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मेरा गांव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान

नाम :
मा. शीला देवी डामोर
पद :
सरपंच
वार्ड/गांव :
मण्डेला पाडा
पंचायत :
मण्डेला पाडा
ब्लॉक :
गढ़ी
जिला :
बांसवाड़ा
राज्य :
राजस्थान
सहयोगी :
सम्मान :
 
 
जीवन परिचय :

Introduction

Name: Sheela Devi Damour  

Designation: Sarpanch 

Organization :  NA 

Eligibility: Graduate

Email: NA

Mobile No: 8094243048

Residence:  Gram Panchayt Mandela Pada

Support: NA

Locality Name : Mandela Pada ( मण्डेला पाडा  )

Tehsil Name : Garhi

District : Banswara

State : Rajasthan

Division : Udaipur

Language : Hindi and Rajasthani

Current Time 03:41 PM

Date: Friday , Oct 01,2021 (IST)

Time zone: IST (UTC+5:30)

Telephone Code / Std Code: 02963

Vehicle Registration Number:RJ-03

RTO Office : Banswara

Assembly constituency : Ghatol assembly constituency

Assembly MLA : harendra ninama

Lok Sabha constituency : Banswara parliamentary constituency

Parliament MP : KANAKMAL KATARA

Serpanch Name : Shila Devi Damour
Pin Code : 327022
Post Office Name : Garhi (Banswara)

 

24 अप्रैल 1993 भारत में पंचायती राज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मार्गचिन्ह था क्योंकि इसी दिन संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ और इस तरह महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया गया था।

73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम ग्राम स्तर पर स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में ऐसी सशक्त पंचायतों की परिकल्पना करता है जो निम्न कार्य करने में सक्षम हो:

ग्राम स्तर पर जन विकास कार्यों और उनके रख-रखाव की योजना बनाना और उन्हें पूरा करना।

ग्राम स्तर पर लोगों का कल्याण सुनिश्चित करना, इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समुदाय भाईचारा, विशेषकर जेंडर और जाति-आधारित भेदभाव के संबंध में सामाजिक न्याय, झगड़ों का निबटारा, बच्चों का विशेषकर बालिकाओं का कल्याण जैसे मुद्दे होंगे।


ग्राम पंचायत मण्डेला पाडा के बारे में

ग्राम पंचायत मण्डेला पाडा 2020 में कुल मतदाता संख्या 2318 थी कुल पड़े मत संख्या 2123 (91.59) में से ग्राम प्रधान माननीय शीला देवी डामोर जी को कुल मत 929 मत प्राप्त कर अपनी निकटतम प्रत्याशी

2 - रेखा  = 665  मत प्राप्त कर दूसरे स्थान को 264  मतों से हराकर सरपंच पद पर चुनाव जीता !


मण्डेला पाडा के बारे में

 

मण्डेला पाडा भारत के राजस्थान राज्य के बांसवाड़ा जिले की गढ़ी तहसील का एक गाँव है। यह उदयपुर संभाग के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय बांसवाड़ा से उत्तर की ओर 28 KM दूर स्थित है। गढ़ी से 52 किमी. राज्य की राजधानी जयपुर से 438 किमी

 

मण्डेला पाडा पिन कोड 327022 है और डाक प्रधान कार्यालय गढ़ी (बांसवाड़ा) है।

 

मण्डेला पाडा के पास के गांव मुरासेल (6 किमी), मियासा (7 किमी), बरगुन (9 किमी), खेरवा (10 किमी), रोहनिया (10 किमी) हैं। मण्डेला पाडा पश्चिम की ओर घाटोल तहसील, दक्षिण की ओर छोटी सरवन तहसील, पूर्व की ओर अर्नोद तहसील, दक्षिण की ओर बांसवाड़ा तहसील से घिरा हुआ है।

 

बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सगवाड़ा, मंदसौर, मण्डेला पाडा के निकट के शहर हैं।

 

यह स्थान बांसवाड़ा जिले और डूंगरपुर जिले की सीमा में है। डूंगरपुर जिला सगवाड़ा इस स्थान की ओर पश्चिम में है।

मण्डेला पाडा जनसंख्या - बांसवाड़ा, राजस्थान 



मण्डेला पाडा जनसंख्या - बांसवाड़ा, राजस्थान


2011 के अनुसार


 

मण्डेला पाडा एक मध्यम आकार का गाँव है जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की गढ़ी तहसील में स्थित है, जिसमें कुल 295 परिवार रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मण्डेला पाडा गांव की आबादी 1435 है, जिसमें 713 पुरुष हैं जबकि 722 महिलाएं हैं।

 

मण्डेला पाडा गाँव में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की जनसंख्या 202 है जो गाँव की कुल जनसंख्या का 14.08% है। मंडेला पारा गांव का औसत लिंग अनुपात 1013 है जो राजस्थान राज्य के औसत 928 से अधिक है। जनगणना के अनुसार मण्डेला पाडा के लिए बाल लिंग अनुपात 1322 है, जो राजस्थान के औसत 888 से अधिक है।

 

मण्डेला पाडा गांव में राजस्थान की तुलना में उच्च साक्षरता दर है। 2011 में, राजस्थान के 66.11% की तुलना में मंडेला पारा गांव की साक्षरता दर 67.96% थी। मण्डेला पाडा में पुरुष साक्षरता 81.15% है जबकि महिला साक्षरता दर 54.37% थी।

 

भारत के संविधान और पंचायती राज अधिनियम के अनुसार, मण्डेला पाडा गाँव का प्रशासन सरपंच (गाँव के मुखिया) द्वारा किया जाता है, जो गाँव का प्रतिनिधि होता है।

 

जाति कारक

मण्डेला पाडा गांव में, गांव की अधिकांश आबादी अनुसूचित जनजाति (एसटी) से है। मण्डेला पाडा गांव में अनुसूचित जनजाति (एसटी) 90.66% है जबकि अनुसूचित जाति (एससी) कुल आबादी का 8.64% है।

 

कार्य प्रोफ़ाइल

मण्डेला पाडा गांव में कुल जनसंख्या में से 690 कार्य गतिविधियों में लगे हुए थे। 74.78% श्रमिक अपने काम को मुख्य कार्य (रोजगार या 6 महीने से अधिक कमाई) के रूप में वर्णित करते हैं, जबकि 25.22% 6 महीने से कम समय के लिए आजीविका प्रदान करने वाली सीमांत गतिविधि में शामिल थे। मुख्य कार्य में लगे 690 श्रमिकों में से 432 कृषक (मालिक या सह-स्वामी) थे जबकि 33 खेतिहर मजदूर थे

 
 

मण्डेला पाडा में राजनीति

भारतीय जनता पार्टी, भाजपा, कांग्रेस इस क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

 

 

घाटोल विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल


घाटोल विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

आरआरपी, आईएनसी (आई), एसओसी, जेएनपी 

 

घाटोल विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान मौजूदा विधायक।

घाटोल विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान मौजूदा विधायक पार्टी भाजपा पार्टी के हरेंद्र निनामा हैं

 

घाटोल विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

बांसवाड़ा गढ़ी घाटोल पीपल खूंटी

 

घाटोल विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

 

 

2013 (एसटी) नवनीत लाल भाजपा 93442 = 27198 नानालाल निनामा कांग्रेस कांग्रेस 66244

2008 (ST) नानालाल निनामा IND 53262 = 20622 नवनीतलाल भाजपा 32640

2003 (एसटी) नवनीतलाल निनामा भाजपा ७३७१५ = २६९५५ नानालाल निनामा कांग्रेस  ४६७६०

1998 (ST) नाना लाल INC 43768 = 4181 मान शंकर बीजेपी 39587

1993 (एसटी) जितेंद्र नीनामा कांग्रेस 35225 = 2188 नवनेत लाल नीनामा बीजेपी 33037

1990 (एसटी) नवनीत लाल निनामा भाजपा 25299 = 752 जितेंद्र निनामा कांग्रेस  24547

1985 (एसटी) नवनीर लाल निनामा भाजपा 22664 = 985 पूनजी लाल कांग्रेस 21679

1980 (एसटी) पूजी लाल कांग्रेस (आई) 18004 = 3120 नवनीता लाल भाजपा 14884

1977 (एसटी) नहतू लाल जेएनपी 29414 = 16052 पुंजी लाल कांग्रेस 13362

1962 जनरल हरिदेव जोशी INC 16165 = 6974 नारायण एसओसी 9191

1957 जनरल हरि देव INC 12924 = 3283 केशव चंद्र IND 9641

1951 जनरल दुलजी कांग्रेस 10297 = 7098 मदन सिंह आरआरपी 3199

 
 

मण्डेला पाडा के पास मतदान केंद्र / बूथ

१)सरकार यूपी। स्कूल भवन दौलत सिंह का गड़ा

2) सरकार। यूपी। स्कूल करमोदा

3) सरकार। उसका माध्यमिक विद्यालय भवन अमर सिंह का गड़ा

4)सरकारी माध्यमिक विद्यालय भवन दुडका (बाईं ओर)

5) सरकार। सेकेंड्रे। स्कूल भवन कांथवी

 
 

कैसे पहुंचें मण्डेला पाडा

 

रेल द्वारा

10 किमी . से कम में मण्डेला पाडा के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है

 

शहरों के पास

बांसवाड़ा 29 किमी

प्रतापगढ़ 44 किमी

सगवाड़ा 62 किमी

मंदसौर 71 किमी

 

तालुकसो के पास

पीपल खुंट 14 किमी

घाटोल 17 किमी

छोटी सरवन 23 किमी

अर्नोद 27 किमी

 

हवाई बंदरगाहों के पास

डबोक हवाई अड्डा133 किमी

इंदौर हवाई अड्डा 189 किमी

वडोदरा हवाई अड्डा 234 किमी

अहमदाबाद हवाई अड्डा 237 किमी

 

पर्यटन स्थलों के पास

बांसवाड़ा 28 किमी

रतलाम 78 किमी

नीमच 96 किमी

डूंगरपुर 98 किमी

दाहोद 114 किमी

 

निकटवर्ती जिले

बांसवाड़ा 27 किमी

प्रतापगढ़ 44 किमी

मंदसौर 68 किमी

रतलाम 75 किमी

 

रेलवे स्टेशन के पास

जोरा रेल वे स्टेशन 63 किमी

मंदसोर रेल मार्ग स्टेशन 71 किमी

सामाजिक एवं विकास कार्य : NA
कार्यक्रम सहयोगी परिचय : NA
ग्राम पंचायत से सम्बंधित जानकारी:  
 
ग्राम पंचायत और उसके अधिकार,
देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। त्रीस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है। इसके लिए हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है, लेकिन ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में पता नहीं होता।
 
क्या होती है ग्राम पंचायत ? 
किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। जिसको सरपंच या मुखिया भी कहते हैं। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है।
 
  ग्राम पंचायत का गठन 
 
a) सरपंच न्याय प्रक्रिया से सम्बंधित 
 
ग्राम पंचायत की न्यायपालिका को ग्राम कचहरी कहते हैं जिसका प्रधान सरपंच होता है. सरपंच का निर्वाचन मुखिया की तरह ही प्रत्यक्ष ढंग से होता है, सरपंच का कार्यकाल 5 वर्ष है. उसे कदाचार, अक्षमता या कर्तव्यहीनता के कारण सरकार द्वारा हटाया भी जा सकता है. अगर 2/3 पञ्च सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दें तो सरकार सरपंच को हटा सकती है. सरपंच का प्रमुख कार्य ग्राम कचहरी का सभापतित्व करना है. कचहरी के प्रत्येक तरह के मुक़दमे की सुनवाई में सरपंच अवश्य रहता है. सरपंच ही मुक़दमे को स्वीकार करता है तथा मुक़दमे के दोनों पक्षों और गवाहों को उपस्थित करने का प्रबंध करता है. वह प्रत्येक मुकदमे की सुनवाई के लिए दो पंचों को मनोनीत करता है. ग्राम कचहरी की सफलता बहुत हद तक उसकी योग्यता पर निर्भर करती है.
 
b) मुखिया/ग्राम प्रधान/सरपंच 
 
ग्राम पंचायत के अंतर्गत मुखिया का स्थान महत्त्वपूर्ण है. उसकी योग्यता तथा कार्यकुशलता पर ही ग्राम पंचायत की सफलता निर्भर करती है. मुखिया ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी समिति के चार सदस्यों को मनोनीत करता है. मुखिया का कार्यकाल 5 वर्ष है. परन्तु, ग्राम पंचायत अविश्वास प्रस्ताव पास कर मुखिया को पदच्युत कर सकती है. पंचायत के सभी कार्यों की देखभाल मुखिया ही करता है. मुखिया अपनी कार्यकारिणी समिति की सलाह से ग्राम पंचायत के अन्य कार्य भी कर सकता है. ग्राम पंचायत में न्याय तथा शान्ति की व्यवस्था करने का उत्तरदायित्व उसी पर है. उसकी सहायता के लिए ग्रामरक्षा दल भी होता है. उसे ग्राम-कल्याण कार्य के लिए बड़े-बड़े सरकारी पदाधिकारियों के समक्ष पंचायत का प्रतिनिधित्व करने भी अधिकार है. वह ग्रामीण अफसरों के आचरण के विरुद्ध शिकायत भी कर सकता है.
 
c) पंचायत सेवक (सचिव)
 
प्रत्येक ग्राम पंचायत का एक कार्यालय होता है, जो एक पंचायत सेवक के अधीन होता है. पंचायत सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा होती है. उसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वेतन भी मिलता है. ग्राम पंचायत की सफलता पंचायत सेवक पर ही निर्भर करती है. वह ग्राम पंचायत के के सचिव के रूप में कार्य करता है और इस नाते उसे ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के निरीक्षण का अधिकार है. वह मुखिया, सरपंच तथा ग्राम पंचायत को कार्य-सञ्चालन में सहायता देता है. राज्य सरकार द्वारा उसका प्रशिक्षण होता है. ग्राम पंचायत के सभी ज्ञात-अज्ञात प्रमाण पंचायत सेवक के पास सुरक्षित रहते हैं. अतः, वह ग्राम पंचायत के कागजात से पूरी तरह परिचित रहता है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पेश करता  है. संक्षेप में, ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के सम्पादन में उसका महत्त्वपूर्ण स्थान है.
 
d) ग्रामरक्षा दल
 
18 से 30 वर्ष के स्वस्थ युवकों से ग्रामरक्षा दल बनता है. गाँव की रक्षा के लिए यह दल होता है, जिसका संगठन ग्राम पंचायत करती है. चोरी, डकैती, अगलगी, बाढ़, महामारी इत्यादि आकस्मिक घटनाओं के समय यह दल गाँव की रक्षा करता है. इसका नेता “दलपति” कहलाता है.
 
ग्राम पंचायत की समितियां और उनके कार्य 

1. नियोजन एवं विकास समिति सदस्य :
सभापति, प्रधान, छह अन्य सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य अनिवार्य होता है। समिति के कार्य: ग्राम पंचायत की योजना का निर्माण करना, कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना। 
 
2. निर्माण कार्य समिति सदस्य: 
सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की ही तरह) समिति के कार्य: समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना।
 
3. शिक्षा समिति सदस्य: 
सभापति, उप-प्रधान, छह अन्य सदस्य, (आरक्षण उपर्युक्त की भांति) प्रधानाध्यापक सहयोजित, अभिवाहक-सहयोजित करना। समिति के कार्य: प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बंधी कार्यों को देखना। 
 
4. प्रशासनिक समिति सदस्य: 
सभापति-प्रधान, छह अन्य सदस्य आरक्षण (ऊपर की तरह) समिति के कार्य: कमियों-खामियों को देखना। 
 
5. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति सदस्य : 
सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) समिति के कार्य: चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बंधी कार्य और समाज कल्याण योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की उन्नति एवं संरक्षण। 
 
6. जल प्रबंधन समिति सदस्य: 
सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) प्रत्येक राजकीय नलकूप के कमांड एरिया में से उपभोक्ता सहयोजित 

मुख्य रूप से ग्राम पंचायत की होती हैं ये जिम्मेदारियां
1- गाँव के रोड को पक्का करना, उनका रख रखाव करना,
ग्राम पंचायत में जितनी भी कच्ची-पक्की सड़कों का निर्माण होता है, सभी ग्राम प्रधान को ही देखने होते हैं, साथ ही पानी निकासी के ड्रेनेज की भी व्यवस्था भी करनी होती है।
 
2- गाँव में पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना, 
इसमें ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी होती है कि ग्रामीणों के पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी होती है।
 
3- पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र और डेयरी की व्यवस्था करना, 
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास पशुपालन कमाई का एक जरिया होता है, लेकिन पशुपालकों को दूध बिक्री की समस्या होती है, इसलिए पंचायत स्तर पर दूध बिक्री केंद्र व डेयरी की व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन के लिए जानकारी, उनका टीका और उनका उपचार कराना भी पंचायती राज्य के अंतर्गत रखा गया है ताकि पशुपालन ज्यादा फायदेमंद हो।
 
4- सिंचाई के साधन की व्यवस्था,
किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबवेल की व्यवस्था, नहर से निकली नालियों की साफ-सफाई का काम भी ग्राम पंचायत को देखना होता है।
 
5- गाँव में स्वच्छता बनाये रखना, 
ग्रामीण क्षेत्र में नालियों की साफ-सफाई, गाँव में दवाइयों का छिड़काव, साथ एएनएम, आशा बहु टीका लगा रहीं हैं कि नहीं ये भी देखना होता है। 
 
6- गाँव के सार्वजनिक स्थानों पर लाइट्स का इंतजाम करना,
ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थान, जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करनी होती है, ताकि ऐसे स्थानों पर पर्याप्त उजाला रहे।
 
7- दाह संस्कार व कब्रिस्तान का रख रखाव करना, 
पंचायत में अलग-अलग धर्म व समुदाय के लोगों के लिए दाह संस्कार स्थल व कब्रिस्तान की देख रेख भी ग्राम पंचायत को करनी होती है। कब्रिस्तान की चाहरदिवारी का निर्माण भी ग्राम प्रधान को कराना होता है।
 
8- कृषि कार्यक्रमों में हिस्सा लेना, 
गाँवों में खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कृषि गोष्ठी करानी होती है, ताकि किसानों को नई जानकारियां मिलती रहें। 
 
9- कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयोगों प्रोत्साहित करना,
अगर कोई किसान कृषि क्षेत्र में नया प्रयोग करता है तो उसे प्रोत्साहित करना होता है, जिससे दूसरे किसान भी उनसे जानकारी ले सकें। 
 
10- गाँव में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना, 
गाँव में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए, समय-समय पर जागरूकता रैली निकालने, घर-घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व समझाना ताकि वो अपने बच्चों को विद्यालय भेजें।
 
11- खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना,
बच्चों के लिए खेल के मैदान का इंतजाम करना व खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता कराकर बच्चों में खेल और पढाई की भावना को प्रोत्साहित करना। 
 
12- स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना,
स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना, गाँव में सार्वजनिक शौचालय बनाना व उनका रख रखाव करना। जिनके घर में शौचालय का निर्माण हो गया है, उन्हें शौचालय प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना और लोगों को स्वच्छता अभियान का महत्व समझाना। 
 
13- गाँव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना, 
गाँव को हरा-भरा बनाने के लिए गाँव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना और दूसरों को प्रोत्साहित करना, साथ ही उसका उनका रख रखाव करना। 
 
14- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना, 
बेटियों को बढ़ावा देने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना, जिससे लोग अपनी बेटियों को स्कूल भेजें।
 
15- जन्म मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना,
ग्राम पंचायत में जन्म मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना, जिससे जनगणना जैसे कामों में आसानी आ जाए। इसके बारे में प्रशासन को समय-समय पर सूचित करना होता है। 
 
16- गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था,
शिक्षा के अधिकार के तहत एक से लेकर आठवीं तक बच्चों की शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था करना। 
 
17- गाँव में भाई चारे का माहौल बनाना,
गाँव में किसी धर्म या समुदाय में लड़ाई-झगड़े न हो ऐसा माहौल बनाना, झगड़ों को सुलझाना व दोस्ताना माहौल पैदा करना। 
 
18- आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना,
ग्राम पंचायत स्तर पर बच्चों, किशोरियों व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की होती है, वो काम कर रही हैं कि नहीं, सभी को पोषाहार मिल रहा है कि नहीं ये सब देखने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है। 
 
19- मछली पालन को बढ़ावा देना,
मनरेगा योजना के तहत मछली पालन को प्रोत्साहित करने के लिए तालाबों की खुदाई ग्राम पंचायत के कार्यों में शामिल किया गया है। अगर किसी ग्रामीण क्षेत्र में नदियां हैं तो उनका संरक्षण व मछली पालन भी ग्राम पंचायत के कार्यों में शामिल किया गया
 
ग्राम पंचायत की आय के स्रोत क्या हैं?

ग्राम पंचायत की आय के निम्नलिखित साधन हैं – – –
 
i) भारत सरकार से प्राप्त अंशदान, अनुदान या ऋण अथवा अन्य प्रकार की निधियाँ
 
ii) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त चल एवं अचल सपंत्ति से प्राप्त आय
 
iii) भूराजस्व एवं सेस से प्राप्त राशियाँ
 
iv) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अंशदान, अनुदान या ऋण सबंधी अन्य आय
 
v) राज्य सरकार की अनुमति से किसी निगम, निकाय, कम्पनी या व्यक्ति से प्राप्त अनुदान या ऋण
 
vi) दान के रूप में प्राप्त राशियाँ या अंशदान

vii) सरकार द्वारा निर्धारित अन्य स्रोत

तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में

 

         क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए  तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। 

 

   1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन         रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।

2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।

3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।

4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।

5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।

6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।

7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।

8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।

9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।

10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।

11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।

12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।

13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।

14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।

15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।

16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।

17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।

18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।

19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।

20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।

21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।

22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।

23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ?
भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।

24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।

मेरा गांव मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान फ़ोटो परियोजना के बारे में : 

संस्था द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट का उद्देश ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को डिजीटल इंडिया एवम तिरंगे के प्रति जागरूक कर पासपोर्ट साइज फोटो परियोजना के माध्यम से आर्थिक विकास में सहयोग कर पंजीकृत नागरिक को योजना फॉर्म में लगाने हेतु 45 पासपोर्ट साइज फ़ोटो कैलन्डर सहित उपलब्ध कराना, एक सर्वे के अनुसार 90% छात्र, नागरिक एक बार मे 4/5 फ़ोटो बनवाते हैं, जिसको 20 से 25 रुपये में शॉप द्वारा बनाकर दिए जाते हैं, प्रत्येक वर्ष 8 से 9 फ़ोटो की जरूरत होती है रुपये खर्चे के साथ बार बार समय भी खर्च होता है, संस्था इस परियोजना में छात्र, नागरिकों का पंजीकरण शुल्क मात्र 40 रुपये में 45 पासपोर्ट साइज फ़ोटो, कैलेंडर, हैंड फ्लैग, गांव का मोबाइल ऐप लिंक, बारकोड,तिरंगा,सहित आवेदकों को उपलब्ध रही है, जिसका मार्किट मूल्य लगभग 150 से 200 रुपये में 45 फ़ोटो अलग अलग समय दुकान से बन पाते हैं, लेकिन संस्था द्वारा तेयार किए गए फोटो कैलेंडर की लागत मात्र 60 रुपिया आती है ग्राम प्रधान, वार्ड सदस्य,पंचायत अध्यक्ष के माध्यम से 20रुपिया सब्सिडी देकर मात्र 40 रुपये पंजीकरण में छात्र, नागरिक इस योजना का लाभ ले सकते हैं, बच्चों का एक सपना होता है घर मे जो कैलेंडर लगा है उस पर उनकी फोटो लगी हो इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अमीर गरीब समस्त नागरिकों के सपने पूरा करने हेतु कैलेंडर पर छात्र आवेदक का फोटो लगाकर उनके सपने पूरे करने का प्रयास कर रहे हैं, इस परियोजना में कुछ धनराशि संस्था अपने स्तर से खर्च करती है प्रोजेक्ट पर कार्य करने वालो के लिये, आत्मनिर्भर योजना के तहत प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर एक पदाधिकारी नियुक्त कर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है, आओ भारत जोड़ें अभियान में बच्चों का सपना कैलेंडर पर फ़ोटो हो अपना, मेरा स्कूल मेरी पहचान छात्र फ़ोटो परियोजना द्वारा 45 फ़ोटो कैलेंडर सहित समस्त स्कूलों से अनुबंध कर उपलब्ध करा रहे हैं जिससे छात्र स्कूल के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ा रहे वर्षों बाद भी एक क्लिक में अपने मोबाइल पर स्कूल की तस्वीर देख सकता है संस्था ने राष्ट्रहित में इस प्रोजेक्ट को समर्पित किया है।
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