मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फ़ोटो परियोजना

स्कूल नाम :
जिज्ञासा कोचिंग सेंटर भागल
प्रधानाचार्य :
रुबोल कुमार सिंह
क्लास :
1- 10वी
मीडियम :
मैथ्स साइंस इंग्लिश
प्रबंधक :
श्री लखचंद्र कुमार
गांव/एरिया :
भागल
ब्लॉक/नगर :
कोचाधामन
जिला :
किशनगंज
राज्य :
बिहार
वेबसाइट :
njssamiti.com
सम्मान : NA
स्कूल के बारे में :

Introduction
School Name : JIGYASA COACHING CENTRE, BHAGAL
Instruction Medium: Maths, Science, English
Class: 1th to 10th
Established: ---
Total students: ---
Principal Name: Mr. Rubol Kumar Singh
Mobail No. : 6299419343
Manager Name  : Mr. Lakhchandra Kumar
Mobail No. : ---
E-Mail : 
Adress : Bhagal Post Angar P/S Kochadhaman Kishanganj Bihar 855115
Locality Name : Bhagal ( भागल )
Block Name : Kochadhaman
District : Kishanganj
State : Bihar
Division : Purnia
Language : Maithili and Hindi, Urdu, Bengali
Current Time 02:49 PM
Date: Saturday , Feb 04,2023 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
Telephone Code / Std Code: 06466
Vehicle Registration Number:BR-37
RTO Office : Kishanganj
Assembly constituency : Amour assembly constituency
Assembly MLA : saba zafar
Lok Sabha constituency : Kishanganj parliamentary constituency
Parliament MP : Dr. Mohammad Jawed
Gram panchayt Mukhiya: Mrs. Rabiya Khatoon (राबिया खातून)
Serpanch Name : Neelam Aara (नीलम आरा) 
Phone No : 9661114559
Pin Code : 855115
Post Office Name : Sontha
 
 
JIGYASA COACHING CENTRE, BHAGAL

About JIGYASA COACHING CENTRE, BHAGAL
JIGYASA COACHING CENTRE, BHAGAL was established in ----- and it is managed by the Unrecognised. It is located in Rural area. It is located in KOCHADHAMAN block of KISHANGANJ district of BIHAR. The school consists of Grades from 1 to 10. The Coaching is Co-educational and it have an attached pre-primary section. The Coaching is N/A in nature and is not using school building as a shift-school. English Hindi And Maths is the medium of instructions in this Coaching . This Coaching  is approachable by all weather road. In this Coaching  academic session starts in April.
         The Coaching has Rented building. It has got 5 classrooms for instructional purposes. All the classrooms are in good condition. It has 1 other rooms for non-teaching activities. The Coaching  has a separate room for Head master/Teacher. The school has Pucca boundary wall. The Coaching has does have electric connection. The source of Drinking Water in the school is Hand Pumps and it is functional. The Coaching has 1 boys toilet and it is functional. and 1 girls toilet and it is functional. The Does not have playground. The Coaching  has a No library and has  books in its library. The Coaching does not need ramp for disabled children to access classrooms. The coaching  has 1 computers for teaching and learning purposes are functional. The Coaching is having a computer aided learning lab. The Coaching is Not Provided providing mid-day meal.
 
Basic Infrastructure :
 Village / Town: Bhagal 
 Cluster: ----
 Block: Kochadhaman
 District: Kisganganj
 State: Bihar
 UDISE Code : ......
 Building: Private
 Class Rooms: 5
 Boys Toilet: 1
 Girls Toilet: 1
 Computer Aided Learning: Yes
 Electricity: yes
 Wall: Pucca 
 Library: No
 Playground: No
 Books in Library: No
 Drinking Water: Hand Pumps
 Ramps for Disable: No
 Computers: 1
 
 Academic - Primary with Upper Primary (1-10):
 Instruction Medium: English, Hindi, Maths
 Male Teachers: ---
 Pre Primary Sectin Avilable: Yes
 Board for Class 10th Bihar Board
 School Type: Co-educational
 Classes: From Class 1 to Class 10
 Female Teacher: ----
 Pre Primary Teachers: 0
 Board for Class 10+2 N/A
 Meal Not Provided
 Establishment: ----
 School Area: Rural
 School Shifted to New Place: No
 Head Teachers: 1
 Head Teacher: Rubol Kumar Singh
 Is School Residential: No
 Residential Type: N/A
 Total Teachers: -----
 Contract Teachers: 0
 Management: Unrecognised
 
भागल  के बारे में
 
भागल भारत के बिहार राज्य के किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड का एक गाँव है। यह पूर्णिया डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय किशनगंज से पश्चिम की ओर 18 KM दूर स्थित है। कोचधामन से 8 किमी. राज्य की राजधानी पटना से 318 कि.मी
 
भागल पिन कोड 855115 है और डाक प्रधान कार्यालय सोंथा है।
 
मोधो (7 KM), कुट्टी (8 KM), कमलपुर (9 KM), पुरंदा (10 KM), सोंथा (11 KM) भागल के पास के गाँव हैं। भागल दक्षिण की ओर बाईसा ब्लॉक, पूर्व की ओर किशनगंज ब्लॉक, उत्तर की ओर बहादुरगंज ब्लॉक, दक्षिण की ओर अमौर ब्लॉक से घिरा हुआ है।
 
किशनगंज, बहादुरगंज, दालखोला, अररिया भागल के नजदीकी शहर हैं।
 
 
भागल गांव विवरण
भागल बिहार राज्य के किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड का एक गाँव है। भागल गाँव का पिन कोड 855115 है। भागल गाँव की कुल जनसंख्या 6361 है और घरों की संख्या 1277 है। महिला जनसंख्या 47.8% है। ग्राम साक्षरता दर 48.8% है और महिला साक्षरता दर 20.8% है।
 
जनसंख्या 2011
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा
कुल जनसंख्या 6361
घरों की कुल संख्या 1277
महिला जनसंख्या% 47.8% (3040)
कुल साक्षरता दर% 48.8% (3101)
महिला साक्षरता दर 20.8% (1324)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या% 0.3% (21)
अनुसूचित जाति जनसंख्या% 3.3% (211)
 
कार्यशील जनसंख्या% 33.7%
बच्चा(0 -6) 2011 तक जनसंख्या 1189
बालिका (0 -6) 2011 तक जनसंख्या% 48.4% (576)
 
स्थान और प्रशासन
भागल ग्राम पंचायत का नाम भागल है। भागल उप जिला मुख्यालय कोचाधामन से 10 किमी की दूरी पर है और यह जिला मुख्यालय किशनगंज से 28 किमी की दूरी पर है। निकटतम वैधानिक शहर किशनगंज 28 किमी की दूरी पर है। भागल कुल क्षेत्रफल 469.91 हेक्टेयर, गैर-कृषि क्षेत्र 18.32 हेक्टेयर और कुल सिंचित क्षेत्र 68.27 हेक्टेयर है।
 
शिक्षा
इस गांव में सरकारी प्राथमिक और सरकारी मिडिल स्कूल उपलब्ध हैं। निकटतम सरकारी विकलांग स्कूल और सरकारी एमबीए कॉलेज पूर्णिया में हैं। निकटतम सरकारी माध्यमिक विद्यालय सोंथा में है। निकटतम सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कोचाधामिन में है। निकटतम निजी पूर्व प्राथमिक विद्यालय, सरकारी कला और विज्ञान डिग्री कॉलेज, निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, सरकारी मेडिकल कॉलेज, सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज और सरकारी आईटीए कॉलेज किशनगंज में हैं।
 
स्वास्थ्य
 
कृषि
धान इस गांव में कृषि वस्तु है। इस गांव में गर्मियों में 1 घंटे और सर्दियों में 1 घंटे कृषि बिजली की आपूर्ति उपलब्ध है। इस गांव में कुल सिंचित क्षेत्र 68.27 हेक्टेयर बोरहोल / नलकूपों से 68.27 हेक्टेयर सिंचाई का स्रोत है।
 
पेयजल और स्वच्छता
उपचारित नल जल आपूर्ति वर्ष भर और गर्मियों में भी उपलब्ध है। पूरे वर्ष और गर्मियों में अनुपचारित नल जल आपूर्ति उपलब्ध है। हैंडपंप अन्य पेयजल स्रोत हैं।
इस गांव में ओपन ड्रेनेज सिस्टम उपलब्ध है। सड़क पर कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। नाले का पानी सीवर प्लांट में छोड़ा जाता है।
 
संचार
लैंडलाइन उपलब्ध है। मोबाइल कवरेज उपलब्ध है। 10 किमी से कम में कोई इंटरनेट केंद्र नहीं है। इस गांव में निजी कूरियर सुविधा उपलब्ध है।
 
यातायात
इस गांव में सार्वजनिक बस सेवा उपलब्ध है। इस गांव में निजी बस सेवा उपलब्ध है। 10 किमी से कम में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। इस गांव में ऑटो उपलब्ध हैं। इस गांव में ट्रैक्टर उपलब्ध हैं। आदमी इस गांव में साइकिल रिक्शा खींचता है। इस गांव में पशु चालित गाड़ियां हैं।
 
10 किमी से कम में कोई निकटतम राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं। निकटतम राज्य राजमार्ग 5 - 10 किमी में है। जिला सड़क इस गांव से होकर गुजरती है।
पक्का रोड, कच्चा रोड, मैकडम रोड और पैदल पथ गाँव के भीतर अन्य सड़कें और परिवहन हैं।
 
व्यापार
10 किमी से कम में कोई एटीएम नहीं। निकटतम वाणिज्यिक बैंक 5 - 10 किमी में है। 10 किमी से कम में कोई सहकारी बैंक नहीं। इस गांव में मंडियां/नियमित बाजार और साप्ताहिक हाट/संथा उपलब्ध हैं।
 
अन्य सुविधाएं
इस गांव में गर्मियों में 1 घंटे और सर्दियों में 1 घंटे बिजली की आपूर्ति के साथ बिजली की आपूर्ति होती है, आंगनवाड़ी केंद्र, आशा, जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालय, दैनिक समाचार पत्र और मतदान केंद्र गांव में अन्य सुविधाएं हैं।
 
 
भागल में राजनीति
जद (यू), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भाजपा, कांग्रेस इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
 
ग्राम पंचायत भगाल के  नवनिर्वाचित पंचायत सदस्य सूची
1 नियामत जहाँ  (7070988095)
2 शबनम बेगम (9661110050)
3 लैला वेगम (8757649759)
4 मो0 अनवर (9199879798)
5  नोरूज बेगम  (9155779057)
6 जावेद आलम (9315199157)
7 रूना देवी (8757618574)
8 एहसान आलम (6203737083)
9 अंजीला खातुन (7870764774)
10 मो० असफाक अनसारी (9934578119)
11 गौशया बेगम (9905435572)
12 मो0 रकीब आलम (7759062072)
13 छोटु लाल सिंह (6203396574)
 
 
अमौर विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
बीजेपी, एसपी, आईएनसी, आईसीएस (एससीएस), आईएनसी (आई), बीजेएस, एनसीओ, पीएसपी, एसडब्ल्यूए, आरजेडी, जेएनपी, जेएनपी (एसआर)
 
अमौर विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक।
अमौर विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक पार्टी भाजपा पार्टी से सबा जफर हैं
 
अमौर विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
कोचधामन अमौर बाईसा डगरौआ
 
अमौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास
 
2015 जनरल अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस 100135 - 51997 सबा जफर बीजेपी 48138
2010 जनरल सबा जफर बीजेपी 57774 - 18828 अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस 38946
0 जनरल अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस 42041 - 14618 सबा जफर एसपी 27423
0 जनरल अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस 48009 - 22636 सबा ज़फ़र आईएनडी 25373
2000 जनरल अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस 58399 - 15834 सबा ज़फ़र राजद 42565
1997 जनरल सबा जाफर आईएनडी 45082 - 5159 अब्दुल जलील मस्तान आईएनसी 39923
1995 जनरल मुजफ्फर हुसैन SP 31428 - 755 अब्दुल जलील मस्तान INC 30673
1990 जनरल ए जलील आईएनसी 44683 - 24555 मुजफ्फर हुसैन आईसीएस (एससीएस) 20128
1985 जनरल जलील आईएनडी 13740 - 2178 चंद्र शेखर झा जेएनपी 11562
1980 जनरल एम मोइजुद्दीन मिंशी कांग्रेस (आई) 14917 - 1345 नजमुद्दीन जेएनपी (एसआर) 13572
1977 जनरल चंद्र शेखर झा जेएनपी 12664 - 1903 मोहम्मद मोइजुद्दीन मुंशी कांग्रेस 10761
1972 जनरल हसीबुर रहमान आईएनडी 16444 - 4436 मोहम्मद इस्माइल एनसीओ 12008
1969 जनरल हसीबुर रहमान पीएसपी 22010 - 11759 हरिहर प्रसाद वर्मा बीजेएस 10251
1967 जनरल एच. रहमान पीएसपी 17495 - 9977 एम. इस्माइल एसडब्ल्यूए 7518
1962 जनरल मोहम्मद अलीजान कांग्रेस 14097 5219 अंजुम हाशिम SWA 8878
1957 जनरल मोहम्मद इस्माइल आईएनडी 19619 - 5751 कपिलेश्वर मिश्रा कांग्रेस 13868
1951 जनरल मोहम्मद ताहिर कांग्रेस 0 0 निर्विरोध
 
 
मतदान केंद्र / भागल के पास बूथ
1) मध्य विद्यालय चौपड़
2) मध्य विद्यालय खगजाना
3) मध्य विद्यालय बगदार उत्तर भाग
4) मध्य विद्यालय मच्छहट्टा पूरब भाग
5) मदरसा सिघाड़ी
 
भागल कैसे पहुंचे
 
रेल द्वारा
10 किमी से कम में भागल के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। हटवार रेलवे स्टेशन (किशनगंज के पास), किशनगंज रेलवे स्टेशन (किशनगंज के पास) ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जिन तक नजदीकी कस्बों से पहुंचा जा सकता है।
 
सड़क द्वारा
बहादुरगंज, किशनगंज, भागल के पास के शहर हैं जिनका भागल से सड़क संपर्क है
 
शहरों के पास
किशनगंज 16 किमी
बहादुरगंज 19 किमी
डालखोला 31 किमी
अररिया 36 किमी
 
तालुक के पास
कोचधामन 8 किमी
बैसा 11 किमी
किशनगंज 17 किमी
बहादुरगंज 19 किमी
   
एयर पोर्ट्स के पास
बागडोगरा हवाई अड्डा 94 कि.मी
रूपसी एयरपोर्ट 237 कि.मी
पटना एयरपोर्ट 308 कि.मी
गया एयरपोर्ट 361 कि.मी
 
पर्यटन स्थलों के पास
सामसिंग 95 किमी
सिलीगुड़ी 104 कि.मी
मिरिक 107 किमी
साहिबगंज 107 किमी
कुर्सीओंग 111 किमी
   
जिलों के पास
किशनगंज 18 किमी
अररिया 36 किमी
पूर्णिया 3 किमी
दिनाजपुर उत्तर 70 किमी
   
रेलवे स्टेशन के पास
किशनगंज रेलवे स्टेशन 17 कि.मी
डालखोला रेलवे स्टेशन 28 कि.मी
कार्यक्रम सहयोगी के बारे में : NA

राष्ट्रीय गान के बारे में :



भारत का राष्ट्रगान हर मन जन गण मन’ 

 भारत को आजादी भले ही 15 अगस्त को मिली हो, लेकिन हमने अपनी आजादी का गान इसके कई वर्षों पहले ही बनाया और गाया था.24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा द्वारा इसे पारित किया गया. संविधान सभा ने यह घोषणा की कि ‘जन-गण-मन..’ हिंदुस्तान का राष्‍ट्रगान होगा, जिसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरे सम्मान और नियम के साथ गाया जाएगा.।

 

राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग ५२ सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग २० सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन हिन्दुस्तान के राष्ट्रगान के रूप में २४ जनवरी १९५० को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम २७ दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अब दोनों भाषाओं में (बंगाली और हिन्दी) अधिवेशन में गाया गया था। पूरे गान में ५ पद हैं।

 

आधिकारिक हिन्दी संस्करण

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग

तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,

गाहे तव जय गाथा।

जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

 

वाक्य-दर-वाक्य अर्थ

जनगणमन आधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!

जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायक:शासक; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य-विधाता(भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवान

जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!

 
 

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग

पंजाब:पंजाब पंजाब के लोग; सिन्धु:सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात:गुजरात व उसके लोग; मराठा:महाराष्ट्र/मराठी लोग; द्राविड़:दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग; उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; बंग:बंगाल/बंगाली लोग

विन्ध्य:विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल:हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा:दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग:मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगें

उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल

एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं

 
 

तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे

गाहे तव जयगाथा

तव:आपके/तुम्हारे; शुभ:पवित्र; नामे:नाम पे(भारतवर्ष); जागे:जागते हैं; आशिष:आशीर्वाद; मागे:मांगते हैं

गाहे:गाते हैं; तव:आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा:वजयगाथा(विजयों की कहानियां)

सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं

और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं

 

जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

जनगणमंगलदायक:जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य विधाता

जय हे जय हे:विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे:सदा सर्वदा विजय हो

जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता

विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो

 

राष्ट्रगान संबंधित नियम व विधियाँ

 ‘जन-गण-मन..’ में कुल पांच अंतरा हैं. इन्हें गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है. इसे किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में झंडारोहण के बाद बजाना चाहिए. स्कूलों में सुबह के समय दिन की शुरुआत से पहले इसे गाया जाता है. ये राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन के उपरान्त या पहले और राज्यपाल और उपराज्यपाल के आगमन पर गाया जा सकता है. जब ये किसी बैंड द्वारा गाया जाता है, तो ड्रम के द्वारा सात की धीमी गति से राष्ट्रीय सलामी संपन्न होने के बाद इसे गाया जाता है. इसे गाने के दौरान वहां उपस्थित लोगों को अपने स्थान पर इसके अभिवादन में खड़ा होना आवश्‍यक है. इसकी अवमानना दंडनीय अपराध है. महर्षि अरविंद ने ‘जन-गण-मन…’ का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है.

 

सामान्‍य

जब राष्‍ट्र गान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए। यद्यपि जब किसी चल चित्र के भाग के रूप में राष्‍ट्र गान को किसी समाचार की गतिविधि या संक्षिप्‍त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं है कि वे खड़े हो जाएं, क्‍योंकि उनके खड़े होने से फिल्‍म के प्रदर्शन में बाधा आएगी और एक असंतुलन और भ्रम पैदा होगा तथा राष्‍ट्र गान की गरिमा में वृद्धि नहीं होगी। जैसा कि राष्‍ट्र ध्‍वज को फहराने के मामले में होता है, यह लोगों की अच्‍छी भावना के लिए छोड दिया गया है कि वे राष्‍ट्र गान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्‍न नहीं हों।

 

राष्ट्रगान के अपमान पर क्या सजा है?

प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत राष्ट्रीय झंडे और संविधान का अपमान करना दंडनीय अपराध है. ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. इसी तरह, राष्ट्रगान को जानबूझकर रोकने या फिर राष्ट्रगान गाने के लिए जमा हुए समूह के लिए बाधा खड़ी करने पर अधिकतम 3 साल की सजा दी जा सकती है. इसके साथ ही जुर्माने और सजा, दोनों भी हो सकते हैं. मौलिक अधिकार संबंधी सेक्शन में संविधान कहता है कि हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और इसके द्वारा तय किए गए लक्ष्यों व संस्थाओं का सम्मान करे. इनमें राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रगान भी शामिल हैं.

 

नोट : इस प्रस्तुति का उद्देश्य विद्यार्थिओं के मन में राष्ट्रीय गान  के प्रति राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करना ये जानकारी पिकिपिडिया अन्य वेबसाइट से एकत्रित की गयी, (शाकिर अंसारी)

राष्ट्रीय ध्वज के बारे में:

मिशन हर घर तिरंगा 

 

भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई, 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है, बीच में श्वेत पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाती है।ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 आरे (तीलियां) होते हैं। यह इस बात प्रतीक है भारत निरंतर प्रगतिशील है| इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व इसका रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप में ही भारत की एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता हुआ दिखाई देता है।

 

परिचय

गांधी जी ने सबसे पहले 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी। इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इसमें दो रंग थे लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए। बीच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए सफेद रंग जोड़ा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया। इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली जो कि भारत के संविधान निर्माता डॉ॰ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने लगवाया। इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की।

 

रंग-रूप

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच की पट्टी का श्वेत धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। सफ़ेद पट्टी पर बने चक्र को धर्म चक्र कहते हैं। इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ की लाट से से लिया गया है। इस चक्र में २४ आरे या तीलियों का अर्थ है कि दिन- रात्रि के 24 घंटे जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।

 

झंडे का सम्मान

भारतीय कानून के अनुसार ध्वज को हमेशा गरिमा, निष्ठा और सम्मान के साथ देखना चाहिए। भारत की झंडा संहिता- 2002 ने प्रतीकों और नामों के (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 का अतिक्रमण किया और अब वह ध्वज प्रदर्शन और उपयोग का नियंत्रण करता है। सरकारी नियमों में कहा गया है कि झंडे का स्पर्श कभी भी जमीन या पानी के साथ नहीं होना चाहिए। उस का प्रयोग मेजपोश के रूप में, या मंच पर नहीं ढका जा सकता, इससे किसी मूर्ति को ढका नहीं जा सकता न ही किसी आधारशिला पर डाला जा सकता था। राष्ट्रीय ध्वज को तकिये के रूप में या रूमाल के रूप में करने पर निषेध है। झंडे को जानबूझकर उल्टा रखा नहीं किया जा सकता, किसी में डुबाया नहीं जा सकता, या फूलों की पंखुडियों के अलावा अन्य वस्तु नहीं रखी जा सकती। किसी प्रकार का सरनामा झंडे पर अंकित नहीं किया जा सकता है।

 

गैर राष्ट्रीय झंडों के साथ

जब झंडा अन्य झंडों के साथ फहराया जा रहा हो, जैसे कॉर्पोरेट झंडे, विज्ञापन के बैनर हों तो नियमानुसार अन्य झंडे अलग स्तंभों पर हैं तो राष्ट्रीय झंडा बीच में होना चाहिए, या प्रेक्षकों के लिए सबसे बाईं ओर होना चाहिए या अन्य झंडों से एक चौडाई ऊँची होनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का स्तम्भ अन्य स्तंभों से आगे होना चाहिए, यदि ये एक ही समूह में हैं तो सबसे ऊपर होना चाहिए। यदि झंडे को अन्य झंडों के साथ जुलूस में ले जाया जा रहा हो तो झंडे को जुलूस में सबसे आगे होना चाहिए, यदि इसे कई झंडों के साथ ले जाया जा रहा है तो इसे जुलूस में सबसे आगे होना चाहिए।

 

घर के अंदर प्रदर्शित झंडा

जब झंडा किसी बंद कमरे में, सार्वजनिक बैठकों में या किसी भी प्रकार के सम्मेलनों में, प्रदर्शित किया जाता है तो दाईं ओर (प्रेक्षकों के बाईं ओर) रखा जाना चाहिए क्योंकि यह स्थान अधिकारिक होता है। जब झंडा हॉल या अन्य बैठक में एक वक्ता के बगल में प्रदर्शित किया जा रहा हो तो यह वक्ता के दाहिने हाथ पर रखा जाना चाहिए। जब ये हॉल के अन्य जगह पर प्रदर्शित किया जाता है, तो उसे दर्शकों के दाहिने ओर रखा जाना चाहिए।

केसरिया पट्टी को ऊपर रखते हुए इस ध्वज को पूरी तरह से फैला कर प्रदर्शित करना चाहिए। यदि ध्वज को मंच के पीछे की दीवार पर लंब में लटका दिया गया है तो, केसरिया पट्टी को ऊपर रखते हुए दर्शेकों के सामने रखना चाहिए ताकि शीर्ष ऊपर की ओर हो।

 

 तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ?

भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।

 

झंडे का समापन

जब झंडा क्षतिग्रस्त है या मैला हो गया है तो उसे अलग या निरादरपूर्ण ढंग से नहीं रखना चाहिए, झंडे की गरिमा के अनुरूप विसर्जित/ नष्ट कर देना चाहिए या जला देना चाहिए। तिरंगे को नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका है, उसका गंगा में विसर्जन करना या उचित सम्मान के साथ दफना देना।

राष्ट्रीय गीत के बारे में :

मिशन वंदे मातरम् 

वन्दे मातरम् ( बाँग्ला) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् 1882 में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी। इस गीत को गाने में 65 सेकेंड (1 मिनट और 5 सेकेंड) का समय लगता है।

गीत

यदि बाँग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका शीर्षक बन्दे मातरम् होना चाहिये ! वन्दे मातरम् नहीं। चूँकि हिन्दी व संस्कृत भाषा में वन्दे शब्द ही सही है, लेकिन यह गीत मूलरूप में बाँग्ला लिपि में लिखा गया था और चूँकि बाँग्ला लिपि में व अक्षर है ही नहीं अत: बन्दे मातरम् शीर्षक से ही बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने इसे लिखा था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए शीर्षक बन्दे मातरम्  होना चाहिये था। परन्तु संस्कृत में बन्दे मातरम्  का कोई शब्दार्थ नहीं है तथा वन्दे मातरम् उच्चारण करने से माता की वन्दना करता हूँ  ऐसा अर्थ निकलता है, अतः देवनागरी लिपि में इसे वन्दे मातरम् ही लिखना व पढ़ना समीचीन होगा।

 

संस्कृत मूल गीत[4]

 

वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलाम्

मलयजशीतलाम्

शस्यश्यामलाम्

मातरम्।

 

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्

फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्

सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥

 

महर्षि अरविन्द द्वारा किए गये अंग्रेजी गद्य-अनुवाद का हिन्दी-अनुवाद इस प्रकार है: 

 

मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता!

पानी से सींची, फलों से भरी,

दक्षिण की वायु के साथ शान्त,

कटाई की फसलों के साथ गहरी,

माता!

 

उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,

उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,

हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,

माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।

 

आरिफ मोहम्‍मद खान द्वारा किए गये अंग्रेजी गद्य-अनुवाद का उर्दू-अनुवाद इस प्रकार है:

 

तस्लीमात, मां तस्लीमात

तू भरी है मीठे पानी से

फल फूलों की शादाबी से

दक्खिन की ठंडी हवाओं से

फसलों की सुहानी फिजाओं से

तस्लीमात, मां तस्लीमात

तेरी रातें रोशन चांद से


तेरी रौनक सब्ज-ए-फाम से

तेरी प्यार भरी मुस्कान है

तेरी मीठी बहुत जुबान है

तेरी बांहों में मेरी राहत है

तेरे कदमों में मेरी जन्नत है

तस्लीमात, मां तस्लीमात

 

कुछ शब्द और उनके अर्थ

तस्लीमात-सलाम

शादाबी-हरियाली

दक्खिन-दक्षिण

सब्जे फाम-हरियाली


जुबान-भाषा

 

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भूमिका

बंगाल में चले स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। ब्रिटिश सरकार इसकी लोकप्रियता से भयाक्रान्त हो उठी और उसने इस पर प्रतिबन्ध लगाने पर विचार करना शुरू कर दिया। अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़नेवाली आजादी की दीवानी मातंगिनी हाजरा की जुबान पर आखिरी शब्द वन्दे मातरम्  ही थे। सन् 1907 में मैडम भीखाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टुटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में वन्दे मातरम्ही  लिखा हुआ था। 

 

राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकृति

 जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद भी शामिल थे, यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरुआती दो पदों को ही राष्ट्र-गीत के रूप में प्रयुक्त किया जायेगा। इस तरह गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के जन-गण-मन अधिनायक जय हे को यथावत राष्ट्रगान ही रहने दिया गया और मोहम्मद इकबाल के कौमी तराने सारे जहाँ से अच्छा के साथ बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा रचित प्रारम्भिक दो पदों का गीत वन्दे मातरम् राष्ट्रगीत स्वीकृत हुआ।

 

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 में वन्दे मातरम् को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने सम्बन्धी वक्तव्य पढ़ा जिसे स्वीकार कर लिया गया।

 

 

वन्दे मातरम् का संक्षिप्त इतिहास इस प्रकार है-

 

1- 7 नवम्वर 1976 बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चटर्जी ने ‘वंदे मातरम’ की रचना की।

 

2- 1982 वंदे मातरम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित।

 

3- भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् सर्वप्रथम 1896 में गाया गया ।

 

4- मूलरूप से ‘वंदे मातरम’ के प्रारंभिक दो पद संस्कृत में थे, जबकि शेष गीत बांग्ला भाषा में।

 

5- वंदे मातरम् का अंग्रेजी अनुवाद सबसे पहले अरविंद घोष ने किया।

 

6- दिसम्बर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया गया, बंग भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना।

1906 में ‘वंदे मातरम’ देव नागरी लिपि में प्रस्तुत किया गया, कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने इसका संशोधित रूप प्रस्तुत किया।

 

7- 1923 कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम् के विरोध में स्वर उठे।

 

8- पं॰ नेहरू, मौलाना अब्दुल कलाम अजाद, सुभाष चंद्र बोस और आचार्य नरेन्द्र देव की समिति ने 28 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पेश अपनी रिपोर्ट में इस राष्ट्रगीत के गायन को अनिवार्य बाध्यता से मुक्त रखते हुए कहा था कि इस गीत के शुरुआती दो पैरे ही प्रासंगिक है, इस समिति का मार्गदर्शन रवीन्द्र नाथ टैगोर ने किया।

 

9- 14 अगस्त 1947 की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम’ के साथ और समापन ‘जन गण मन..’ के साथ..।

 

10- 1950 ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय गीत और ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान बना।

 

11- 2002  बी.बी.सी. के एक सर्वेक्षण के अनुसार ‘वंदे मातरम्’ विश्व का दूसरा सर्वाधिक लोकप्रिय गीत।



विविध

क्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं? यह प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिजोय एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य[9] नाम के एक वाद में उठाया गया। इस वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इसलिये निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होने राष्ट्र-गान जन गण मन को गाने से मना कर दिया था। यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्रगान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गीत को गाते नहीं थे। गाने के लिये उन्होंने मना कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली और स्कूल को उन्हें वापस लेने को कहा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है। अत: इसे न गाने के लिये उस व्यक्ति को दण्डित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। चूँकि वन्दे मातरम् इस देश का राष्ट्रगीत है अत: इसको जबरदस्ती गाने के लिये मजबूर करने पर भी यही कानून व नियम लागू होगा।

 

नोट : इस प्रस्तुति का उद्देश्य विद्यार्थिओं के मन में राष्ट्रगीत के प्रति राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करना ये जानकारी पिकिपिडिया से एकत्रित की गयी, (शाकिर अंसारी)

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