अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : माननीय देश रतन कत्याल
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : 60 गाँधी नगर
नगर निगम मुरादाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : 2017 - 3133/1514 वोट
सम्मान :
माननीय जी से अभी विवरण और सामाजिक कार्य हेतु कोई डोनेशन और जानकारी प्राप्त नहीं हुआ है जल्दी है सम्मानित किया जायेगा

विवरण :

 

introduction

Honorable Desh Ratan Katyal 

Councillor 60 Gandhi Nagar

Municipal corporation moradabad

Uttar Pradesh

Mob 9837080082

Qualification - Graduates

Support - Bharatiya Janata Party

वार्ड न. 60 गाँधी नगर के बारे में 

गाँधी नगर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मुरादाबाद शहर में एक इलाका है। यह नगर निगम मुरादाबाद के अंतर्गत आता है।

बुध बाजार, ईदगाह , असालतपुरा, लाजपतनगर, गाँधी नगर के नजदीकी इलाके हैं।

वार्ड में कुल 7695 मतदाता हैं ,निकाय चुनाव 2017 में वार्ड न. 60 गाँधी नगर से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी माननीय देश रतन कत्याल जी  को कुल पड़े मत

 संख्या 3133 में से (1514) 48.32  प्रतिशत मत पाकर निकटतम प्रत्याशी 

2 - आलोक यादव =  समाजवादी पार्टी (928) 29.62 प्रतिशत मत प्राप्त कर दूसरे न. 

3  - प्रभुजीतसिंह, = शिव सेना (616) 19.66  प्रतिशत मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे 

माननीय देश रतन कत्याल जी 500 से अधिक मतों से जीतकर पार्षद पद पर  विजय  हासिल की 

नगर निगम मुरादाबाद के बारे में 

नगर निगम में कुल 623160 मतदाता हैं,  नगर में कुल 70  वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम महापौर पद पर माननीयविनोद अग्रवाल जी ने कुल पड़े मत संख्या 265600 में से (94677) 35.65 मत पाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार 

2 मौ0 रिजवान कुरैशी (73042) 27.5 को 20000  अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

3- मौ0 युसुफ = समाजवादी पार्टी (47740) 17.97 मत प्राप्त किये 

4  -लाखन सिंह सैनी बहुजन समाज पार्टी (32268) 12.15 मत प्राप्त कर तीसरे  न. पर रहे 

 

विकास कार्य :

2019

अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी