अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ नगर पालिका चेयरमैन/ सभासद परिचय सूची

नाम : माननीय सबिया निशात
पद : अध्यक्षा (चेयरमैन)
वॉर्ड : 0000 नगर
पालिका/परिषद नजीबाबाद
ज़िला : बिजनौर
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : समाजवादी पार्टी
चुनाव : 2017 37654/21174 वोट
सम्मान :
जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव समस्त क्षेत्र का विकास करेंगे एवं संस्था को सामाजिक कार्य में डोनेशन देकर सहयोग करने के लिए धन्यबाद - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

Introduction

Honorable Sabiya Nishat 

Chairman

Municipality Council Najibabad

District - Bijnor 

State - Uttar Pradesh

Mob - 9927856976

Merit - Masters

Support -Samajwadi Party

नगर पालिका परिषद नजीबाबाद के बारे में

नगर पालिका परिषद में कुल 69322 मतदाता हैं, नजीबाबाद नगर में कुल 25  वार्ड हैं। निकाय 2017 में चुनाव में समाजवादी पार्टी समर्थित नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद पर माननीय सबिया निशात उर्फ रेशम जी ने कुल पड़े मत संख्या 37654 से (21174) 58.41 मत पकर भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार

2 - ज्योति = भारतीय जनता पार्टी (7386) 20.37 से 13788अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

3- रिहाना = बहुजन समाज पार्टी (5942) 16.39 मत मिले जमानत जब्त

4 - गीता देवी = निर्दलीय (714) 1.97 मत प्राप्त कर चौथी न पर रहीं जमानत जब्त 

नजीबाबाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर जिले में एक नगर पालिका परिषद् है। नजीबाबाद का हेड क्वार्टर बिजनौर शहर है। यह मुरादाबाद डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय बिजनौर से उत्तर में 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 471 किमी राज्य की राजधानी लखनऊ से दक्षिण की तरफ।

नजीबाबाद ब्लॉक दक्षिण की ओर किरणपुर ब्लॉक, दक्षिण की तरफ कोटवाली ब्लॉक, दक्षिण की ओर मोहम्मदपुर देवपाल ब्लॉक, पश्चिम की तरफ लक्सर ब्लॉक से घिरा हुआ है। नजीबाबाद सिटी, नगीना सिटी, कोटद्वारा सिटी, बिजनौर सिटी नजीबाबाद के नजदीकी शहर हैं।

यह 26 9 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।

हरिद्वार, लांसडाउन (कलुदांडा), रुड़की, ऋषिकेश (ऋषिकेश), हस्तीनापुर देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के निकट हैं।

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। लोग भी उर्दू बोलते हैं।

नजीबाबाद  का मौसम और जलवायु

गर्मियों में गर्म नहीं है। नजीबाबाद गर्मी का सबसे ऊंचा दिन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री सेल्सियस के बीच है।

जनवरी का औसत तापमान 14 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 15 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 22 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 28 डिग्री सेल्सियस है, मई 32 डिग्री सेल्सियस है।

नजीबाबाद नगर पालिका कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

फजलपुर रेल वे स्टेशन, नजीबाबाद रेलवे स्टेशन नजीबाबाद पालिका के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन नजीबाबाद के पास 44 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

नजीबाबाद ब्लॉक के पिन कोड

246763 (नजीबाबाद), 246724 (बदलापुर), 246732 (नागल (बिजनौर)), 24674 9 (सहानपुर), 246722 (अफजलगढ़), 246761 (धामपुर), 246734 (नूरपुर)

आस पास के शहर

नजीबाबाद 5 किमी निकट

Nagina 25 किमी निकट

कोटद्वारा 32 किलोमीटर 

बिजनौर 34 किलोमीटर

ब्लॉक के नजदीक 

नजीबाबाद 0 किलोमीटर 

किरतपुर 13 किमी 

कोटवाली 24 किलोमीटर 

मोहम्मदपुर देवमल 26 किमी

हवाई अड्डे के पास

मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 71 किलोमीटर दूर है

देहरादून हवाई अड्डा 92 किलोमीटर दूर है

पंतनगर हवाई अड्डे के पास 147 किमी

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय184 किमी

जिलों के पास

बिजनौर 34 किलोमीटर 

हरिद्वार 44 किमी 

मुजफ्फरनगर 66 किलोमीटर 

पौरी गढ़वाल 84 किलोमीटर दूर 

रेलवे स्टेशन के पास 

फजलपुर रेलवे स्टेशन 2.6 किलोमीटर

नजीबाबाद  रेलवे स्टेशन 5.1 किमी 

मुजमपुर नरीन रेलवे स्टेशन 8.3 किलोमीटर

नगीना रेलवे स्टेशन 25 किलोमीटर

 

नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों

जेएस, बीकेडी, बीएसपी, कांग्रेस,सीपीएम, बीजेपी, बीजेएस,

बिजनौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के वर्तमान सांसद 

माननीय यशवंत सिन्हा (भारतीय जनता पार्टी )

नजीबाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के वर्तमान विधायक 

माननीय तस्लीम अहमद (समाजवादी पार्टी) संपर्क 9568169985

नजीबाबाद विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

किरतपुर, नजीबाबाद

नजीबाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012  तस्लीम बीएसपी 62713 = 11583 राजीव कुमार अग्रवाल बीजेपी  51130

2007 (एससी) शीश राम बीएसपी 49848 = 7988 राज कुमार सीपीएम 41860

2002 (एससी) राम स्वरुप सिंह सीपीएम 40426 = 4842 शीश राम बीएसपी 35584

1996 (एससी) रामसरुप सिंह सीपीएम 58370 = 11409 राजा राम बीजेपी  46961

1993 (एससी) रामसरुप सिंह सीपीएम 46401 = 5912 राजेंद्र प्रसाद बीजेपी  4048 9

1991 (एससी) राजेंद्र बीजेपी 34730 = 15829 तिलक राम सीपीआई 18901

1989 (एससी) वाल्देवा सिंह बीएसपी 27917 = 4760 अरविंद कांग्रेस 23157

1985 (एससी) सुक्कम सिंह कांग्रेस 30679 = 9799 राम स्वरुप सिंह सीपीएम 20880

1980 (एससी) रती राम कांग्रेस 17833 = 4360 राम स्वरुप सीपीएम  13473

1977 (एससी) मुकंदी सिंह जेएनपी 26564 = 13274 सुखान सिंह कांग्रेस 13290

1974 (एससी) सुखान सिंह आईएनसी 16636 =5323 मुकंदी सिंह बीकेडी 11313

1969  देवेंद्र सिंह बीकेडी 28138 = 173 शफीक अहमद कांग्रेस 27965

1967  के डी सिंह निर्दलीय 27152 = 12463 एम। सद्दीक इंकआईएनसी 

1962  श्री राम जेएस 24764 =2469 अतीकुल रहमानकांग्रेस 22295

1958  ए रहमान इंक 17205 = 1841 के.वाय. पाल जे एस जे एस जे एस 15,364

1957  हाफिज मोहम्मद। इब्राहिम कांग्रेस 32321 = 13009 नायपाल सिंह बीजेएस  19312

 

विकास कार्य :

2019 SHOW

समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की जनता को क्या क्या यौजना नागरिकों के लिये लागू की हैं

 प्रदेश मे किये गये विकास कार्य

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले 5 वर्षों में क्या-क्या कार्य किये, इसकी एक संक्षिप्त बानगी

*1. किसानों की कर्ज माफ़ी - 1650 करोड़*

*2. ओला पीड़ित किसानों को मदद – 2900 करोड़*

*3. किसानों का फिर ऋण माफ़ी – 38000 करोड़*

*4. किसानों को क्रेडिट कार्ड – 36लाख किसान परिवार*

*5. किसानों को अनुदान – 25 हजार करोड़*

*6. किसानों का दुर्घटना बीमा – 2.72 लाख किसान*

*7. मुफ्त सिंचाई – 55 लाख किसान परिवार*

*8. मुफ्त बैटरी रिक्शे – 2.5 लाख*

*9. बुनकरों का बकाया बिजली बिल माफ़*

*10. मजदूरों को बीमा व् पेंशन अनुदान*

*11. मजदूरों को मुफ्त सायकिलें – 1 लाख से ज्यादा*

*12. मुफ्त दवाई व जांच*

*13. मुफ्त शिक्षा, ड्रेस मिड डे मील–2 करोड़ छात्र-छात्राएं

*14. गरीबों को बहुत कम कीमत में अनाज*

*15. बेरोजगारी भत्ता –1000₹ की दर से 12 लाख बेरोजगारों को

*16. समाजवादी पेंशन – 50 लाख से ज्यादा लोगों को*

*17. कन्या विद्याधन – 89 हजार छात्रायें

*18. नि:शुल्क लैपटाप – 15 लाख

*19. रसोइयों को मानदेय – 4 लाख

*20. नौकरियां – 4 लाख 21 हजार

*21. 2016 के अंत में नई नौकरियों का प्रवधान – 2 लाख

*22. शादी हेतु अनुदान – 82916 लड़कियों को

*23. अल्पसंख्यक मदरसों को अनुदान

*24. मेट्रो – 5 महानगरों में योजना लखनऊ में 2 से 3 माह के अंदर मेट्रो का सुहाना सफर शुरू।

*25. लखनऊ – आगरा एक्सप्रेस वे मार्ग

*26. लखनऊ – बलिया समाजवादी एक्सप्रेस वे मार्ग का काम शुरू

*27. इटावा में लायन सफारी की स्थापना

*28. ग्रेटर नोएडा में नाईट सफारी

*29. फिल्म सिटी हेतु जगह चयनित

*30. ललितपुर में 660 मेगावाट का सोलर बिजली घर

*31. एटा में 1320 मेगावाट का बिजली घर*

*32. हरदुआगंज में – 660 मेगावाट का बिजलीघर*

*33. नई सडक – 1966 किलोमीटर*

*34. सडकों का नवीनिकरण – 10200 किलोमीटर*

*35. गड्ढा मुक्त सड़के – 60107 किलोमीटर*

*36. पुलों का निर्माण – 43*

*37. औद्योगिक निवेश – 65 हजार करोड़*

*38. नई बैंक शाखाएँ – 3200*

*39. सायकिल ट्रैक*

*40. बुंदेलखंड में नये बांधों का निर्माण*

*41. बुंदेलखंड विकास के लिए कई सहायता पैकेज*

*42. एशिया का सबसे बड़ा पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क का निर्माण*

*43. सिनेमा घर - 560*

*44. इत्र पार्क की स्थापना*

*45. इत्र म्यूजियम की स्थापना*

*46. हस्तशिल्प पार्क *

*47. महिला बाजारों की शुरुआत*

*48. लखीमपुर के विकास के लिए करोड़ो का पैकेज दिये और 4 लेन से जोड़ने का काम किये।

*49. 23 करोड़ पेड़ लगाने का रिकार्ड आने वाली पीढ़ी को स्वक्ष वातावरण देने के लिए*

*50. दुग्ध उद्योग को बढ़ावा*

*51. नये हैण्ड पम्प – 61572*

*52. 50 पीड़ित परिवारों को 20-45 लाख की मदद*

*53. हजारों परिवारों को 5-5 लाख की मदद*

*54. सात जिलों में नये मेडिकल कालेज*

*55. 108 व 102 एम्बुलेंस सेवा का नि:शुल्क संचालन*

*56. बृद्धावस्था पेंशन – 52 हजार बुजुर्गों को*

*57. बेटियों की शादी के लिए अनुदान – 10 हजार रूपये*

*58. सस्ते आवास – 3 लाख*

*59. अपराध नियंत्रण के लिए थानों को दी गयी नई गाड़ियाँ – 1056*

*60.डॉयल 100 को किया गया और विश्व लेबल की टेक्नालॉजी से युक्त जिससे अपराध मुक्त हो उत्तर-प्रदेश*

*61. पुलिस भर्ती – 41 हजार*

*62. वैट माफ़ – 50 जरूरी चीजों पर*

*63.गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर,हर्ट बाईपास एवं किडनी ट्रांसप्लांट आदि बीमारियों के इलाज हेतु विशेष सहायता राशि की व्यवस्था।*

*64.रायबरेली में मुफ्त जमीन देकर एम्स का निर्माण करवाना ।*

*65.समग्र-लोहिया ग्राम योजना के माध्यम से गाँवों का सम्पूर्ण विकास एवं गरीबों को मुफ़्त 3.5 लाख ₹ के आवास।*

*66.जनेश्वर मिश्र योजना के अंतर्गत गाँवो का चयन करके गांव में विकास कार्य*

*67.सोनभद्र में अनपरा डी की एक नई इकाई का लोकार्पण कर बढ़ाया विधुत उत्पादन एक और नई पर कार्य प्रगति पर*

*68.किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प और अन्य कृषक उपकरण व्यवस्था।*

*69.महिलाओं की सुरक्षा हेतु 1090 का कुशल संचालन जिससे सोहदों पर लगा नियंत्रण*

*70.छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति के माध्यम से मुफ्त शिक्षा व्यवस्था का प्रबन्ध*

*71.कौशल विकास मिशन के माध्यम से युवाओं को मुफ्त में शिक्षित कर रोजगार दिलाना*

*72.हौसला पोषण योजना’ का शुभारंभ, गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों को मिलेगा लाभ*

73. 17 जातियो को sc का दर्जा देन का वादा पूरा किया है ।

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय,
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों (स्त्रियों) में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे।
बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो।
अपने चार भाइयो में अशफाकुल्ला सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के सहकर्मी थे। जब मणिपुर की घटना के बाद बिस्मिल को भगोड़ा घोषित किया गया तब रियासत अपने छोटे भाई अश्फाक को बिस्मिल की बहादुरी के किस्से सुनाते थे। तभी से अश्फाक को बिस्मिल से मिलने की काफी इच्छा थी, क्योकि अश्फाक भी एक कवी थे और बिस्मिल भी एक कवी ही थे। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। 1920 में जब बिस्मिल शाहजहाँपुर आये और जब उन्होंने स्वयं को व्यापार में वस्त कर लिया, तब अश्फाक ने बहोत सी बार उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उस समय बिस्मिल ने कोई ध्यान नही दिया था।
1922 में जब नॉन-कोऑपरेशन (असहयोग आन्दोलन) अभियान शुरू हुआ और जब बिस्मिल ने शाहजहाँपुर में लोगो को इस अभियान के बारे में बताने के लिये मीटिंग आयोजित की तब एक पब्लिक मीटिंग में अशफाकुल्ला की मुलाकात बिस्मिल से हुई थी धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और उन्होंने बिस्मिल को अपने परिचय भी दिया की वे अपने सहकर्मी के छोटे भाई है। उन्होंने बिस्मिल को यह भी बताया की वे अपने उपनाम 'वारसी' और 'हसरत' से कविताये भी लिखते है। बाद में उनके दल के भरोसेमंद साथी बन गए। इस तरह से वे क्रांतिकारी जीवन में आ गए। बाद में कुछ समय तक साथ रहने के बाद अश्फाक और बिस्मिल भी अच्छे दोस्त बन गये। अश्फाक जब भी कुछ लिखते थे तो तुरंत बिस्मिल को जाकर दिखाते थे और बिस्मिल उनकी जांच कर के गलतियों को सुधारते भी थे। कई बाद तो बिस्मिल और अश्फाक के बीच कविताओ और शायरियो की जुगलबंदी भी होती थी, जिसे उर्दू भाषा में मुशायरा भी कहा जाता है।
वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे उनके लिये मंदिर और मस्जिद एक समान थे। एक बार शाहजहाँपुर में हिन्दू और मुसलमान आपस में झगड़ गए और मारपीट शुरू हो गयी। उस समय अशफाक बिस्मिल के साथ आर्य समाज मन्दिर में बैठे हुए थे। कुछ मुसलमान मंदिर पर आक्रमण करने की फ़िराक में थे। अशफाक ने फ़ौरन पिस्तौल निकाल लिया और गरजते हुए बोले 'मैं भी कट्टर मुस्लमान हूँ लेकिन इस मन्दिर की एक एक ईट मुझे प्राणों से प्यारी हैं। मेरे लिये मंदिर और मस्जिद की प्रतिष्ठा बराबर है। अगर किसी ने भी इस मंदिर की नजर उठाई तो मेरी गोली का निशाना बनेगा। अगर तुम्हें लड़ना है तो बाहर सड़क पर जाकर खूब लड़ो।' यह सुनकर सभी के होश उड़ गए और किसी का साहस नहीं हुआ कि उस मंदिर पर हमला करे।
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफ़ाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो डाला।
राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की दोस्ती :-
चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे। अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे। उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ वह शाहजहांपुर के प्रतिष्ठित और समर्पित क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए।
आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे। वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे। धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था। यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए। धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।
काकोरी कांड
जब क्रांतिकारियों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों से विनम्रता से बात करना या किसी भी प्रकार का आग्रह करना फिजूल है तो उन्होंने विस्फोटकों और गोलीबारी का प्रयोग करने की योजना बनाई। इस समय जो क्रांतिकारी विचारधारा विकसित हुई वह पुराने स्वतंत्रता सेनानियों और गांधी जी की विचारधारा से बिलकुल उलट थी। लेकिन इन सब सामग्रियों के लिए अधिकाधिक धन की आवश्यकता थी। इसीलिए राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया। उन्होंने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों के इस बहादुरी भरे कदम से भौंचक्की रह गई थी। इसलिए इस बात को बहुत ही सीरियसली लेते हुए सरकार ने कुख्यात स्कॉटलैंड यार्ड को इसकी तफ्तीश में लगा दिया। एक महीने तक CID ने भी पूरी मेहनत से एक-एक सुबूत जुटाए और बहुत सारे क्रांतिकारियों को एक ही रात में गिरफ्तार करने में कामयाब रही। 26 सितंबर 1925 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। और सारे लोग भी शाहजहांपुर में ही पकड़े गए। पर अशफाक बनारस भाग निकले। जहां से वो बिहार चले गए। वहां वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीनों तक काम करते रहे। वो गदर क्रांति के लाला हरदयाल से मिलने विदेश भी जाना चाहते थे।
अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिए अशफाक उनकी मदद चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली गए जहां से उनका विदेश जाने का प्लान था। पर उनके एक अफगान दोस्त ने, जिस पर अशफाक को बहुत भरोसा था, उन्हें धोखा दे दिया। और अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी