजपा 31950 =7200 खलिद परवेज निर्दलीय 24750

1985 प्रेमिला भादर मेहरा कांग्रेस 31133 =9645 कृष्ण स्वरूप भाजपा 21488

1980 =श्रीकृष्ण गोयल कांग्रेस (आई) 30289 =16244 कृष्ण स्वरूप भाजपा 14045

1977 कृष्ण स्वरूप जेएनपी 30338 = 3108 पुरुषोत्तम लाल बधवार (राजाजी) कांग्रेस 27230

1974 पुरुषोत्तम लाल उरफ राजा जी कांग्रेस 35017 =14407 कृष्ण स्वरुप बीजेएस 20610

1969 कृष्ण स्वरुप बीजेएस 34730 =1036 9 फखरे आलम कांग्रेस 24361

1967 एम। ए अहमद आरपीआई 15879 =2708 एच। बी गोयल निर्दलीय 13171

1962 रुखम सिंह कांग्रेस १६०९१= 608 अस्रार अहमद निर्दलीय 14490

1957 टिका राम निर्दलीय 22286 = 1453 असर अहमद कांग्रेस 20833

विकास कार्य :

नवनिर्वाचित विकास कार्य जनवरी 2019 में प्रकाशित किया जायेगा
राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी