शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : माननीय शमा परवीन
पद : नगर पंचायत सदस्य
वॉर्ड : 7 नुरुल्ला पश्चिम
नगर पंचायत कुंदरकी
ज़िला : मुरादाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : समाजवादी पार्टी
चुनाव : 2017 - 207 वोट
सम्मान :
माननीय जी से अभी विवरण और सामाजिक कार्य हेतु कोई डोनेशन और जानकारी प्राप्त नहीं हुआ है जल्दी है सम्मानित किया जायेगा

विवरण :

 

माननीय शमा परवीन

कुंदरकी नगर पंचायत के बारे में

नगर पंचयत में कुल 23690 मतदाता हैं, कुंदरकी; शहर में कुल 15 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी समर्थित नगर नगर पंचायत की अध्यक्ष पद पर श्रीमती जीनत मेहँदी जी ने कुल पड़े मत संख्या 15756 से से (4501) 29.77 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार

श्रीमती नसीमा (आम आदमी पार्टी) (2245) को 2 हजार अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता

3-नीलम (भारतीय जनता पार्टी) 1723 मत प्राप्त किये

५- अर्शिया (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) 1667 मत प्राप्त किये

श्रीमती जीनत मेहँदी पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष मेहन्दी हसन जी की द्राम पार्टी हैं जो सपा विधायक हाजी मोहद. रिज़वान के बहुत करीबी हैं क्षेत्र के कद्दावर नेता समाज सेवी हैं जो पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं अपनी जुझरु मिलनसार होने के कारण क्षेत्र के नागरिक बहुत सम्मान देते हैं,

कुंदरकी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिले में एक नगर है, कुंदरकी ब्लॉक मुख्यालय कुंदरकी शहर है। यह मुरादाबाद डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह मुरादाबाद जिले के मुख्यालय से दक्षिण की ओर 16 किमी स्थित है। राज्य की राजधानी लखनऊ से पूर्व की ओर 34 9 किलोमीटर

कुंदरकी तहसील को मोरदाबाद तहसील ने उत्तर दिशा में, मुंडा पांडेय तहसील की ओर पूर्व, बिलाड़ी तहसील की ओर दक्षिण की तरफ, असमौली तहसील पश्चिम की तरफ है। सिरसी शहर, मोरादाबाद शहर, संभल शहर, रामपुर शहर कुंडकारी के निकट शहर हैं।

यह 198 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।

मुरादाबाद, काशीपुर, रामनगर, हस्तिनापुर, कॉर्बेट नेशनल पार्क (जिम कॉर्बेट) महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल देखने के लिए निकट हैं।

कुंडकारी तहसील की जनसांख्यिकी

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है इसके अलावा लोग उर्दू, अंग्रेजी, खड़ीबाली, हरयानवी, पंजाबी, कुमाओनी बोलते हैं।

कुंदरकी ब्लॉक का मौसम और जलवायु
गर्मियों में गर्म है कुंडकारी गर्मी में उच्चतम तापमान 25 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है। जनवरी के औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, फरवरी 16 डिग्री सेल्सियस, मार्च 23 डिग्री सेल्सियस, अप्रैल 30 डिग्री सेल्सियस, मई 35 डिग्री सेल्सियस रहा है

कुंडकारी नगर पहुंचने के लिए

रेल द्वारा

फरेदी रेलवे स्टेशन, कुंदरकी रेलवे स्टेशन कुंडकारी बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। भी मुरादाबाद रेलवे स्टेशन कुंदरकी के पास 15 किलोमीटर की दूरी पर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

कुंदरकी तहसील के पिन कोड
202413 (कुंडकारी), 244301 (सिरसी (मोरादाबाद)), 202411 (बिलारी), 244102 (पक्कावार), 244001 (मोरादाबाद)

आस पास के शहर सिरसी 15 किलोमीटर
मोरादाबाद 19 किलोमीटर
संभल करीब 26 किलोमीटर
रामपुर 31 किमी

पास के तालुक
कुंदरकी 0 के.एम.
मोरादाबाद 15 किलोमीटर
मुंडा पांडे 18 के.एम.
बिलारी 19 किलोमीटर

एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर हवाई अड्डा 87 किमी
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 14 9 के.एम.
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 182 के.एम.
खेरिया हवाई अड्डा 212 के.एम.

जिले से पास
मोरादाबाद 15 किलोमीटर
रामपुर 30 के.एम.
ज्योतिबा फुले नगर 39 किलोमीटर
उडम सिंह नगर 77 किमी

रेलवे स्टेशन के पास
फ़ारेदी रेलवे स्टेशन 3.8 के.एम.
कुंदराखी रेल वे स्टेशन 4.6 किमी
मचार्य रेलवे स्टेशन 6.0 के.एम.
मोरादाबाद रेलवे स्टेशन 15 किलोमीटर
रामपुर रेलवे स्टेशन 30 किलोमीटर दूरbr />
कुंडकारी तहसील में राजनीति

इस क्षेत्र में भाजपा, सपा, बसपा प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
कुंदरकी तहसील कई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में आती है।
कुंडकारी तहसील में कुल 2 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।

निर्वाचन क्षेत्र के नाम विधायक पार्टी

कुंदराकी मोहम्मद (रिज़वान) एसपी Contact Number: 9759672095

कुंदरकी संभल संसद निर्वाचन क्षेत्र में आती है,
मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह (बीजेपी) Mob : 0956863983 हैं

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में मंडल

भगतपुर टांडा, कुंदरकी , मोरादाबाद, मुंडा पांडे

कुंदरकी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012 मोहम्मद रिजवान एसपी 81302 17201 रामवीर सिंह भाजपा 64101

2007 अकबर हुसैन बीएसपी 50626 9270 हसी मोहम्मद रिजवान एसपी सपा 41356

2002 मोहम्मद। रिजवान एसपी 53348 17882 रिशीपाल सिंह भाजपा भाजपा भाजपा 35466

1996 अकबर हुसैन बीएसपी 51888 200 मोहम्मद रिजवान सपा 51,688

1993 चंद्र विजय सिंह उरफ बेबी राजा भाजपा 73083 23288 अकबर हुसैन जेडी 49795

1991 अकबर हुसैन जेडी 4139 6431 रीना कुमारी कांग्रेस 34959

1989 चंद्र विजय सिंह जेडी 39333 9063 रीना कुमारी कांग्रेस 30270

1985 रीना कुमारी कांग्रेस 36347 11327 अकबर हुसैन एलकेडी 25020

1980 अकबर हुसैन जेएनपी (एसआर) 21247 4007 राम कुंवर सिंह कांग्रेस (आई)17240

1977 अकबर हुसैन जेएनपी 19655 =10192 हर ज्ञान सिंह निर्दलीय 9463

1 9 74 इन्द्र मोहिनी कांग्रेस 27573 =5985 गुलाम मोहम्मद खान निर्दलीय 21588

1969 माही लाल बीकेडी 23398 = 2713 देवी सिंह कांग्रेस 20685

1967 एम लाल लाल 16060 =9496 एच एच। राम कांग्रेस 11092

विकास कार्य :

2019

राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी