शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : अरविन्द कुमार
पद : नगर पंचायत अध्यक्ष
वॉर्ड : नगर पंचायत
नगर पंचायत दिवियापुर
ज़िला : औरैया
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : 2017 - 12153 = 2936 वोट
सम्मान :
माननीय नगर पालिका अध्यक्षा जी को निकाय चुनाव २०१७ में विजेता चुने जाने के उपरान्त संस्था द्वारा जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव के समस्त क्षेत्र का विकास करेंगी एवं संस्था को सामाजिक कार्य में डोनेशन देकर सहयोग करने के लिए धन्यबाद - Maihnaaz Ansaari

विवरण :

introduction
Name: honorable Arvind Kumar
Post: Chairperson of Nagar Panchayat
Divyaipur
Disst. : Auraiya
State: Uttar Pradesh
Mob. : 8445193578
Supported - Bharatiya Janata Party


नगर पंचायत दिवियापुर के बारे में
दिवियापुर उत्तर प्रदेश राज्य के औरैया जिले में नगर पंचायत है। इस शहर की नगर पंचायत अध्यक्ष अरविन्द कुमार है
जो निकाय चुनाव २०१७ में भारतीय जनता पार्टी से जीते हैं जिन्हे कुल पड़े वोट संख्या (12153) मत में से 2936 मत प्राप्त हुए
२- आशीष = बहुजन समाज पार्टी (1862) मत प्राप्त हुए
३- विपिन = समाजवादी पार्टी (1759) मत प्राप्त हुए
अपने निकटतम बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी से 1000 अधिक वोटों से जीते नगर पंचायत में कुल १५ वार्ड हैं
दिवियापुर उत्तर प्रदेश राज्य के औरैया जिले में भारत का एक शहर है। यह कानपुर डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय औरैया से उत्तरी दिशा में 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भाग्यनगर से 7 कि.मी. राज्य की राजधानी लखनऊ से 164 कि.मी.
दिवियापुर पिन कोड 206244 है और डाक प्रधान कार्यालय एन.टी.पी. सी। दिवियापुर है।
लाहोहार (2 किलोमीटर), उमरी (2 किलोमीटर), सेहूड (3 किलोमीटर), बेसुंधरा (3 किलोमीटर), विजयी (3 किलोमीटर), पास के गांव हैं। दिवियापुर सहार ब्लॉक से उत्तर की ओर, पश्चिम की ओर अचल्लादा ब्लॉक, उत्तर की ओर बिधूना ब्लॉक और दक्षिण की ओरय्या तहसील से घिरा हुआ है।
अछलादा, भथाना, भजनपुरा, पख्रयारन शहर के पास दिवियापुर हैं
यह स्थान औरैया जिला और कानपुर देहत जिले की सीमा में है। कानपुर देहत जिला झिंझक इस स्थान के लिए पूर्व है।
दिवियापुर की कुल मतदाता संख्या = 18904
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है
दिवियापुर में राजनीति
सपा, बसपा, बीजेपी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं
रेल द्वारा
फाफुंड रेलवे स्टेशन दिवियापुर में बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन भी दिवियापुर के करीब 91 किलोमीटर की दूरी पर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

शहरों के पास
अछलादा के पास 19 किलोमीटर दूर
भरतना 43 के.एम.
भजनपुरा 46 किलोमीटर
पुखरायां 58 के.एम.

ब्लॉक से करीब
भाग्यनगर 7 के.एम.
सहार 10 किमी
अंचलडा 18 किलोमीटर
झिंझक 20 के.एम.

हवाई अड्डे के निकट
कानपुर हवाई अड्डा 98 किमी
अमौसी हवाई अड्डा 148 कि.मी.
ग्वालियर एयरपोर्ट 153 के.एम.
खेरिया हवाई अड्डा 189 के.एम.

पर्यटन स्थल के पास
कन्नौज 68 के.एम.
बिथुर 79 कि.मी.
कानपुर 88 के.एम.
लखनऊ करीब 153 किलोमीटर दूर
ग्वालियर 161 के.एम.

जिले से पास
औरय्या के पास 19 किलोमीटर
कानपुर देहट 52 किलोमीटर
इटावा 63 किलोमीटर के पास
जालौन 64 किमी के पास

रेलवे स्टेशन से करीब
कंचौसी रेल वे स्टेशन 5 के.एम.
फाफुंड रेलवे स्टेशन करीब 0 किमी
झिंझक रेलवे स्टेशन 20 के.एम.

वर्तमान विधायक
माननीय लखन सिंह (बीजेपी) Contact Number: 9411989943

वर्तमान सांसद माननीय अशोक कुमार दोहरे (बीजेपी) Tel : (05683) 295007, 09412771797(M)

दिबियापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012 प्रदीप कुमार एसपी 76819 = 24291 राम जी सपा 52528

विकास कार्य :

नवनिर्वाचित विकास कार्य जनवरी 2019 में प्रकाशित किया जायेगा
राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी