मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान पार्षद सूची

नाम :
मा. निहाल कुमार
पद :
निगम पार्षद
वार्ड :
1 - सुलेम सरायं
निगम :
इलाहाबाद
राज्य :
उत्तर प्रदेश
समर्थित :
बहुजन समाज पार्टी
चुनाव वर्ष :
2017
सम्मान :

माननीय निगम पार्षद जी ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने राष्ट्रीय ध्वज की जानकारी जन जन तक पहुंचाने में संस्था को सहयोग  करने एवं क्षेत्र में विकास कार्यों की जानकारी मतदाताओं को डिजिटल मोबाईल ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराने के उपरांत संस्था द्वारा  मेरा निगम मेरी पहचान तिरंगा मेरी शान सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है !
निगम /पार्षद के बारे में :

Introduction
Name: Nihal Kumar
Designation: Municipal Corporation Councilor
Ward No: 1 - Sulem Saiyan
Eligibility: Inter
E-mail:
Mobil No: 9415605618
place to stay:
Support: Bahujan Samaj Party
Language : Hindi and Urdu, Awadhi, Bagheli
Current Time 12:32 PM
Date: Friday , Jan 22,2021 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0532
Municipal Corporation: Allahabad
State: Uttar Pradesh
Vehicle Registration Number: UP-70
RTO Office: Allahabad
Allahabad Municipal Corporation Mayor = Abhilasha Gupta (BJP) Contact Number: 8874699999
Assembly Constituency: Prayagraj assembly constituency
Legislative Assembly MLA: DR. AJAY KUMAR (BJP) Contact Number: 9415283976
Lok Sabha Constituency: Prayagraj Parliamentary Constituency
Parliament MP: Rita Bahuguna Joshi (BJP) Contact Number: 9810262658
Pin Code:  211001

नगर निगम वार्ड नंबर 1 - सुलेम सरायं के बारे में
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के तहत, पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद का पद मुख्य रूप से स्थानीय निकायों के तहत आता है। यह जनता द्वारा चुना जाता है। इसके तहत नगर निगम का आयोजन किया गया है। पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा किया जाता है। एक पार्षद का मुख्य कार्य परिषद में चर्चा  के लिए जनता की समस्याओं को प्रस्तुत करना है। इलाहाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संक्षेप में, संगठन को ईएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की पार्क का प्रबंधन करता है। नगर निगम वार्ड नंबर 1 - सुलेम सरायं में कुल 17325 मतदाता हैं, जिनमें बहुजन समाज पार्टी समर्थित माननीय निहाल कुमार जी को निगम चुनाव 2017 में उन्हें निगम पार्षद पद के लिए कुल 4633 वोटों में से 3294 वोट मिले।
2 = राम बाबू = ने भारतीय जनता पार्टी (853) को 2441 मतों से हराकर चुनाव जीता।
3 =भारत लाल = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (196) ने तीसरा स्थान हासिल किया 

नगर निगम इलाहाबाद में कुल 1074588 मतदाता हैं, निगम में कुल 80 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम महापौर पद पर माननीय अभिलाषा गुप्ता जी ने कुल पड़े मत संख्या 325811 में से (131297) 40.3%  मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार 
2 - विनोद चन्द्र दुबे = समाजवादी पार्टी (67913) 20.84% को 63384 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- विजय = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (64579) 19.82%  मत प्राप्त किये 
4 -रमेश चन्द्र केशरवानी = बहुजन समाज पार्टी (24969) 7.66%  मत प्राप्त कर चौथे स्थान पर रहे

इतिहास  
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के रूप में जाना जाता था, भारत में उत्तर भारतीय राज्य के सबसे बड़े शहरों में से एक है। 2018 में योगी आदित्यनाथ द्वारा शासित राज्य सरकार द्वारा शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। यह शहर एक अंतर्देशीय प्रायद्वीप पर स्थित है, जो तीन तरफ गंगा और यमुना नदियों से घिरा हुआ है। यह स्थान हिंदू शास्त्रों में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संगम पर स्थित है, जिसे पवित्र नदियों के त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है। ऋग्वेद के अनुसार सरस्वती नदी (अब सूख गई) प्राचीन काल में तीन नदी संगम का हिस्सा थी। यह कुंभ मेले के चार स्थलों में से एक है, जो एक महत्वपूर्ण सामूहिक हिंदू तीर्थ है।
इलाहाबाद में उत्तरी काले पॉलिश वेयर के लौह युग का पता चला है। भारत में पुरातात्विक स्थल, जैसे वर्तमान उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के पास कोसंबी और झुसी, 1800-1200 ईसा पूर्व की अवधि में लोहे के औजार दिखाते हैं। जब भारत के उत्तर पश्चिमी हिस्से में इस क्षेत्र को पहली बार बसाया गया था, प्रयाग कुरु जनजाति के क्षेत्र का हिस्सा था, हालांकि उस समय अधिकांश दोआब बसे नहीं थे और इनमें घने जंगलों का समावेश था।
प्रयाग सहित दोआब क्षेत्र, आने वाले युगों में कई साम्राज्यों और राजवंशों द्वारा नियंत्रित किया गया था। यह कन्नौज साम्राज्य का हिस्सा बनने से पहले पूर्व के मौर्य और गुप्त साम्राज्यों और पश्चिम के कुषाण साम्राज्य का हिस्सा बन गया। 
 
मराठा शासन
प्रयागराज पर ब्रिटिश शासन लागू होने से पहले, इस शहर को मराठा साम्राज्य द्वारा जीत लिया गया था। मराठों ने अठारहवीं शताब्दी के दो खूबसूरत मंदिरों को पीछे छोड़ दिया, जिनमें जटिल वास्तुकला थी।

सरकारी कार्यालय  
प्रयागराज (इलाहाबाद) में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रधान (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा प्रयागराज को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। जवाहरलाल शहरी नवीयन मिशन पर मिशन शहरों की सूची व ब्यौरे और यहां पर उपस्थित आनन्द भवन एक दर्शनीय स्थलों में से एक है।

नगर प्रशासन
प्रयागराज नगर निगम, राज्य के प्राचीनतम नगर निगमों में से एक है। निगम 1864 में अस्तित्त्व में आया था[ जब तत्कालीन भारत सरकार द्वारा लखनऊ म्युनिसिपल अधिनियम पास किया गया था। नगर के म्युनिसिपल क्षेत्र को कुल 80 वार्डों में विभाजित किया गया है व प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य (कार्पोरेटर) चुनकर नगर परिषद का गठन किया जाता है। पहले ये कॉर्पोरेटर शहर के महापौर को चुनते थे, लेकिन बाद में इस व्यवस्था को बदल दिया गया। अब नगर निगम क्षेत्र की जनता पार्षद के साथ-साथ अपना महापौर भी चुनती हैं। राज्य सरकार द्वारा चुने गए मुख्य कार्यपालक को इलाहाबाद का आयुक्त (कमिश्नर) नियुक्त किया जाता है।

जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद (प्रयाग-राज) शहर की वर्तमान जनसंख्या 1,342,229 है। ये भारत में जनसंख्या के अनुसार 32वें स्थान पर आता है। इलाहाबाद (प्रयाग-राज) जिला 2013 की जनगणना के अनुसार 6010249 जो उत्तर प्रदेश का सबसे जनसँख्या वाला जिला हैं। इलाहाबाद (प्रयाग-राज) का क्षेत्रफल लगभग 70 कि॰मी2 (750,000,000 वर्ग फुट) है
हिन्दी-भाषी इलाहाबाद (प्रयाग-राज) की बोली अवधी है, जिसे इलाहाबादी बोली भी कहते हैं। हालांकि अधिकांश शहरी क्षेत्र में खड़ी बोली ही बोली जाती है। जिले के पूर्वी गैर-दोआबी क्षेत्र में प्रायः बघेली बोली का चलन है।
इलाहाबाद(प्रयाग-राज) में सभी प्रधान धर्म के लोग निवास करते हैं। यहां हिन्दू कुल जनसंख्या का 85% और मुस्लिम 11% हैं। इनके अलावा सिख, ईसाई एवं बौद्ध लोगों की भी छोटी संख्या है।

शहरों के पास
इलाहाबाद 0 KM
फूलपुर 31 KM
लाल गोपालगंज निंदौरा 35 KM
मिर्जापुर 90 KM
 
एयर पोर्ट्स के पास
बमरौली एयरपोर्ट 11 KM
वाराणसी एयरपोर्ट 113 KM
अमौसी एयरपोर्ट 195 KM
कानपुर एयरपोर्ट 199 KM
 
जिले के पास
इलाहाबाद 0  KM
कौशाम्बी 47 KM
प्रतापगढ़ जिला 56 KM
संत रविदास नगर 73 KM
 
रेल्वे स्टेशन के पास
इलाहाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 1.7 KM
इलाहाबाद सिटी रेल मार्ग स्टेशन 1.9 KM
प्रयाग जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 4.0 KM
विकास/सामाजिक कार्य के बारे में :


विकास कार्य सूची उपलब्ध नहीं हुई है 
तिरंगा मेरी शान (राष्ट्रीय ध्वज) के बारे में
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की हैं कि आखिर तिरंगा किसने बनाया ? क्या आपको पता हैं शहीदों पर लिपटे हुए तिरंगे का क्या होता हैं ? नही ना… आज हम आपको राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े तमाम ऐसे ही सवालों के जवाब देंगे। आइए पढ़ते हैं, तिरंगे की कहानी ग़ज़बहिन्दी की जुबानी…
1 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज को “तिरंगा” नाम से भी सम्बोधित करते हैं. इस नाम के पीछे की वजह इसमें इस्तेमाल होने वाले तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा।
2 . भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे। उन्होनें ये भी कहा था कि मैं अशोक चक्र वाले झंडे को सलाम नही करूँगा।
3 . संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन हैं जिस पर एक साथ 3 तिरंगे फहराए जाते हैं।
4 . किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुँह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।
5 . राँची का ‘पहाड़ी मंदिर’ भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहाँ तिरंगा फहराया जाता हैं। 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी राँची में ही फहराया गया हैं।
6 . क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
7 . यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
8 . तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही हैं।
9 . तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए। जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
10 . सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
11 . झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी हैं।
12 . किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता हैं।
13 . किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
14 . झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
15 . भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित ‘हुबली‘ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता हैं।
16 . किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं।
17 . 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
18 . लोगो को अपने घरों या आफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली।
19 . तिरंगे को रात में फहराने की अनुमति सन् 2009 में दी गई।
20 . पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।
21 . राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया हैं।
22. आज जो तिरंगा फहराया जाता हैं उसे किसने बनाया ?
अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। इनकी मौत सन् 1963 में बहुत ही गरीबी में एक झोपड़ी में हुई। मौत के 46 साल बाद डाक टिकट जारी करके इनको सम्मान दिया गया।
23. तिरंगे को कब झुकाया जाता हैं ? भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता हैं व राष्ट्रीय शोक घोषित होता हैं, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता हैं। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा हैं। जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता हैं वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता हैं।
24. शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का क्या होता हैं ? देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता हैं। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए। शवों के साथ तिरंगे को जलाया या दफनाया नही जाता बल्कि उसे हटा लिया जाता हैं। बाद में या तो उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता हैं या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे के साथ भी ऐसा ही किया जाता हैं।
पार्षद पद के बारे में
पार्षद के कार्य व अधिकार
1 - पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
2 - पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
3 - पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
4 - पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
5 - पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
6 - पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
7 - पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- पार्षद से सम्बंधित जानकारी (Information About Councilor)
भारत के 74 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से पार्षद (Councillor OR Ward Councillor) का पद मुख्य रूप से स्थानीय शहरी शासन (Urban Local Bodies) के अंतर्गत आता है | इसका चुनाव जनता द्वारा किया जाता है | इसके अंतर्गत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत की व्यवस्था का आयोजन किया गया है | पार्षद का चुनाव मुख्य रूप से उस क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) द्वारा करती है | एक पार्षद (Parshad) का मुख्य कार्य जनता की समस्याओं को परिषद् में विचार- विमर्श के लिए प्रस्तुत करना है | पार्षद क्या है, पार्षद का चुनाव, वेतन और योग्यता की पूरी जानकारी आपको इस पेज पर दे रहे है|
2- पार्षद क्या होता है (What Is A Councilor | Parshad Meaning)
प्रत्येक शहर को छोटे- छोटे नगर (मोहल्ले) में विभाजित किया गया है, और नगर (मोहल्ले) को वार्ड में विभाजित किया जाता है | प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि को ही पार्षद कहते है | पार्षद (parshad in hindi) का चयन सीधे उस वार्ड की जनता द्वारा किया जाता है | पार्षद का मुख्य कार्य उस वार्ड से सम्बंधित समस्याओं को नगर पालिका या नगर परिषद् में पेश करना व इसके बाद परिषद् द्वारा बजट पास करके उस समस्या का हल निकाला जाता है |
3- पार्षद का चुनाव कैसे होता है (Election Of Councilor)
पार्षद का चुनाव (parshad election) प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में कराया जाता है | प्रत्येक पांच वर्षों के अंतराल में निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सहायता से नगर निकाय चुनाव का आयोजन करती है | इस चुनाव में शामिल होने वाले व्यक्ति को जनता के द्वारा चुना जाता है | उस नगर की सारी जनता एकजुट होकर अपने इलाके के लिए सही व्यक्ति का चुनाव करती है |
4- पार्षद का वेतन (Salary Of Councillor)
सभी राज्यों में पार्षदों का वेतन अलग – अलग होता है | सभी पार्षदों को प्रत्येक माह लगभग 10 हजार रुपये मानदेय और एक हजार रुपये प्रति बैठक भत्ता दिया जाता है |
5- पार्षद बनने के लिए योग्यता (Eligibility)
1- पार्षद बनने के लिए अगल-अलग राज्यों में अलग नियम भी हो सकते हैं। राज्य के अनुसार नियम होते हैं।
2- उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए ऊपर चाहे कितनी भी हो
3- 10 वीं पास होना चाहिए फ़िलहाल सरकार ने कोई भी ऐसी योग्यता नहीं निर्धारित की हैं बस आप पढे-लिखे होने चाहिए ताकि आपको सभी तरह की जानकारी हो
4- वर्ष 1995 के बाद दो या दो से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए (केवल शादीशुदा लोगो के लिए)
5- किसी भी सरकारी पद पर कार्यरत नहीं होने चाहिए
6- पागल या दिवालिया घोषित नहीं होना चाहिए
7- भारत के किसी भी मतदाता सूचि में नाम होना चाहिए
8- निर्वाचन आयोग में पार्षद के लिए अपील करते हो तो अपनी सभी सम्पति का भी ब्यौरा देना होगा
9- गंभीर अपराधो में सजा युक्त या कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए
6- पार्षद के कार्य और उसके अधिकार (Councilor’s Work And Rights)
पार्षद के कार्य
1- पार्षद को अपने-अपने वार्ड में 5-5 लाख रूपये (ये अनुमानित राशी हैं) विकास कार्य कराने का अधिकार प्रदान किया जाता हैं।
2- पार्षद को अपने वार्ड में रोड लाइट लगवानी होती हैं
3- सड़क निर्माण कार्य
4- पानी की समस्या पार्षद के अंतर्गत नहीं आती जब पार्षद को ये कार्य करना होता हैं।
5- पेंशन के फॉर्म पर मुहर लगाना
6- जाति प्रमाण-पत्र और मूल निवास प्रमाण-पत्र पर मुहर लगाना
7- सरकारी योजनाओ में बहुत से ऐसे फॉर्म होते हैं जिन्हें पार्षद को अपने हस्ताक्षर करके मुहर लगनी होती हैं।
8- अपने वार्ड में राजनैतिक कार्य भी करने होते हैं।
7- पार्षद चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेज
1- विवाह पंजीयन/मैरिज सर्टिफिकेट (शादीशुदा होने पर)
2- मूल निवास प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
3- जाति प्रमाण पत्र (डिजिटल होना चाहिए पुराना वाला नहीं चलेगा)
4- वोटर आई डी
5- चार पासपोर्ट साइज़ फोटो
6- आधार कार्ड
6- पार्षद का Resume
7- स्वघोषणा प्रमाण पत्र