अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ नगर पालिका चेयरमैन/ सभासद परिचय सूची

नाम : रेशमा परवीन अंसारी
पद : अध्यक्ष
वॉर्ड : 00
पालिका/परिषद स्वार
ज़िला : रामपुर
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : निर्दलीय
चुनाव : 2017= 19293/9586 वोट
सम्मान :
next year

विवरण :

 

introduction 
Name: Honble Reshma Parveen Ansari 
Designation: Chairman
Municipal council : Suar
District : Rampur 
State : Uttar Pradesh 
Eligibility: Junior High School
Mobail No: 9720071786
Support: independents
Division : Moradabad 
Language : Hindi and Urdu 
Current Time 11:22 AM 
Date: Saturday , Dec 29,2018 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 0595 
Assembly constituency : Suar assembly constituency 
Assembly MLA : Mohammad Abdullah Azam Khan (SP) Contact Number: 9457705111
Lok Sabha constituency : Rampur parliamentary constituency 
Parliament MP : Dr. Nepal Singh (BJP )Contact Number: 09415905901,
Chirman Name : Reshma Parveen Ansari (IND) Contact Number: 9720071786
Pin Code : 244924 
Post Office Name : Suar
 
नगर पालिका अध्यक्ष स्वार संक्षिप्त जीवनी 
स्वार भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले में स्वार एक नगर पालिका है जिसको  25 वार्डों में विभाजित कर विकास कार्यों की रूप रेखा तैयार कर विकास कार्य किये जा रहे हैं , नगर पालिका परिषद् स्वार में कुल 26033 मतदाता हैं, निकाय चुनाव 2017 में निर्दलीय समर्थित नगर पालिका अध्यक्ष  पद पर  रेशमा परवीन अंसारी जी ने कुल पड़े मत संख्या 19293 में से (9586) 51.64 मत पाकर निर्दलीय समर्थित उम्मीदवार 
2 - शमीम जहां (मौ0 हामिद) = निर्दलीय (5648) 30.43 को 3938 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- रईसन (रईस अहमद) = समाजवादी पार्टी (1750) 9.43  मत प्राप्त कर तीसरे  स्थान जमानत जब्त
4 - विमला देवी(कृष्ण लाल) भारतीय जनता पार्टी (582) चौथे स्थान पर रहकर जमानत जब्त हो गयी 
निकाय चुनाव 2017 में नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रेशमा परवीन अंसारी जनता द्वारा चुनी गयीं श्रीमती अंसारी सामाजिक कद्दावर नेता पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष माननीय शफीक अंसारी की पत्नी हैं पिछले गत वर्षों से स्वार नगर में बहुत अच्छे कार्य किये गए जिस कारण निर्दलीय लड़ते हुए श्री अंसारी ने अपनी पत्नी को चुनाव जीतने में महत्वपूर्ण योगदान दिया 
यह नगर पालिका  मुरादाबाद मंडल के अंतर्गत है। जिला मुख्यालय रामपुर से उत्तर की ओर 29 KM की दूरी पर स्थित है। यह एक ब्लॉक, तहसील हेड क्वार्टर है।
स्वार पिन कोड 244924 है और डाक प्रधान कार्यालय स्वार है।
अलीनगर जागीर (2 KM), अलीनगर नॉर्थ (2 KM), मधुपुरा (2 KM), ज़मीन गंज (2 KM), धनौरी (3 KM) पास के गांव स्वार तक हैं। स्वार दक्षिण की ओर सैदनगर ब्लॉक, पश्चिम की ओर भगतपुर टांडा ब्लॉक, उत्तर की ओर बाजपुर ब्लॉक, उत्तर की ओर काशीपुर ब्लॉक से घिरा हुआ है।
स्वार, बाजपुर, काशीपुर, रामपुर स्वार के पास के शहर हैं।
नगर पालिका परिषद्  अद्ध्यक्ष 
स्वार की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है।
यह 206 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है। यह स्थान रामपुर जिले और मुरादाबाद जिले की सीमा में है। मुरादाबाद जिला भगतपुर टांडा इस जगह से पश्चिम की ओर है।
काशीपुर, मुरादाबाद, रामनगर, काठगोदाम (हल्द्वानी-काठगोदाम), नैनीताल देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के निकट हैं।
स्वार का मौसम और जलवायु
यह गर्मियों में गर्म है। सूअर गर्मी का उच्चतम दिन का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
जनवरी का औसत तापमान 14 ° C, फरवरी 16 ° C, मार्च 23 ° C, अप्रैल 28 ° C, मई 33 ° C है।
स्वार नगर को कैसे पहुचें
रेल द्वारा
स्वार  के पास 10 किमी से कम में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
स्वार में बैंक
इलाहाबाद बैंक, रसूलपुर फरीदपुर (IFsc कोड: ALLA0212803, 
बैंक ऑफ बड़ौदा, ज्वाला नगर (ifsc कोड: BARB0JWALAX,
बैंक ऑफ बड़ौदा, स्वार, अप (IFsc कोड : BARB0SUARXX, 
पंजाब नेशनल बैंक, स्वार (ifsc कोड: PUNB0989100, 
शहरों के पास
स्वार ० केएम
बाजपुर 21 KM
काशीपुर 25 KM 
रामपुर 26 KM 
तालुकों के पास
स्वार 2 KM 
सैदनगर 17 KM
भगतपुर टांडा 19 KM
बाजपुर 22 KM 
एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर एयरपोर्ट 45 KM 
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 159 KM 
देहरादून हवाई अड्डा 195 KM 
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 221 KM 
पर्यटक स्थलों के पास
काशीपुर 27 KM 
मुरादाबाद 38 KM 
रामनगर 47 KM 
काठगोदाम 61 KM 
नैनीताल 62 KM 
जिले के पास
रामपुर 27 KM
उधम सिंह नगर 37 KM 
मुरादाबाद 38 KM 
नैनीताल 63 KM 
रेल्वे स्टेशन के पास
काशीपुर जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 25 KM 
बिलासपुर रोड रेल मार्ग स्टेशन 28 KM 
स्वार में राजनीति
स्वार विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस स्वार निर्वाचन क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं
INC (I), JD, BJS, SWA, JNP, पिछले वर्षों में लोकप्रिय राजनीतिक दल हैं।
स्वार नगर पालिका रामपुर संसद क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वर्तमान सांसद डॉ। नेपाल सिंह हैं
स्वार विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक =  मोहम्मद अब्दुल्ला 
स्वार  विधानसभा क्षेत्र में मंडल
स्वार, 
स्वार विधानसभा क्षेत्र से विधायकों के जीतने का इतिहास
2012  नवाब काजिम अली खान उर्फ़ नावेद मियां कांग्रेस 55469 = 13715 लक्ष्मी सैनी बीजेपी 41754
2007  नवाब काज़िम अली खान उर्फ ​​नावेद मियां एसपी 61227 = 14606 शिव बहादुर सक्सेना बीजेपी 46621
2007  नवाब काज़िम अली खान उर्फ़ नावेद मुख्य बीएसपी 87047 = 49189 शिव बहादुर सक्सेना बीजेपी 37858
2002  नवाब काज़िम अली खान उर्फ ​​नावेद मियां कांग्रेस 83135 = 27010 शिव बहादुर सक्सेना बीजेपी 125125
1996  शिव बहादुर सक्सेना बीजेपी 59477 = 7493 ए। गफूर एसपी 51984
1993  शिव बहादुर सक्सेना बीजेपी 50845 = 12705 अब्दुल गफूर इंजीनियर जेडी 38140
1991 शिव भादुर भाजपा 44138 = 11529 निसार हुसैन कांग्रेस 32609
1989 शिव बहादुर भाजपा 39738 = 11685 अब्दुल गफूर बसपा 28053
1985  निसार हुसैन कांग्रेस 36608 = 9270 धर्मपाल सिंह भाजपा 27338
1980  बलबीर सिंह भाजपा 19408 = 4519 निसार हुसैन कांग्रेस 14889
1977 मकबूल अहमद कांग्रेस 20728 = 4453 साहुकत अली खान जेएनपी 16275
1974  सैयद मुर्तज़ा अल्ली ख़ान कांग्रेस 34350 = 8463 राजेंद्र कुमार शर्मा BJS 25887
1969  राजेंद्र कुमार शर्मा BJS 21239 = 2300 सुभान हाजीकांग्रेस 18939
1967  एम। हुसैन 37523 =22970 S. D. आर्य BJS 14553
1962  महमूद अली खान कांग्रेस 13508 = 931 मकसूद हुसैन12577
1957  महमूद अली खान कांग्रेस 24564 7688 अख्तर अली खान 16876

विकास कार्य :

माननीय अध्यक्ष जी द्वारा विकास कार्य सूची उपलब्ध नहीं करई गयी है जल्द ही आपको विकास कार्यों की जानकारी उपलब्ध होगी 

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय,
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों (स्त्रियों) में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे।
बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो।
अपने चार भाइयो में अशफाकुल्ला सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के सहकर्मी थे। जब मणिपुर की घटना के बाद बिस्मिल को भगोड़ा घोषित किया गया तब रियासत अपने छोटे भाई अश्फाक को बिस्मिल की बहादुरी के किस्से सुनाते थे। तभी से अश्फाक को बिस्मिल से मिलने की काफी इच्छा थी, क्योकि अश्फाक भी एक कवी थे और बिस्मिल भी एक कवी ही थे। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। 1920 में जब बिस्मिल शाहजहाँपुर आये और जब उन्होंने स्वयं को व्यापार में वस्त कर लिया, तब अश्फाक ने बहोत सी बार उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उस समय बिस्मिल ने कोई ध्यान नही दिया था।
1922 में जब नॉन-कोऑपरेशन (असहयोग आन्दोलन) अभियान शुरू हुआ और जब बिस्मिल ने शाहजहाँपुर में लोगो को इस अभियान के बारे में बताने के लिये मीटिंग आयोजित की तब एक पब्लिक मीटिंग में अशफाकुल्ला की मुलाकात बिस्मिल से हुई थी धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और उन्होंने बिस्मिल को अपने परिचय भी दिया की वे अपने सहकर्मी के छोटे भाई है। उन्होंने बिस्मिल को यह भी बताया की वे अपने उपनाम 'वारसी' और 'हसरत' से कविताये भी लिखते है। बाद में उनके दल के भरोसेमंद साथी बन गए। इस तरह से वे क्रांतिकारी जीवन में आ गए। बाद में कुछ समय तक साथ रहने के बाद अश्फाक और बिस्मिल भी अच्छे दोस्त बन गये। अश्फाक जब भी कुछ लिखते थे तो तुरंत बिस्मिल को जाकर दिखाते थे और बिस्मिल उनकी जांच कर के गलतियों को सुधारते भी थे। कई बाद तो बिस्मिल और अश्फाक के बीच कविताओ और शायरियो की जुगलबंदी भी होती थी, जिसे उर्दू भाषा में मुशायरा भी कहा जाता है।
वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे उनके लिये मंदिर और मस्जिद एक समान थे। एक बार शाहजहाँपुर में हिन्दू और मुसलमान आपस में झगड़ गए और मारपीट शुरू हो गयी। उस समय अशफाक बिस्मिल के साथ आर्य समाज मन्दिर में बैठे हुए थे। कुछ मुसलमान मंदिर पर आक्रमण करने की फ़िराक में थे। अशफाक ने फ़ौरन पिस्तौल निकाल लिया और गरजते हुए बोले 'मैं भी कट्टर मुस्लमान हूँ लेकिन इस मन्दिर की एक एक ईट मुझे प्राणों से प्यारी हैं। मेरे लिये मंदिर और मस्जिद की प्रतिष्ठा बराबर है। अगर किसी ने भी इस मंदिर की नजर उठाई तो मेरी गोली का निशाना बनेगा। अगर तुम्हें लड़ना है तो बाहर सड़क पर जाकर खूब लड़ो।' यह सुनकर सभी के होश उड़ गए और किसी का साहस नहीं हुआ कि उस मंदिर पर हमला करे।
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफ़ाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो डाला।
राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की दोस्ती :-
चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे। अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे। उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ वह शाहजहांपुर के प्रतिष्ठित और समर्पित क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए।
आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे। वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे। धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था। यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए। धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।
काकोरी कांड
जब क्रांतिकारियों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों से विनम्रता से बात करना या किसी भी प्रकार का आग्रह करना फिजूल है तो उन्होंने विस्फोटकों और गोलीबारी का प्रयोग करने की योजना बनाई। इस समय जो क्रांतिकारी विचारधारा विकसित हुई वह पुराने स्वतंत्रता सेनानियों और गांधी जी की विचारधारा से बिलकुल उलट थी। लेकिन इन सब सामग्रियों के लिए अधिकाधिक धन की आवश्यकता थी। इसीलिए राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया। उन्होंने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों के इस बहादुरी भरे कदम से भौंचक्की रह गई थी। इसलिए इस बात को बहुत ही सीरियसली लेते हुए सरकार ने कुख्यात स्कॉटलैंड यार्ड को इसकी तफ्तीश में लगा दिया। एक महीने तक CID ने भी पूरी मेहनत से एक-एक सुबूत जुटाए और बहुत सारे क्रांतिकारियों को एक ही रात में गिरफ्तार करने में कामयाब रही। 26 सितंबर 1925 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। और सारे लोग भी शाहजहांपुर में ही पकड़े गए। पर अशफाक बनारस भाग निकले। जहां से वो बिहार चले गए। वहां वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीनों तक काम करते रहे। वो गदर क्रांति के लाला हरदयाल से मिलने विदेश भी जाना चाहते थे।
अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिए अशफाक उनकी मदद चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली गए जहां से उनका विदेश जाने का प्लान था। पर उनके एक अफगान दोस्त ने, जिस पर अशफाक को बहुत भरोसा था, उन्हें धोखा दे दिया। और अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी