अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ नगर पालिका चेयरमैन/ सभासद परिचय सूची

नाम : श्रीमती.आरती.शुक्ला
पद : नगर पालिका अध्यक्षा
वॉर्ड : 00
पालिका/परिषद सिवनी
ज़िला : सिवनी
राज्य : मध्य प्रदेश
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : 2018 na वोट
सम्मान :
माननीय जी को निकाय चुनाव 2018 में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव समस्त क्षेत्र का विकास करेंगे एवं संस्था को सामाजिक कार्य महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए माननीय जी को शहीद अशफाक उल्लाह खां नगर पालिका अध्यक्ष / सभासद सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

introduction

Honorable : Smt Aarti Shukla 

Designation : Chairman

Municipal Council of Seoni

Madhya Pradesh

Mob  9424393814

Eligibility - Graduate

Support - BJP

 

नगर पालिका सिवनी के बारे में

सिवनी मध्य प्रदेश राज्य, भारत के सिवनी जिले में एक नगर पालिका परिषद् है जिसमे 26 वार्ड शामिल हैं जिसकी नगर पालिका अध्यक्षा सर्व.श्रीमती.आरती.शुक्ला भारतीय जनता पार्टी द्वारा समर्थित हैं । यह जबलपुर डिवीजन से संबंधित है। राज्य की राजधानी भोपाल से पश्चिम की तरफ 2 9 4 किमी।

सिवनी शहर बरगत तहसील द्वारा पूर्व की तरफ, छपरा तहसील उत्तर की तरफ, कुराई तहसील दक्षिण की ओर, चौराई तहसील पश्चिम की तरफ है। सेनी सिटी, छिंदवाड़ा शहर, वारा सिवनी सिटी, नैनपुर सिटी, सिवनी के नजदीकी शहर हैं।

सिवनी (शिव-नी), पेंच नेशनल पार्क, भंडारा, कान्हा नेशनल पार्क, भेदघाट देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के नजदीक हैं।

सिवनी शहर की जनसांख्यिकी

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। सिवनी जिले की कुल जनसंख्या 57,756 सदनों में 2 9 6,777 रहती है, जो कुल 300 गांवों और 147 पंचायतों में फैली हुई है। पुरुष 152,058 हैं और महिलाएं 144,71 9 हैं

गांवों में कुल 89,801 लोग रहते हैं और गांवों में 206, 9 76 लोग रहते हैं

सिवनी शहर में राजनीति

बीजेपी, कांग्रेस इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

संसद निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा सांसद 

माननीय  बोधसिंह भगत बीजेपी संपर्क न. ।

सीओनी विधानसभा क्षेत्र वर्तमान विधायक

माननीय दिनेश राय मुन्नमुन निर्दलीय संपर्क न.  9425175907

 

सेनी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

1951 दादू महेंद्रनाथ सिंह 

1957 दादू महेंद्रनाथ सिंह ए

1962 राजकुमारी प्रभावती 

1967 एम आर जटर

1972 नितेंद्र नाथ शील 

1977 प्रभा भार्गवा 

1980 अब्दुल रहमान फारुकी 

1985 रमेश चंद जैन  

1990 महेश प्रसाद शुक्ला 

1998 नरेश दिवाकर (डीएन) 

2003 नरेश दीवाकर (डी एन) 

2008 नीता पटेरिया 

2013 दिनेश राय मुनमुन 

सिवनी शहर का मौसम और जलवायु

गर्मियों में यह बहुत गर्म है। सेनी ग्रीष्मकालीन उच्चतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है।

जनवरी का औसत तापमान 1 9 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 23 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 27 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 32 डिग्री सेल्सियस है, मई 37 डिग्री सेल्सियस है।

सिवनी शहर कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

सिवनी रेलवे स्टेशन सीनी सिटी के पास के पास के रेलवे स्टेशन हैं। कैसे नागपुर रेल वे स्टेशन सीओनी के पास प्रमुख रेलवे स्टेशन 134 किलोमीटर है

सेनी शहर के पिन कोड

480882 (बैंडोल), 480661 (सेनी), 480 9 0 9 (कानिवाड़ा), 480771 (एरी), 480 991 (खैरपलारी), 480886 (लखनादन), 480667 (बरघाट), 480 99 4 (केओलारी)

आस पास के शहर

छिंदवाड़ा 72 किलोमीटर दूर है

वारा सेनी 74 किमी निकट

तालुक के नजदीक

 नैनपुर 74 किमी

Seoni 0 किमी निकट

बारघाट 30 किलोमीटर दूर

छपारा 33 किमी निकट

एयर पोर्ट्स के नजदीक

जबलपुर हवाई अड्डे के पास 78 किलोमीटर दूर है

सोनेगांव हवाई अड्डे के पास 142 किमी

रायपुर हवाई अड्डे के पास 279 किलोमीटर दूर है

भोपाल हवाई अड्डे के पास 2 9 0 किमी

जिलों के पास

Seoni  7 किमी निकट

छिंदवाड़ा 70 किलोमीटर दूर है

बालाघाट 83 किलोमीटर निकट है

रेलवे स्टेशन के पास 

नर्सिंगपुर 110 किलोमीटर दूर है

सेनी रेल वे स्टेशन 8.4 किलोमीटर दूर है

तिरोरा रेल वे स्टेशन 99 किलोमीटर दूर है

तुम्सार रोड रेल वे स्टेशन 102 किलोमीटर दूर है

विकास कार्य :

2019

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय,
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों (स्त्रियों) में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे।
बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो।
अपने चार भाइयो में अशफाकुल्ला सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के सहकर्मी थे। जब मणिपुर की घटना के बाद बिस्मिल को भगोड़ा घोषित किया गया तब रियासत अपने छोटे भाई अश्फाक को बिस्मिल की बहादुरी के किस्से सुनाते थे। तभी से अश्फाक को बिस्मिल से मिलने की काफी इच्छा थी, क्योकि अश्फाक भी एक कवी थे और बिस्मिल भी एक कवी ही थे। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। 1920 में जब बिस्मिल शाहजहाँपुर आये और जब उन्होंने स्वयं को व्यापार में वस्त कर लिया, तब अश्फाक ने बहोत सी बार उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उस समय बिस्मिल ने कोई ध्यान नही दिया था।
1922 में जब नॉन-कोऑपरेशन (असहयोग आन्दोलन) अभियान शुरू हुआ और जब बिस्मिल ने शाहजहाँपुर में लोगो को इस अभियान के बारे में बताने के लिये मीटिंग आयोजित की तब एक पब्लिक मीटिंग में अशफाकुल्ला की मुलाकात बिस्मिल से हुई थी धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और उन्होंने बिस्मिल को अपने परिचय भी दिया की वे अपने सहकर्मी के छोटे भाई है। उन्होंने बिस्मिल को यह भी बताया की वे अपने उपनाम 'वारसी' और 'हसरत' से कविताये भी लिखते है। बाद में उनके दल के भरोसेमंद साथी बन गए। इस तरह से वे क्रांतिकारी जीवन में आ गए। बाद में कुछ समय तक साथ रहने के बाद अश्फाक और बिस्मिल भी अच्छे दोस्त बन गये। अश्फाक जब भी कुछ लिखते थे तो तुरंत बिस्मिल को जाकर दिखाते थे और बिस्मिल उनकी जांच कर के गलतियों को सुधारते भी थे। कई बाद तो बिस्मिल और अश्फाक के बीच कविताओ और शायरियो की जुगलबंदी भी होती थी, जिसे उर्दू भाषा में मुशायरा भी कहा जाता है।
वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे उनके लिये मंदिर और मस्जिद एक समान थे। एक बार शाहजहाँपुर में हिन्दू और मुसलमान आपस में झगड़ गए और मारपीट शुरू हो गयी। उस समय अशफाक बिस्मिल के साथ आर्य समाज मन्दिर में बैठे हुए थे। कुछ मुसलमान मंदिर पर आक्रमण करने की फ़िराक में थे। अशफाक ने फ़ौरन पिस्तौल निकाल लिया और गरजते हुए बोले 'मैं भी कट्टर मुस्लमान हूँ लेकिन इस मन्दिर की एक एक ईट मुझे प्राणों से प्यारी हैं। मेरे लिये मंदिर और मस्जिद की प्रतिष्ठा बराबर है। अगर किसी ने भी इस मंदिर की नजर उठाई तो मेरी गोली का निशाना बनेगा। अगर तुम्हें लड़ना है तो बाहर सड़क पर जाकर खूब लड़ो।' यह सुनकर सभी के होश उड़ गए और किसी का साहस नहीं हुआ कि उस मंदिर पर हमला करे।
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफ़ाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो डाला।
राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की दोस्ती :-
चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे। अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे। उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ वह शाहजहांपुर के प्रतिष्ठित और समर्पित क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए।
आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे। वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे। धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था। यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए। धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।
काकोरी कांड
जब क्रांतिकारियों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों से विनम्रता से बात करना या किसी भी प्रकार का आग्रह करना फिजूल है तो उन्होंने विस्फोटकों और गोलीबारी का प्रयोग करने की योजना बनाई। इस समय जो क्रांतिकारी विचारधारा विकसित हुई वह पुराने स्वतंत्रता सेनानियों और गांधी जी की विचारधारा से बिलकुल उलट थी। लेकिन इन सब सामग्रियों के लिए अधिकाधिक धन की आवश्यकता थी। इसीलिए राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया। उन्होंने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों के इस बहादुरी भरे कदम से भौंचक्की रह गई थी। इसलिए इस बात को बहुत ही सीरियसली लेते हुए सरकार ने कुख्यात स्कॉटलैंड यार्ड को इसकी तफ्तीश में लगा दिया। एक महीने तक CID ने भी पूरी मेहनत से एक-एक सुबूत जुटाए और बहुत सारे क्रांतिकारियों को एक ही रात में गिरफ्तार करने में कामयाब रही। 26 सितंबर 1925 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। और सारे लोग भी शाहजहांपुर में ही पकड़े गए। पर अशफाक बनारस भाग निकले। जहां से वो बिहार चले गए। वहां वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीनों तक काम करते रहे। वो गदर क्रांति के लाला हरदयाल से मिलने विदेश भी जाना चाहते थे।
अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिए अशफाक उनकी मदद चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली गए जहां से उनका विदेश जाने का प्लान था। पर उनके एक अफगान दोस्त ने, जिस पर अशफाक को बहुत भरोसा था, उन्हें धोखा दे दिया। और अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी