अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : मा. सचिन थापा
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : 96 - नवादा
नगर निगम देहरादून
राज्य : उत्तराखंड
पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चुनाव : 2018= 5465/1582 वोट
सम्मान :
NA

विवरण :

introduction

Name :Honorable Sachin Thapa (Advocate)

Designation : Municipal Corporator

Ward :  Name : 96 Nawada (नवादा) 

Municipal Corporation : Dehradun

State : Uttarakhand 

Mobail No : 9760584076

Support - Indian National Congress (INC)

Hometown: Gourkhwa Check, Haripur, Nawada, Dehradun Pin Code : 248012 

Language : Hindu and Sindhi, Punjabi, Garhwali And Urdu. 

Current Time 08:08 PM 

Date: Saturday , Dec 01,2018 (IST) 

Telephone Code / Std Code: 0135 

Assembly constituency : Rajpur Road assembly constituency 

Assembly MLA : Khajan Dass (BJP) Contact Number: 9412920646

Lok Sabha constituency : Tehri Garhwal parliamentary constituency 

Parliament MP : BUDHI SINGH PUNDIR (BJP) Contact Number: 9456387899

Pin Code : 248012 

वार्ड न. 96 नवादा नगर निगम देहरादून  के बारे में

नगर निगम वार्ड न. 96 नवादा निकाय चुनाव 2018 में कुल मतदान संख्या 5465 में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय सचिन थापा (ऐडवोकेट) जी ने 1582 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्धंदी 

2  = मोहित = भारतीय जनता पार्टी =  1454 मत प्राप्त कर दूसरे न.  को 230 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

3 =  राजकुमार पाल = आम आदमी पार्टी (आप ) 229  मत पाकर छठे स्थान पर रहे 

देहरादून एक नगर निगम है जिसमे १०० वार्ड बनाकर विकास कार्यों की रूप रेखा तैयार की गयी है, निकाय चुनाव 2018 में निगम महापौर के पद पर श्री सुनील उनियाल गामा भारतीय जनता पार्टी ने 162516  मत पाकर , दूसरे न पर रहे, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थित श्री दिनेश अग्रवाल 126884 को 35632 मतों से हराकर विजय प्राप्त कर महापौर के पद पर काबिज हुए  देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है।
इतिहास 
देहरादून का इतिहास कई सौ वर्ष पुराना है। देहरादून से ५६ किलोमीटर दूर कालसी के पास स्थित शिलालेख से इस पर तीसरी सदी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक का अधिकार होने की सूचना मिलती है। देहरादून ने सदा से ही आक्रमणकारियों को आकर्षित किया है। खलीलुल्लाह खान के नेत्वृत्व में १६५४ में इस पर मुगल सेना ने आक्रमण किया था। सिरमोर के राजा सुभाक प्रकाश की सहायता से खान गढ़वा के राजा पृथ्वी शाह को हराने में सफल रहे। गद्दी से अपदस्त किए गए राजा को इस शर्त पर गद्दी पर आसीन किया गया कि वे नियमित रूप से मुगल बादशाह शाहजहाँ को कर चुकाएगें। इसे १७७२ में गुज्जरों ने लूटा था। तत्कालीन राजा ललत शाह जो पृथ्वी शाह के वंशज थे, की पुत्री की शादी गुलाब सिंह नामक गुज्जर से की गई थी। गुलाब सिंह के पुत्र का नियंत्रण देहरादून पर था और उनके वंशज इस समय भी नगर में मिल सकते हैं।
गढ़वाल के राजा ललत शाह के पुत्र प्रदुमन शाह के शासन काल में रोहिल्ला नजीब के पोते गुलाम कादिर के नेतृत्व में अफगानों का आक्रमण हुआ। जिसमें उसने गुरू राम राय के अनुयायियों और शिष्यों को मौत के घाट उतार दिया। जिन लोगों ने हिन्दू धर्म त्यागने का निर्णय लिया, उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन अन्य लोगों के साथ बहुत निमर्मतापूर्वक व्यवहार किया गया। सहारनपुर के राज्यपाल और अफगान प्रमुख नजीबुदौल्ला भी देहरादून को अपने अधिकार में करने के उद्देश्य में सफल रहा उसके बाद देहरादून पर गुज्जरों, सिक्खों, राजपूतों और गोरखाओं के लगातार आक्रमण हुए और यह उपजाऊ और सुंदर भूमि शिघ्र ही बंजर स्थल में बदल गई। १७८३ में एक सिक्ख प्रमुख बुघेल सिंह ने देहरादून पर आक्रमण किया और बिना किसी बड़े प्रतिरोध के सहजता से इस क्षेत्र को जीत लिया। १७८६ में देहरादून पर गुलाम कादिर का आक्रमण हुआ। उसने पहले हरिद्वार को लूटा और फिर देहरादून पर कहर बरपाया। उसने नगर पर आक्रमण किया और उसे जमकर लूटा तथा बाद में देहरादून को बर्बाद कर दिया। १८०१ तक अमर सिंह थापा के नेत्वृत्व में गोरखा ने दून घाटी पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया। १८१४ में नालापानी के लिए अमर सिंह थापा के पोते बालभद्र सिंह थापा के नेत्वृत्व में गोरखा और जनरल जिलेस्पी के नेत्वृत्व में ब्रिटिश के बीच युद्ध हुआ। गोरखाओं ने इस लड़ाई में जमकर बराबरी कि और जनरल समेत कई ब्रिटिश सेनाओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। इस बीच गोरखाओं को एक असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा और उन्हें नालापानी के किले को छोड़ कर जाना पड़ा। १८१५ तक गोरखाओं को हरा कर ब्रिटिश शासन ने इस पूरे क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया।
देहरादून के दो स्मारक प्रसिद्ध हैं। (कलंगा स्मारक) का निर्माण ब्रिटिश जनरल गिलेस्पी और उसके अधिकारियों की स्मृति में कराया गया है। दूसरा स्मारक गिलेस्पी से लोहा लेनेवाले कैप्टन बलभद्र सिंह थापा और उनके गोरखा सिपाहियों की स्मृति में बनवाया गया है। कालंगा गढ़ी सहस्त्रधारा सड़क पर स्थित है। घंटा घर से इसकी दूरी ४.५ किलोमीटर है। इसी वर्ष देहरादून तहसील के वर्तमान क्षेत्र को सहारनपुर जिले से जोड़ दिया गया। इसके बाद १८२५ में इसे कुमाऊँ मण्डल को हस्तांतरित कर दिया गया। १८२८ में अलग-अलग उपायुक्त के प्रभार के अंतर्गत देहरादून और जॉनसार बवार हस्तांतरित कर दिया गया और १८२९ में देहरादून जिले को मेरठ खण्ड को हस्तांतरित कर दिया गया। १८४२ में देहरादून को सहारनपुर जिले से जोड़ दिया गया और इसे जिलाधीश के अधिनस्थ एक अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में रखा गया। १८७१ से यह एक अलग जिला है। १९६८ में इस जिले को मेरठ खण्ड से अलग करके गढ़वा खण्ड से जोड़ दिया गया। देहरादून के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी चंदर रोड पर स्थित स्टेट आर्काइव्स में है। यह संस्था दलानवाला में स्थित है।
स्थापना
देहरादून की स्थापना 1699 में हुई थी। कहते हैं कि सिक्खों के गुरु रामराय किरतपुर पंजाब से आकर यहाँ बस गए थे। मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने उन्हें कुछ ग्राम टिहरी नरेश से दान में दिलवा दिए थे। यहाँ उन्होंने 1699 ई. में मुग़ल मक़बरों से मिलता-जुलता मन्दिर भी बनवाया जो आज तक प्रसिद्ध है। शायद गुरु का डेरा इस घाटी में होने के कारण ही इस स्थान का नाम देहरादून पड़ गया होगा। इसके अतिरिक्त एक अत्यन्त प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार देहरादून का नाम पहले द्रोणनगर था और यह कहा जाता था कि पाण्डव-कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य ने इस स्थान पर अपनी तपोभूमि बनाई थी और उन्हीं के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। एक अन्य किंवदन्ती के अनुसार जिस द्रोणपर्त की औषधियाँ हनुमान जी लक्ष्मण के शक्ति लगने पर लंका ले गए थे, वह देहरादून में स्थित था, किन्तु वाल्मीकि रामायण में इस पर्वत को महोदय कहा गया है।
आवागमन
शहरों के नजदीक
देहरादून 8 किमी 
मसूरी 11 किमी 
चंबा 36 किलोमीटर 
ऋषिकेश 41 किमी 
तालुक के पास
देहरादून 6 किमी 
रायपुर 7 किमी 
मसूरी 11 किमी 
सहसपुर 14 किमी 
एयर पोर्ट्स के पास
देहरादून हवाई अड्डा 6 किलोमीटर 
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 123 किलोमीटर 
सिमला एयरपोर्ट 136 किमी 
चंडीगढ़ हवाई अड्डे के पास 142 किलोमीटर 
पर्यटक स्थलों के पास
देहरादून 6 किमी
मसूरी 12 किमी 
धनाल्टी 20 किमी 
कलसी 31 किमी 
राजाजी नेशनल पार्क 33 किमी 
जिलों के पास
देहरादून 6 किमी 
तहरी गढ़वाल 42 किलोमीटर 
हरिद्वार 52 किमी निकट
उत्तर काशी 60 किलोमीटर 
रेलवे स्टेशन के पास
देहरादून रेल वे स्टेशन 7.2 किलोमीटर 
डोईवाला रेल वे स्टेशन 23 किलोमीटर
 
राजपुर रोड असेंबली निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
बीजेपी, कांग्रेस राजपुर रोड असेंबली निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
राजपुर रोड असेंबली निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।
सहसपुर, देहरादून
राजपुर रोड असेंबली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012  राजकुमार कांग्रेस  28291 = 3070 रविंदर सिंह कटारिया बीजेपी  25221

विकास कार्य :

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 60 की उपलब्धियां
भारत की आज़ादी,
(महात्मा गाँधी, नहरु जी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना आज़ाद, बाबा साहब आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, जे.पी.कृपलानी, मदन मोहन मालवीय, जमना लाल बजाज, खान अब्दुल गफ़्फ़र खान, लाल बहादुर शास्त्री जी आदी आदी)
1 -545 से ज़्यादा छोटी बड़ी रियासतों का विलय,
(सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, वी.पी.मेनन..)
2 -भारत का संविधान,
(बाबा साहब आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, जे.पी.कृपलानी आदी)
3 -रूस की तर्ज़ पर भारत में भी पञ्च वर्षीय योजनाओं का सृजन,
पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 8 दिसम्बर 1951 को भारत की संसद को पहली पाँच साल की योजना प्रस्तुत की। योजना मुख्य रूप से बांधों और सिंचाई में निवेश सहित कृषि प्रधान क्षेत्र,. कृषि क्षेत्र में भारत के विभाजन और तत्काल स्थिति ध्यान देने की जरूरत को सबसे मुश्किल माना गया था
(जवाहर लाल नेहरू)
4 -भाखड़ा नांगल और हीरा कुण्ड जैसे बड़े बाँध,
भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और अमेरिकी बांध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में 1962 में इसका निर्माण पूरा हुआ। 22 अक्टूबर 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसका शुभारम्भ किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और बिजली उत्पादन है। इस बांध पर लगे पनबिजली संयंत्र से  1325 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है जिससे पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बिजली की आपूर्ति होती है।
(जवाहर लाल नेहरू)
5 -भिलाई, राउरकेला और बोकारो में हैवी स्टील प्लाँट,
(जवाहर लाल नेहरू)
6 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
15 अगस्त 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया।
(जवाहर लाल नेहरू)
7 - रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
१९५८ में पूर्व-कार्यरत भारतीय सेना की प्रौद्योगिकी विकास अधिष्ठान (टीडीई) तथा रक्षा विज्ञान संस्थान (डीएसओ) के साथ प्रौद्योगिकी विकास और उत्पादन का निदेशालय (डीटीडीपी) के एकीकरण से गठन किया गया और रक्षा संगठन एवं अनुसंधान संगठन का गठन किया गया था।
(जवाहर लाल नेहरू)
8 -अनेक विश्व विद्यालयों का  निर्माण कराया,
(जवाहर लाल नेहरू)
9 - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान 7 AIIMS  का निर्माण 
1एम्स दिल्लीएम्स1956नई दिल्ली दिल्ली,
2एम्स भोपालएम्स2012भोपालमध्य प्रदेश,
3एम्स भुवनेश्वरएम्स2012भुवनेश्वरओडिशा,
4एम्स जोधपुरएम्स2012जोधपुरराजस्थान,
5एम्स पटना जे पी एन-एम्स2012पटनाबिहार,
6एम्स रायपुरएम्स2012रायपुरछत्तीसगढ़,
7एम्स ऋषिकेशएम्स2012ऋषिकेशउत्तराखंड,
(जवाहर लाल नेहरू, मनमोहन सिंह )
  10 -  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)  
1 - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर / IITKGP1951,
2भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई / IITB1958,
3भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर / IITK1959,
4भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास / IITM1959,
5भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली / IITD1961,
6भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी / IITG1994,
7भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की/ IITR1847,
8भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़/ IITRPR2008,
9भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर/ IITBBS2008,
10भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर/ IITGN2008,
11भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद / IITH2008,
12भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर  / IITJ2008,
13भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना / IITP2008,
14भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर / IITI2009,
15भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी / IITMandi2009,
16भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी IIT(BHU)2012
(जवाहर लाल नेहरू, मनमोहन सिंह ),
11 -भारतीय रेल विश्व की सबसे बड़ी रेल नेटवर्क एवं सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाला रेल नेटवर्क बनी,
(जवाहर लाल नेहरू, शास्त्री जी, इंदिरा गाँधी आदी)
12 -भारतीय आर्मी विश्व की सबसे सक्तिशाली सेनाओं में शामिल,
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
13 -भारतीय वायु सेना विश्व की 5वीं सबसे ताक़तवर वायू सेना बनी,
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, मनमोहन सिंह)
14 -रियासतों को दिए जाने वाले Privy Purse की समाप्ती,
राजभत्ता, निजी कोश, प्रिवी पर्स किसी संवैधानिक या लोकतांत्रिक राजतंत्र में राज्य के स्वायत्त शासक एवं राजपरिवार को मिलने वाले विशेष धनराशी को कहा जाता है। इस विशेष वार्षिक धनराशि को राजभत्ता, निजी कोश या प्रिवी पर्स कहा जाता था। इस व्यवस्था को ब्रिटेन में चल रहे राजभत्ते (प्रिवी पर्स) की व्यवस्था के आधार पर पारित किया गया था। इस अलोकतांत्रिक, व्यवस्था को सन १९७१में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दैरान पूर्णतः स्थगित कर दिया गया,
(इंदिरा गाँधी)
15 -गुजरात में श्वेत (दुग्ध) क्रांती,
सफेद क्रांति भी ओपेरेशन फ्लड के रूप में जाना जाता है। ओपरेशन फ्लड़ा यह भारत की योजना है जिससे कि भारत में दूध की कमी को दूर किया जा सके।
(इंदिरा गाँधी)
16 -बैंको का राष्ट्रीयकरण,
देश के प्रमुख चौदह बैंकों का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई सन् 1969 ई. को किया गया। ये सभी वाणिज्यिक बैंक थे। इसी तरह 15 अप्रैल सन 1980 को निजी क्षेत्र के छ: और बैंक राष्ट्रीयकृत किये गये। इन सभी बीस बैंकों की शाखायें देशभर में फैली हैं। वर्तमान में कुल १९ राष्ट्रीयकृत बैंक हैं।
(इंदिरा गाँधी)
17 -पंजाब, हरयाणा, UP समेत पूरे भारत में हरित क्रांती,
(इंदिरा गाँधी)
18 -दो दो बार पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त,
(लाल बहादुर शास्त्री एवं इंदिरा गाँधी)
19 -पाकिस्तान को युद्ध में हरा कर, बंगलादेश के रूप में, दो टुकड़ों में करना,
(इंदिरा गाँध
20 -पूरे विश्व के विरोध के बावजूद पोखरण में परमाणू परिक्षण,
भारतीय परमाणु आयोग ने यहाँ अपना पहला भूमिगत परिक्षण १८ मई १९७४ को किया था। हालांकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है। बाद में ११ और १३ मई १९९८ को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।
(इंदिरा गाँधी)
21 -अनेक Pay Scale Commissions का सृजन और उनकी अनुशंसाओं को लागू किया,
(नहरू जी, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
22 - भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम
भारत का अंतरिक्ष में राकेश शर्मा के रूप में पहला क़दम  1984 में, राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए। जब वह भारत की ओर सोवियत संघ के अन्तरिक्ष यान में अन्तरिक्ष में गए थे। शर्मा उन लोग से एक हैं जो भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए 2006 में प्रस्ताव का समर्थन कर रहे थे।
(इंदिरा गाँधी)
23 -वोट देने की उम्र 21 से 18 घटाना, जिससे युवाओं की राजनीत में भागीदारी बढ़ी,
(राजीव गाँधी)
24 -दूरसंचार क्रांती,
उदारीकरण 1981 में शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हर साल 5,000,000 लाइनें लगाये जाने के प्रयास के तहत फ्रांस की अल्काटेल सीआईटी के साथ राज्य संचालित दूरसंचार कंपनी (आईटीआई) के विलय के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया,इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, इस अवधि के दौरान, राजीव गांधी के नेतृत्व में, कई सार्वजनिक क्षेत्र जैसे कि दूरसंचार विभाग (डीओटी), वीएसएनएल और एमटीएनएल जैसे संगठनों की स्थापना हुई। 
(राजीव गाँधी)
25 -कंप्यूटर क्रांती,
(राजीव गाँधी)
26 -जवाहरलाल नहरू रोज़गार योजना (JNRY),
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी)
27 -नयी मौद्रिक नीती (New Economic Policies) का सृजन,
(नरसिम्हा राव एवं मनमोहन सिंह)
28 -पंचायती राज कानून,
(नरसिम्हा राव)
29 -नगरी निकाय कानून,
(नरसिम्हा राव)
30 -PSLV, CLV जैसे अनेकों अंतरिक्ष सेटेलाईट का सफल परेक्षण,
(नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
31 -अग्नी, त्रिशूल, नाग आदी जैसे अनेक देसी मसाइल को बनाना,
(एपीजे अबुलकलाम साहब, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
32 -सुज़ूकी, हुंडई, शेव्रोले, नोकिया, सैमसंग, LG, रेनोल्ट, मोटोरोला, पेनासोनिक, पायनियर, JBL जैसी अनेक अंतराष्ट्रीय कंपनीयों द्वारा भारत में निवेश, जिससे लाखों रोज़गार generation हुआ और हमारी अर्थव्यवस्था और मज़बूत बनी,
(नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
33 -महात्मा गाँधी रोज़गार गारेंटी योजना (MANREGA), जो की विश्व की सबसे बड़ी सफल रोज़गार योजना साबित हुई,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
34 -सूचना का अधिकार (RTI),
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
35 -पेंशन योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
36 -ज़मीन अधिकरण कानून,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
37 -NRHM (108 एम्बुलेंस) योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
38 -शिक्षा का अधिकार,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
39 -मिड डे मील योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी)
40 -इंदिरा आवास योजना एवं राजीव आवास yojna
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, )
41 -जननी सुरक्षा योजना,
(मनमोहन सिंह जी)
42 -आधार कार्ड,
(नंदन नीलेकणी, मनमोहन सिंह)
43 -जम्मू कोटरा रेल लाइन का सृजन,
(मनमोहन सिंह)
44 -चंद्रयान मिशन,
(मनमोहन सिंह)
 
अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी