महात्मा गांधी आई.ए.एस./ आई.पी.एस. सम्मान पत्र

नाम : श्री शम्भू कुमार
पद : जिलाधिकारी
विभाग : उत्तर प्रदेश शासन
नियुक्त : बहराइच
राज्य : उत्तर प्रदेश

विवरण :

 

introduction
Name : Mr. Shambhu Kumar (I.A.S)
Designation : District Magistrate
Appointment : BAHRAICH
Telephone No : 919454417535
E-Mail id : dmbeh[at]nic[dot]in
State : Uttar Pradesh
Division : Devipatan
Head Quarters : Bahraich
Language : Hindi and Urdu, Awadhi
Area: 4696.8 sq. km
Population : 3478257
Sex Ratio : 891
Density : 706/ sq. km
Literacy : 51.1
Elevation / Altitude: 145 - 112 meters. Above Seal level
Current Time 09:43 AM
Date: Thursday , Oct 03,2019 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
District Pin code Index: 271XXX
Vehicle Registration Number: UP-40
RTO Office: Bahraich
बहराइच जिले के बारे में
बहराइच जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 73 जिलों में से एक है।बहराइच जिला प्रशासनिक प्रमुख चौथाई बहराइच है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर से 121 KM दक्षिण में स्थित है। बहराइच जिले की जनसंख्या 3478257 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 23 वां सबसे बड़ा जिला है।
भूगोल और मौसम बहराइच जिला
यह अक्षांश -27.5, देशांतर -81.5 पर स्थित है। बहराइच जिला दक्षिण में गोंडा जिले, पश्चिम में खीरी जिला, पूर्व में श्रावस्ती जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है। बहराइच जिला लगभग 4696.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है। । 145 मीटर से 112 मीटर की ऊंचाई वाली रेंज में इसका स्थान है। यह जिला हिंदी पट्टी भारत से संबंधित है।
बहराइच जिले के डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहाँ की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू, अवधी बोलते हैं। बहराइच जिला 15 ब्लॉक, पंचायत, 6706 गांवों में विभाजित है।
बहराइच जिले की तहसीलें
बहराइच, कैसरगंज, (तहसील), बहराइच, नानपारा, (तहसील), बहराइच, महसी (तहसील), बहराइच, पयागपुर (तहसील) बहराइच
बहराइच जिले के ब्लाकक
हुजूरपुर, शिवपुर, महसी, फखरपुर, जरवल कस्बा, पयागपुर, कैसरगंज, तजवापुर, नवाबगंज, चित्तौरा, मिस्टरपुरवा, विशेश्वरगंज, रिसाय, बलहा।
इतिहास
बहराइच को भगवान ब्रह्मा की धरती भी कहा जाती है। बहुरिच का पुराना नाम भरुराच था ।जो भर / राजभर राजाओ का साम्राज्य हुवा करता था। बहराइच के चकदा डीहारा सुहेलदेव राजभर जी का किला था।
व्यापार
बहराइच नेपाल के साथ होने वाले व्यापार सहित कृषि उत्पाद और अगती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहां चीनी की मिलें भी हैं।
कृषि
इसके आसपास के कृषि क्षेत्र में धान, मकई, गेहूँ और चना (सफ़ेद चना) उगाया जाता है। यहां गन्ना भी मुख्य रूप से उगाया जाता है।
अलग जगह
सिद्धनाथ मंदिर पांडवल्ले मंदिर है जो बहराइच शहर के बीचोबीच स्थित है।
यहाँ वर्ष में 2 बड़े उत्सव - भाद्रपद में कजरीती और होली से पहले महाशिवरात्रि मनाए जाते हैं। इनमेंं दूर-दूर से भक्त काँवर यात्रा ले कर आती है और जलाभिषेक करते हैं।
दरगाह शरीफ़:
हिन्दू-मुस्लिम यहाँ सैयद सलार मसूद की मज़ार पर आते हैं, जो एक अफ़गानी राजकुमार थे। उसकी मृत्यु यहीं 1033 इस्वी में हुई थी। दरगाह गाजी सैयद सालार मसूद घंटाघर गगनचुम्बी इमारत है।
कतरनिया घाट: सरकार द्वारा घोषित संरक्षित क्षेत्र है।
यहांँ पर गोलवा घाट पुल के पास ही एक मरीमाता मंदिर भी है।
यहां से नेपाल बॉर्डर भी है
बहराइच जिले की जनगणना 2011
जनगणना 2011 के अनुसार निकाइच जिले की कुल जनसंख्या 3478257 है। यहाँ की जनसंख्या 1839374 है और महिलाओं की संख्या 1638883 है। कुल मिलाकर लोग 2301215 हैं। कुल क्षेत्र 4696.8 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 23 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य के 10 सबसे बड़े जिले बाय एरिया। जनसंख्या के हिसाब से देश का 90 वां सबसे बड़ा जिला। राज्य में साक्षरता दर से 68 वाँ सबसे ऊँचा जिला। साक्षरता दर के हिसाब से देश में 606 वें सबसे ऊंचा जिला है। साक्षरता दर्रा 51.1 है
बहराइच जिले में राजनीति
बहराइच जिले में भाजपा, BjP, सपा, BSP, INC प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
बहराइच जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र हैं।
केसरगंज मुकुट बिहारी भाजपा 9415036618
बाला अक्षयवरलाल भाजपा 9415054009
नानपारा माधुरी वर्मा भाजपा 8765954982
मटेरा यासर शाह सपा 9838111786
महासी श्रीशवर सिंह भाजपा 9415036649
बहराइच श्रीमती अनुपमा जायसवाल भाजपा 9839906175
पयागपुर सुभाष त्रिपाठी बीजेपी  9415172828
बहराइच जिले में संसद क्षेत्र
बहराइच जिले में कुल 3 संसद क्षेत्र।
बहराइच AKSHAIBAR LAL भारतीय जनता पार्टी
कैसरगंज बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी
श्रावस्ती राम शिरोमणि बहुजन समाज पार्टी
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय बहराइच सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नानपारा, बहराइच इस जिले के प्रमुख शहर और गांवों के गाँवों से सड़क संपर्क हैं। निकासीाइ लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क मार्ग से लगभग 121 KM दूर है
रेल वाहक
जिले के कुछ रेल मार्ग स्टेशन जारवाल रोड, नानपारा जंक्शन, मटेरा, बहराइच, रिसिया, बाबागंज, घाघरा घाट, नेपालगंज रोड हैं ... जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को चिह्नित करता है।
परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) इस जिले के प्रमुख शहरों से शहरों और गांवों तक बसें चली जाती है।
शहरों के पास
निकासी 1 KM
नानपारा 37 के.एम.
बलरामपुर 66 कि.मी.
लहरपुर 78 KM

एयर पोर्ट्स के पास
अमौसी टर्मिनल 128 के.एम.
कानपुर टर्मिनल 197 के.एम.
गोरखपुर टर्मिनल 229 कि.मी.
बमरौली इंजन 266 KM

जिले के पास
निकासी KM के.एम.
श्रावस्ती 48 किमी
बलरामपुर 66 कि.मी.
गोंडा 68 के.एम.

रेल्वे स्टेशन
बहराइच रेल मार्ग स्टेशन 0.9 KM
कर्नलगंज रेल मार्ग स्टेशन 56 कि.मी.
जरवल रोड रेल मार्ग स्टेशन 57 KM

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी : आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ – Mahatma Gandhi –
पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म – 2 अक्तुंबर १८६९
जन्मस्थान – पोरबंदर (गुजरात)
पिता – करमचंद
माता – पूतळाबाई
शिक्षा – १८८७ में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण। १८९१ में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लोटें।
विवाह – कस्तूरबा ( Mahatma Gandhi Wife Name – Kasturba Gandhi )
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर इस शहर गुजरात राज्य में हुआ था। गांधीजीने ने शुरवात में काठियावाड़ में शिक्षा ली बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे। लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला।
वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए महात्मा गांधी को 10 जनवरी 1908 को उनके जीवन में पहली बार जेल हुई थी। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नक्सलवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
सी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला। वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। वहा भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
वहा उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया। वे एक अमेरिकन लेखक हेनरी डेविड थोरो लेखो से और निबंधो से बेहद प्रभावित थे। आखिर उन्होंने अनेक विचारो ओर अनुभवों से सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिस पर गांधीजी पूरी जिंदगी चले। पहले विश्वयुद्ध के बाद भारत में ‘होम रुल’ का अभियान तेज हो गया।
1919 में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद ने भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया। उसी समय एक और चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए हिंसक आंदोलन कर रहे थे। लेकीन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग पर चलने पर था। और वो पूरी जिंदगी अहिंसा का संदेश देते रेहे।
महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य
१८९३ में उन्हें दादा अब्दुला इनका व्यापार कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगोंका संघटित करके उन्होंने १८९४ में ‘नेशनल इंडियन कॉग्रेस की स्थापना की।
१९०६ में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना सक्त किया था। इसके अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
१९१५ में Mahatma Gandhi – महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती यहा सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
तथा १९१९ में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया।
१९२० में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
१९२० में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
१९२० में के नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
१९२४ में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
१९३० में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुवा। नमक के उपर कर और नमक बनानेकी सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
१९३१ में राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
१९३२ में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
१९३३ में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
१९३४ में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी विधायक कार्यक्रम करके उन्होंने प्रयास किया।
१९४२ में चले जाव आंदोलन शुरु उवा। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः १९४७ में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया। १९४८ में
१९४८ में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था। वर्ष १९९९ में बी.बी.सी. व्दारा कराये गये सर्वेक्षण में गांधीजी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ट पुरुष घोषित किया गया।
महात्मा गांधी विशेषता – भारत के राष्ट्रपिता, महात्मा
Mahatma Gandhi Death – मृत्यु – 30 जनवरी १९४८ में नथुराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या की।
मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से १९४७ में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी महात्मा गांधी के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी
सूचनार्थ पत्र :

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