सर छोटूराम ग्राम प्रधान /सरपंच/मुखिया परिचय सूची

नाम : अजय कुमार दीक्षित
पद : ग्राम प्रधान
वॉर्ड : 00
पंचायत बावली
ब्लॉककुथोंड
ज़िला : जलौंन
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : निर्दलीय
चुनाव : 2016 1977/471 वोट
सम्मान :
NA

विवरण :

introduction

Name : Ajay. Kumar Dixit

Designation :Gram pardhan

Supporters - NA

Eligibility - Intar

Mobile No. - 9651732554

Panchayat Name Name : Bawali

Block Name : Kuthaund

District : Jalaun 

State : Uttar Pradesh 

Division : Jhansi 

Language : Hindi and Urdu 

Current Time 05:02 PM

Date: Monday , Oct 15,2018 (IST)

Telephone Code / Std Code: 05683 

Assembly constituency : Madhogarh assembly constituency 

Assembly MLA : Moolchandra Singh (BJP) Contact Number: 9415064357

Lok Sabha constituency : Jalaun parliamentary constituency 

Parliament MP : Bhanu Pratap Singh Verma (BJP) Tel : (05165) 244601, 09415055465 (M)

Pin Code : 285125 

Post Office Name : Kuthond

 

बावली के बारे में

ग्राम पंचायत जरैठा  चुनाव 2015 में कुल मतदाता संख्या 2830 थी कुल पड़े मत संख्या 1977 में ग्राम प्रधान माननीय अजय कुमार जी को कुल मत 471 (23.82)मत प्राप्त कर अपनी निकटतम प्रत्याशी

२- उम्मेद सिंह = 360  (18.21)मत पाकर दूसरे स्थान  

३- नागेन्द्र सिंह = 306 (15.48)मत पाकर तीसरे स्थान पर रही 

माननीय अजय कुमार जी ने लगभग 100 मतों अधिक से हराकर विजय प्राप्त की उनके ग्राम प्रधानों के हक़ के लिए संघर्ष को देखते हुए उनको जिला अध्यक्ष  राष्ट्रिय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन जलौंन के पद पर नियुक्त किया गया 

बावली भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जलौंन जिले में कुथुंड ब्लॉक में एक गांव है। यह झांसी डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय ओरेई से उत्तर की तरफ 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुथोंड से 4 किमी। राज्य राजधानी लखनऊ से 192 किमी

बावली पिन कोड 285125 है और डाक हेड ऑफिस कुथोंड है।

नक्कलपुरा (2 किमी), कोटा मुस्तकिल (2 किमी), कुरुली (2 किमी), टोलकपुर (3 किमी), निमगांव (3 किलोमीटर) बावली के पास के गांव हैं। बावली पश्चिम की ओर रामपुरा ब्लॉक से घिरा हुआ है, उत्तर की ओर औरय्या ब्लॉक, पश्चिम की ओर मधोगगढ़ ब्लॉक, उत्तर की ओर अजीतमल ब्लॉक।

भजनपुरा, अछलादा, ओराई, लाहर बावली के शहरों के नजदीक हैं।

यह जगह जलौंन जिला और औरय्या जिले की सीमा में है। औरैया जिला इस जगह की ओर उत्तर है।

बावली 2011 जनगणना विवरण

बावली स्थानीय भाषा हिंदी है। बावली गांव कुल जनसंख्या 3708 है और घरों की संख्या 594 है। महिला जनसंख्या 46.6% है। गांव साक्षरता दर 64.3% है और महिला साक्षरता दर 25.9% है।

आबादी

जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा 2011

कुल जनसंख्या 3708

सदनों की कुल संख्या 594

महिला जनसंख्या% 46.6% (1728)

कुल साक्षरता दर% 64.3% (2386)

महिला साक्षरता दर 25.9% (9 62)

अनुसूचित जनजाति जनसंख्या% 0.0% (0)

अनुसूचित जाति जनसंख्या% 24.8% (9 1 9)

कामकाजी जनसंख्या% 43.2%

2011 577 तक बाल (0 -6) जनसंख्या

गर्ल चाइल्ड (0 -6) 2011 तक जनसंख्या% 50.1% (28 9)

बावली को कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

10 किमी में बावली के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन बावली के नजदीक 109 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

 

शहरों के नजदीक

भजनपुरा 21 किमी 

अछल्दा    43 किमी 

ओराई 47 किमी 

लाहौर 52 किमी 

 

तालुक के पास

कुथुंड 4 किलोमीटर

रामपुर 15 किमी 

औरैया 16 किमी 

मधोगगढ़ 22 किमी 

 

एयर पोर्ट्स के पास

कानपुर हवाई अड्डा 115 किलोमीटर 

ग्वालियर एयरपोर्ट 128 किलोमीटर 

अमौसी एयरपोर्ट 174 किलोमीटर 

खेरिया एयरपोर्ट 185 किलोमीटर 

 

पर्यटक स्थलों के पास

बिथूर 103 किमी 

कन्नौज 105 किमी

कानपुर 106 किमी 

दातिया 134 किमी

ग्वालियर 135 किमी 

 

जिलों के पास

औरैया  19 किमी 

जालुन 28 किमी 

कानपुर देहाट 63 किलोमीटर

इटावा 64 किलोमीटर 

 

रेलवे स्टेशन के पास

फाफंड रेल वे स्टेशन 38 किलोमीटर 

झिंजक रेलवे स्टेशन 45 किलोमीटर 

 

बावली में राजनीति

बीजेपी, एसपी, बीएसपी, आईएनसी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।

बावली के पास मतदान केंद्र / बूथ

1) जाजेपुरा 

2) खुटैला 

3) किशुनपुर 

4) जमालपुरा 

5) कुंवरपुर थान सिंह

मधोगगढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों

बीजेपी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस मध्यगढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।

आईसीजे, आईएनसी (आई), बीजेएस, आरपीआई, जेएनपी (एससी), जेएनपी, पिछले वर्षों में लोकप्रिय राजनीतिक दलों हैं।

मधुगढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक मुलचंद्र सिंह हैं

मधोगगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

जालुन कोच कुथौंड मधोगढ़ नदीगांव रामपुर

मधोगगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012  संतराम बीएसपी 71671 = 21352 केशवेंद्र सिंह एसपी 50319

2007 हरि ओम बीएसपी 51135 = 3302 संत राम सिंह बीजेपी 47833

2002  ब्राजेंद्र प्रताप सिंह बीएसपी 39452 = 2545 संतराम सिंह बीजेपी 36907

1996  संत राम सिंह बीजेपी 45501 =1738 सुरेश दत्त कांग्रेस 43763

1993  शिव राम बीएसपी 40871 = 14017 केशव सिंह बीजेपी 26854

1991  केशव सिंह बीजेपी 31648 = 2134  राम राम बीएसपी 29514

1989  शिव राम बीएसपी 36500 = 12125 राजा राजेंद्र शाह कांग्रेस 24375

1985  राम प्रकाश सिंह  कांग्रेस 23841 = 7171 राजा राजेंद्र शाह आईसीजे 16670

1980  दलगंजन सिंह जेएनपी  22 991 = 6621 राजेंद्रपाल सिंह कांग्रेस 16370

1977  कृष्णा कुमार जेएनपी 30028 = 10897 राजेंद्र शाह  कांग्रेस 19131

1974  राजेंद्र शाह  कांग्रेस 26170 = 9754 शिवशंकर सिंह बीजेएस 16416

1969  चित्त सिंह सिंह 30712 = 17191 दल चंद आरपीआई 13521

1967  ग.नारायण  कांग्रेस 31,255 = 2703 व्.शाह  BJS 28,552

विकास कार्य :

2019

सर छोटूराम जीवनी
सर छोटूराम का जन्म २४ नवम्बर १८८१ में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही अंग था)। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। उनके दादाश्री रामरत्‍न के पास 10 एकड़ बंजर व बारानी जमीन थी। छोटूराम जी के पिता श्री सुखीराम कर्जे और मुकदमों में बुरी तरह से फंसे हुए थे।
आरंभिक शिक्षा
जनवरी सन् १८९१ में छोटूराम ने अपने गांव से 12 मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद झज्जर छोड़कर उन्होंने क्रिश्‍चियन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया। लेकिन फीस और शिक्षा का खर्चा वहन करना बहुत बड़ी चुनौती थी उनके समक्ष। छोटूराम जी के अपने ही शब्दों में कि सांपला के साहूकार से जब पिता-पुत्र कर्जा लेने गए तो अपमान की चोट जो साहूकार ने मारी वो छोटूराम को एक महामानव बनाने के दिशा में एक शंखनाद था। छोटूराम के अंदर का क्रान्तिकारी युवा जाग चुका था। अब तो छोटूराम हर अन्याय के विरोध में खड़े होने का नाम हो गया था।
क्रिश्‍चियन मिशन स्कूल के छात्रावास के प्रभारी के विरुद्ध श्री छोटूराम के जीवन की पहली विरोधात्मक हड़ताल थी। इस हड़ताल के संचालन को देखकर छोटूराम जी को स्कूल में 'जनरल रोबर्ट' के नाम से पुकारा जाने लगा। सन् 1903 में इंटरमीडियेट परीक्षा पास करने के बाद छोटूराम जी ने दिल्ली के अत्यन्त प्रतिष्‍ठित सैंट स्टीफन कालेज से १९०५ में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्‍त की। छोटूराम जी ने अपने जीवन के आरंभिक समय में ही सर्वोत्तम आदर्शों और युवा चरित्रवान छात्र के रूप में वैदिक धर्म और आर्यसमाज में अपनी आस्था बना ली थी।
सन् 1905 में छोटूराम जी ने कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया और यहीं सन् 1907 तक अंग्रेजी के हिन्दुस्तान समाचारपत्र का संपादन किया। यहां से छोटूराम जी आगरा में वकालत की डिग्री करने आ गए।
प्रथम सेवा
झज्जर जिले में जन्मा यह जुझारू युवा छात्र सन् १९११ में आगरा के जाट छात्रावास का अधीक्षक बना। 1911 में इन्होंने लॉ की डिग्री प्राप्‍त की। यहां रहकर छोटूराम जी ने मेरठ और आगरा डिवीजन की सामाजिक दशा का गहन अध्ययन किया। 1912 में आपने चौधरी लालचंद के साथ वकालत आरंभ कर दी और उसी साल जाट सभा का गठन किया। प्रथम विश्‍वयुद्ध के समय में चौधरी छोटूराम जी ने रोहतक से 22,144 जाट सैनिक भरती करवाये जो सारे अन्य सैनिकों का आधा भाग था। अब तो चौ. छोटूराम एक महान क्रांतिकारी समाज सुधारक के रूप में अपना स्थान बना चुके थे। इन्होंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जिसमें "जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल रोहतक" प्रमुख है। एक जनवरी 1913 को जाट आर्य-समाज ने रोहतक में एक विशाल सभा की जिसमें जाट स्कूल की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया जिसके फलस्वरूप 7 सितम्बर 1913 में जाट स्कूल की स्थापना हुई।
वकालत जैसे व्यवसाय में भी चौधरी साहब ने नए ऐतिहासिक आयाम जोड़े। उन्होंने झूठे मुकदमे न लेना, छल-कपट से दूर रहना, गरीबों को निःशुल्क कानूनी सलाह देना, मुव्वकिलों के साथ सद्‍व्यवहार करना, अपने वकालती जीवन का आदर्श बनाया।
इन्हीं सिद्धान्तों का पालन करके केवल पेशे में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में चौधरी साहब बहुत ऊंचे उठ गये थे। इन्हीं दिनों 1915 में चौधरी छोटूराम जी ने 'जाट गजट' नाम का क्रांतिकारी अखबार शुरू किया जो हरयाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो आज भी छपता है और जिसके माध्यम से छोटूराम जी ने ग्रामीण जनजीवन का उत्थान और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों के शोषण पर एक सारगर्भित दर्शन दिया था जिस पर शोध की जा सकती है। चौधरी साहब ने किसानों को सही जीवन जीने का मूलमंत्र दिया। जाटों का सोनीपत की जुडिशियल बैंच में कोई प्रतिनिधि न होना, बहियों का विरोध, जिनके जरिये गरीब किसानों की जमीनों को गिरवी रखा जाता था, राज के साथ जुड़ी हुई साहूकार कोमों का विरोध जो किसानों की दुर्दशा के जिम्मेवार थे, के संदर्भ में किसान के शोषण के विरुद्ध उन्होंने डटकर प्रचार किया।
स्वाधीनता संग्राम
चौ. छोटूराम ने राष्‍ट्र के स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया। १९१६ में पहली बार रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन किया गया और चौ. छोटूराम रोहतक कांग्रेस कमेटी के प्रथम प्रधान बने। सारे जिले में चौधरी छोटूराम का आह्वान अंग्रेजी हुकूमत को कंपकपा देता था। चौधरी साहब के लेखों और कार्य को अंग्रेजों ने बहुत 'भयानक' करार दिया। फलःस्वरूप रोहतक के डिप्टी कमिश्‍नर ने तत्कालीन अंग्रेजी सरकार से चौधरी छोटूराम को देश-निकाले की सिफारिश कर दी। पंजाब सरकार ने अंग्रेज हुकमरानों को बताया कि चौधरी छोटूराम अपने आप में एक क्रांति हैं, उनका देश निकाला गदर मचा देगा, खून की नदियां बह जायेंगी। किसानों का एक-एक बच्चा चौधरी छोटूराम हो जायेगा। अंग्रेजों के हाथ कांप गए और कमिश्‍नर की सिफारिश को रद्द कर दिया गया।
चौधरी छोटूराम, लाला श्याम लाल और उनके तीन वकील साथियों, नवल सिंह, लाला लालचंद जैन और खान मुश्ताक हुसैन ने रोहतक में एक ऐतिहासिक जलसे में मार्शल के दिनों में साम्राज्यशाही द्वारा किए गए अत्याचारों की घोर निंदा की। सारे इलाके में एक भूचाल सा आ गया। अंग्रेजी हुकमरानों की नींद उड़ गई। चौधरी छोटूराम व इनके साथियों को नौकरशाही ने अपने रोष का निशाना बना दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किए गए कि क्यों न इनके वकालत के लाइसेंस रद्द कर दिये जायें। मुकदमा बहुत दिनों तक सैशन की अदालत में चलता रहा और आखिर चौधरी छोटूराम की जीत हुई। यह जीत नागरिक अधिकारों की जीत थी।
अगस्त 1920 में चौ. छोटूराम ने कांग्रेस छोड़ दी क्योंकि चौधरी साहब गांधी जी के असहयोग आंदोलन से सहमत नहीं थे। उनका विचार था कि इस आंदोलन से किसानों का हित नहीं होगा। उनका मत था कि आजादी की लड़ाई संवैधानिक तरीके से लड़ी जाए। कुछ बातों पर वैचारिक मतभेद होते हुए भी चौधरी साहब महात्मा गांधी की महानता के प्रशंसक रहे और कांग्रेस को अच्छी जमात कहते थे। चौ. छोटूराम ने अपना कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब तक फैला लिया और जाटों का सशक्त संगठन तैयार किया। आर्यसमाज और जाटों को एक मंच पर लाने के लिए उन्होंने स्वामी श्रद्धानन्द और भटिंडा गुरुकुल के मैनेजर चौधरी पीरूराम से संपर्क साध लिया और उसके कानूनी सलाहकार बन गए।
सन् १९२५ में राजस्थान में पुष्कर के पवित्र स्थान पर चौधरी छोटूराम ने एक ऐतिहासिक जलसे का आयोजन किया। सन् 1934 में राजस्थान के सीकर शहर में किराया कानून के विरोध में एक अभूतपूर्व रैली का आयोजन किया गया, जिसमें १०००० जाट किसान शामिल हुए। यहां पर जनेऊ और देसी घी दान किया गया, महर्षि दयानन्द के सत्यार्थ प्रकाश के श्‍लोकों का उच्चारण किया गया। इस रैली से चौधरी छोटूराम भारतवर्ष की राजनीति के स्तम्भ बन गए।
पंजाब में रौलट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था जिसके परिणामस्वरूप देश की राजनीति में एक अजीबोगरीब मोड़ आ गया।
एक तरफ गांधी जी का असहयोग आंदोलन था तो दूसरी ओर प्रांतीय स्तर पर चौधरी छोटूराम और चौ. लालचंद आदि जाट नेताओं ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ सहयोग की नीति अपना ली थी। पंजाब में मांटेग्यू चैम्सफोर्ड सुधार लागू हो गए थे, सर फ़जले हुसैन ने खेतिहर किसानों की एक पार्टी जमींदारा पार्टी खड़ी कर दी। चौ. छोटूराम व इसके साथियों ने सर फ़जले हुसैन के साथ गठबंधन कर लिया और सर सिकंदर हयात खान के साथ मिलकर यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया। तब से हरयाणा में दो परस्पर विरोधी आंदोलन चलते रहे। चौधरी छोटूराम का टकराव एक ओर कांग्रेस से था तथा दूसरी ओर शहरी हिन्दु नेताओं व साहूकारों से होता था।
चौधरी छोटूराम की जमींदारा पार्टी किसान, मजदूर, मुसलमान, सिख और शोषित लोगों की पार्टी थी। लेकिन यह पार्टी अंग्रेजों से टक्कर लेने को तैयार नहीं थी। हिंदू सभा व दूसरे शहरी हिन्दुओं की पार्टियों से चौधरी छोटूराम का मतभेद था। भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत 1920 में आम चुनाव कराए गए। इसका कांग्रेस ने बहिष्कार किया और चौ. छोटूराम व लालसिंह जमींदरा पार्टी से विजयी हुए। उधर 1930 में कांग्रेस ने एक और जाट नेता चौधरी देवीलाल को चौ. छोटूराम की पार्टी के विरोध में स्थापित किया। भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत सीमित लोकतंत्र के चुनाव 1937 में हुए। इसमें 175 सीटों में से यूनियनिस्ट पार्टी को 99, कांग्रेस को केवल 18, खालसा नेशनलिस्ट को 13 और हिन्दु महासभा को केवल 12 सीटें मिली थीं। हरयाणा देहाती सीट से केवल एक प्रत्याशी चौधरी दुनीचंद ही कांग्रेस से जीत पाये थे।
चौधरी छोटूराम के कद का अंदाजा इस चुनाव से अंग्रेजों, कांग्रेसियों और सभी विरोधियों को हो गया था। चौधरी छोटूराम की लेखनी जब लिखती थी तो आग उगलती थी। 'ठग बाजार की सैर' और 'बेचारा किसान' के लेखों में से 17 लेख जाट गजट में छपे। 1937 में सिकन्दर हयात खान पंजाब के पहले प्रधानमंत्री बने और झज्जर के ये जुझारू नेता चौ. छोटूराम विकास व राजस्व मंत्री बने और गरीब किसान के मसीहा बन गए। चौधरी छोटूराम ने अनेक समाज सुधारक कानूनों के जरिए किसानों को शोषण से निज़ात दिलवाई।
महत्वपूर्ण योगदान साहूकार पंजीकरण एक्ट - १९३८
यह कानून 2 सितंबर 1938 को प्रभावी हुआ था। इसके अनुसार कोई भी साहूकार बिना पंजीकरण के किसी को कर्ज़ नहीं दे पाएगा और न ही किसानों पर अदालत में मुकदमा कर पायेगा। इस अधिनियम के कारण साहूकारों की एक फौज पर अंकुश लग गया। गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट - 1938 यह कानून 9 सितंबर 1938 को प्रभावी हुआ। इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें 8 जून 1901 के बाद कुर्की से बेची हुई थी तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं, वो सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं। इस कानून के तहत केवल एक सादे कागज पर जिलाधीश को प्रार्थना-पत्र देना होता था। इस कानून में अगर मूलराशि का दोगुणा धन साहूकार प्राप्‍त कर चुका है तो किसान को जमीन का पूर्ण स्वामित्व दिये जाने का प्रावधान किया गया। कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम - 1938 यह अधिनियम 5 मई 1939 से प्रभावी माना गया। इसके तहत नोटिफाइड एरिया में मार्किट कमेटियों का गठन किया गया। एक कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को अपनी फसल का मूल्य एक रुपये में से 60 पैसे ही मिल पाता था। अनेक कटौतियों का सामना किसानों को करना पड़ता था। आढ़त, तुलाई, रोलाई, मुनीमी, पल्लेदारी और कितनी ही कटौतियां होती थीं। इस अधिनियम के तहत किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने का नियम बना। आढ़तियों के शोषण से किसानों को निजात इसी अधिनियम ने दिलवाई। व्यवसाय श्रमिक अधिनियम - 1940 यह अधिनियम 11 जून 1940 को लागू हुआ। बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले इस कानून ने मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई। सप्‍ताह में 61 घंटे, एक दिन में 11 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकेगा। वर्ष भर में 14 छुट्टियां दी जाएंगी। 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जाएगी। दुकान व व्यवसायिक संस्थान रविवार को बंद रहेंगे। छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जाएगा। जुर्माने की राशि श्रमिक कल्याण के लिए ही प्रयोग हो पाएगी। इन सबकी जांच एक श्रम निरीक्षक द्वारा समय-समय पर की जाया करेगी। कर्जा माफी अधिनियम - 1934 यह क्रान्तिकारी ऐतिहासिक अधिनियम दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने 8 अप्रैल 1935 में किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया। इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा। इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी (रीकैन्सिलेशन) बोर्ड बनाए गए जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य होते थे। दाम दुप्पटा का नियम लागू किया गया। इसके अनुसार दुधारू पशु, बछड़ा, ऊंट, रेहड़ा, घेर, गितवाड़ आदि आजीविका के साधनों की नीलामी नहीं की जाएगी। इस कानून के तहत अपीलकर्ता के संदर्भ में एक दंतकथा बहुत प्रचलित हुई थी कि लाहौर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सर शादीलाल से एक अपीलकर्ता ने कहा कि मैं बहुत गरीब आदमी हूं, मेरा घर और बैल कुर्की से माफ किया जाए। तब न्यायाधीश सर शादीलाल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि एक छोटूराम नाम का आदमी है, वही ऐसे कानून बनाता है, उसके पास जाओ और कानून बनवा कर लाओ। अपीलकर्ता चौ. छोटूराम के पास आया और यह टिप्पणी सुनाई। चौ. छोटूराम ने कानून में ऐसा संशोधन करवाया कि उस अदालत की सुनवाई पर ही प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह चौधरी साहब ने इस व्यंग्य का इस तरह जबरदस्त उत्तर दिया। मोर के शिकार पर पाबंधी चौधरी छोटूराम की देन चौ० छोटूराम ने भ्रष्ट सरकारी अफसरों और सूदखोर महाजनों के शोषण के खिलाफ अनेक लेख लिखे। कोर्ट मे उनके विरुद्ध मुकदमें लड़े व जीते | मोरबचाओ ‘ठग्गी के बाजार की सैर’, ‘बेचार जमींदार, ‘जाट नौजवानों के लिए जिन्दगी के नुस्खे’ और ‘पाकिस्तान’ आदि लेखों द्वारा किसानों में राजनैतिक चेतना, स्वाभिमानी भावना तथा देशभक्ति की भावना पैदा करने का प्रयास किया। इन लेखों द्वारा किसान को धूल से उठाकर उनकी शान बढ़ाई। महाजन और साहूकार ही नहीं, अंग्रेज अफसरों के विरुद्ध भी चौ० छोटूराम जनता में राष्ट्रीय चेतना जगाते थे। अंग्रेजों द्वारा बेगार लेने और किसानों की गाड़ियां मांगने की प्रवृत्ति के विरोध में आपने जनमत तैयार किया था। गुड़गांव जिले के अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर कर्नल इलियस्टर मोर का शिकार करते थे। लोगों ने उसे रोकना चाहा परन्तु ‘साहब’ ने परवाह नहीं की। जब उनकी शिकायत चौ० छोटूराम तक पहुंची तो आपने जाट गजट में जोरदार लेख छापे, जिनमें अन्धे, बहरे, निर्दयी अंग्रेज के खिलाफ लोगों का क्रोध व्यक्त किया गया। मिस्टर इलियस्टर ने कमिश्नर और गवर्नर से शिकायत की। जब ऊपर से माफी मांगने का दबाव पड़ा तो चौ० छोटूराम ने झुकने से इन्कार कर दिया। अपने चारों ओर आतंक, रोष, असन्तोष और विद्रोह उठता देख दोषी डी.सी. घबरा उठा और प्रायश्चित के साथ वक्तव्य दिया कि वह इस बात से अनभिज्ञ था कि “हिन्दू मोर-हत्या को पाप मानते हैं”। अन्त में अंग्रेज अधिकारी द्वारा खेद व्यक्त करने तथा भविष्य में मोर का शिकार न करने के आश्वासन पर ही चौ० छोटूराम शांत हुए रोहतक जिले के डी.सी. लिंकन (Lincoln E.H.I.C.S - 6 Nov. 1931 to 4 April 1933; 31 Oct. 1933 to 22 March 1934) ने सन् 1933 में ‘जाट गजट’ के लेखों के विषय में एक लेख की ओर अम्बाला कमिश्नरी के अंग्रेज़ अफसर को ध्यान दिलाया - “राव बहादुर चौधरी छोटूराम ने जाट जाति के उत्थान के लिये जाट गजट प्रचलित किया था। किन्तु यह तो जमींदार पार्टी का कट्टर समर्थक बन गया है और सरकारी कर्मचारियों पर दोष लगाकर उनको लज्जित कर रहा है, यह ब्रिटिश सरकार का कट्टर विरोधी बन चुका है , पर यह प्रायः कांग्रेस के अभिप्राय जैसे विचार प्रकट करता है।” (C.F.D.C. Rohtak, 12/40, M.R. Sachdev to Sheepshanks, Comm. Ambala Div. 16 Sept. 1933) स्वतंत्रता के करीब 1942 में सर सिकन्दर खान का देहांत हो गया और खिज्र हयात खान तीवाना ने पंजाब की राजसत्ता संभाली। सर छोटूराम अब्दुल कलाम आजाद की नीतियों के समर्थक थे। दोनों ही चुनौती बन गई थीं। पहले और दूसरे महायुद्ध में चौधरी छोटूराम द्वारा कांग्रेस के विरोध के बावजूद सैनिकों की भर्ती से अंग्रेज बड़े खुश थे। अंग्रेजों ने हरयाणा के इलाके की वफादारियों से खुश होकर हरयाणा निवासियों को वचन दिया कि भाखड़ा पर बांध बनाकर सतलुज का पानी हरयाणा को दिया जाएगा। सर छोटूराम ने ही भाखड़ा बांध का प्रस्ताव रखा था। सतलुज के पानी का अधिकार बिलासपुर के राजा का था। झज्जर के महान सपूत ने बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। सन् 1924 से 1945 तक पंजाब की राजनीति के अकेले सूर्य चौ. छोटूराम का 9 जनवरी 1945 को देहावसान हो गया। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सर छोटूराम के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी