शहीद उधम सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष/सदस्य परिचय सूची

नाम : मा.मोहम्मद यूसुफ
पद : जिला पंचायत सदस्य
वॉर्ड : 14-मालीहबाद तृतीय
ज़िला पंचायत : लखनऊ
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : बहुजन समाज पार्टी
चुनाव : 2015 28185/10569 वोट
सम्मान :
माननीय जी को निकाय चुनाव् में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर संस्था को सामाजिक कार्य महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए माननीय जी को शहीद उधम सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष / सदस्य सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

introduction

Honorable, Mohmmad Yusuf 

Post : Zila Panchayt Membar 

Ward No :  14 Thard Malihabad

District : Lucknow

State - Uttar Pradesh

Supporters : Bahujan Samaj Party 

Eligibility : Praimary

Mobile no.: 9918022904

 

जिला पंचायत चुनाव 2015 लख़नऊ के वार्ड न. 14 मालीहबाद तृतीय में  कुल मतदाता संख्या 39480 थी कुल पड़े मत संख्या 28185 में जिला पंचायत सदस्य माननीय मोहम्मद युसुफ  जी को कुल मत 10569 (39.52)मत प्राप्त कर अपनी निकटतम प्रत्याशी

२- निशा यादव = 8046  (30.08)मत पाकर दूसरे स्थान  

३- ज्ञान सिंह = 4235 (15.83)मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे 

माननीय मोहम्मद युसुफ जी ने २ हज़ार अधिक मतों से हराकर विजय प्राप्त की

मलिहाबाद  के बारे में

मालिहाबाद उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के लखनऊ जिले में एक ब्लॉक है। मलिहाबाद ब्लॉक हेड क्वार्टर मलिहाबाद शहर है। यह लखनऊ डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय लखनऊ से पश्चिम की तरफ 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राज्य की राजधानी लखनऊ से पूर्व में 27 किलोमीटर पूर्व की तरफ।

मालिहाबाद ब्लॉक पूर्व में काकोरी ब्लॉक, उत्तर की तरफ मल ब्लॉक, पश्चिम की तरफ औरस ब्लॉक, दक्षिण की ओर हसनगंज ब्लॉक से घिरा हुआ है। लखनऊ शहर, सैंडिला सिटी, सफपुर शहर, फतेहपुर चौरासी शहर मलिहाबाद के नजदीकी शहर हैं।

यह 130 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है। यह जगह लखनऊ जिला और उन्नाव जिले की सीमा में है। उन्नाव जिला हसनगंज इस जगह की तरफ दक्षिण है।

लखनऊ (अवध), बिथूर, कानपुर (कन्नपुर), नैमिशारन्या, कन्नौज (कानाउज) देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के नजदीक हैं।

मालिहाबाद ब्लॉक की जनसांख्यिकी

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है। इसके अलावा लोग उर्दू, अवधी बोलते हैं।

मालिहाबाद ब्लॉक में राजनीति

बीजेपी, एसपी, आरसीपी, बीएसपी, आईएनसी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

मलिहाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक ।

निर्वाचन क्षेत्र का नाम विधायक नाम पार्टी

मालिहाबाद जय देवी बीजेपी संपर्क न. 9793833158

मालिहाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।

काकोरी, माल, मालिहाबाद, सरोजानिनगर,

मलिहाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक विधायक का इतिहास।

2012  इंडल कुमार एसपी 62782 = 2215 कौशल किशोर आरसीपी 60567

2009 डॉ सिद्धार्थ शंकर बीएसपी 62617 = 26444 कौशल किशोर आरसीपी  36173

2007 (एससी) गौरी शंकर एसपी 44481 = 2229 मेवा लाल बीएसपी 42252

2002  कौशल किशोर निर्दलीय  62571 = 25535 श्री गौरी शंकर एसपी 37036

1996 (एससी) गौरी शंकर एसपी 42455 = 6191 कौशल किशोर सीपीआई 36264

1993 (एससी) गौरी शंकर एसपी 44226 = 6418 कौशल किशोर सीपीआई 37808

1991 (एससी) अशोक कुमार जेपी 22442 = 3465 सुख लाल बीजेपी 18977

1989 (एससी) जगदीश चंद्र जेडी 20514 286 कृष्णा रावत कांग्रेस  20228

1985 (एससी) कृष्णा रावत इंक 17618 12576 कालीचरण एलकेडी 5042

1984 (अनुसूचित जाति) बी.लाल   27868 = 7448 स.कुरील  कांग्रेस20420

1980  बैज नाथ कुरेल कांग्रेस  16177 = 8815 राम बक्स सोनकर बीजेपी  7362

1977  मैन सिंह आजाद जेएनपी 16743 = 2317 कैलाश पाटी  कांग्रेस14426

1974  कल्लाश पाटी कांग्रेस  15376 = 4880 राम बक्ष सोनकर बीजेएस 10496

1969 (एससी) बसंत लाल कांग्रेस23516 = 5777 सुख लाल बीजेएस 17739

1967 (एससी) बी लाल कांग्रेस  17469 = 768 एस लाल बीजेएस 16701

1962 राम पाल त्रिवेदी कांग्रेस 14056 = 351 अहमद वाली खान सीपीआई  13705

1957  राम पाल त्रिवेदी कांग्रेस 12531 = 626 अहमद वाली खान सीपीआई 11905

 संसद निर्वाचन क्षेत्र हैं।

निर्वाचन क्षेत्र का नाम एमपी नाम पार्टी

मोहनलालगंज कौशल किशोर भाजपा

लखनऊ राजनाथ सिंह भाजपा

मालिहाबाद ब्लॉक का मौसम और जलवायु

गर्मियों में गर्म है। मालिहाबाद गर्मी का सबसे ऊंचा दिन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 43 डिग्री सेल्सियस के बीच है।

जनवरी का औसत तापमान 13 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 18 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 2 9 डिग्री सेल्सियस है, मई 33 डिग्री सेल्सियस है।

मलिहाबाद ब्लॉक कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

मालिहाबाद रेल वे स्टेशन, दिलवारनगर रेल वे स्टेशन मलिहाबाद ब्लॉक के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। लखनऊ रेल वे स्टेशन मालीहाबाद के नजदीक 24 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

मालिहाबाद ब्लॉक के पिन कोड

226018 (वजीरगंज (लखनऊ)), 226001 (लालबाग (लखनऊ)), 227107 (काकोरी), 227111 (मालिहाबाद), 227125 (गोसाइंजंज (लखनऊ)), २२७१

आस पास के शहर

लखनऊ 27 किमी निकट

सैंडिला 2 9 किमी निकट

सफपुर 48 किमी निकट

फतेहपुर चौरसी 52 किलोमीटर दूर

 तालुक के पास

मालिहाबाद 0 किलोमीटर निकट है

काकोरी 9 किमी निकट है

मल 14 किलोमीटर निकट है

 एयर एयरपोर्ट के पास 

अमौसी हवाई अड्डे के पास 26 किलोमीटर दूर है

कानपुर हवाई अड्डे के पास 72 किलोमीटर दूर है

बमराउली हवाई अड्डे के पास 216 किलोमीटर दूर है

खजुराहो हवाई अड्डे 276 किमी निकटतम

जिलों के पास

लखनऊ के पास 25 किलोमीटर दूर है

बाराबंकी 52 किलोमीटर निकट है

अनना 54 किलोमीटर के पास

रेलवे स्टेशन के नजदीक 

कानपुर नगर 74 किमी

मालिहाबाद रेलवे स्टेशन 1.4 किलोमीटर दूर है

दिलवारनगर रेलवे स्टेशन 8.0 किमी निकटतम

अलामनगर रेलवे स्टेशन 18 किलोमीटर दूर है

विकास कार्य :

2019

शहीद उधम सिंह जीवनी
उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे। सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया। दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए।
उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात

उधम सिंह ने अनाथालय 1918 को अपनी मेट्रिक की पढाई के बाद छोड़ दिया। वो 13 अप्रैल 1919 को, उस जलिवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहका देने वाले बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। उसी समय General Reginald Edward Harry Dyer ने बाग़ के एक दरवाज़ा को छोड़ कर सभी दरवाजों को बंद करवा दिया और निहत्थे, साधारण व्यक्तियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। इस घटना में हजारों लोगों की मौत हो गयी। कई लोगों के शव तो कुए के अन्दर से मिले।
उधम सिंह को जेल
इस घटना के घुस्से और दुःख की आग के कारण उधम सिंह ने बदला लेने का सोचा। जल्दी ही उन्होंने भारत छोड़ा और वे अमरीका गए। उन्होंने 1920 के शुरुवात में Babbar Akali Movement के बारे में जाना और वे वापस भारत लौट आये। वो छुपा कर एक पिस्तौल ले कर आये थे जिसके कारण पकडे जाने पर अमृतसर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके कारण उन्हें 4 साल की जेल हुई बिना लाइसेंस पिस्तौल रखने के कारण।
जेल से छुटने के बाद इसके बाद वे अपने स्थाई निवास सुनाम Sunam में रहने के लिए आये पर वहां के व्रिटिश पुलिस वालों ने उन्हें परेशां किया जिसके कारण वे अमृतसर चले गए। अमृतसर में उधम सिंह ने एक दुकान खोला जिसमें एक पेंटर का बोर्ड लगाया और राम मुहम्मद सिंह आजाद के नाम से रहने लगे Ram Mohammad Singh Azad. उधम सिंह ने यह नाम कुछ इस तरीके से चुना था की इसमें सभी धर्मों के नाम मौजूद थे। उधम सिंह शहीद भगत सिंह के विचारों से प्रेरित उधम सिंह भगत सिंह के कार्यों और उनके क्रन्तिकारी समूह से बहुत ही प्रभावित हुए थे। 1935 जब वे कश्मीर गए थे, उन्हें भगत सिंह के तस्वीर के साथ पकड़ा गया था। उन्हें बिना किसी अपराध के भगत सिंह का सहयोगी मान लिया गया और भगत सिंह को उनका गुरु। उधम सिंह को देश भक्ति गीत गाना बहुत ही अच्छा लगता था और वे राम प्रसाद बिस्मिल के गीतों के बहुत शौक़ीन थे जो क्रांतिकारियों के एक महान कवी थे।
कश्मीर में कुछ महीने रहने के बाद, उधम सिंह ने भारत छोड़ा। 30 के दशक में वे इंग्लैंड गए। उधम सिंह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद 13 मार्च 1940 को आया।
लन्दन में उधम सिंह ने लिया जलिवाला हत्याकांड का बदला
उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society का मीटिंग था। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी। इस गोलीबारी के समय भारत के राज्य सचिव को भी Secretary of State for India चोट लग गयी जो इस सभा के प्रेसिडेंट President थे। सबसे बड़ी बात तो यह थी की उधम सिंह को यह करने का कोई भी डर नहीं था। वे वहां से भागे भी नहीं बस उनके मुख से यह बात निकली की – मैंने अपने देश का कर्तव्य पूरा कर दिया।
शहीद उधम सिंह की मृत्यु
1 अप्रैल, 1940, को उधम सिंह को जर्नल डायर Sir Michael O’Dwyer को हत्यारा माना गया। 4 जून 1940 को पूछताच के लिए सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट, पुराणी बरेली Central Criminal Court, Old Bailey में रखा गया था अलाकी उन्हें जस्टिस एटकिंसन Justice Atkinson के फांसी की सजा सुना दी थी। 15 जुलाई 1940 में एक अपील दायर की गयी थी उन्हें फांसी से बचाने के लिए परन्तु उसको खारीच कर दिया गया। 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को लन्दन के Pentonville जेल में फांसी लगा दिया गया।
उनकी एक आखरी इच्छा थी की उनके अस्थियों को उनके देश भेज दिया जाये पर यह नहीं किया गया। 1975 में भारत सरकार, पंजाब सरकार के साथ मिलकर उधम सिंह के अस्थियों को लाने में सफल हुई। उनको श्रदांजलि देने के लिए लाखों लोग जमा हुए थे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी उधम सिंह के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी