मेरा नगर मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान डिजीटल रिकॉर्ड

नाम :
मा. रूखसाना परवीन W/o आदिल हुसैन
पद :
नगर पालिका परिषद सदस्य
वार्ड :
21 कोटरा
निकाय :
शेरकोट
जनपद :
बिजनौर
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सहयोगी :
निर्दलीय
सम्मान :

जीवन परिचय :

Introduction

Name: Rukhsana Parveen W/O Adil Hussain

Designation: Municipal Council Member 

Eligibility: Illiterate

Email: NA

Mobile No: 9528067852

Residence: 

Support: Independent

Ward No : 21 Kotra 

Municipal Council: Nagar Palika Parishad Sherkot

District : Bijnor 

State : Uttar Pradesh

Division : Moradabad 

Language : Hindi and Urdu

Current Time 11:13 AM

Date: Thursday , Oct 07,2021 (IST)

Time zone: IST (UTC+5:30)

Telephone Code / Std Code: 01344

Vehicle Registration Number:UP-20

RTO Office : Bijnor

Assembly constituency : Dhampur assembly constituency

Assembly MLA : ASHOK KUMAR RANA (Bharatiya Janata Party)

Lok Sabha constituency : Nagina parliamentary constituency

Parliament MP : GIRISH CHANDRA
Pin Code : 246747
Post Office Name : Sherkot
 
 

वार्ड नं : 21 कोटरा  के बारे में  

वार्ड नं : 21 कोटरा  में कुल 1722  मतदाता हैं, जिनमें निर्दलीय  समर्थित माननीय रूखसाना परवीन W/o आदिल हुसैन जी को निकाय चुनाव 2017 में उन्हें नगर पालिका परिषद सभासद  पद के लिए कुल 1079  वोटों में से 708 वोट मिले। 

रूखसाना परवीन W/o आदिल हुसैन (सभासद ) चुने  गए क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं,  मिलनसार होने के कारण क्षेत्र के सभी वर्गों में अच्छी पकड़ है, क्षेत्र के नागरिक बहुत सम्मान देते हैं, उनके मुकाबले में

2 = फरहत नसरीन  = ने निर्दलीय (337) को 371 मतों से हराकर चुनाव जीता।

 

 नगर पालिका परिषद शेरकोट  के बारे में 

 

नगर पालिका परिषद में कुल 47355 मतदाता हैं,  शेरकोट  नगर पालिका में कुल 25 वार्ड हैं। निकाय 2017 में चुनाव में निर्दलीय समर्थित नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद पर माननीय शबनम नाज जी ने कुल पड़े मत संख्या 31453 से (11019) 36.51 % मत पकर विजय रही   ! 

 

नगर पालिका परिषद शेरकोट के बारे में 

शेरकोट उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक नगर पालिका परिषद शहर है। शेरकोट शहर को 25 वार्डों में विभाजित किया गया है, जिसके लिए हर 5 साल में चुनाव होते हैं। भारत की जनगणना 2011 द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार शेरकोट नगर पालिका परिषद की जनसंख्या 62,226 है, जिसमें 32,369 पुरुष हैं जबकि 29,857 महिलाएं हैं।


शेरकोट की जनसांख्यिकी

0-6 आयु वर्ग के बच्चों की जनसंख्या 9692 है जो शेरकोट (एनपीपी) की कुल जनसंख्या का 15.58% है। शेरकोट नगर पालिका परिषद में, राज्य के औसत 912 के मुकाबले महिला लिंग अनुपात 922 है। इसके अलावा शेरकोट में बाल लिंग अनुपात उत्तर प्रदेश राज्य औसत 902 की तुलना में लगभग 888 है। शेरकोट शहर की साक्षरता दर राज्य के औसत 67.68 से 68.20 प्रतिशत अधिक है। %. शेरकोट में, पुरुष साक्षरता लगभग 73.29% है जबकि महिला साक्षरता दर 62.71% है।

 

शेरकोट नगर पालिका परिषद का कुल प्रशासन 9,668 घरों से अधिक है, जिसमें यह पानी और सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति करता है। यह नगर पालिका परिषद की सीमा के भीतर सड़कों का निर्माण करने और अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों पर कर लगाने के लिए भी अधिकृत है।

 

शेरकोट जाति कारक

अनुसूचित जाति (एससी) का गठन 9.17% है जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) शेरकोट (एनपीपी) की कुल आबादी का 0.01% है।

 

शेरकोट वर्क प्रोफाइल

कुल जनसंख्या में से, 18,372 कार्य या व्यावसायिक गतिविधियों में लगे हुए थे। इनमें से 15,839 पुरुष थे जबकि 2,533 महिलाएं थीं। जनगणना सर्वेक्षण में, कार्यकर्ता को उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो व्यवसाय, नौकरी, सेवा और कृषक और श्रम गतिविधि करता है। कुल १८३७२ कामकाजी आबादी में से ७८.२५% मुख्य कार्य में लगे हुए थे जबकि कुल श्रमिकों का २१.७५% सीमांत कार्य में लगे हुए थे।

 

शेरकोट 2021 जनसंख्या

शेरकोट जनसंख्या की अगली जनगणना 2021 में होगी। अभी 2021 के सभी आंकड़े अनुमानित हैं।

 

हिन्दी यहाँ की स्थानीय भाषा है।

शेरकोट के पास मतदान केंद्र / बूथ

१)पी.वी.रसूलपुर मोहम्मद.कुली आर.नं.2

२)पी.वी.अमीरपुर

3)प.व.मोह.अलीपुर इनायत

4)पी.वी.आजमपुर जामनीभान आर.न.1

५)पी.वी.दींदरपुर

शेरकोट में राजनीति

भाजपा, रालोद, सपा, बसपा इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।


धामपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल

धामपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, रालोद, सपा, बसपा एलकेडी, आईएनसी (आई), एसओसी, जेडी, बीकेडी, बीजेएस, जेएनपी (एससी), जेएनपी, आईएनसी 

 

धामपुर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान मौजूदा विधायक।

धामपुर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान मौजूदा विधायक वें हैं। भाजपा  पार्टी से अशोक कुमार राणा है 

 

धामपुर विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

अफजलगढ़ बुधनपुर सोहरा धामपुर

 

धामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

 

2012 जनरल थ। मूलचंद चौहान सपा 53365 = 564 अशोक कुमार राणा बसपा  52801

2007 जनरल अशोक कुमार राणा बसपा 65717 = 20526 ठाकुर मूल चंद चौहान सपा 45191

2002 जनरल मूल चंद एसपी 56597 = 10553 अशोक कुमार राणा  रालोद 46044

1996 जनरल मूल चंद सपा 61218 = 4270 अजय बाला  भाजपा 56948

1993 जनरल राजेंद्र सिंह भाजपा 63069 = 2250 मूल चंद जद 60819

1991 जनरल राजेंद्र सिंह भाजपा 62048 = 26651 बुनियाद अली जद 35397

1989 जनरल सुरेंद्र सिंह भाजपा 39183 = 7772 बुनियाद अली  बसपा 31411

1985 जनरल बसंत सिंह कांग्रेस 19541 = 3403 श्याम सिंह एलकेडी 16138

1980 जनरल श्याम सिंह जेएनपी (एससी) 20932 = 6274 हरि पाल सिंह शास्त्री कांग्रेस(I) 14658

1977 जनरल हरिपाल सिंह शास्त्री जेएनपी 23242 = 694 सत्तार अहमद कांग्रेस 22548

1974 जनरल सत्तार अहमद कांग्रेस 29020 = 7218 चंद्रवीर सिंह बीकेडी 21802

1969 जनरल सत्तार अहमद बीकेडी 28976 = 6936 क्रांति कुमार कांग्रेस 22040

1967 जनरल जी सहाय कांग्रेस 23351 = 3211 बी.एस. गहलोत बीजेएस 20140

1962 जनरल खुब सिंह कांग्रेस 18824 = 7594 अमीरी सिंह एसओसी 11230

1957 (एससी) खुब सिंह कांग्रेस 40123 = 17281 हरि पाल सिंह बीजेएस 22842

1957 (एससी) गिरधारी लाल कांग्रेस 41106 = 16233 संत राम बीजेएस 24873


शेरकोट कैसे पहुंचें

 

रेल द्वारा

10 किमी से कम में शेरकोट के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।

 

शहरों के पास

शेरकोट 5 किमी

सोहरा 19 किमी

नगीना 24 किमी

जसपुर 24 किमी

 

तालुकसो के पास

अफजलगढ़ 8 किमी

धामपुर 15 किमी

कोतवाली 24 किमी

जसपुर 25 किमी

 

हवाई बंदरगाहों के पास

पंतनगर हवाई अड्डा 100 किमी

मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 104 किमी

देहरादून हवाई अड्डा 135 किमी

इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 194 किमी

 

पर्यटन स्थलों के पास

काशीपुर 38 किमी

कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान 39 किमी

रामनगर 53 किमी

लैंसडाउन 60 किमी

मुरादाबाद 67 किमी

 

निकटवर्ती जिले

बिजनौर 54 किमी

ज्योतिबा फुले नगर 59 किमी

मुरादाबाद 68 किमी

रामपुर 81 किमी

 

रेलवे स्टेशन के पास

धामपुर रेल मार्ग स्टेशन 15 किमी

सोहरा रेल वे स्टेशन 20 किमी

सामाजिक/विकास कार्यों के बारे में :

माननीय सभासद जी की विकास कार्य सूचि अभी उपलब्ध नहीं है  निकाय चुनाव 2022 से पूर्व सूची प्रकाशित कर दी जाएगी

 
कार्यक्रम सहयोगी के बारे में : NA

नगर निकाय सभासद के अधिकार के बारे में :

नगर पालिका (Municipality) क्या है

नगर पालिका का मतलब संविधान के 74वें संसोधन से है जिसमे नगर पालिकाएं (The Municipalities) को भाग 9 (क) में जोड़ा गया है और इसको संविधानिक दर्जा दिया गया है | यह एक शहरी निकाय शासन है जिसे पंचायती राज व्यवस्था के अनुसार त्रिस्तरीय रूप में विभाजित किया गया है |

 

नगर पालिकाः एक नगर पालिका की आबादी 20 हजार या उससे अधिक की होती है. नगर पालिका है तो एक प्रशासनिक इकाई ही लेकिन इसमें इसका परिभाषित क्षेत्र और इसकी जनसंख्या भी अंकित होती है. आमतौर पर यह एक कस्बे, गांव, या उनमें से छोटे समूह रूप में होता है. एक नगरपालिका में प्रायः एक चेयरमैन प्रशासनिक अधिकारी होता है, व इसके ऊपर नगर परिषद या नगरपालिका परिषद का नियंत्रण होता है. प्रायः नगरपालिका अध्यक्ष ही प्रशासनिक अध्यक्ष होता है.

भारत में, एक नगर पालिका अक्सर एक शहर के रूप में जाना जाता है. यह न तो एक ग्राम और न ही बड़े शहर के बराबर होता है, वरन उनके बीच का होता है. एक नगर पालिका 20 हजार या उससे अधिक लोगों को मिलाकर बनता है, लेकिन अगर यह 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाला हो जाता है तब एक नगर निगम बन जाता है. 

 

नगरपालिका (Municipality)
पूर्ण रूप से एक शहरी निकाय शासन के रूप में कार्य करता है और क्षेत्रो के अनुसार नगरपालिकाएं (The Municipalities) को नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद और नगर निगम की श्रेणी में विभाजित किया गया है | आज हम नगरपालिकाएं (The Municipalities) के रूप में जानेगे ये नगरपालिका क्या होती है, यह कैसे काम करती है और साथ ही में जो बहुत भ्रम का कारण है कि नगरपालिका और नगरपालिका परिषद में क्या अंतर है |

नगरपालिका का गठन व कार्य

नगर पालिकाएं (The Municipalities) का महत्व

किसी राज्य के स्थानीय शहरी शासन में जनता की भागीदारी बढ़ाने हेतु 74वें संविधान संसोधन के रूप में शहरी स्थानीय शासन को सशक्त बनाया गया जिसे भाग 9 (क) में नगरपालिकाएं (The Municipalities) कहा गया और इसे ही सामान्य रूप में नगरपालिका कहा जाता है | अक्सर लोग नगरपालिका का नगर निगम, नगरपालिका परिषद के साथ क्या संबंध है, इसमें भ्रमित स्थिति में रहते है | आपको बता दे कि नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद और नगर निगम यह तीनो नगरपालिका की श्रेणी है जिन्हें जनसँख्या के आधार पर बनाया जाता है | सबसे छोटी इकाई नगर पंचायत व सबसे बड़ी इकाई नगर निगम के रूप में होती है |

 

नगरपालिका क्षेत्र को वार्डो में विभक्त किया जाता है जिसमे से प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि का चुनाव होता है |

वार्ड के प्रतिनिधि को पार्षद या सभासद कहा जाता है जिनका चुनाव प्रत्यक्ष माध्यम से होता है |

यही वार्ड प्रतिनिधि आपस में सलाह करके अपने में से ही सभा का अध्यक्षता करने हेतु अध्यक्ष का चुनाव करते है, इन्हें अध्यक्ष  या चेयरमैन बुला सकते है

नगरपालिका के सदस्य के रूप में सभासद और अध्यक्ष मिलकर नगर 
पालिका का गठन करते है |

प्रशासक के रूप एक अधिशाषी अधिकार राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है |

नगर पालिकाएं (The Municipalities) का महत्व

हमारे भारतीय संविधान में स्थानीय निकाय में भी विकेन्द्रीकरण सुधार माध्यम से ग्रामीण व शहरी स्तर पर नागरिको के सहयोग से अच्छा माहौल बनाने का कार्य किया गया है | 73वें और 74वें संविधान संसोधन के बाद असलियत में लोकल बॉडी को अधिकार दिए गए है जो पहले कभी नहीं दिए गए थे |

क्षेत्र को छोटे छोटे वार्ड में विभक्त करने के बाद से किसी भी भाग में विकास और सम्बंधित कार्य करना बहुत आसान हो गया है|

नगरपालिकाएं गठन से स्थानीय स्तर पर शासन की जवाबदेही भी तय हुई है, जिससे लोगो की हिस्सेदारी में सुधार हुआ है |

स्थानीय निकाय के विकसित होने से लोकल स्तर पर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य संबधित चिंताए भी दूर हुई है |

स्थानीयस्तर पर अब मूलभूत सुविधाए बहुत सुगमता से उपलब्ध करायी जा सकती है |



नगर पंचायत क्या होती है (what is nagar panchayat)

पंचायत राज व्यवस्था (THE PANCHAYATS) में ग्रामीण स्थानीय निकाय के रूप में ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की तर्ज़ पर शहरी स्थानीय के रूप में नगर पंचायत स्थापित किया गया | 74वें संविधान संसोधन के रूप में शहरी स्थानीय शासन को भी त्रिस्तरीय पर विभाजित किया गया इसमें सबसे छोटी इकाई नगर पंचायत के बाद नगरपालिका परिषद (Municipal Council) व नगर निगम (Municipal Corporation) को प्रस्तावित किया गया | वैसे तो संविधान (The Constitution of India) में पहले से (अनुच्छेद-40 में) स्थानीय निकाय को मान्यता दी गयी थी परन्तु आशा अनुरूप कार्य न होने पर केंद्र सरकार को स्थानीय शासन को ज्यादा सशक्त करने कर लिए संविधान में संसोधन करना पड़ा |

 

क्या है नगर पंचायत (Nagar Panchayat)

संविधान द्वारा 12वीं सूची में विषय

नगर पंचायत का गठन व चुनाव प्रक्रिया (Composition and Election Process of Nagar Panchayat)

यह शहरी स्थानीय निकाय के त्रिस्तरीय रूप में सबसे छोटी इकाई है | नगर पालिका व्यवस्था के अनुसार नगर पंचायत को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है:-

“ऐसे क्षेत्र जो ग्राम से शहरी क्षेत्र बनने की ओर अग्रसर है, नगर पंचायत के रूप में निर्धारित किये गए है”

संविधान द्वारा 12वीं सूची में निर्धारित 18 विषयों पर नगर पालिका को कानून बनाने का अधिकार दिया गया |

 

संविधान द्वारा 12वीं सूची में विषय

 

1-नगरीय योजना।

2-भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण।

3-आर्थिक व सामाजिक विकास योजना।

4-सड़कें और पुल।

5-घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रयोजनों के लिये जल आपूर्ति।

6-लोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सफाई और कूड़ा करकट प्रबंधन।

7-अग्निशमन सेवाएँ।

8-नगरीय वानिकी, पर्यावरण का संरक्षण और पारिस्थितिक आयामों की अभिवृद्धि ।

9-समाज के दुर्बल वर्ग, जिनके अंतर्गत दिव्यांग और मानसिक रूप से मंद व्यक्ति भी हैं, के हितों की रक्षा।

10-झुग्गी बस्ती सुधार और प्रोन्नयन।

11-नगरीय निर्धनता उन्मूलन।

12-नगरीय सुख-सुविधाओं और अन्य सुविधाओं, जैसे- पार्क, उद्यान, खेल के मैदान आदि की व्यवस्था।

13-सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सौंदर्यपरक आयामों की अभिवृद्धि।

14-शव गाड़ना और कब्रिस्तान, शवदाह और श्मशान तथा विद्युत शवदाह गृह।

15-कांजी हाऊस पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण।

16-जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण।

17-सार्वजनिक सुख सुविधाएँ, जिसके अंतर्गत सड़कों पर प्रकाश, पार्किंग स्थल, बस स्टॉप और जन सुविधाएँ भी हैं।

18-वधशालाओं और चर्मशोधनशालाओं का विनियमन।

 

नगर पंचायत का गठन व चुनाव प्रक्रिया (Composition and Election Process ofNagar Panchayat)

नगर पंचायत का चुनाव नगरपालिका के निर्वाचन क्षेत्रो से प्रत्यक्ष रूप से होता है और सीटो का आवंटन चुने हुए प्रतिनिधियों को किया जाता है |

नगरपंचायत का चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है और अवधि समाप्त होने पर अथवा बीच में विधान मंडल द्वारा कार्यकाल बीच में भंग होने पर 6 महीने के भीतर ही चुनाव करने का प्रावधान है |

नगर पालिका में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिये सीटें आरक्षित किये जाने का भी प्रावधान किया गया है |

महिलाओ के लिए एक तिहाई सीटो को आरक्षित किया गया है (कुल सीटो का)

सभासदों द्वारा इसमें भी अध्यक्ष चुना जाता है जो 5 साल के लिए शासन करता है तथा क्षेत्र में विकास कार्यकराता है |

प्रशासन के कार्यअधिशाषी अधिकारी द्वारा किये जाते है |

 

सभासद क्या होता है?

 

सभासद से सम्बंधित जानकारी (Information About Sabhasad)

भारत में स्थानीय प्रशासन के लिए नगर पालिका का गठन किया जाता है | इसका गठन शहरी क्षेत्र के प्रशासन को संचालित करने के लिए किया जाता है| नगर पालिका में कई महत्वपूर्ण पद होते जो अपने दायित्वों का निर्वहन करते है और व्यवस्था को संचालित करते है | इसमें सभासद का पद बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | इस पेज पर सभासद के विषय में जानकारी दी जा रही है|

 

सभासद क्या होता है (What is Sabhasad)?

नगर को वार्डों में विभाजित किया जाता है | नगर की जनसँख्या के आधार पर एक या एक से अधिक वार्डों के लिए एक सभासद का पद निर्धारित किया जाता है | यह सभासद अपने क्षेत्र में रहनें वाले लोगो का प्रतिनिधित्व करते है, और उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते है |

 

सभासद बननें हेतु योग्यता (Ability)

वह भारत का नागरिक होना चाहिए |

व्यक्ति की आयु 21 वर्ष पूरी हो चुकी हो |

उस व्यक्ति का नाम वार्ड की निर्वाचक नामावली में पंजीकृत हो |

वह भारत में किसी भी नगर निकाय का कर्मचारी न हो |

उसे पहले कभी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित नहीं किया गया हो |

 

सभासद के कर्तव्य और अधिकार (Duties and Authority)

एक सभासद पूर्ण रूप से नगर पालिका के कल्याण और हितों के लिए कार्य करता है |

सभासद परिषद की बैठकों, परिषद समिति की बैठकों और अन्य संबंधित निकायों की बैठकें में भाग लेता है |

वह नगर पालिका के कार्यक्रमों और नीतियों के विकास और मूल्यांकन में भाग लेता है |

वह जनहित के मुद्दों को परिषद की बैठकों में आत्मविश्वास के साथ रखने में सक्षम रहता है |

वह नगर पालिका के संचालन और प्रशासन से संबधित मुख्य प्रशासनिक अधिकारी से सभी प्रकार की जानकारी को प्राप्त करता है |

 

सभासद का चुनाव कैसे होता है (How is The Sabhasad Elected)

सभासद का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा आयोजित कराया जाता है | प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार निकाय चुनाव का आयोजन होता है | यदि आप सभासद बनना चाहते है, तो आपको निर्वाचन आयोग के द्वारा निर्धारित नियमानुसार पर्चा भरकर निकाय चुनाव में भाग लेना होगा | चुनाव आयोग के द्वारा आपको एक चिन्ह प्रदान कर दिया जायेगा | इसके बाद आप अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर सकते है | यदि आपके क्षेत्र की जनता आपको निर्वाचित करती है, तो आप सभासद के पद पर कार्य कर सकते है |

 

तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में :

         क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए  तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। 

   1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन         रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।

2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।

3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।

4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।

5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।

6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।

7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।

8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।

9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।

10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।

11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।

12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।

13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।

14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।

15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।

16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।

17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।

18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।

19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।

20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।

21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।

22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।

23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ?
भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।

24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।



मेरा नगर मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान छात्र फ़ोटो परियोजना के बारे में : 

    संस्था द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट का उद्देश ग्रामीण/शहरी क्षेत्र के नागरिकों को डिजीटल इंडिया एवम तिरंगे के प्रति जागरूक कर पासपोर्ट साइज फोटो परियोजना के माध्यम से आर्थिक विकास में सहयोग कर पंजीकृत नागरिक को योजना फॉर्म में लगाने हेतु 45 पासपोर्ट साइज फ़ोटो कैलन्डर सहित उपलब्ध कराना, 

       एक सर्वे के अनुसार 90% छात्र, नागरिक एक बार मे 4/5 फ़ोटो बनवाते हैं, जिसको 20 से 25 रुपये में शॉप द्वारा बनाकर दिए जाते हैं, प्रत्येक वर्ष 8 से 9 फ़ोटो की जरूरत होती है रुपये खर्चे के साथ बार बार समय भी खर्च होता है, 

       संस्था इस परियोजना में छात्र, नागरिकों का पंजीकरण शुल्क मात्र 40 रुपये में 45 पासपोर्ट साइज फ़ोटो, कैलेंडर, हैंड फ्लैग, गांव/वार्ड का मोबाइल ऐप लिंक, बारकोड,तिरंगा,सहित आवेदकों को उपलब्ध रही है, जिसका मार्किट मूल्य लगभग 150 से 200 रुपये में 45 फ़ोटो अलग अलग समय दुकान से बन पाते हैं, लेकिन संस्था द्वारा तेयार किए गए फोटो कैलेंडर की लागत मात्र 80 रुपिया आती है नगर पालिका सभासद , नगर पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, वार्ड सदस्य,पंचायत अध्यक्ष के माध्यम से 20रुपिया एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनधि के सहयोग से 20  रुपये सब्सिडी देकर मात्र 40 रुपये पंजीकरण में छात्र, नागरिक इस योजना का लाभ ले सकते हैं, 

     बच्चों का एक सपना होता है घर मे जो कैलेंडर लगा है उस पर उनकी फोटो लगी हो इस परियोजना के माध्यम से अमीर गरीब समस्त नागरिकों के सपने पूरा करने हेतु कैलेंडर पर छात्र का फोटो लगाकर उनके सपने पूरे करने का प्रयास कर रहे हैं, इस परियोजना में कुछ धनराशि संस्था अपने स्तर से खर्च करती है प्रोजेक्ट पर कार्य करने वालो के लिये, आत्मनिर्भर योजना के तहत प्रत्येक नगर निकाय  स्तर पर एक पदाधिकारी नियुक्त कर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है, 

     आओ भारत जोड़ें अभियान में बच्चों का सपना कैलेंडर पर फ़ोटो हो अपना, मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फ़ोटो परियोजना द्वारा 45 फ़ोटो कैलेंडर सहित समस्त स्कूलों से अनुबंध कर उपलब्ध करा रहे हैं जिससे छात्र स्कूल के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ा रहे वर्षों बाद भी एक क्लिक में अपने मोबाइल पर स्कूल की तस्वीर देख सकता है संस्था ने राष्ट्रहित में इस प्रोजेक्ट को समर्पित किया है।


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