महात्मा गांधी आई.ए.एस./ आई.पी.एस. सम्मान पत्र

नाम : श्री अविनाश कृष्ण सिंह
पद : जिलाधिकारी
विभाग : उत्तर प्रदेश शासन
नियुक्त : संभल
राज्य : उत्तर प्रदेश

विवरण :

introduction
Name : Mr. Avinash Krishan Singh(I.A.S)
Designation : District Magistrate
Appointment : SAMBHAL
Telephone No : 05921-243443-243517
E-Mail id : dmbm-up[at]nic[dot]in
State : Uttar Pradesh
Division : Moradabad
Head Quarters : Bahjoi
Language : Hindi and Urdu, English, Khariboli, Haryanvi, Punjabi, Kumaoni
Current Time 10:14 PM
Date: Friday , Oct 04,2019 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Telephone Code / Std Code: 05923
Vehicle Registration Number:UP-38
RTO Office : Sambhal
Assembly constituency : Sambhal assembly constituency
Assembly MLA : iqbal mehmood
Lok Sabha constituency : Sambhal parliamentary constituency
Parliament MP : DR. SHAFIQUR REHMAN BARQ

सम्भल जिले के बारे में
सम्भल ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय बहजोई है। ज़िले के गठन की घोषणा 28 सितंबर 2011 को की गई थी। 23 जुलाई 2012 के पहले इसका नाम भीमनगर था जिसे बदलकर संभल कर दिया गया I सम्भल जनपद में ३ तहसीलें हैं - सम्भल, चन्दौसी और गुन्नौर I जनपद में वहुसंख्यक जाति यादव है। जनपद में ३ नगर पालिका परिषद और ५ नगर पंचायत हैI जनपद में ४ विधान सभा क्षेत्र सम्भल, असमौली, चन्दौसी और गुन्नौर आते हैं I

धार्मिक महत्व
धार्मिक मानयता एवं कल्कि पुराण के अनुसार भगवान श्री कल्कि का जन्म सम्भल में सत्यवान,ईमानदार ओर निष्ठावान व्यक्ति के घर पर होगा। सम्भल में कल्कि भगवान का एक मंदिर। सम्भल के महोल्ला कोट में स्थित है।

इतिहास
12 वीं शताब्दी के दौरान, पृथ्वीराज चौहान, दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक के बारे में कहा जाता है कि वे दो भयंकर युद्ध में शामिल थे, जो दोनों गाजी सय्यद सालार मसूद के खिलाफ लड़े थे, जो गजनी साम्राज्य के शासक-महमूद गजनी के भतीजे थे। चौहान ने पहले युद्ध में बाद में विजय प्राप्त की और इसके विपरीत दूसरे युद्ध में हुआ था। फिर भी वही साबित करने के लिए कोई परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं है और व्यापक रूप से एक किंवदंती के रूप में माना जाता है।

दिल्ली के पहले मुस्लिम सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने संभल को जब्त कर लिया और इसे अपने साम्राज्य में शामिल कर लिया। यह 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में था और बाद में, दिल्ली के एक अन्य सुल्तान, फिरोज शाह तुगलक ने संभल शहर पर छापा मारा, क्योंकि वहां से एक हिंदू शासक उसके कई आदमियों की हत्या के लिए जिम्मेदार था। इसलिए, उन्होंने संभल में एक मुस्लिम शासन की कोशिश की और हिंदू शासक की सभी ताकतों को हटाने और उन्हें जीवन भर के लिए गुलाम बना दिया।

आस पास के शहर
संभल 5 KM
सिरसी 8 KM
मुरादाबाद 32 KM
चंदौसी 33 KM

तालुकों के पास
संभल 0 KM
आसमौली 13 KM
पनवासा 14 KM
कुंदरकी 23 KM

 पोर्ट्स के पास
पंतनगर एयरपोर्ट 111 KM
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 139 KM
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 159 KM
खेरिया एयरपोर्ट 194 KM
 
जिले के पास
मुरादाबाद 34 KM
ज्योतिबा फुले नगर 35 KM
रामपुर 54 KM
बुलंदशहर 82 कि.मी.

रेल्वे स्टेशन के पास
संभल हातिम सराय रेल मार्ग स्टेशन 4.4 KM
चन्दौसी जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 32 KM
मुरादाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 33 KM 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी : आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ – Mahatma Gandhi –
पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म – 2 अक्तुंबर १८६९
जन्मस्थान – पोरबंदर (गुजरात)
पिता – करमचंद
माता – पूतळाबाई
शिक्षा – १८८७ में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण। १८९१ में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लोटें।
विवाह – कस्तूरबा ( Mahatma Gandhi Wife Name – Kasturba Gandhi )
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर इस शहर गुजरात राज्य में हुआ था। गांधीजीने ने शुरवात में काठियावाड़ में शिक्षा ली बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे। लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला।
वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए महात्मा गांधी को 10 जनवरी 1908 को उनके जीवन में पहली बार जेल हुई थी। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नक्सलवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
सी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला। वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। वहा भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
वहा उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया। वे एक अमेरिकन लेखक हेनरी डेविड थोरो लेखो से और निबंधो से बेहद प्रभावित थे। आखिर उन्होंने अनेक विचारो ओर अनुभवों से सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिस पर गांधीजी पूरी जिंदगी चले। पहले विश्वयुद्ध के बाद भारत में ‘होम रुल’ का अभियान तेज हो गया।
1919 में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद ने भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया। उसी समय एक और चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए हिंसक आंदोलन कर रहे थे। लेकीन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग पर चलने पर था। और वो पूरी जिंदगी अहिंसा का संदेश देते रेहे।
महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य
१८९३ में उन्हें दादा अब्दुला इनका व्यापार कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगोंका संघटित करके उन्होंने १८९४ में ‘नेशनल इंडियन कॉग्रेस की स्थापना की।
१९०६ में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना सक्त किया था। इसके अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
१९१५ में Mahatma Gandhi – महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती यहा सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
तथा १९१९ में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया।
१९२० में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
१९२० में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
१९२० में के नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
१९२४ में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
१९३० में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुवा। नमक के उपर कर और नमक बनानेकी सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
१९३१ में राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
१९३२ में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
१९३३ में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
१९३४ में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी विधायक कार्यक्रम करके उन्होंने प्रयास किया।
१९४२ में चले जाव आंदोलन शुरु उवा। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः १९४७ में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया। १९४८ में
१९४८ में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था। वर्ष १९९९ में बी.बी.सी. व्दारा कराये गये सर्वेक्षण में गांधीजी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ट पुरुष घोषित किया गया।
महात्मा गांधी विशेषता – भारत के राष्ट्रपिता, महात्मा
Mahatma Gandhi Death – मृत्यु – 30 जनवरी १९४८ में नथुराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या की।
मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से १९४७ में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी महात्मा गांधी के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी
सूचनार्थ पत्र :

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