सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
इंद्रजीत सिंह
पद :
जिला प्रोजेक्ट निदेशक
संगठन :
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति
मनोनीत :
संत कबीर नगर
निवास :
मोह्बरा
नगर/ब्लॉक :
नाथनगर
जनपद :
संत कबीर नगर
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :
प्रमाणित किया जाता है की नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली द्वारा संचालित मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फोटो परियोजना पर कार्य करने हेतु श्री इंद्रजीत यादव जी को जिला प्रोजेक्ट निदेशक संत कबीर नगर उत्तर प्रदेश के पद पर नियमानुसार नियुक्त किया गया है, 
जिला पदाधिकारी अपने स्तर से प्रत्येक ब्लॉक पर 4,4  ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज नियुक्त कर समिति द्वारा कार्यानुसार उपलब्ध कराई गयी धनराशि से ब्लॉक प्रोजेक्ट इंचार्ज को मानदेय नियमानुसार वितरण करें, महिला पुरुषों से पंचायत स्तर पर कार्य कराकर छात्र, ग्रामीण नागरिकों को आर्थिक विकास में अपना पूर्ण योगदान करेंगे एवं डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान के प्रति ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को जागरूक कर राष्ट्र निर्माण में अपना पूर्ण योगदान देंगे ऐसी आशा एवं कामना करते है, 
समाज द्वारा सामाजिक कार्यों हेतु संस्था को दिया गया डोनेशन चेक के माद्यम से मान्य होगा,  
मेहनाज़ अंसारी  
(जनरल सेक्रेटरी )
नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली 
विवरण : Name : Indarjeet Yadav
Designation : District Project Incharge
Nominated : Sant Kabir Nagar
Organization : Navnirman Jankalyan Sahayta Samiti (NGO)
Contracted Project : Mera School Meri Pahchan Photo Pariyojna
Mobail No :  95985 97995
E-Mail Id : @gmail.com
Adress :
Panchayt Name : Mohbara ( मोह्बरा )
Block Name : Nath Nagar
District : Sant Kabeer Nagar
State : Uttar Pradesh
Division : Basti
Language : Hindi and Urdu
Current Time 09:00 AM
Telephone Code / Std Code: 05548
Vehicle Registration Number:UP-58
RTO Office : Sant Kabir Nagar
Assembly constituency : Dhanghata assembly constituency
Assembly MLA :
Lok Sabha constituency : Sant Kabir Nagar parliamentary constituency
Parliament MP : PRAVEEN KUMAR NISHAD
Prdhan Name : Suvas 9919044976
Pin Code : 272176
Post Office Name : Ganpatganj (Sant Kabir Nagar)
Alternate Village Name : Muhabara

संत कबीर नगर जिले के बारे में
संत कबीर नगर जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 71 जिलों में से एक है। संत कबीर नगर जिला प्रशासनिक प्रमुख क्वार्टर खलीलाबाद है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर 244 KM पश्चिम में स्थित है। संत कबीर नगर जिले की जनसंख्या 1714300 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 55 वां सबसे बड़ा जिला है।
नाम की उत्पत्ति
खलीलाबाद पहले बस्ती का हिस्सा था खलीलाबाद का पुराना नाम रगड़गंज था। खलीलाबाद के स्टेट बाबू लल्लू राय रईस थे। जो की बिधियानी गांव के निवासी थे, जिन्होंने अपनी जमीन पर रगड़गंज बाजार की स्थापना किया। बाबू लल्लू राय रईस के वंशज आज भी बिधियानी गांव में है। जिनका नाम राजा विनोद राय है। ये बाबू लल्लू राय रईस के चौथे वंशज राजा विनोद राय है।
खलीलाबाद का प्राचीन बाजार हरीहरपुर था । बाबू लल्लू राय रईस ने बाद में खलीलाबाद बाजार बसाया बाजार लगाने के लिए सभी को कर देना पड़ता था। कुछ साहूकार व मारवाड़ी ने अपने नाम के आगे राय जोड़ा जैसे कि प्रहलाद राय छपडिया, बाबू लल्लू राय रईस ने अगेंजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने खलीलाबाद के स्टेशन का दरवाज़ा अपने गांव के तरफ करवाया था जो कि आज भी है। बिधियानी की तीनो सड़क आज भी बाबू लल्लू राय रईस के नाम से है।

इतिहास
संत कबीर नगर जिला 5 सितंबर 1997 को बनाया गया था नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था।
जिले के प्रमुख्य स्थान
महादेव मंदिर: खलीलाबाद से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्‍वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।

मगहर: यह शहर जिला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम में लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक समाधि और एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था।
अमरडोभा: लेडुआ महुआ अमरडोभा संतकबीर नगर का एक तारीखी कसबा है यह एक बुनकरों का मुख्य असथान है!इस की कुल आबादी लगभग 10000 की है। जिसमें 75% के लगभग मुसलिम समुदाय के लोग है। यहाँ का गमछा बहुत मशहूर है। यहाँ हैनडलोम बहुत है जिससे गमछा चादर धोती कुरता और लुनगी यदि चीजें बनाई जाती है। यहाँ एक अरबी फारसी मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त दारुलउलूम अहलेसुंनत तनवीरुल इस्लाम अमरडोभा डिग्री कालेज है। जिसमें हिन्दुस्तान के कई राज्य के बच्चे पढ़ते है। यहाँ बुधवार को बाजार लगता है जो इलाके का बड़ा बाजार है। यह कसबा जिला मुख्यालय से 18 कीमी के दूरी पर जनपद के उत्तर में है। यहाँ जोनियर हाई स्कूल, इनटर कालेज, सहज सेवा केंद्र, अस्पताल मौजूद हैं।

भूगोल और जलवायु संत कबीर नगर जिला
यह अक्षांश -26.7, देशांतर -83.0 पर स्थित है। संत कबीर नगर जिला पश्चिम में बस्ती जिले, पूर्व में गोरखपुर जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। संत कबीर नगर जिले का क्षेत्रफल लगभग 1659.15 वर्ग किलोमीटर है। । यह 89 मीटर से 83 मीटर की ऊंचाई सीमा में है। यह जिला हिंदी बेल्ट इंडिया से संबंधित है।
संत कबीर नगर जिले के डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू बोलते हैं। संत कबीर नगर जिले को 10 ब्लॉक, पंचायत, 2109 गांवों में विभाजित किया गया है।
संतकबीर नगर में ब्लॉकों की सूची
बघोली
बेलहर काला
हेंसर बाजार
खलीलाबाद
मेहदवाल
नाथ नगर
पाउली
संत कबीर  
संथा
सेमरियावां

संतकबीर नगर जिले की जनगणना 2011
संत कबीर नगर जिले की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 1714300 है। यहाँ की जनसंख्या 870645 है और महिलाओं की संख्या 843655 है। कुल मिलाकर लोग 1134181 हैं। कुल क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 55 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य के 62 सबसे बड़े जिले बाय एरिया। जनसंख्या के हिसाब से देश में 281 सबसे बड़ा जिला। राज्य में साक्षरता दर से 43 सबसे अधिक जिला है। देश में 413 rd उच्चतम साक्षरता दर से है। साक्षरता दर 69.01 है
संतकबीर नगर जिले में राजनीति
PECP, SP, BSP, INC, संत कबीर नगर जिले के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
संतकबीर नगर जिले में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र।
मेंहदवाल राकेश कुमार सिंह भाजपा 9919100931
खलीलाबाद दिग्विजय नारायण भाजपा 9792166363
धनघटा श्री राम भाजपा 9415069869

संतकबीर नगर जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
संत कबीर नगर परवीन कुमार निषाद भारतीय जनता पार्टी
गोरखपुर रवींद्र श्यामनारायण शुक्ला उर्फ ​​रवि किशन भारतीय जनता पार्टी
बस्ती हरीश चंद्रा अलीश हरीश DWIVEDI भारतीय जनता पार्टी

संत कबीर नगर परिवहन
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय खलीलाबाद सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। खलीलाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क मार्ग से लगभग 244 KM दूर है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन खलीलाबाद, मगहर, सिहापर हाल्ट .... हैं, जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से लेकर शहरों और गांवों तक बसें चलाती है।
 
शहरों के पास
सहजनवा 16 KM
गोरखपुर 36 KM
टांडा 52 KM
तेतरी बाजार 62 KM

एयर पोर्ट्स के पास
गोरखपुर एयरपोर्ट 43 KM
वाराणसी एयरपोर्ट 167 KM
बमरौली एयरपोर्ट 222 KM
अमौसी एयरपोर्ट 240 KM
 
जिले के पास
संत कबीर नगर 0 KM
गोरखपुर 35 KM
बस्ती 35 KM
सिद्धार्थ नगर 61 KM

रेल्वे स्टेशन के पास
खलीलाबाद रेल मार्ग स्टेशन 0.9 KM
चुरेब रेल मार्ग स्टेशन 8.3 KM
मगहर रेल मार्ग स्टेशन 9 KM
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी