महात्मा गांधी आई.ए.एस./ आई.पी.एस. सम्मान पत्र

नाम : श्री रवीश गुप्ता
पद : जिलाधिकारी
विभाग : उत्तर प्रदेश शासन
नियुक्त : संत कबीर नगर
राज्य : उत्तर प्रदेश

विवरण :

introduction
Name : Shri Raveesh Gupta (IAS)
Designation : District Magistrate
Appointment : SANT KABIR NAGAR
Telephone No : 9454417529
E-Mail id : dmskn[at]nic[dot]in
State : Uttar Pradesh
Division : Basti
Head Quarters : Khalilabad
Language : Hindi and Urdu
Area: 1659.15 sq. km
Population : 1714300
Sex Ratio : 969
Density : 1041/ sq. km
Literacy : 69.01
Elevation / Altitude: 89 - 83 meters. Above Seal level
Current Time 09:48 PM
Date: Wednesday , Oct 02,2019 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
District Pin code Index: 230XXX,272XXX
Vehicle Registration Number: UP-58
RTO Office: Sant Kabir Nagar

संत कबीर नगर जिले के बारे में
संत कबीर नगर जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 75  जिलों में से एक है। संत कबीर नगर जिला प्रशासनिक प्रमुख क्वार्टर खलीलाबाद है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर 244 KM पश्चिम में स्थित है। संत कबीर नगर जिले की जनसंख्या 1714300 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 55 वां सबसे बड़ा जिला है।
नाम की उत्पत्ति
खलीलाबाद पहले बस्ती का हिस्सा था खलीलाबाद का पुराना नाम रगड़गंज था। खलीलाबाद के स्टेट बाबू लल्लू राय रईस थे। जो की बिधियानी गांव के निवासी थे, जिन्होंने अपनी जमीन पर रगड़गंज बाजार की स्थापना किया। बाबू लल्लू राय रईस के वंशज आज भी बिधियानी गांव में है। जिनका नाम राजा विनोद राय है। ये बाबू लल्लू राय रईस के चौथे वंशज राजा विनोद राय है।
खलीलाबाद का प्राचीन बाजार हरीहरपुर था । बाबू लल्लू राय रईस ने बाद में खलीलाबाद बाजार बसाया बाजार लगाने के लिए सभी को कर देना पड़ता था। कुछ साहूकार व मारवाड़ी ने अपने नाम के आगे राय जोड़ा जैसे कि प्रहलाद राय छपडिया, बाबू लल्लू राय रईस ने अगेंजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने खलीलाबाद के स्टेशन का दरवाज़ा अपने गांव के तरफ करवाया था जो कि आज भी है। बिधियानी की तीनो सड़क आज भी बाबू लल्लू राय रईस के नाम से है।
इतिहास
संत कबीर नगर जिला 5 सितंबर 1997 को बनाया गया था नए जिले में बस्ती जिले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती जिले का तहसील था।
जिले के प्रमुख्य स्थान
महादेव मंदिर: खलीलाबाद से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्‍वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।

मगहर: यह शहर जिला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम में लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक समाधि और एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था।
अमरडोभा: लेडुआ महुआ अमरडोभा संतकबीर नगर का एक तारीखी कसबा है यह एक बुनकरों का मुख्य असथान है!इस की कुल आबादी लगभग 10000 की है। जिसमें 75% के लगभग मुसलिम समुदाय के लोग है। यहाँ का गमछा बहुत मशहूर है। यहाँ हैनडलोम बहुत है जिससे गमछा चादर धोती कुरता और लुनगी यदि चीजें बनाई जाती है। यहाँ एक अरबी फारसी मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त दारुलउलूम अहलेसुंनत तनवीरुल इस्लाम अमरडोभा डिग्री कालेज है। जिसमें हिन्दुस्तान के कई राज्य के बच्चे पढ़ते है। यहाँ बुधवार को बाजार लगता है जो इलाके का बड़ा बाजार है। यह कसबा जिला मुख्यालय से 18 कीमी के दूरी पर जनपद के उत्तर में है। यहाँ जोनियर हाई स्कूल, इनटर कालेज, सहज सेवा केंद्र, अस्पताल मौजूद हैं।

भूगोल और जलवायु संत कबीर नगर जिला
यह अक्षांश -26.7, देशांतर -83.0 पर स्थित है। संत कबीर नगर जिला पश्चिम में बस्ती जिले, पूर्व में गोरखपुर जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। संत कबीर नगर जिले का क्षेत्रफल लगभग 1659.15 वर्ग किलोमीटर है। । यह 89 मीटर से 83 मीटर की ऊंचाई सीमा में है। यह जिला हिंदी बेल्ट इंडिया से संबंधित है।
संत कबीर नगर जिले के डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू बोलते हैं। संत कबीर नगर जिले को 10 ब्लॉक, पंचायत, 2109 गांवों में विभाजित किया गया है।
संतकबीर नगर में ब्लॉकों की सूची
बघोली
बेलहर काला
हेंसर बाजार
खलीलाबाद
मेहदवाल
नाथ नगर
पाउली
संत कबीर  
संथा
सेमरियावां
संतकबीर नगर जिले की जनगणना 2011
संत कबीर नगर जिले की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 1714300 है। यहाँ की जनसंख्या 870645 है और महिलाओं की संख्या 843655 है। कुल मिलाकर लोग 1134181 हैं। कुल क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 55 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य के 62 सबसे बड़े जिले बाय एरिया। जनसंख्या के हिसाब से देश में 281 सबसे बड़ा जिला। राज्य में साक्षरता दर से 43 सबसे अधिक जिला है। देश में 413 rd उच्चतम साक्षरता दर से है। साक्षरता दर 69.01 है
संतकबीर नगर जिले में राजनीति
PECP, SP, BSP, INC, संत कबीर नगर जिले के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
संतकबीर नगर जिले में कुल 3 विधानसभा क्षेत्र।
मेंहदवाल राकेश कुमार सिंह भाजपा 9919100931
खलीलाबाद दिग्विजय नारायण भाजपा 9792166363
धनघटा श्री राम भाजपा 9415069869

संतकबीर नगर जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
संत कबीर नगर परवीन कुमार निषाद भारतीय जनता पार्टी
गोरखपुर रवींद्र श्यामनारायण शुक्ला उर्फ रवि किशन भारतीय जनता पार्टी
बस्ती हरीश चंद्रा अलीश हरीश DWIVEDI भारतीय जनता पार्टी

संत कबीर नगर परिवहन
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय खलीलाबाद सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। खलीलाबाद लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क मार्ग से लगभग 244 KM दूर है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन खलीलाबाद, मगहर, सिहापर हाल्ट .... हैं, जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से लेकर शहरों और गांवों तक बसें चलाती है।
 
शहरों के पास
सहजनवा 16 KM
गोरखपुर 36 KM
टांडा 52 KM
तेतरी बाजार 62 KM

एयर पोर्ट्स के पास
गोरखपुर एयरपोर्ट 43 KM
वाराणसी एयरपोर्ट 167 KM
बमरौली एयरपोर्ट 222 KM
अमौसी एयरपोर्ट 240 KM
 
जिले के पास
संत कबीर नगर 0 KM
गोरखपुर 35 KM
बस्ती 35 KM
सिद्धार्थ नगर 61 KM
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी : आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ – Mahatma Gandhi –
पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म – 2 अक्तुंबर १८६९
जन्मस्थान – पोरबंदर (गुजरात)
पिता – करमचंद
माता – पूतळाबाई
शिक्षा – १८८७ में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण। १८९१ में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लोटें।
विवाह – कस्तूरबा ( Mahatma Gandhi Wife Name – Kasturba Gandhi )
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर इस शहर गुजरात राज्य में हुआ था। गांधीजीने ने शुरवात में काठियावाड़ में शिक्षा ली बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे। लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला।
वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए महात्मा गांधी को 10 जनवरी 1908 को उनके जीवन में पहली बार जेल हुई थी। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नक्सलवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
सी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला। वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। वहा भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
वहा उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया। वे एक अमेरिकन लेखक हेनरी डेविड थोरो लेखो से और निबंधो से बेहद प्रभावित थे। आखिर उन्होंने अनेक विचारो ओर अनुभवों से सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिस पर गांधीजी पूरी जिंदगी चले। पहले विश्वयुद्ध के बाद भारत में ‘होम रुल’ का अभियान तेज हो गया।
1919 में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद ने भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया। उसी समय एक और चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए हिंसक आंदोलन कर रहे थे। लेकीन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग पर चलने पर था। और वो पूरी जिंदगी अहिंसा का संदेश देते रेहे।
महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य
१८९३ में उन्हें दादा अब्दुला इनका व्यापार कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगोंका संघटित करके उन्होंने १८९४ में ‘नेशनल इंडियन कॉग्रेस की स्थापना की।
१९०६ में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना सक्त किया था। इसके अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
१९१५ में Mahatma Gandhi – महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती यहा सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
तथा १९१९ में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया।
१९२० में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
१९२० में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
१९२० में के नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
१९२४ में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
१९३० में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुवा। नमक के उपर कर और नमक बनानेकी सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
१९३१ में राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
१९३२ में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
१९३३ में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
१९३४ में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी विधायक कार्यक्रम करके उन्होंने प्रयास किया।
१९४२ में चले जाव आंदोलन शुरु उवा। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः १९४७ में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया। १९४८ में
१९४८ में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था। वर्ष १९९९ में बी.बी.सी. व्दारा कराये गये सर्वेक्षण में गांधीजी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ट पुरुष घोषित किया गया।
महात्मा गांधी विशेषता – भारत के राष्ट्रपिता, महात्मा
Mahatma Gandhi Death – मृत्यु – 30 जनवरी १९४८ में नथुराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या की।
मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से १९४७ में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी महात्मा गांधी के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी
सूचनार्थ पत्र :

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