रानी लक्ष्मीबाई कपडा वितरण योजना सम्मान पत्र

नाम :
श्रीमती जमुना मालाकार
वैधता :
05/02/2020
कार्य :
सामाजिक कार्यकर्ता
शौचालय :
yes
निवास :
वार्ड नंबर 06
ब्लाक :
नगर पालिका रायगढ़
ज़िला :
रायगढ़
राज्य :
छत्तीसगढ़
सम्मान पत्र :
प्रमाणित किया जाता है की उक्त परिवार ने स्वच्छ भारत अभियान में अपना घर परिसर साफ़ सुथरा रखने एवं शुलभ शौचालय बनवाकर अपना योगदान दिया है इस कार्य क लिए संस्था द्वारा संचलित #रानी लक्ष्मीबाई कपड़ा वितरण योजना# में चयनित कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है डिजिटल कार्ड के माध्यम से नियमानुसार सहायता प्रदान की जाएगी लाभार्थी का पूर्ण विवरण संस्था वेबसाइट में दर्ज है #मैहनाज अंसारी#
विवरण :
introduction
Name: Mrs. Jamuna Malakar
Designation: Social worker
Eligibility: Bachelor
Mobile no. : 9876543210
E-Mail id:
ward No : 06
Nagar Palika Name : Raigarh
District : Raigarh
State : Chattisgarh
Language : Chhattisgarhi and Hindi, Oriya
Current Time 09:55 PM
Date: Tuesday , Feb 04,2020 (IST)
Telephone Code / Std Code: 07762
Vehicle Registration Number:CG-13
RTO Office : Raigarh
Assembly constituency : Raigarh assembly constituency
Assembly MLA : roshan lal
Lok Sabha constituency : Raigarh parliamentary constituency
Parliament MP : GOMATI SAI
Serpanch Name :
Pin Code : 496001
Post Office Name : Raigarh

निवास स्थान रायगढ़ शहर के बारे में
रायगढ़ भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले का एक शहर है। 227 किलोमीटर पश्चिम की ओर राज्य की राजधानी रायपुर से।

रायगढ़ शहर दक्षिण की ओर पुसौर तहसील, उत्तर की ओर तमनार तहसील, पश्चिम की ओर खरसिया तहसील, पश्चिम की ओर डभरा तहसील से घिरा है। रायगढ़ शहर, शक्ति शहर, बेलपहाड़ शहर, ब्रजराजनगर शहर नज़दीकी शहर रायगढ़ हैं।

रायगढ़ में 187 गाँव और 90 पंचायतें हैं। यह 220 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।

रायगढ़, हीराकुद, संबलपुर, जांजगीर, कोरबा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के पास हैं।

रायगढ़ शहर की जनसांख्यिकी
छत्तीसगढ़ी यहाँ की स्थानीय भाषा है। इसके अलावा लोग हिंदी, उड़िया बोलते हैं। रायगढ़ शहर की कुल जनसंख्या 364,287 है जो 75,445 घरों में रह रही है, जो कुल 187 गांवों और 90 पंचायतों में फैली हुई है। पुरुष 185,771 और महिला 178,516 हैं
कुल 115,908 व्यक्ति शहर में और 248,379 गाँव में रहते हैं
रायगढ़ शहर में राजनीति
भारतीय जनता पार्टी, भाजपा, कांग्रेस इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
रायगढ़ शहर कई विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आता है। रायगढ़ शहर लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र हैं, रायगढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, खरसिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, रायगढ़ शहर विधानसभा क्षेत्र हैं।
लैलूंगा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के वर्तमान विधायक भाजपा पार्टी के सुनीति सत्यानंद राठिया हैं, रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक भाजपा पार्टी से रोशन लाल हैं, खरसिया विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक कांग्रेस पार्टी से उमेश पटेल हैं।
रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
बरमकेला,पूसरे,रायगढ़
रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2013 जनरल रोशन लाल बीजेपी 91045 = 20592 शकरजीत नाइक  कांग्रेस 70453
2008 जनरल डॉ। शकरजीत नायक कांग्रेस 72054 = 12944 विजय अग्रवाल बीजेपी 59110
2003 जनरल श्री विजय अग्रवाल भाजपा 52310 = 8439 कृष्ण कुमार कांग्रेस 43871
रायगढ़ शहर रायगढ़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, वर्तमान सांसद MP GOMATI SAI भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़े और जीते हैं
कैसे पहुंचें रायगढ़ शहर
रेल द्वारा
रायगढ़ रेल मार्ग स्टेशन, किरोड़ीमलनगर रेल मार्ग स्टेशन रायगढ़ शहर के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।

आस पास के शहर
रायगढ़ 1 KM
सक्ती 48 KM
बेलपहाड़ 58 KM
ब्रजराजनगर 64 कि.मी.

तालुका के पास
रायगढ़ 0 KM
पुसौर 14 KM
तमनार 26 KM
खरसिया 30 KM

 एयर पोर्ट्स
रायपुर हवाई अड्डा 208 KM
रांची एयरपोर्ट 285 KM
भुवनेश्वर हवाई अड्डा 350 KM
गया एयरपोर्ट 397 KM

जिले के पास
रायगढ़ 3 KM
जांजगीर-चांपा 65 KM
झारसुगुड़ा 75 KM
बरगढ़ 75 KM

रेल्वे स्टेशन के पास
रायगढ़ रेल मार्ग स्टेशन 2.7 KM
किरोड़ीमलनगर रेल मार्ग स्टेशन 5.7 KM
खरसिया रेल मार्ग स्टेशन 33 KM 
रानी लक्ष्मीबाई जीवनी :
लक्ष्मीबाई उर्फ़ झाँसी की रानी मराठा शासित राज्य झाँसी की रानी थी। जो उत्तर-मध्य भारत में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था। महारानी लक्ष्मीबाई इतिहास – Rani Laxmi Bai History पूरा नाम – राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव जन्म – 19 नवम्बर, 1835 जन्मस्थान – वाराणसी पिता – श्री. मोरोपन्त माता – भागीरथी शिक्षा – मल्लविद्या, घुसडवारी और शत्रविद्याए सीखी विवाह – राजा गंगाधरराव के साथ Rani Lakshmi Bai – झांसी की रानी लक्ष्मी बाई लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नमक नगर में हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था। मनु की माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मनु के माता-पिता महाराष्ट्र से झाँसी में आये थे। मनु जब सिर्फ चार वर्ष की थी तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। मनु के माँ की मृत्यु के बाद घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नही था इसलिये मनु के पिता उसे अपने साथ पेशवा के दरबार में ले गये। जहा चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया था। मनु ने बचपन में ही अपनी प्राथमिक शिक्षा घर से ही पूरी की थी और साथ ही मनु ने बचपन में शस्त्रों की शिक्षा भी ग्रहण की थी। मई 1842 में 8 वर्ष की उम्र में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित महाराजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वह झाँसी की रानी बनी। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था लेकिन चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। बाद में महाराजा ने एक पुत्र को दत्तक ले लिया। जो गंगाधर राव के ही भाई का बेटा था। बाद में उस दत्तक लिए हुए बेटे का नाम बदलकर महाराजा की मृत्यु से पहले दामोदर राव रखा गया था। लेकीन ब्रिटिश राज को यह मंजूर नही था इसलिए उन्होंने दामोदर के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। उस मुक़दमे में दोनों ही तरफ से बहोत बहस हुई लेकिन बाद में इसे ख़ारिज कर दिया गया। कंपनी शासन उनका राज्य हड़प लेना चाहता था। रानी लक्ष्मीबाई ने जितने दिन भी शासनसूत्र संभाला वो अत्याधिक सुझबुझ के साथ प्रजा के लिए कल्याण कार्य करती रही। इसलिए वो अपनी प्रजा की स्नेहभाजन बन गई थी। तत्पश्चात ब्रिटिश अधिकारियो ने राज्य का खजाना जब्त कर लिया और उनके पति के क़र्ज़ को रानी के सालाना खर्च में से काटने का फरमान जारी कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप रानी को झाँसी का किला छोड़ कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। मार्च 1854 को रानी लक्ष्मीबाई को झाँसी का किला छोड़ते समय 60000 रुपये और सालाना 5000 रुपये दिए जाने का आदेश दिया। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नही हरी और उन्होंने हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया। ब्रिटिश अधिकारी अधिकतर उन्हें झाँसी की रानी कहकर ही बुलाते थे। Manikarnika – घुड़सवारी करने में रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही निपुण थी। उनके पास बहोत से जाबाज़ घोड़े भी थे जिनमे उनके पसंदीदा सारंगी, पवन और बादल भी शामिल है। जिसमे परम्पराओ और इतिहास के अनुसार 1858 के समय किले से भागते समय बादल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाद में रानी महल, जिसमे रानी लक्ष्मीबाई रहती थी वह एक म्यूजियम में बदल गया था। जिसमे 9 से 12 वी शताब्दी की पुरानी पुरातात्विक चीजो का समावेश किया गया है। उनकी जीवनी के अनुसार ऐसा दावा किया गया था की दामोदर राव उनकी सेना में ही एक था। और उसीने ग्वालियर का युद्ध लड़ा था। ग्वालियर के युद्ध में वह अपने सभी सैनिको के साथ वीरता से लड़ा था। जिसमेतात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओ ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिको की मदद से ग्वालियर के एक किले पर कब्ज़ा कर लिया। 17 जुन 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रिटिश सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त की। भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली झाँसी की रानी एक आदर्श वीरांगना थी। सच्चा वीर कभी आपत्तियों से नही घबराता। उसका लक्ष्य हमेशा उदार और उच्च होता है। वह सदैव आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ट होता है। और ऐसी ही वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी। ऐसी वीरांगना के लिए हमें निम्न पंक्तिया सुशोभित करने वाली लगती है। – सिंहासन हिल उठे, राजवंशो ने भृकुटी तानी थी। बूढ़े भारत में भी आई, फिर से नयी जवानी थी। गुमी हुई आज़ादी की कीमत, सबने पहचानी थी। दूर फिरंगी को करने की, सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुह, हमने सुनी कहानी थी। खुब लढी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी!!